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11
NADI JYOTISH
एक प्रश्न
आऩ एक अॊधेये कभये भें प्रवेश कय यहे हैं, आऩने कभये भें प्रकाश के
लरए एक टोर्च जराई । टोर्च का प्रकाश कभये के कुछ हहस्सों को ही
प्रकाशभान कये गा अथवा इसका प्रबाव सम्ऩूणच कभये भें होगा ?
2 स्स्थततमों का चर्त्रण कय यहा हूॉ उनको सभझें।
आऩ अऩने घय से अऩने लभत्र से लभरने अऩनी गाडी भें तनकरे। इस
लभत्र का घय आऩके घय से 50 कक भी की दयू ी ऩय है ।
घय से तनकरे गाडी स्टाटच की AC. र्ारू ककमा औय तनकर ऩड़े। योड
ऩय आते ही साभने जाभ !!
जैसे तैसे जाभ से तनकरे तो रार फत्ती ऩय दोनों तयप भोटयसाइककर
का झुण्ड औय एक ने तो आऩकी नमी नवेरी गाडी ऩय यगड़ बी भाय
दी। आऩको क्रोध हुआ भगय मे सोर्कय आगे फढ़ र्रे की insurance
से claim रे रेंगे। आगे ऩुलरस ने योक कय एक 500/- का र्ारान
चर्ऩका हदमा आऩको।
आगे से आऩको 2 ककरीभीटय का डामवसचन रेना ऩड़ा क्मोंकक योड ऩय
काभ र्र यहा था। औय आगे र्रे तो एक वी आई ऩी भहोदम के कायण
20 लभनट तक ट्रै कपक रुका हदखाई हदमा। आऩकी क्मा हारात होगी
लभत्र के घय ऩहुॉर्ने ऩय? औय कहीॊ गाडी का तेर खत्भ हो गमा हो औय
आऩको गाडी को धक्का रगाना ऩड़ जामे 1 km तक, तफ ?
जैसे...
सूमच नाड़ी
र्ॊद्र नाड़ी
कुजा नाड़ी
फध
ु नाड़ी
गरु
ु नाड़ी
शुक्र नाड़ी
शतन नाड़ी
रग्न नाड़ी
रगनाधीऩतत नाड़ी
सवच नाड़ी
मोग नाड़ी
बग
ृ ु नाड़ी
नॊदी नाड़ी
ध्रुफ नाड़ी
सत्म नाड़ी
अगस्त्म नाड़ी
र्ॊद्र करा नाड़ी
सप्त ऋवष नाड़ी
कुभाय नाड़ी
नव नाड़ी
काक बुजान्दय नाड़ी
कवऩरा नाड़ी
बागचव नाड़ी
ईश्वय नाड़ी....
आऩ सफने ऩढ़ा होगा अस्ग्न प्रधान यालशमाॊ त्रत्रकोण स्स्थत हैं । *भेष
लसॊह एवॊ धन*
ु मे तीनो यालशमाॊ ऩव
ू च हदशा को रयप्रेजेंट कयती हैं
दस
ू या ऩॉइॊट त्रत्रकोण / ववष्णु बाव । चर्त्र से स्वत् स्ऩष्ट हो जाएगा ।
धभच त्रत्रकोण
अथचत्रत्रकोण
काभ त्रत्रकोण
भॉऺ त्रत्रकोण
3 *ग्रह गोर्य*
नाड़ी भें हभ दशाओॊ का प्रमोग नही कयें गे, हभ ग्रह गोर्य का प्रमोग
कयें गे । एलरभें ट्री कोसच के फाद ग्रह- नऺत्र गोर्य का बी प्रमोग कयें गे
। आऩसे अनुयोध है इसको ध्मान से ऩढ़े ओय सभझे । नाड़ी
ज्मोततष कई ऩद्धततमों भे ऩाई जाती है ।
हभ स्जस ऩवद्धतत का वणचन कय यहे है । इसे ववष्णु बाव ऩवद्धतत कहते
है । कई प्रर्लरत ऩद्दस्त्तमों की ऩुस्तकों भे कहा गमा है की नाड़ी
ऩवद्धतीओॊ भे रग्न की आवश्मकता नही है , भगय आय जी याव की
ऩुस्तकों भें इसका सॊकेत लभरता है ।
