Está en la página 1de 53

NADI JYOTISH

11
NADI JYOTISH

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 एक प्रश्न

 आऩ एक अॊधेये कभये भें प्रवेश कय यहे हैं, आऩने कभये भें प्रकाश के
लरए एक टोर्च जराई । टोर्च का प्रकाश कभये के कुछ हहस्सों को ही
प्रकाशभान कये गा अथवा इसका प्रबाव सम्ऩूणच कभये भें होगा ?
 2 स्स्थततमों का चर्त्रण कय यहा हूॉ उनको सभझें।
 आऩ अऩने घय से अऩने लभत्र से लभरने अऩनी गाडी भें तनकरे। इस
लभत्र का घय आऩके घय से 50 कक भी की दयू ी ऩय है ।
 घय से तनकरे गाडी स्टाटच की AC. र्ारू ककमा औय तनकर ऩड़े। योड
ऩय आते ही साभने जाभ !!
जैसे तैसे जाभ से तनकरे तो रार फत्ती ऩय दोनों तयप भोटयसाइककर
का झुण्ड औय एक ने तो आऩकी नमी नवेरी गाडी ऩय यगड़ बी भाय
दी। आऩको क्रोध हुआ भगय मे सोर्कय आगे फढ़ र्रे की insurance
से claim रे रेंगे। आगे ऩुलरस ने योक कय एक 500/- का र्ारान
चर्ऩका हदमा आऩको।
आगे से आऩको 2 ककरीभीटय का डामवसचन रेना ऩड़ा क्मोंकक योड ऩय
काभ र्र यहा था। औय आगे र्रे तो एक वी आई ऩी भहोदम के कायण
20 लभनट तक ट्रै कपक रुका हदखाई हदमा। आऩकी क्मा हारात होगी
लभत्र के घय ऩहुॉर्ने ऩय? औय कहीॊ गाडी का तेर खत्भ हो गमा हो औय
आऩको गाडी को धक्का रगाना ऩड़ जामे 1 km तक, तफ ?

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

2. आऩ घय से तनकरे औय सीढ़ी सऩाट भस्त योड। हरके हरके फादर


आसभान भें । गाडी र्रे जा यही है भस्ती से योड ऩय। कहीॊ रार फत्ती
ऩय गाडी रुकी, औय मे क्मा आऩका फर्ऩन का लभत्र अऩनी गाडी भें
नज़य आमा। वो बी आऩकी गाडी भें आकय फैठ गमा औय दोनों गऩशऩ
कयते यहे औय फीर् भें गाडी योक कय आऩ दोनों ने साथ साथ कोल्ड
ड्रॊक ऩीमी। औय साथ साथ उस लभत्र के घय बी ऩहुॉर् गए।
 भेया प्रश्न आऩसे मे है की दोनों स्स्थततमों भें आऩ स्वमॊ भें क्मा अॊतय
भहसूस कयें गे?
नाड़ी ज्मोततष का सम्ऩण
ू च आधाय भेयी उऩयोक्त दो कभें ट ऩोस्ट ऩय
आधारयत है । हदन भें इनऩय चर्ॊतन कयें । अऩने उत्तय *र्र्ाच ग्रुऩ* भें
लरखें ।
 अफ भान रीस्जए वो टोर्च एक ग्रह है औय कऺ कॊु डरी है स्जसभे 12
बाव हैं ।
ग्रह का अचधक प्रबाव उसकी स्स्थतत से अचधकतभ होगा क्मोंकक राइट
एक स्ट्रै ट राइन भें ट्रे वर कयती है ।
 आगे फढ़ॉू उसके ऩहरे आऩ सफ से एक आग्रह करॉगा की जो आऩने
ऩायाशयी / वैहदक भें ऩढ़ा है उसको अऩने हदभाग भें एक कोने भें फॊद
कय दें । कुछ हदन जो भैं फताऊॊगा उस ऩय भनन कयें । एक फात को
भानकय र्रें कक जो बी साभग्री / ऻान उऩरब्ध है उसका काराॊतय भें
ऺम हुआ है ।स्जसके कायण ववद्मा भें कुछ प्रश्नवार्क चर्ॊन्ह आ गए

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

हैं । आऩ 6 भहीने फाद कापी ववद्मा ग्रहण कय र्क


ु े होंगे औय
आऩके कई प्रश्नों के उत्तय आऩको स्वत् लभरेंगे
 ग्रह का प्रबाव सम्ऩूणच 12 बावों ऩय ऩड़ता है , इस फात को माद यखें
। ककस बाव ऩय ककतना प्रबाव ककस बाव ऩय ऩड़ेगा वो आऩको इसी
सप्ताह भें स्ऩष्ट हो जाएगा ।*
 अफ लभत्र के घय की मात्रा का प्रश्न रेते हैं ।
ऩहरे उदाहयण भें जातक को कहठनाई हुई औय दस
ू ये चर्त्रण भें उसको
हषच हुआ मात्रा सहज हो गमी ।
हभ कई कॊु डलरमों भें अनब
ु व कय र्क
ु े हैं कक जातक की कॊु डरी भें उच्र्
का ग्रह है , स्वऺेत्री ग्रह है , लभत्र याशी भें स्स्थत है । उऩरब्ध ववद्मा
के अनुसाय उसको शुब पर दे ना र्ाहहए भगय वो ववऩयीत ऩरयणाभ दे ता
है । इसका क्मा कायण है ?
 कपय ग्रह के फराफर को दे खेने के लरए कई वगच कॊु डलरमों का
अध्ममन आयम्ब होता है औय षड्फर आहद का अध्ममन आयम्ब
होता है जो भस्ष्तष्क भें बूर्ार उत्ऩन्न कय दे ता है औय जो तनष्कषच
तनकरता है वो सबी कॊु डलरमों ऩय रागू बी नहीॊ होता । इस गाड़ी से
हटकय एक औय उदाहयण रेते हैं । आऩके घय के आसऩास सफ खारी
है । सऩाट भैदान । आऩ स्वमॊ को ककतना सुयक्षऺत भहसूस कयें गे ।
*ववऩयीत स्स्थतत भें आऩ कैसा भहसूस कयें गे ?
 उत्तय होगा असहाम !

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 अफ इसी स्स्थतत भें आऩके आसऩड़ोस भें कापी घय हैं औय सबी


ऩड़ोसी आऩके लभत्र - फन्धु यहते हैं । ववऩदा आने ऩय ऩड़ोसी / लभत्र
सहामता के लरए ततऩय हैं तो आऩका साहस बी फना यहता है ।
 ग्रह बी इसीप्रकाय व्मवहाय कयते हैं । बरे ही वो स्वग्रही अथवा लभत्र
ग्रही हो भगय ऩीछे के 4-5 खारी बावों से र्रकय आने से उसके
फर की ऺतत होती है ।
 अगय ऩीछे शत्रु ग्रहों से द्वॊद कयता हुआ जन्भ सभम भें उक्त बाव /
यालश भें आके फैठा हो तो उसको आऩ कभज़ोय ही भाने ।
 औय अगय ऩीछे से लभत्र ग्रहों से प्रोग्रेस कयके उक्त स्थान ऩय फैठा है
तो उसभें अचधक फर होगा ।
 नाड़ी भें ग्रह के फराफर का आॊकरन उसके स्स्थत बाव से ऩीछे के
4-5 बावों का ववश्रेषण ज़रयी है । इसीप्रकाय ग्रह क्मा दे गा बववष्म
भें उसके लरए उसके आगे के बावों का ऻान आवश्मक होगा ।
 मे दो ऩॉइॊट नाड़ी ज्मोततष का भूराधाय है । इसऩय सबी गम्बीय
भनन कयें । नाड़ी का सयराथच हभ *सूक्ष्भ* कह सकते हैं । नाड़ी की
अनेक ऩद्दततमों का वणचन ज्मोततष भें दे खेने भें आमा है ।

जैसे...
सूमच नाड़ी
र्ॊद्र नाड़ी
कुजा नाड़ी

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

फध
ु नाड़ी
गरु
ु नाड़ी
शुक्र नाड़ी
शतन नाड़ी
रग्न नाड़ी
रगनाधीऩतत नाड़ी
सवच नाड़ी
मोग नाड़ी
बग
ृ ु नाड़ी
नॊदी नाड़ी
ध्रुफ नाड़ी
सत्म नाड़ी
अगस्त्म नाड़ी
र्ॊद्र करा नाड़ी
सप्त ऋवष नाड़ी
कुभाय नाड़ी
नव नाड़ी
काक बुजान्दय नाड़ी
कवऩरा नाड़ी
बागचव नाड़ी
ईश्वय नाड़ी....