इस ऩवद्धतत भे 4 भख्
ु म तथ्म है ।
1। ववष्णु बाव
2। ग्रह का गोर्य
3। ककसी बाव के 2, 3, 11, 12 एवभ ् 7 भे स्स्थत ग्रह।
4 । हदशा (Direction)
अस्त होते है । दस
ू ये सम
ू च के 12 एवॊ 2 भे शत्रु एवभ ् ऩाऩी ग्रह हो तो
बमॊकय ऩाऩ कतचयी मोग फनता है ।अगय शब
ु ग्रह हो तो शब
ु मोग फनता
है । अगय एक शत्रु ऩाऩी एवॊ एक लभत्र ऩाऩी हो तो भध्मभ ऩाऩ कतचयी
मोग तनलभचत होता है । ठीक इसी प्रकाय भध्मभ शुब कतचयी मोग फनता
है ।
अत 2,3,11,12 एवभ ् 7 बाव भे स्स्थत ग्रह का प्रबाव, स्जस बाव मा
ग्रह का अध्ममन कय यहे है उस ऩय बी दे खा जाता है ।
4. हदशा (Direction) इसे सभझना अतत आवश्मक है ।।।
जफ ववष्णु बाव यालशओ की हदशा एक ही तो ववष्णु बाव भे स्स्थत
ग्रह एक ही यालश मा एक ही बाव भे एकत्रत्रत भाने जामेंगे। इसके
कायण ववष्णु बाव नाड़ी भे 5 , 7 ओय 9 दृस्स्ट ऩूणच दृस्स्ट भानी गई
हैं। ववष्णु बाव भे स्स्थत ग्रह त्रत्रकोण भे कही बी स्स्थत/ फैठे भाने
जामेगे। ऩयन्तु ग्रह का प्रबाव यालश , बाव, उसके अऩने फर अनस
ु ाय
होगा ।
उसका आर्यण स्जस बाव भे फैठा है स्जन ग्रहो का साथ फैठा है
।उनके अनस
ु ाय होगा।
ककसी बी बाव से 11वे बाव भे फेठे ग्रह उस बाव मा उसभे फैठे ग्रह
मा मुतत को राब दे ते है । स्जसका अध्ममन ककमा जा यहा है । इसी
प्रकाय तत
ृ ीम बाव भे फैठे ग्रह रग्न एवॊ रग्न भे फैठे ग्रह को अऩनी
लभत्रता एवभ ् शत्रत
ु ा के अनस
ु ाय पर दें गे। अगय रग्न भे फैठे ग्रह
तत
ृ ीम बाव भे फैठे ग्रह का लभत्र है तो राब एवॊ शत्रु है तो हातन ।
महॉ नैसचगचक एवभ ् तात्कालरक भैत्री दे खना आवश्मक यहे गा ।
ठीक इसीप्रकाय का व्मवहाय 6 एवॊ 8 बाव भे फेठे ग्रह मा उनके
अचधऩतत द्वाया होगा। 7 बाव भे फेठा ग्रह एक फाय 3 बाव भे एक फाय
7 बाव भे एक फाय 11 बाव भे स्थान ऩरयवतचन कय पर दे गा।
आऩ बरी बाॉती ऩरयचर्त है की ऩूवच भे फैठा व्मस्क्त ऩस्श्र्भ भे दे खेगा
एवभ ् ऩस्श्र्भ भे फैठा ऩूवच भे दे खेगा। अत् 1 औय 3 अथवा 1 औय
11 भे स्स्थत ग्रह एक दस
ू ये को दे खते है । इसको उदाहयण के भाध्मभ से
ववस्ताय से दे खेंगे ।
मे दृस्स्टमा एवभ ् लसद्धाॊत सबी 9 ग्रहों ऩय रागू है । दो रग्नो का
ऩयस्ऩय दे खेंगे । भुख्म रग्न स्जसको तात्कालरक बी कह सकते हैं
स्जसभे बाव अथवा ग्रह का अध्ध्मन ककमा ज यहा है । दस
ू या
कारऩरु
ु ष कॊु डरी । स्जसके भाध्मभ से ग्रह सॊफॊधों का स्ऩष्ट ऻान
कयें गे । फाकी सबी तथ्म एवभ ् लसद्धान्त आऩको ऩायाशयी से लभरते
जुरते ही दृस्ष्टगोर्य होंगे । इसभे दशा का प्रमोग आयम्ब के सभम
भें नहीॊ कयें गे । केवर गोर्य का उऩमोग कयें गे । इसी के भाध्मभ से
जीवन के घटनाक्रभ का वववेर्न ककमा जामेगा ।
आऩ सफ से ऩुन् अनुयोध है इस ऩोस्ट को अच्छे से ऩढ़ें एवॊ इसका
भनन कयें । इसभें कुछ सभझ नहीॊ आमा तो नाड़ी का भूर सभझ
नहीॊ आमेगा ।
नाड़ी ज्मोततष कई ऩद्धततमों भे ऩाई जाती है ।
1। ववष्णु बाव
2। ग्रह का गोर्य
3। ककसी बाव के 2, 3, 11, 12 एवभ ् 7 भे स्स्थत ग्रह।
4 । हदशा (Direction)
महाॉ सम
ू च भेष याशी औय ऩव
ू च हदशा भें स्स्थत है । ऩव
ू च भें औय कौन
ग्रह हैं ? *ऩूवच भें फुध औय गुरु स्स्थत हैं।* सूमच के सप्तभ भें शतन
एवॊ र्ॊद्र हैं जो सूमच स्स्थत ववऩयीत हदशा भें हैं । जो ऩस्श्र्भ हदशा है
।
ऩस्श्र्भ हदशा भें 3 औय 11 बाव बी आएॊगे *जो इस कॊु डरी भें रयक्त
हैं ।*
जफ हभ वऩता के ववषम भें वववेर्न कयें गे तो सम
ू च ककन ककन ग्रहों से
प्रबाववत हो यहा है उनके साथ उसको यखें गे/ मोग फनाएॊगे ।
*सवचप्रथभ ववष्णु बाव को दे खते हैं -
सम
ू च के ववष्णु बावों अथवा ऩव
ू च हदशा भें स्स्थत सबी ग्रहों को *कभ से
अचधक ड्डग्री भें यखें गे* । महाॉ सूमच के साथ फुध है एवॊ उसके नवभ भें
गुरु है
सम
ू च - फध
ु
सूमच - गुरु
सूमच - फुध - गुरु ।
जहाॉ सम
ू च स्स्थत है वो याशी वऩता का रग्न हुई । वऩता के ववषम भें
हभ कह सकते है कक वऩता उतावरे स्वबाव का होगा, हय काभ जल्दी
जल्दी कयने वारा होगा । उग्र स्वबाव वारा होगा (क्मोंकक याशी भेष
है )।
ग्रह तो सदा र्रामभान हैं तो सूमच जफ फुध के सॊऩकच भें आएगा तो
वऩता की उग्रता भें कभी आएगी औय फुवद्ध का अचधक सॊर्ाय होगा ।
सम
ू च जफ आगे फढ़े गा तो उसऩय फध
ु का प्रबाव बी आएगा । फध
ु से
फुवद्ध, वाक्ऩटुता, हास्म आहद वऩता के स्वबाव भें आएगा । अफ सूमच
गुरु के ऊऩय से बी गुज़ये गा तो गुरु का स्वबाव बी ग्रहण कये गा । तो
गरु
ु सम
ू च को ऻान दे गा, धभच ऩयामण फनाएगा । उसकी प्रवस्ृ त्त
धालभचक औय फुवद्धभान व्मस्क्त के सभान होगी ।
सूमच के 2 मानी कुटुम्फ बाव भें याहु स्स्थत है । याहु सूमच का ऩयभ
शत्रु है जो सम
ू च को ग्रहण बी रगता है । याहु के सम्ऩण
ू च पर को
सभझने के लरए एक फाय याहु को वष
ृ याशी, एक फाय कन्मा याशी
औय एक फाय भकय याशी भें यखें गे । इससे सम
ू च ऩय याहु के सम्ऩण
ू च
प्रबाव का हभको ऻान हो जाएगा ।
सूमच के कुटुम्फ एवॊ धन बाव भें याहु ।
याहु के कायण वऩता 2 बाव के क्मा पर प्राप्त होंगे ?