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 हभरोग आय जी याव के ववषम बग


ृ ु नॊदी का अध्ममन कयें गे ।
ज्मोततष का सम्ऩण
ू च ऻान तो लशव के अरावा ककसी को बी नहीॊ है ।
भुझे स्जतना आता है वो सफ आऩरोगों के सभऺ प्रस्तुत करॉगा ।
औय आऩ सबी के साथ साथ स्वमॊ बी कुछ औय नमा सीखूॊगा ।
आज महीॊ ववयाभ दे ते हैं । कोई प्रश्न हो तो ऩछ
ू ें ।
 एक रघु उदाहयण औय प्रस्तुत कय यहा हूॉ ।
 आऩ एक ये चगस्तान के एक ऺोय ऩय खड़े हैं । ये चगस्तान कयीफ 100
ककरोभीटय के ऺेत्रपर भें पैरा हुआ है । आऩको उसे ऩाय कयके
अऩने गॊतव्म ऩय ऩहुॊर्ना है । आऩके ऩास न तो छतयी है औय ना ही
ऩीने को जर । ये चगस्तान का ताऩभान 50 ड्डग्री का है । कोई सॊगी
साथी बी नही है । अऩने गॊतव्म तक ऩहुॊर्ने तक आऩकी क्मा
स्स्थतत होगी ?
 उत्तय सभझने के लरए वैऻातनक होने की आवश्मकता नहीॊ हैं । थोड़ी
सी ही जान फाकी यहे गी
 अफ इसी उदाहयण को ग्रहों से सभझें । अगय कोई ग्रह अऩने स्स्थत
बाव तक ऩहुॊर्ने के लरए ऩीछे के 4 -5 रयक्त बावों से गोर्य कयके
आमे तो उसभें कोई शस्क्त नही होती हैं । कपय र्ाहे तो अऩनी उच्र्
यालश भें स्स्थत हो, लभत्र ऺेत्री हो अथवा स्वऺेत्री हो ।
 नाड़ी ज्मोततष भें कई ऩद्दततमाॊ अनुबव भें आई है । हभ बग
ृ ु नन्दी
नाड़ी का अध्ममन कयें गे । इस ऩद्दतत भें त्रत्रकोण स्स्थत बावों का

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

अचधक भहत्व दृस्ष्टगोर्य होता है । कहीॊ कहीॊ त्रत्रकोण बावों को ववष्णु


बाव बी कहा गमा है ।
 हभ इसको ववष्णु बाव से सॊफोचधत कय सकते हैं ।*
 नाड़ी ज्मोततषी *रग्न* को भहत्व नही दे ते भगय रग्न का प्रमोग
आय जी याव ने कहीॊ कहीॊ ककमा है औय रग्न के प्रमोग से परादे श
बी सटीक यहे हैं । हभ आयॊ लबक ववद्मा के ऩश्र्ात कॊु डरी वववेर्न के
सभम रग्न का प्रमोग कयें गे ।
 नाड़ी ज्मोततष के र्ाय भुख्म त्रफॊद ु हैं
1 हदशा ।
2 त्रत्रकोण अथवा ववष्णु बाव।*
3 ग्रह गोर्य ।*
4 ककसी बी ग्रह के 2-12, 3-11, 5-9 एवॊ 7 बाव भें स्स्थत ग्रह ।
 उऩयोक्त दो ऩॉइॊट को चर्त्र रऩ भें प्रस्तत
ु कय यहा हूॉ । माद कयने
भें सहज यहे गा ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

आऩ सफने ऩढ़ा होगा अस्ग्न प्रधान यालशमाॊ त्रत्रकोण स्स्थत हैं । *भेष
लसॊह एवॊ धन*
ु मे तीनो यालशमाॊ ऩव
ू च हदशा को रयप्रेजेंट कयती हैं
दस
ू या ऩॉइॊट त्रत्रकोण / ववष्णु बाव । चर्त्र से स्वत् स्ऩष्ट हो जाएगा ।

 धभच त्रत्रकोण

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 अथचत्रत्रकोण

 काभ त्रत्रकोण

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 भॉऺ त्रत्रकोण

3 *ग्रह गोर्य*
 नाड़ी भें हभ दशाओॊ का प्रमोग नही कयें गे, हभ ग्रह गोर्य का प्रमोग
कयें गे । एलरभें ट्री कोसच के फाद ग्रह- नऺत्र गोर्य का बी प्रमोग कयें गे
। आऩसे अनुयोध है इसको ध्मान से ऩढ़े ओय सभझे । नाड़ी
ज्मोततष कई ऩद्धततमों भे ऩाई जाती है ।
 हभ स्जस ऩवद्धतत का वणचन कय यहे है । इसे ववष्णु बाव ऩवद्धतत कहते
है । कई प्रर्लरत ऩद्दस्त्तमों की ऩुस्तकों भे कहा गमा है की नाड़ी
ऩवद्धतीओॊ भे रग्न की आवश्मकता नही है , भगय आय जी याव की
ऩुस्तकों भें इसका सॊकेत लभरता है ।

 इस ऩवद्धतत भे 4 भख्
ु म तथ्म है ।
1। ववष्णु बाव
2। ग्रह का गोर्य
3। ककसी बाव के 2, 3, 11, 12 एवभ ् 7 भे स्स्थत ग्रह।
4 । हदशा (Direction)

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

1 उदाहयण के लरए भेष रग्न को रे।


 त्रत्रकोण बाव 1,5एवभ ् 9 याशी हुई। मे तीनो है अस्ग्न तत्व है । तीनो
है ऩूवच हदशा है । तीनो के नऺत्र रॉडच एक ही है । तीनो के नवाॊश एक
है । तीनो यालशमों के रॉडच आऩस भे ऩयभ लभत्र है । इसी प्रकाय फहुत
गण
ु एक ही ऩामे जाते है । इसलरए इन्हें ववष्णु बाव कहा जाता है ।
 ठीक इसी प्रकाय वष
ृ , लभथुन एवभ ् ककच रग्न को रे तो बी मे ही
गुण ऩामे जाते है । कपय इसी प्रकाय ककसी बी रग्न को रे तो
उऩयोक्त सभानता ऩाई जाती है ।इसलरए इन्हें ववष्णु बाव कहा जाता
है ।
2 गोर्य -नाडी भे इसे सभझना अतत आवश्मक है । जन्भ सभम की
कॊु डरी भे जो ग्रह स्जस बाव भे होता है उस ग्रह को स्स्थय ग्रह भाना
जाता है । स्जसे नेटर मा ऩेदामशी ग्रह बी कहते है । ऩयन्तु वास्तव भें
ग्रह स्स्थय नही होते। वे तो ऩव
ू च से दक्षऺण, ऩस्श्र्भ कपय उत्तय की तयप
गोर्य कयते है । जन्भकालरक ग्रह जहाॉ होते है उॊ ससे ऩीछे के गोर्य से
ऩूवच जन्भ के लभरने वारे गुणों का एवभ ् आगे के गोर्य से बववष्म का
अनभ
ु ान रगाते है ।
3. ककसी बाव के 2,3,11,12 एवभ ् 7 भे स्स्थत ग्रह उस बाव मा उसभे
स्स्थत ग्रह ऩय ऩूणच प्रबाव यखते है । ऩायाशयी ऩवद्धतत भे इनसे ऩाऩ कतयी
, शुब कतयी, वेशी मा वोलश आहद मोग फनते है । मे मोग नाडी भे बी
फनते है ।ऩयन्तु कही कही पलरत दे ने भे भाभर
ू ी पकच होता है । उदहायण
के लरए, सूमच एक बाव भे हो तो सूमच से 12 एवॊ 2 बाव के ग्रह बी