1 कुटुम्फ जन ईष्माचरु, तनॊदक, षड्मॊत्रकायी इत्माहद होंगे ।
2 उसका धनाजचन ववऩयीत भागच से बी होगा ।
3 धन का ऺम गरत काभ के लरए बी हो सकता है ।
वष
ृ - सफ़ेद
लभथुन - हया
ककच- गुराफी
लसॊह - ब्राउन
कन्मा - ग्रे
तुरा - यॊ ग त्रफयॊ गा
वस्ृ श्र्क - कारा
धनु - सन
ु हयी
भकय - ऩीरा
कुम्ब - यॊ ग त्रफयॊ गा
भीन - गहया ब्राउन
ग्रहों के वणच -
गुरु एवॊ शुक्र - ब्राह्भण
सम
ू च एवॊ भॊगर - ऺत्रत्रम
र्न्द्रभा एवॊ फुध - वैश्म
शतन - शूद्र ( स्रेव)
याहु - भस्ु स्रभ
केतु – ईसाई
रयश्ते / सम्फन्ध
सूम:च - वऩता , ऩुत्र , याजा , सभाज भें नाभी चगयाभी हस्ती अथवा
सयकाय भें उच्र्ऩदस्त अपसय , वववाह के उऩयान्त ससुय ।
र्न्द्रभा:- :यानी , भाॉ , सास , ऩत्र
ु ी ।
भॊगर :-छोटा बाई , स्त्री की कॊु डरी भें ऩतत, सयकाय भें भध्मभ
वगीम अपसय ।
फध
ु :- दस
ू या छोटा बाई , प्रेलभका / प्रेभी , सभाज के फवु द्धजीवी ।
गरु
ु :- ऩरु
ु ष की कॊु डरी भें जीवकायक मानी स्वमॊ जातक , भागचदशचक,
लशऺक ।
शुक्र :- स्त्री की कॊु डरी भें जीवकायक मानी स्वमॊ जाततका , ऩुत्री , फहु
, फड़ी फहन , ऩत्नी , स्त्री जातक ।
शतन :- फड़ा बाई , नौकय , सयकाय भें तनम्न स्तय ऩय काभ कयने
वारा जैसे र्तुथच श्रेणी का श्रलभक अथवा रोअय क्रकच ।
याहु:-दादा , नानी ।
केतु:- नाना , दादी ।
शुब एवॊ ऩाऩ कतच ृ ग्रह -
स्स्थय स्वबानस
ु ाय गरु
ु , शक्र
ु एवॊ शक्
ु र ऩऺीम र्न्द्रभा को शब
ु भाना
गमा है । अगय फुध इनभे से ककसी से बी मुस्क्त फनामे तो शुब भाना
जामेगा।
सम
ू ,च भॊगर, शतन, याहु एवॊ केतु इन सफको ऩाऩ कत्री भाना गमा है ।
इनके साथ अगय फुध मुस्क्त कये तो उसको बी ऩाऩ कतच ृ भाना जामेगा।
र्न्द्रभा - शक्
ु र एकादशी से कृष्ण ऩॊर्भी तक फरी भाना गमा है ।
घटता र्न्द्रभा अचधक ऩाऩी भाना गमा है औय फढ़ता कभ।
एक ही ततचथ भें घटते औय फढ़ते र्न्द्रभा भें अचधक अॊतय ऩामा गमा
है । मे अनब
ु व का ववषम है इसऩय आगे र्र्ाच कयते यहें गे।
कुछ रोग र्ॊद्र को शुक्र अष्टभी से फरी भानते हैं ।
इन कभैंट्स को ऩहढ़ए औय कोई सॊशम हो तो प्रश्न कयें ।
ग्रहों को हदशा के अनस
ु ाय कैसे यखें -
बूभी के कायक
भॊगर+ र्न्द्रभा - खेती की बूभी
फुध - दक
ू ान एवॊ व्मावसातमक बूभी
शुक्र - फना हुआ घय
शतन - फड़े उद्मोग की बभ
ू ी