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

अस्त होते है । दस
ू ये सम
ू च के 12 एवॊ 2 भे शत्रु एवभ ् ऩाऩी ग्रह हो तो
बमॊकय ऩाऩ कतचयी मोग फनता है ।अगय शब
ु ग्रह हो तो शब
ु मोग फनता
है । अगय एक शत्रु ऩाऩी एवॊ एक लभत्र ऩाऩी हो तो भध्मभ ऩाऩ कतचयी
मोग तनलभचत होता है । ठीक इसी प्रकाय भध्मभ शुब कतचयी मोग फनता
है ।
 अत 2,3,11,12 एवभ ् 7 बाव भे स्स्थत ग्रह का प्रबाव, स्जस बाव मा
ग्रह का अध्ममन कय यहे है उस ऩय बी दे खा जाता है ।
4. हदशा (Direction) इसे सभझना अतत आवश्मक है ।।।
 जफ ववष्णु बाव यालशओ की हदशा एक ही तो ववष्णु बाव भे स्स्थत
ग्रह एक ही यालश मा एक ही बाव भे एकत्रत्रत भाने जामेंगे। इसके
कायण ववष्णु बाव नाड़ी भे 5 , 7 ओय 9 दृस्स्ट ऩूणच दृस्स्ट भानी गई
हैं। ववष्णु बाव भे स्स्थत ग्रह त्रत्रकोण भे कही बी स्स्थत/ फैठे भाने
जामेगे। ऩयन्तु ग्रह का प्रबाव यालश , बाव, उसके अऩने फर अनस
ु ाय
होगा ।
 उसका आर्यण स्जस बाव भे फैठा है स्जन ग्रहो का साथ फैठा है
।उनके अनस
ु ाय होगा।
ककसी बी बाव से 11वे बाव भे फेठे ग्रह उस बाव मा उसभे फैठे ग्रह
मा मुतत को राब दे ते है । स्जसका अध्ममन ककमा जा यहा है । इसी
प्रकाय तत
ृ ीम बाव भे फैठे ग्रह रग्न एवॊ रग्न भे फैठे ग्रह को अऩनी
लभत्रता एवभ ् शत्रत
ु ा के अनस
ु ाय पर दें गे। अगय रग्न भे फैठे ग्रह

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

तत
ृ ीम बाव भे फैठे ग्रह का लभत्र है तो राब एवॊ शत्रु है तो हातन ।
महॉ नैसचगचक एवभ ् तात्कालरक भैत्री दे खना आवश्मक यहे गा ।
ठीक इसीप्रकाय का व्मवहाय 6 एवॊ 8 बाव भे फेठे ग्रह मा उनके
अचधऩतत द्वाया होगा। 7 बाव भे फेठा ग्रह एक फाय 3 बाव भे एक फाय
7 बाव भे एक फाय 11 बाव भे स्थान ऩरयवतचन कय पर दे गा।
आऩ बरी बाॉती ऩरयचर्त है की ऩूवच भे फैठा व्मस्क्त ऩस्श्र्भ भे दे खेगा
एवभ ् ऩस्श्र्भ भे फैठा ऩूवच भे दे खेगा। अत् 1 औय 3 अथवा 1 औय
11 भे स्स्थत ग्रह एक दस
ू ये को दे खते है । इसको उदाहयण के भाध्मभ से
ववस्ताय से दे खेंगे ।
 मे दृस्स्टमा एवभ ् लसद्धाॊत सबी 9 ग्रहों ऩय रागू है । दो रग्नो का
ऩयस्ऩय दे खेंगे । भुख्म रग्न स्जसको तात्कालरक बी कह सकते हैं
स्जसभे बाव अथवा ग्रह का अध्ध्मन ककमा ज यहा है । दस
ू या
कारऩरु
ु ष कॊु डरी । स्जसके भाध्मभ से ग्रह सॊफॊधों का स्ऩष्ट ऻान
कयें गे । फाकी सबी तथ्म एवभ ् लसद्धान्त आऩको ऩायाशयी से लभरते
जुरते ही दृस्ष्टगोर्य होंगे । इसभे दशा का प्रमोग आयम्ब के सभम
भें नहीॊ कयें गे । केवर गोर्य का उऩमोग कयें गे । इसी के भाध्मभ से
जीवन के घटनाक्रभ का वववेर्न ककमा जामेगा ।
 आऩ सफ से ऩुन् अनुयोध है इस ऩोस्ट को अच्छे से ऩढ़ें एवॊ इसका
भनन कयें । इसभें कुछ सभझ नहीॊ आमा तो नाड़ी का भूर सभझ
नहीॊ आमेगा ।
 नाड़ी ज्मोततष कई ऩद्धततमों भे ऩाई जाती है ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

हभ स्जस ऩवद्धतत का वणचन कय यहे है । इसे ववष्णु बाव ऩवद्धतत कहते है


। कई प्रर्लरत ऩद्दस्त्तमों की ऩस्
ु तकों भे कहा गमा है की नाड़ी
ऩवद्धतीओॊ भे रग्न की आवश्मकता नही है , भगय आय जी याव की
ऩुस्तकों भें इसका सॊकेत लभरता है ।
 इस ऩवद्धतत भे 4 भख्
ु म तथ्म है ।

1। ववष्णु बाव
2। ग्रह का गोर्य
3। ककसी बाव के 2, 3, 11, 12 एवभ ् 7 भे स्स्थत ग्रह।
4 । हदशा (Direction)

1। त्रत्रकोण बाव मा यालशमों की तत्व,हदशा, नऺत्र रॉडच,नवाॊश,याशी रॉडच


भे लभत्रता,एवभ ् अन्म तथ्म एक ही होते है ।
 उदाहयण के लरए भेष रग्न को रे।
त्रत्रकोण बाव 1,5एवभ ् 9 याशी हुई। मे तीनो है अस्ग्न तत्व है । तीनो है
ऩव
ू च हदशा है । तीनो के नऺत्र रॉडच एक ही है । तीनो के नवाॊश एक है ।
तीनो यालशमों के रॉडच आऩस भे ऩयभ लभत्र है । इसी प्रकाय फहुत गुण एक
ही ऩामे जाते है । इसलरए इन्हें ववष्णु बाव कहा जाता है ।

ठीक इसी प्रकाय वष


ृ , लभथन
ु एवभ ् ककच रग्न को रे तो बी मे ही गण

ऩामे जाते है ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

कपय इसी प्रकाय ककसी बी रग्न को रे तो उऩयोक्त सभानता ऩाई जाती


है ।इसलरए इन्हें ववष्णु बाव कहा जाता है ।
2. गोर्य -नाडी भे इसे सभझना अतत आवश्मक है । जन्भ सभम की
कॊु डरी भे जो ग्रह स्जस बाव भे होता है उस ग्रह को स्स्थय ग्रह भाना
जाता है । स्जसे नेटर मा ऩेदामशी ग्रह बी कहते है ।
ऩयन्तु वास्तव भें ग्रह स्स्थय नही होते। वे तो ऩूवच से दक्षऺण ,ऩस्श्र्भ
कपय उत्तय की तयप गोर्य कयते है । जन्भकालरक ग्रह जहाॉ होते है
उॊ ससे ऩीछे के गोर्य से ऩूवच जन्भ के लभरने वारे गुणों का एवभ ् आगे
के गोर्य से बववष्म का अनभ
ु ान रगाते है ।
3. ककसी बाव के 2,3,11,12 एवभ ् 7 भे स्स्थत ग्रह उस बाव मा
उसभे स्स्थत ग्रह ऩय ऩूणच प्रबाव यखते है । ऩायाशयी ऩवद्धतत भे इनसे ऩाऩ
कतयी , शब
ु कतयी, वेशी मा वोलश आहद मोग फनते है । मे मोग नाडी भे
बी फनते है ।ऩयन्तु कही कही पलरत दे ने भे भाभर
ू ी पकच होता है ।
उदहायण के लरए, सूमच एक बाव भे हो तो सूमच से 12 एवॊ 2 बाव के
ग्रह बी अस्त होते है । दस
ू ये सूमच के 12 एवॊ 2 भे शत्रु एवभ ् ऩाऩी ग्रह
हो तो बमॊकय ऩाऩ कतचयी मोग फनता है ।अगय शब
ु ग्रह हो तो शब
ु मोग
फनता है । अगय एक शत्रु ऩाऩी एवॊ एक लभत्र ऩाऩी हो तो भध्मभ ऩाऩ
कतचयी मोग तनलभचत होता है । ठीक इसी प्रकाय भध्मभ शुब कतचयी मोग
फनता है ।
अत 2,3,11,12 एवभ ् 7 बाव भे स्स्थत ग्रह का प्रबाव, स्जस बाव मा
ग्रह का अध्ममन कय यहे है उस ऩय बी दे खा जाता है ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