याहु - फॊजय बूभी, कत्रब्रस्तान आहद की बूभी
केतु - भॊहदय की बूभी
ग्रहों के दीप्ताॊश -
सूमच 15 अॊश
र्न्द्रभा* 12 अॊश
भॊगर* 8 अॊश
फध
ु 7 अॊश
गुरु 9 अॊश
शुक्र 7 अॊश
शतन 6 अॊश
ववशेष याहु केतु स्जस याशी भें । स्स्थत होंगे उसके अचधऩतत के दीप्ताॊश
को ग्रहण कय रेंगे औय अऩना प्रबाव ् हदखाएॊगे । मे भैं अऩने अनुबव
से लरख यहा हूॉ ।नाड़ी ज्मोततष भें कायकों को सवाचचधक भहत्व हदमा
जाता है । स्जन कायकत्वों का हभ प्रमोग कयें गे वो इस प्रकाय है -
1. ग्रहों के कायकत्व
2. व एवॊ उनके कायकत्व
3.यालशमाॉ एवॊ उनके कायकत्व
4. कारऩरु
ु ष कॊु डरी के अनस
ु ाय ग्रहों के स्स्थय कायकत्व
5. जन्भाॊग भें ग्रहों की स्स्थतत के अनुसाय, स्जनको हभ 'तात्कालरक'
कायकत्व कहते हैं।
ग्रहों के कायकत्व
सूमच
ऩुरुष तत्व प्रधान ग्रह। आत्भा, वऩता, ऩुत्र, याजा, भॊत्री, उच्र्ऩदस्त
व्मस्क्त जैसे ककसी सॊस्थान का र्ेमयभैन, वाईस प्रेस्जडेंट आहद। सूमच
र्भक/प्रकाश का द्मोतक है । शस्क्त का द्मोतक है ।ककरा, ऊष्भा,
साहस, अस्ग्न, याजसी सहामता, बलू भ, वन, दाहहनी आॉख, र्तष्ु ऩाद
ऩश,ु शेय, ऩत्थय, ऩूवच हदशा का अचधऩतत, भाणणक्म, नायॊ गी यॊ ग, आत्भ
फोध, सत्व गुण, याज्म, गुपा, कॊटीरे झाड़ एवॊ ऩेड़, औषचध(
भाणणक्म बस्भ आहद) । सन
ु सान जॊगरी इराका, लशव आयाधना ,
धैमच , याज्मकृऩा , फुढ़ाऩा , वऩता , र्ौकोय आकाय , ताॊफा , हड्डी ,
मश औय कीततच , नेत्र योग , शीषच योग , ऩूवच हदशा । अस्ग्न तत्व एवॊ
वऩत्त प्रकततच । स्भयण यखें - सूमच कारऩुरुष कॊु डरी भें ऩॊर्भेश है
इसीलरए मे सॊतान का कायक ग्रह भाना गमा है ।
सूमच के फरहीन अथवा ऩीड्ड़त होने ऩय जातक अचधक नभक का
सेवन कयने रगता है साथ ही उसे फाय फाय थूकने की इच्छा होती है
कारऩरु
ु ष के ऩॊर्भ बाव का स्वाभी होने के कायण प्रेभ फवु द्ध ववद्मा
सॊतान औय ऩव
ू च ऩण्
ु म आहद ववषमों भें इसकी बलू भका ऩयभ ववर्ायणीम
है
कॊु डरी भें फरहीन होने ऩय हड्ड्डमों के योग जैसे उनका बुयबुया होना
मा टे ढ़ा हो जाना आहद का तनभाचण कयता है
र्ॊद्रभा
र्ॊद्रभा बगवान ् लशव की अधाांचगनी भाॊ ऩावचती का प्रतीक है . मह
खाद्म ऩदाथों , जर , दध
ू , शीतरता , भन , भाता , सज्जनता ,
करा , भहहरा लभत्रों , सभन्
ु दय , ताराफ , झीर , कुआॊ औय धन
सभवृ द्ध का कायक है .