4. हदशा (Direction) इसे सभझना अतत आवश्मक है ।।।


जफ ववष्णु बाव यालशओ की हदशा एक ही तो ववष्णु बाव भे स्स्थत
ग्रह एक ही यालश मा एक ही बाव भे एकत्रत्रत भाने जामेंगे। इसके कायण
ववष्णु बाव नाड़ी भे 5 , 7 ओय 9 दृस्स्ट ऩूणच दृस्स्ट भानी गई हैं। ववष्णु
बाव भे स्स्थत ग्रह त्रत्रकोण भे कही बी स्स्थत/ फैठे भाने जामेगे। ऩयन्तु
ग्रह का प्रबाव यालश , बाव, उसके अऩने फर अनुसाय होगा ।
 उसका आर्यण स्जस बाव भे फैठा है स्जन ग्रहो का साथ फैठा है
।उनके अनुसाय होगा।
ककसी बी बाव से 11वे बाव भे फेठे ग्रह उस बाव मा उसभे फैठे ग्रह
मा मुतत को राब दे ते है । स्जसका अध्ममन ककमा जा यहा है ।
इसी प्रकाय तत
ृ ीम बाव भे फैठे ग्रह रग्न एवॊ रग्न भे फैठे ग्रह को
अऩनी लभत्रता एवभ ् शत्रत
ु ा के अनस
ु ाय पर दें गे।
 अगय रग्न भे फैठे ग्रह तत
ृ ीम बाव भे फैठे ग्रह का लभत्र है तो राब
एवॊ शत्रु है तो हातन । महॉ नैसचगचक एवभ ् तात्कालरक भैत्री दे खना
आवश्मक यहे गा ।

 ठीक इसीप्रकाय का व्मवहाय 6 एवॊ 8 बाव भे फेठे ग्रह मा उनके


अचधऩतत द्वाया होगा।

7 बाव भे फेठा ग्रह एक फाय 3 बाव भे एक फाय 7 बाव भे एक फाय


11 बाव भे स्थान ऩरयवतचन कय पर दे गा।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 आऩ बरी बाॉती ऩरयचर्त है की ऩव


ू च भे फैठा व्मस्क्त ऩस्श्र्भ भे
दे खेगा एवभ ् ऩस्श्र्भ भे फैठा ऩव
ू च भे दे खेगा। अत् 1 औय 3 अथवा
1 औय 11 भे स्स्थत ग्रह एक दस
ू ये को दे खते है । इसको उदाहयण के
भाध्मभ से ववस्ताय से दे खेंगे ।
 मे दृस्स्टमा एवभ ् लसद्धाॊत सबी 9 ग्रहों ऩय रागू है ।
दो रग्नो का ऩयस्ऩय दे खेंगे । भुख्म रग्न स्जसको तात्कालरक बी कह
सकते हैं स्जसभे बाव अथवा ग्रह का अध्ध्मन ककमा ज यहा है । दस
ू या
कारऩुरुष कॊु डरी । स्जसके भाध्मभ से ग्रह सॊफॊधों का स्ऩष्ट ऻान कयें गे

फाकी सबी तथ्म एवभ ् लसद्धान्त आऩको ऩायाशयी से लभरते जुरते ही
दृस्ष्टगोर्य होंगे । इसभे दशा का प्रमोग आयम्ब के सभम भें नहीॊ कयें गे
। केवर गोर्य का उऩमोग कयें गे । इसी के भाध्मभ से जीवन के
घटनाक्रभ का वववेर्न ककमा जामेगा ।
 आऩ सफ से ऩुन् अनुयोध है इस ऩोस्ट को अच्छे से ऩढ़ें एवॊ इसका
भनन कयें । इसभें कुछ सभझ नहीॊ आमा तो नाड़ी का भूर सभझ
नहीॊ आमेगा ।
 नाड़ी के तनमभो के ऩोस्ट को भैं औय सयर कयके सभझाने का प्रमास
कयता हूॉ ।
 1 - ववष्णु / त्रत्रकोण बाव

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

हभने दे खा ककसी बी याशी से उसके ऩॊर्भ औय बाव उसी के स्वबाव,


हदशा एवॊ तत्व भें सभानता होती है । जैसे भेष के ऩॊर्भ भें लसॊह एवॊ
नवभ धनु का तत्व अस्ग्न है औय इनकी हदशा ऩूवच है ।
तो इन यालशमों भें स्स्थत ग्रहों को जफ हभ हदशा के अनुसाय लरखें गे तो
मे एक ही हदशा ऩव
ू च भें आएॊगे । बववष्म भें परादे श के सभम
इस त्रत्रकोण भें स्स्थत सबी ग्रहों को हभ एक फाय भेष भें भानेंगे, एक
फाय लसॊह औय अॊत भें धनु भें भानेंगे ।
 *टोर्च के भेये हदए गए उदाहयण को ऩुन् स्भयण कीस्जमे।*
 दृस्ष्ट फर की ऩोस्ट आऩके सबी सॊशम को हटा दे गा।
 ककसी बी ग्रह/ बाव/ याशी से 2-12, 3-11एवॊ 7 भें स्स्थत ग्रह -
सप्तभ दृस्ष्ट को हभने सफसे प्रबावशारी होती है इसको सभझा ।
 ककसी बी याशी से उसके 3 औय 11 भें स्स्थत यालशमाॉ उस याशी की
हदशा के ववऩयीत होती हैं । औय क्रॉस ऩय हदशानस
ु ाय ग्रहों को फैठाने
ऩय वो ववऩयीत हदशा भें आ जाते है मानी ववऩयीत हदशा भें स्स्थत
ग्रह एक दस
ू ये ऩय प्रबाव डारते हैं ।
 क्मोंकक 3 औय 11 बाव रग्न के 20- 30 ड्डग्री के एॊगर ऩय आते
हैं तो इनभे स्स्थत ग्रहों का ग्रह ववशेष स्जसको हभ दे ख यहे हैं 30-
35 % प्रबाव होगा ।
एक उदाहयण रेकय *दृस्ष्ट* के तनमभ को सभझते हैं ।
 मोग तनभाचण के सभम सवचप्रथभ हभ ग्रहों को हदशानस
ु ाय फैठाएॊगे ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 भान रीस्जमे हभ जातक के वऩता के ववषम भें ववश्रेषण कय यहे है ।


वऩता को सूमच से दे खा जाता है । हभने सभझा कक ककसी बी बाव से
उसके ऩॊर्भ औय नवभ बाव को हभ त्रत्रकोण अथवा ववष्णु बाव से
सॊफोचधत कयते हैं औय उनभें स्स्थत सबी ग्रहों को एक ही हदशा भें
फैठाते हैं ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 महाॉ सम
ू च भेष याशी औय ऩव
ू च हदशा भें स्स्थत है । ऩव
ू च भें औय कौन
ग्रह हैं ? *ऩूवच भें फुध औय गुरु स्स्थत हैं।* सूमच के सप्तभ भें शतन
एवॊ र्ॊद्र हैं जो सूमच स्स्थत ववऩयीत हदशा भें हैं । जो ऩस्श्र्भ हदशा है

 ऩस्श्र्भ हदशा भें 3 औय 11 बाव बी आएॊगे *जो इस कॊु डरी भें रयक्त
हैं ।*
 जफ हभ वऩता के ववषम भें वववेर्न कयें गे तो सम
ू च ककन ककन ग्रहों से
प्रबाववत हो यहा है उनके साथ उसको यखें गे/ मोग फनाएॊगे ।
*सवचप्रथभ ववष्णु बाव को दे खते हैं -
सम
ू च के ववष्णु बावों अथवा ऩव
ू च हदशा भें स्स्थत सबी ग्रहों को *कभ से
अचधक ड्डग्री भें यखें गे* । महाॉ सूमच के साथ फुध है एवॊ उसके नवभ भें
गुरु है

इस मोग को हभ 3 बागों भें ववबास्जत कयें गे ( जफ मोग तनभाचण का


ववषम आएगा तफ इसऩय ववस्ताय से र्र्ाच कयें गे) ।
तो ऩूवच हदशा भें सूमच को दे खते सभम 3 मोग फनेंगे