र्ॊद्रभा महद ऩीड्ड़त औय फरहीन हो तो फदनाभी , धोखा , पये फ ,
दष्ु टता , र्रयत्रहीनता औय व्मलबर्ाय का बी प्रतततनचधत्व कयता है .
कॊु डरी भें अऩनी स्स्थतत अनुसाय फायह यालशमों भें गोर्य कयते हुए मह
जातक को अच्छा मा फुया पर प्रदान कयता है .
मात्रा औय भुहूतच के लरमे र्ॊद्रभा की स्स्थतत ऩयभ ववर्ायणीम है . र्ॊद्रभा
की गोर्य भें शब
ु ाशब
ु स्स्थतत ही ककसी जातक के लरमे मात्रा औय
भुहूतच तम कयती है .
र्ॊद्रभा व्मस्क्त के अच्छे औय फुये दोनों ऩहरुओॊ को तनमॊत्रत्रत कयता है .
इस प्रकाय वह ऩयभवऩता ऩयभेश्वय द्वाया सॊसाय रऩी भॊर् ऩय खेरी
जा यही रीरा भें भहत ् बलू भका तनबाता है . कहतें हैं अच्छाई का
अस्स्तत्व तबी तक है जफ तक फयु ाई ववद्मभान है .
र्ॊद्रभा र्रयत्रहीनता , व्मलबर्ाय औय दष्ु टता के साथ ही ऩववत्रता ,
शुद्धता औय सज्जनता को व्मक्त कयते हुए नवग्रह शस्क्त ववतयण
व्मवस्था भें अऩना दातमत्व ऩयू ा कयता र्रता है .
भॊगर
भॊगर को बूलभऩुत्र कहा गमा है . मह ऩथ्
ृ वी भाॊ का वप्रम ऩुत्र है . जैसे
फध
ु को बगवान ववष्णु का प्रतीक भाना जाता है वैसे ही भॊगर बलू भ
का प्रतीक है . ज्मोततष का आधाय ऩथ्
ृ वी है . मातन भनुष्म ज्मोततष का
आधाय है . औय भॊगर उसका प्रतततनचधत्व कयता है . इसीलरमे
कारऩुरुष की प्रथभ यालश भेष जो की भॊगर की भूरत्रत्रकोण यालश है
को रगन स्थान प्राप्त है .
भॊगर मोद्धा प्रकृतत का प्रतततनचध है . सबी तयह के हचथमाय , मुद्ध ,
तनभाचण , बूलभ , ऩयाक्रभ , ऋण औय अस्ग्न का कायक है .