सम
ू च - फध

सूमच - गुरु
सूमच - फुध - गुरु ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 जहाॉ सम
ू च स्स्थत है वो याशी वऩता का रग्न हुई । वऩता के ववषम भें
हभ कह सकते है कक वऩता उतावरे स्वबाव का होगा, हय काभ जल्दी
जल्दी कयने वारा होगा । उग्र स्वबाव वारा होगा (क्मोंकक याशी भेष
है )।
 ग्रह तो सदा र्रामभान हैं तो सूमच जफ फुध के सॊऩकच भें आएगा तो
वऩता की उग्रता भें कभी आएगी औय फुवद्ध का अचधक सॊर्ाय होगा ।
 सम
ू च जफ आगे फढ़े गा तो उसऩय फध
ु का प्रबाव बी आएगा । फध
ु से
फुवद्ध, वाक्ऩटुता, हास्म आहद वऩता के स्वबाव भें आएगा । अफ सूमच
गुरु के ऊऩय से बी गुज़ये गा तो गुरु का स्वबाव बी ग्रहण कये गा । तो
गरु
ु सम
ू च को ऻान दे गा, धभच ऩयामण फनाएगा । उसकी प्रवस्ृ त्त
धालभचक औय फुवद्धभान व्मस्क्त के सभान होगी ।
 सूमच के 2 मानी कुटुम्फ बाव भें याहु स्स्थत है । याहु सूमच का ऩयभ
शत्रु है जो सम
ू च को ग्रहण बी रगता है । याहु के सम्ऩण
ू च पर को
सभझने के लरए एक फाय याहु को वष
ृ याशी, एक फाय कन्मा याशी
औय एक फाय भकय याशी भें यखें गे । इससे सम
ू च ऩय याहु के सम्ऩण
ू च
प्रबाव का हभको ऻान हो जाएगा ।
सूमच के कुटुम्फ एवॊ धन बाव भें याहु ।
याहु के कायण वऩता 2 बाव के क्मा पर प्राप्त होंगे ?
1 कुटुम्फ जन ईष्माचरु, तनॊदक, षड्मॊत्रकायी इत्माहद होंगे ।
2 उसका धनाजचन ववऩयीत भागच से बी होगा ।
3 धन का ऺम गरत काभ के लरए बी हो सकता है ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

4 याहु र्ोय बी है तो धन के र्ोयी होने की सॊबावना बी फनी यहे गी ।


अफ याहु को 6 बाव भें रे जाते हैं जो उसका ववष्णु बाव है ।
 6 बाव से हभ नौकय, शत्रु , योग आहद को दे खते है । मानी वऩता के
शत्रु नीर् प्रकततच के होंगे जो षड्मॊत्र कयके हातन ऩहुॊर्ाएॊगे । हातन क्मों
? जफ याहु को 6 बाव भें रे जाएॊगे तो उसका सम्ऩूणच प्रबाव सूमच के
12 बाव ऩय बी होगा ।
अफ याहु को 10 बाव भें रे जाते हैं जो सम
ू च का कभच बाव है ।
 सूमच के कभच स्थर ऩय याहु का ववऩयीत प्रबाव होगा । झूठ, फदनाभी
औय षड्मॊत्र वऩता को सदा कष्ट भें यखें गे ।
सम
ू च से 3 बाव जो उसके लभत्र एवॊ सहोदय का बाव है ।
3 बाव स्स्थत याशी से हभ उनका स्वबाव सभझ सकते हैं । 3 बाव
ऩय शतन एवॊ र्ॊद्र का प्रबाव है स्जससे हभ उनके एवॊ उनके व्मफसाम
आहद का ऻान कय सकते हैं ।
 शतन के ऩूवच केवर याहु है औय उसके फाद के सबी बाव खारी हैं ।
ये चगस्तान वारे उदाहयण को ऩन
ु ् स्भयण कीस्जमे...उच्र् का शतन होते
हुए बी फरहीन है । औय फर्ी खुर्ी कसय शत्रु र्ॊद्र केतु औय भॊगर
ने ऩूयी कय दी है । *शतन अतत कभज़ोय है इस कॊु डरी भें ।*
 इसका अथच मह हुआ कक वऩता का व्मवसाम छोटा- भोटा होगा । रो
इनकभ । औय उसके लभत्र बी अच्छी स्स्थतत के रोग नहीॊ होंगे ।
सूमच के एकादश बाव को दे खते हैं ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

एकादश ऩय शतन औय र्ॊद्र का प्रबाव है मानी इनकभ होगी भगय भन


के अनुसाय नही होगी ।
क्मोंकक शतन कभज़ोय है तो जातक नौकयी कयता होगा ककसी रोअय ऩद
ऩय औय उसकी आम कभ होगी ।
 वैहदक के दृस्ष्टकोण से तो मे कॊु डरी अतत उत्तभ है । सूमच उच्र् का
, शतन उच्र् का , भॊगर एवॊ गुरु स्वग्रही , शुक्र उच्र् का । 6 भहीने
फाद इस कॊु डरी को ऩन
ु ् दे खेंगे तफ आऩ कुछ ववऩयीत ही फोरेंगे ।
शतन जफ गुरु के ऊऩय से गोर्य कये गा तफ ऩदोन्नतत कयवाएगा ।
सूमच के भात ृ बाव को दे खते हैं ।
 भाता का स्वबाव ककच याशी के स्वबाव से तनधाचरयत होगा । ककच के
ववष्णु बाव भें (5) भॊगर - केतु हैं औय दस
ू ये ववष्णु बाव भें उच्र्
शुक्र है । महाॉ 4 मोग फनेंगे जो सूमच के भात ृ बाव का वणचन कयें गे ।
परादे श को बववष्म के लरए छोड़ दे ते हैं ।
सूमच से ऩॊर्भ बाव ऩय सूमच - फुध- गुरु का प्रबाव है । जातक- सूमच
की लशऺा सॊतोष जनक यही । 6 बाव का वववेर्न ऊऩय ककमा है भैंने ।।

अफ सूमच के दाम्ऩत्म बाव को दे खते हैं ।


 नाड़ी के अनस
ु ाय जातक की भाॉ का नैसचगचक कायक र्ॊद्रभा होता है ।
महाॉ सूमच से सप्तभ बाव तुरा है तो वऩता का दाम्ऩत्म सप्तभेश शुक्र,
सप्तभ स्स्थत र्ॊद्र औय शतन इन तीन ग्रहों औय तुरा, ककच से

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

प्रबाववत । ककसका कफ औय क्मा प्रबाव होगा वो सम


ू च की मात्रा ऩय
तनबचय कये गा । इस ववषम को बववष्म भें ववस्ताय से दे खेंगे ।
 प्रत्मेक बाव का प्रबाव सूमच ऩय क्मा होगा उसको इसीप्रकाय दे खेंगे ।
 ग्रहों को हदशा के अनस
ु ाय कैसे यखें -
1. सवचप्रथभ ग्रहों को कभ ड्डग्री से अचधक के क्रभ भें प्रत्मेक हदशा भें
फैठाएॉ.
4,8,12 याशी - उत्तय हदशा
1, 5, 9 याशी - ऩूवच हदशा
2, 6, 10 याशी - दक्षऺण हदशा
3,7,11 याशी - ऩस्श्र्भ हदशा
नोट - जो ग्रह वक्री हों उनको दो जगह लरखा जामेगा , एक तो स्जस
याशी भें फैठे हैं उस याशी की हदशा भें औय दस
ू ये उस याशी की हदशा
भें स्जसको वो ग्रह वक्री होकय दे ख यहा है ।
2. ग्रह ऩरयवतचन के ववषम को फाद भें सभझामा जामेगा।
यालशमों के यॊ ग बेद-
भेष - रार

वष
ृ - सफ़ेद
लभथुन - हया
ककच- गुराफी
लसॊह - ब्राउन

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

कन्मा - ग्रे
तुरा - यॊ ग त्रफयॊ गा
वस्ृ श्र्क - कारा
धनु - सन
ु हयी
भकय - ऩीरा
कुम्ब - यॊ ग त्रफयॊ गा
भीन - गहया ब्राउन
ग्रहों के वणच -
गुरु एवॊ शुक्र - ब्राह्भण
सम
ू च एवॊ भॊगर - ऺत्रत्रम
र्न्द्रभा एवॊ फुध - वैश्म
शतन - शूद्र ( स्रेव)
याहु - भस्ु स्रभ
केतु – ईसाई
रयश्ते / सम्फन्ध
सूम:च - वऩता , ऩुत्र , याजा , सभाज भें नाभी चगयाभी हस्ती अथवा
सयकाय भें उच्र्ऩदस्त अपसय , वववाह के उऩयान्त ससुय ।
र्न्द्रभा:- :यानी , भाॉ , सास , ऩत्र
ु ी ।
भॊगर :-छोटा बाई , स्त्री की कॊु डरी भें ऩतत, सयकाय भें भध्मभ
वगीम अपसय ।
फध
ु :- दस
ू या छोटा बाई , प्रेलभका / प्रेभी , सभाज के फवु द्धजीवी ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

गरु
ु :- ऩरु
ु ष की कॊु डरी भें जीवकायक मानी स्वमॊ जातक , भागचदशचक,
लशऺक ।
शुक्र :- स्त्री की कॊु डरी भें जीवकायक मानी स्वमॊ जाततका , ऩुत्री , फहु
, फड़ी फहन , ऩत्नी , स्त्री जातक ।
शतन :- फड़ा बाई , नौकय , सयकाय भें तनम्न स्तय ऩय काभ कयने
वारा जैसे र्तुथच श्रेणी का श्रलभक अथवा रोअय क्रकच ।
याहु:-दादा , नानी ।
केतु:- नाना , दादी ।
शुब एवॊ ऩाऩ कतच ृ ग्रह -
स्स्थय स्वबानस
ु ाय गरु
ु , शक्र
ु एवॊ शक्
ु र ऩऺीम र्न्द्रभा को शब
ु भाना
गमा है । अगय फुध इनभे से ककसी से बी मुस्क्त फनामे तो शुब भाना
जामेगा।
सम
ू ,च भॊगर, शतन, याहु एवॊ केतु इन सफको ऩाऩ कत्री भाना गमा है ।
इनके साथ अगय फुध मुस्क्त कये तो उसको बी ऩाऩ कतच ृ भाना जामेगा।
र्न्द्रभा - शक्
ु र एकादशी से कृष्ण ऩॊर्भी तक फरी भाना गमा है ।
घटता र्न्द्रभा अचधक ऩाऩी भाना गमा है औय फढ़ता कभ।
एक ही ततचथ भें घटते औय फढ़ते र्न्द्रभा भें अचधक अॊतय ऩामा गमा
है । मे अनब
ु व का ववषम है इसऩय आगे र्र्ाच कयते यहें गे।
कुछ रोग र्ॊद्र को शुक्र अष्टभी से फरी भानते हैं ।
इन कभैंट्स को ऩहढ़ए औय कोई सॊशम हो तो प्रश्न कयें ।
ग्रहों को हदशा के अनस
ु ाय कैसे यखें -

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

1. सवचप्रथभ ग्रहों को कभ ड्डग्री से अचधक के क्रभ भें प्रत्मेक हदशा भें


फैठाएॉ.
- 4,8,12 याशी - उत्तय हदशा
- 1, 5, 9 याशी - ऩव
ू च हदशा
-2, 6, 10 याशी - दक्षऺण हदशा
- 3,7,11 याशी - ऩस्श्र्भ हदशा

नोट - जो ग्रह वक्री हों उनको दो जगह लरखा जामेगा , एक तो स्जस


याशी भें फैठे हैं उस याशी की हदशा भें औय दस
ू ये उस याशी की हदशा भें
स्जसको वो ग्रह वक्री होकय दे ख यहा है । मे फहुत इम्ऩोटे न्ट ऩॉइॊट है
इसको स्भयण भें यखें ग्रहों को हदशा के अनुसाय फैठाते सभम ।*
जफ कोई शुब ग्रह दो ऩाऩी ग्रहों के भध्म पॊसेगा तो ऩाऩ कतचयी
मोग का तनभाचण होगा ।
इसको नाड़ी भें अवयोध के रऩ भें भाना जाता है । दस
ू ये शब्दों भें ग्रह
अऩने ऩण
ू च पर से जातक को वॊचर्त यखेगा ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

बूभी के कायक
भॊगर+ र्न्द्रभा - खेती की बूभी
फुध - दक
ू ान एवॊ व्मावसातमक बूभी
शुक्र - फना हुआ घय
शतन - फड़े उद्मोग की बभ
ू ी
याहु - फॊजय बूभी, कत्रब्रस्तान आहद की बूभी
केतु - भॊहदय की बूभी

नोट - इन कायकों का उऩमोग एक ववशेष तयीके से होता है । जैसे,


फुध+ शुक्र - एक फना हुआ घय स्जसभे दक
ु ाने बी हो सकती हैं।
भॊगर + शुक्र + याहु - फहु भॊस्ज़री इभायत। मे मोग फड़े वाहन के
लरए बी है । भॊगर - भशीन, शुक्र - आयाभदे ह; रक्ज़यी, याहु - फड़ा ।
ककच का भॊगर + याहु - जजचय इभायत ।
भकय का भॊगर + याहु - ऩुयानी फड़ी इभायत ।
ग्रहों के वणच -
गरु
ु एवॊ शक्र
ु - ब्राह्भण
सम
ू च एवॊ भॊगर - ऺत्रत्रम
र्न्द्रभा एवॊ फुध - वैश्म
शतन - शूद्र ( स्रेव)
याहु - भस्ु स्रभ
केतु – ईसाई

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

यालशमों भें लरॊग बेद - ( सही ककमा हुआ )


वैहदक ज्मोततष भें सबी ववषभ 1,3,5,7,9,11यालशमाॉ ऩुरुष एवॊ सबी
सभ 2,4,6,8,10,12 यालशमाॉ स्त्री यालशमाॉ भानी गमी हैं। नाड़ी भें
यालशमों के लरॊग थोड़े लबन्न हैं -
1, 5,8,9,10,12 - ऩरु
ु ष
2, 3,4,6,7 - स्त्री इन यालशमों को ऩञ्र् कन्मा के नाभ से बी
सॊफोचधत ककमा जाता है ।

नोट- दे खा गमा है कक कुम्ब याशी का व्मवहाय 60% ऩरु


ु ष एवॊ 40%
स्त्री का होता है ।
 प्रकततच की यर्ना भें बी लरॊग बेद नज़य आता है । महाॉ बी ऩरु
ु षों के
अनुऩात भें स्स्त्रमाॊ कभ है । मही लसद्धाॊत सबी जीवों ऩय बी रागू है
एवॊ मही अनुऩात यालशमों भें बी हदखाई दे ता है - 5.4 स्त्री एवॊ 6.6
ऩरु
ु ष का है । ऩरु
ु ष एवॊ स्त्री का अनऩ
ु ात 80% से कभ नहीॊ होना
र्ाहहए, सॊबवत् मे लसद्धाॊत सबी वस्तुओॊ ऩय बी रागू होता है ।
एक फाय ऩुन् स्भयण कय रें - अगय सबी ग्रह स्त्री यालशमों भें स्स्थत
हों तो ऩञ्र् कन्मा मोग उत्ऩन्न होता है औय जातक के घय भें
कन्मामें अथवा स्स्त्रमों की अचधकता यहती है । एक फात औय प्रभख
ु है
की भकय याशी के ऩूवाचधच भें जर तत्व की अचधकता यहती है एवॊ
उत्तयाधच भें ऩथ्
ृ वी तत्व की।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

ग्रहों के दीप्ताॊश -

सूमच 15 अॊश
र्न्द्रभा* 12 अॊश
भॊगर* 8 अॊश
फध
ु 7 अॊश
गुरु 9 अॊश
शुक्र 7 अॊश
शतन 6 अॊश
ववशेष याहु केतु स्जस याशी भें । स्स्थत होंगे उसके अचधऩतत के दीप्ताॊश
को ग्रहण कय रेंगे औय अऩना प्रबाव ् हदखाएॊगे । मे भैं अऩने अनुबव
से लरख यहा हूॉ ।नाड़ी ज्मोततष भें कायकों को सवाचचधक भहत्व हदमा
जाता है । स्जन कायकत्वों का हभ प्रमोग कयें गे वो इस प्रकाय है -
1. ग्रहों के कायकत्व
2. व एवॊ उनके कायकत्व
3.यालशमाॉ एवॊ उनके कायकत्व
4. कारऩरु
ु ष कॊु डरी के अनस
ु ाय ग्रहों के स्स्थय कायकत्व
5. जन्भाॊग भें ग्रहों की स्स्थतत के अनुसाय, स्जनको हभ 'तात्कालरक'
कायकत्व कहते हैं।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

नोट- उऩयोक्त कायकत्वों के अततरयक्त परादे श भें ग्रह गोर्य का प्रमोग


होगा एवॊ गोर्य एवॊ जन्भकालरक ग्रह स्स्थतत भें ऩयस्ऩय सम्फन्ध ऩय
ध्मान हदमा जामेगा