ऩरुु ष की कॊु डरी भें मह बाई का औय स्त्री की कॊु डरी भें ऩतत का
कायक है . महद भॊगर कॊु डरी भें सस्ु स्थत हो फहुत धन सॊऩस्त्त औय
फह
ृ स्ऩतत
ऩुरुष जातक की कॊु डरी भें जीव का कायक। गुरु एवॊ गुरु की तयह
सम्भातनत। गुरु मानी ऻान दे ने वारा जैसे अधमाऩक, ऩुजायी, डॉक्टय
इत्माहद। धालभचक सॊस्थान का अध्मऺ। ऩीरा एवॊ सुनहया यॊ ग। नाक,
सभ बज
ु आकय, अॊगयीक गोत्र, धालभचक स्थान, ववद्मारम, अनस
ु ॊधान
केंद्र, कॉरेज, अस्ऩतार इत्माहद। ब्राह्भण का श्राऩ, ऩूजा मोग्म ऩेड़
आहद, वाभनावताय, हटन धात,ु ऩुखयाज, भीठा स्वाद, भोटा र्ना,
ऩीऩर का ऩेड़। धालभचक गरु
ु , भॊत्री, बगवान ब्रह्भा जी, धालभचक
अध्ममन एवॊ अनस
ु ॊधान, हल्दी, आध्मास्त्भक सख
ु
फुध
बगवान ् ववष्णु का सूर्क, र्ॊद्र ऩुत्र, रराट, फुवद्ध, ववद्मा अध्ममन;
जातक की ववद्मा का अनुभान फुध से रगामा जाता है । इॊटेरेक्ट,
व्मावसातमक बूलभ ।कारऩुरुष कॊु डरी भें तत
ृ ीमेश होने के कायण मे
लभत्र, आस ऩड़ौसी, हरयमारी, छोटा र्ार्ा, छोटे से छोटे बाई अथवा
फेहेन।छोटे ऩेड़ ऩौधे, भटीरी र्भच, व्माऩाय; ट्रे ड्डॊग, रेन-दे न,सूर्ना-
प्रसायण,आकषचण, याज कुभाय, तीय का आकाय, आत्रेम गोत्र, फुद्धावताय,
धात,ु भसारेदाय स्वाद, ऩस्त्तमाॊ, ऩन्ना, र्ना, गणणत, एकाउॊ ट्स,
स्टे हटस्स्टक्स, रॉस्जक, व्मवहाय।
नोट- भॊगर एवॊ फुध ऩयस्ऩय शत्रु हैं औय इनकी मुतत ववद्माध्ममन भें
शुक्र
शतन
ग्रह के कायकत्व -(उत्तयकाराभत
ृ अनस
ु ाय)
याहु
भुख , ऩहहमा , ववशारता , गोर आकाय , धनुष , कारा यॊ ग , कान
छाता , कारा र्श्भा , बीड़ औय बगदड़ , कटु वर्न , नीर् औयत ,
दवू षत बावनाएॊ , जुआ , शयाफखाना , ववदे शी बाषा औय व्मस्क्त ,
उल्टी लरवऩ , नकाफऩोश , भकान का भुख्म द्वाय , तोऩ मा फन्दक
ू
की नरी , सई
ू का छे द वजचनाहीन कौटोस्म्फक रैंचगक सम्फन्ध ,
आधायहीन औय भ्राभक भान्मता औय जो सही है उससे उरट व्मवहाय
का कायक है . सबी प्रकाय के रयसाव औय रीकेज याहु के अॊतगचत आते
हैं. मह शुर भें अधोभुखी औय फाद भें ऊध्वचभुखी है . इसका दशान्तय
आयम्ब भें ऩतन औय फाद भें उत्थान दे ता है .
केतु
लशखय, ध्वजा , हदशाहीन, क्रूय, तनॊदक, कॊजूस, दादी, नाना, भठाधीश,
काश्मऩ गोत्र, दग
ु न्
च ध कायक, भोऺ , ऩतरी रॊफी गरी, सीढ़ी, भफत्ती,
र्ेन, कुशा, यस्सी, धागा, केश, आमव
ु ेद ; जड़ी फहू टमाॊ (ऩतरी रॊफी
जड़ ), कैं सय, घाव, कोढ़, फवासीय, वकारत, वट वऺ
ृ की जटाएॊ,
अवयोध / रुकावट, अगस्त्म ऋवष, व्माघ्र र्भच, दाढ़ी, हाथी की सूॊड,
ऩशओ
ु ॊ की ऩॉछ
ू , ऩरु
ु ष एवॊ स्त्री जननाॊग, ऩातार ।
केतु केश का कायक भाना गमा है । कारे केश होने ऩय जातक अऩने
ऩव