ग्रहों के कायकत्व
सूमच
ऩुरुष तत्व प्रधान ग्रह। आत्भा, वऩता, ऩुत्र, याजा, भॊत्री, उच्र्ऩदस्त
व्मस्क्त जैसे ककसी सॊस्थान का र्ेमयभैन, वाईस प्रेस्जडेंट आहद। सूमच
र्भक/प्रकाश का द्मोतक है । शस्क्त का द्मोतक है ।ककरा, ऊष्भा,
साहस, अस्ग्न, याजसी सहामता, बलू भ, वन, दाहहनी आॉख, र्तष्ु ऩाद
ऩश,ु शेय, ऩत्थय, ऩूवच हदशा का अचधऩतत, भाणणक्म, नायॊ गी यॊ ग, आत्भ
फोध, सत्व गुण, याज्म, गुपा, कॊटीरे झाड़ एवॊ ऩेड़, औषचध(
भाणणक्म बस्भ आहद) । सन
ु सान जॊगरी इराका, लशव आयाधना ,
धैमच , याज्मकृऩा , फुढ़ाऩा , वऩता , र्ौकोय आकाय , ताॊफा , हड्डी ,
मश औय कीततच , नेत्र योग , शीषच योग , ऩूवच हदशा । अस्ग्न तत्व एवॊ
वऩत्त प्रकततच । स्भयण यखें - सूमच कारऩुरुष कॊु डरी भें ऩॊर्भेश है
इसीलरए मे सॊतान का कायक ग्रह भाना गमा है ।
 सूमच के फरहीन अथवा ऩीड्ड़त होने ऩय जातक अचधक नभक का
सेवन कयने रगता है साथ ही उसे फाय फाय थूकने की इच्छा होती है

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 कारऩरु
ु ष के ऩॊर्भ बाव का स्वाभी होने के कायण प्रेभ फवु द्ध ववद्मा
सॊतान औय ऩव
ू च ऩण्
ु म आहद ववषमों भें इसकी बलू भका ऩयभ ववर्ायणीम
है
 कॊु डरी भें फरहीन होने ऩय हड्ड्डमों के योग जैसे उनका बुयबुया होना
मा टे ढ़ा हो जाना आहद का तनभाचण कयता है

र्ॊद्रभा
र्ॊद्रभा बगवान ् लशव की अधाांचगनी भाॊ ऩावचती का प्रतीक है . मह
खाद्म ऩदाथों , जर , दध
ू , शीतरता , भन , भाता , सज्जनता ,
करा , भहहरा लभत्रों , सभन्
ु दय , ताराफ , झीर , कुआॊ औय धन
सभवृ द्ध का कायक है .
र्ॊद्रभा महद ऩीड्ड़त औय फरहीन हो तो फदनाभी , धोखा , पये फ ,
दष्ु टता , र्रयत्रहीनता औय व्मलबर्ाय का बी प्रतततनचधत्व कयता है .
कॊु डरी भें अऩनी स्स्थतत अनुसाय फायह यालशमों भें गोर्य कयते हुए मह
जातक को अच्छा मा फुया पर प्रदान कयता है .
मात्रा औय भुहूतच के लरमे र्ॊद्रभा की स्स्थतत ऩयभ ववर्ायणीम है . र्ॊद्रभा
की गोर्य भें शब
ु ाशब
ु स्स्थतत ही ककसी जातक के लरमे मात्रा औय
भुहूतच तम कयती है .
र्ॊद्रभा व्मस्क्त के अच्छे औय फुये दोनों ऩहरुओॊ को तनमॊत्रत्रत कयता है .
इस प्रकाय वह ऩयभवऩता ऩयभेश्वय द्वाया सॊसाय रऩी भॊर् ऩय खेरी

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

जा यही रीरा भें भहत ् बलू भका तनबाता है . कहतें हैं अच्छाई का
अस्स्तत्व तबी तक है जफ तक फयु ाई ववद्मभान है .
र्ॊद्रभा र्रयत्रहीनता , व्मलबर्ाय औय दष्ु टता के साथ ही ऩववत्रता ,
शुद्धता औय सज्जनता को व्मक्त कयते हुए नवग्रह शस्क्त ववतयण
व्मवस्था भें अऩना दातमत्व ऩयू ा कयता र्रता है .

स्स्त्रमों की कॊु डरी भें वववाह से ऩहरे मह भाॊ का औय वववाह के फाद


सास का प्रतततनचधत्व कयता है .
ऩागरऩन औय अवसाद के लरमे बी र्ॊद्रभा को उत्तयदाई भाना जाता है ...

भॊगर
भॊगर को बूलभऩुत्र कहा गमा है . मह ऩथ्
ृ वी भाॊ का वप्रम ऩुत्र है . जैसे
फध
ु को बगवान ववष्णु का प्रतीक भाना जाता है वैसे ही भॊगर बलू भ
का प्रतीक है . ज्मोततष का आधाय ऩथ्
ृ वी है . मातन भनुष्म ज्मोततष का
आधाय है . औय भॊगर उसका प्रतततनचधत्व कयता है . इसीलरमे
कारऩुरुष की प्रथभ यालश भेष जो की भॊगर की भूरत्रत्रकोण यालश है
को रगन स्थान प्राप्त है .
भॊगर मोद्धा प्रकृतत का प्रतततनचध है . सबी तयह के हचथमाय , मुद्ध ,
तनभाचण , बूलभ , ऩयाक्रभ , ऋण औय अस्ग्न का कायक है .
ऩरुु ष की कॊु डरी भें मह बाई का औय स्त्री की कॊु डरी भें ऩतत का
कायक है . महद भॊगर कॊु डरी भें सस्ु स्थत हो फहुत धन सॊऩस्त्त औय

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

रुतफा प्रदान कयता है . क्मोंकक मह सेनाऩतत औय भॊत्री का बी कायक


है .
महद ऩीड्ड़त अथवा फरहीन हो तो जीवन कष्टभम हो जाता है . महद
ककसी स्त्री की कॊु डरी भें भॊगर नीर्स्थ हो तो उसका ऩतत ककसी छोटे
तफके का होगा. गरत काभ कयने वारा औय तयु ॊ त ऩाया गयभ स्वबाव
का होगा. तुयॊत आऩा खो दे गा.
जफकक उच्र्स्थ भॊगर होने ऩय ऩतत जोशीरा औय भजफूत होगा.
सीभाओॊ को तोड़ने वारा ववस्तायवादी होगा. जन्भकारीन भॊगर की
यालश औय बाव दे खकय कापी हद तक सटीक परादे श ककमा जा
सकता है . रार भूॊगा भॊगर का यत्न है . इसकी धातु ताॊफा औय स्वणच
हैं. प्रतततनचध दे वता बगवान ् काततचकेम हैं.

फह
ृ स्ऩतत
ऩुरुष जातक की कॊु डरी भें जीव का कायक। गुरु एवॊ गुरु की तयह
सम्भातनत। गुरु मानी ऻान दे ने वारा जैसे अधमाऩक, ऩुजायी, डॉक्टय
इत्माहद। धालभचक सॊस्थान का अध्मऺ। ऩीरा एवॊ सुनहया यॊ ग। नाक,
सभ बज
ु आकय, अॊगयीक गोत्र, धालभचक स्थान, ववद्मारम, अनस
ु ॊधान
केंद्र, कॉरेज, अस्ऩतार इत्माहद। ब्राह्भण का श्राऩ, ऩूजा मोग्म ऩेड़
आहद, वाभनावताय, हटन धात,ु ऩुखयाज, भीठा स्वाद, भोटा र्ना,
ऩीऩर का ऩेड़। धालभचक गरु
ु , भॊत्री, बगवान ब्रह्भा जी, धालभचक
अध्ममन एवॊ अनस
ु ॊधान, हल्दी, आध्मास्त्भक सख

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

फुध
 बगवान ् ववष्णु का सूर्क, र्ॊद्र ऩुत्र, रराट, फुवद्ध, ववद्मा अध्ममन;
जातक की ववद्मा का अनुभान फुध से रगामा जाता है । इॊटेरेक्ट,
व्मावसातमक बूलभ ।कारऩुरुष कॊु डरी भें तत
ृ ीमेश होने के कायण मे
लभत्र, आस ऩड़ौसी, हरयमारी, छोटा र्ार्ा, छोटे से छोटे बाई अथवा
फेहेन।छोटे ऩेड़ ऩौधे, भटीरी र्भच, व्माऩाय; ट्रे ड्डॊग, रेन-दे न,सूर्ना-
प्रसायण,आकषचण, याज कुभाय, तीय का आकाय, आत्रेम गोत्र, फुद्धावताय,
धात,ु भसारेदाय स्वाद, ऩस्त्तमाॊ, ऩन्ना, र्ना, गणणत, एकाउॊ ट्स,
स्टे हटस्स्टक्स, रॉस्जक, व्मवहाय।

नोट- भॊगर एवॊ फुध ऩयस्ऩय शत्रु हैं औय इनकी मुतत ववद्माध्ममन भें

रुकावट उत्ऩन्न कयते हैं। भॊगर अहॊ काय है इसलरए जातक को


ववद्माध्ममन एवॊ चर्ॊतन भें अहॊ काय हो जाता है जो ववद्मा अध्ममन भें
अवयोधक होता है ।
फुध फुवद्ध औय लशऺा है . शुक्र उच्र् लशऺा है . इन दोनों की मुतत एवॊ
सॊमोग व्मस्क्त को उच्र् लशऺा का आश्वासन दे ती है . फह
ृ स्ऩतत ऻान
औय भहानता का सर्
ू क है . महद फध
ु औय शक्र
ु के साथ इसका बी
सॊमोग हो जामे तो उच्र् लशऺा भें गहन ऻान का सभावेश हो जाता है
औय व्मस्क्तत्व फुवद्ध लशऺा औय ऻान का ऐसा ऩुॊज फन जाता है जो
की आदशच होता है ...