ू च कृत्म कभो को बोग यहा है । सफ़ेद होने ऩय ऐसा भाने की
जातक शीघ्र अऩने ऩूवच कृत्म कभों से भुस्क्त ऩा यहा है । स्वणच वणच
केशों के लरए कहा गमा है कक मे सूमच एवॊ केतु को दशाचता है औय
ऐसे भें जातक शब
ु कृत्मों से स्वमॊ को जीवन मात्रा भें भोऺ भागच
को प्रशस्त कय सकता है ।
ग्रहों के दीप्ताॊश
*सम
ू *
च 15 अॊश
*र्न्द्रभा* 12 अॊश
*भॊगर* 8 अॊश
*फुध* 7 अॊश
*गरु
ु * 9 अॊश
*शुक्र* 7 अॊश
*शतन* 9 अॊश
ववशेष* याहु केतु स्जस याशी भें । स्स्थत होंगे उसके अचधऩतत के
दीप्ताॊश को ग्रहण कय रेंगे औय अऩना प्रबाव ् हदखाएॊगे । मे भैं अऩने
अनुबव से लरख यहा हूॉ ।
यालशमों का गण
ु स्वबाव -
भॊगर है । मह भॊगर की भर
ू त्रत्रकोण यालश है । इस यालश का प्रतीक
चर्न्ह भेढ़ा सॊघषच का ऩरयर्ामक है ।
वष
ृ ब - इस याशी का स्वाभी शुक्र है । मह याशी र्क्र की दस
ू यी याशी
है । मह ऩथ्
ृ वीतत्व , यजोगुणी औय स्स्थय स्वबाव याशी है . इसकी हदशा
दक्षऺण है । इस याशी का प्रतीक चर्न्ह साॊड आसस्क्त औय दृढ़ता का
स्वाभी है । फध
ु की मह भर
ू त्रत्रकोण याशी है । इस यालश का प्रतीक
चर्न्ह कन्मा है जो मथाथच औय शॊकारु प्रवस्ृ त्त का ऩरयर्ामक है ।
बाव कायकत्व*
प्रथभ- जन्भ सभम की फाते,शयीय , वणच , शयीय का यॊ ग औय सम्ऩण
ू च
स्वरुऩ ,कद, व्मस्क्तत्व , साभान्म सभवृ द्ध , फाल्मवस्था , प्रायॊ लबक
जीवन , स्वास्थ्म , र्रयत्र , आमु , जन्भस्थान , भान म्भान ,
स्वबाव , सुख द्ु ख , ऻान , ऺभता , स्वप्न , फर , रारसा औय
वैयाग्म , तनज (सेल्प)औय तनजता , आत्भफोध. कारऩरु
ु ष की प्रथभ
यालश भेष है , कॊु डरी के प्रथभ बाव भें ववयाजती है . स्जसका स्वाभी
भॊगर जातक के वतचभान व्मस्क्तत्व का प्रतततनचधत्व कयता है . प्रथभ
बाव का नैसचगचक कायक सूमच है ।
भख
ु ,कुटुॊफ , दाईं आॊख , बोजन , धन सॊऩस्त्त , सॊचर्त धन , वाणी
,ववद्मा, आस्स्तकता , नाखन
ू , स्जह्वा , यत्न , धऩ
ू दीऩ , नालसका ,
भानलसक स्स्थयता , ऩयभाथच , आम की ववचध,भाता का फड़ा
बाई,कुभाय अवस्था। कारऩुरुष की दस
ू यी यालश वष
ृ ब है । इस बाव भे
त्रफयाजभान है ।
तत
ृ ीम बाव कायकत्व
छोटे बाई फहन , ऩयाक्रभ , साहस , शौमच , सगे सॊफॊधी , गरा ,
वाकशस्क्त , कान , कॉधे,फाजू साॉसनरी,लभत्र,वामुमान मात्रा,कभ दयू ी
की मात्रा,मौवन अवस्था,वीयता,नवभ से सप्तभ होने के कायण वऩता
की भत्ृ मु , भ्रभ , लभत्र , छोटी मात्रामें , शौक , दस
ू यों को कष्ट
ऩहुॊर्ाना. कारऩुरुष की तत
ृ ीम यालश लभथुन है । इस बाव भें स्थान
ऩाती है ।
भत्र
ू योग , सावचजतनक तनॊदा औय अऩभान , र्ोयी , ववऩस्त्त। कारऩरु
ु ष
की छठी यालश कन्मा है । इस बाव भें स्थान ऩाती है ।