शुक्र

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

स्त्री जातक की कॊु डरी भें जीव का कायक । गार, दे वी भहारक्ष्भी,


धन, साजो- सज्जा एवॊ ऐशो-आयाभ का साभान, घय, फड़ी फहहन,
ननद, ऩुत्र वधु, कभर का पूर, अॊडाकाय आकृतत, याऺश गुरु,
सॊजीवनी, जीवन दातमनी औषचध, हल्दी, कुभकुभ, दीघच आमु, शादी-
शद
ु ा भहहराएॉ, ऩञ्र् बज
ु ी आकाय, बागचव गोत्र, धन स्थान, प्रसन्नता
एवॊ आनॊद।
शुक्र :शुक्र खुशहारी , सॊचर्त धन , याजसी रचर् , ऩत्नी , स्त्री ,
सबी प्रकाय के बोग एवॊ आनॊद , ऩयशुयाभ अवताय , ऩॊर्धातु , खट्टा
स्वाद , यसीरे पर , भॊत्री , हीया , लभट्टी , उच्र् लशऺा , घय का
यखयखाव , झक्क सफ़ेद यॊ ग , दही औय करा का कायक है .
शुक्र की शुब स्स्थतत भें जीवन द्ु ख औय क्रोध से यहहत उत्सवभम
फीतता है .
ऩौयाणणक भान्मता अनस
ु ाय शक्र
ु औय फह
ृ स्ऩतत दोनों आर्ामच हैं. दोनों
को गुरु ऩद प्राप्त है . दोनों फुवद्धभान औय लसद्धाॊत वप्रम हैं.
शुक्र भत
ृ सॊजीवनी ववद्मा के ऻाता हैं जफकक फह
ृ स्ऩतत को मह ऻान
नहीॊ है . इसलरए सबी प्रकाय के राइप सेववॊग रग्स शक्र
ु का अचधकाय
ऺेत्र हैं. शुक्र वैहदक ऩयॊ ऩया से ववयोध यखता है औय खानऩान भें
ताभसी कही जाने वारी वस्तुओॊ का बी सेवन कय रेता है ...

शतन
ग्रह के कायकत्व -(उत्तयकाराभत
ृ अनस
ु ाय)

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

जड़ता एवॊ आरस्म , अवयोध , भॊदगतत , घोड़ा , हाथी , र्भड़ा ,


आम फहुत कष्ट , योग , ववयोध , द्ु ख , भयण , दास दासी ,
र्ाॊडार , कराॊग , फॊजाये , फुयी शक्र , दान , स्वाभी , आमु ,
नऩुॊसक , ऩऺी , फॊधुआ भजदयू ी , अधभच , लभथ्मा बाषण , फुढ़ाऩा ,
नसें , लशलशय ऋतु , क्रोध , अनश
ु ासन हीनता ऩरयश्रभ , हयाभी ,
गॊदे वस्त्र , भकान , फुये ववर्ाय , अवसाद , कारा यॊ ग , अधो दृस्ष्ट ,
ऩाऩ कभच , क्रूय कभच , याख उड़द , सयसों का तेर , रोहा , शयाफ ,
शूद्र , रॊगड़ाऩन , ऩस्श्र्भ हदशा कृवष योजगाय , शस्त्रागाय , जनता ,
नौकय , एकाॊतवास , सभाज से फहहष्कृत , ऩातार रोक , ऩतन ,
शल्म ववद्मा , तभस गुण , बम , बैंसा , तत्व वामु औय प्रकृतत
वात.
शतन कारऩरु
ु ष के दशभ औय एकादश बाव का स्वाभी है . मह
आजीववका उसकी गण
ु वत्ता औय उससे प्राप्त आम को दशाचता है .
दशभ का अचधऩतत होने के कायण आजीववका के साथ साथ मह
जातक का सम्भान औय उस ऩय याज्मकृऩा बी तनस्श्र्त कयता है .
एकादश का स्वाभी होने के नाते फड़े बाई ताऊ योग दस
ू या वववाह बी
शतन के अॊतगचत आते हैं.
शतन ब्रह्भाॊडीम न्मामाधीश है . मह कबी ककसी का फुया नहीॊ कयता.
शतन को एक फेहद ऩववत्र ग्रह भाना गमा है . ऩूवज
च न्भ के कभों का
पर दे ना इसका काभ है . शतन मभयाज है . नवग्रहों भें एक भात्र शतन
ही ऐसा ग्रह है जो ककसी को बी कबी बी भत्ृ मु दे सकता है .

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

वर्नफद्धता सभमफद्धता औय कामचफद्धता शतन का अचधकाय ऺेत्र हैं.


नीरभ शतन का कायक यत्न है .

याहु
भुख , ऩहहमा , ववशारता , गोर आकाय , धनुष , कारा यॊ ग , कान
छाता , कारा र्श्भा , बीड़ औय बगदड़ , कटु वर्न , नीर् औयत ,
दवू षत बावनाएॊ , जुआ , शयाफखाना , ववदे शी बाषा औय व्मस्क्त ,
उल्टी लरवऩ , नकाफऩोश , भकान का भुख्म द्वाय , तोऩ मा फन्दक

की नरी , सई
ू का छे द वजचनाहीन कौटोस्म्फक रैंचगक सम्फन्ध ,
आधायहीन औय भ्राभक भान्मता औय जो सही है उससे उरट व्मवहाय
का कायक है . सबी प्रकाय के रयसाव औय रीकेज याहु के अॊतगचत आते
हैं. मह शुर भें अधोभुखी औय फाद भें ऊध्वचभुखी है . इसका दशान्तय
आयम्ब भें ऩतन औय फाद भें उत्थान दे ता है .

केतु
लशखय, ध्वजा , हदशाहीन, क्रूय, तनॊदक, कॊजूस, दादी, नाना, भठाधीश,
काश्मऩ गोत्र, दग
ु न्
च ध कायक, भोऺ , ऩतरी रॊफी गरी, सीढ़ी, भफत्ती,
र्ेन, कुशा, यस्सी, धागा, केश, आमव
ु ेद ; जड़ी फहू टमाॊ (ऩतरी रॊफी
जड़ ), कैं सय, घाव, कोढ़, फवासीय, वकारत, वट वऺ
ृ की जटाएॊ,
अवयोध / रुकावट, अगस्त्म ऋवष, व्माघ्र र्भच, दाढ़ी, हाथी की सूॊड,
ऩशओ
ु ॊ की ऩॉछ
ू , ऩरु
ु ष एवॊ स्त्री जननाॊग, ऩातार ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

केतु केश का कायक भाना गमा है । कारे केश होने ऩय जातक अऩने
ऩव
ू च कृत्म कभो को बोग यहा है । सफ़ेद होने ऩय ऐसा भाने की
जातक शीघ्र अऩने ऩूवच कृत्म कभों से भुस्क्त ऩा यहा है । स्वणच वणच
केशों के लरए कहा गमा है कक मे सूमच एवॊ केतु को दशाचता है औय
ऐसे भें जातक शब
ु कृत्मों से स्वमॊ को जीवन मात्रा भें भोऺ भागच
को प्रशस्त कय सकता है ।

ग्रहों के दीप्ताॊश
*सम
ू *
च 15 अॊश
*र्न्द्रभा* 12 अॊश
*भॊगर* 8 अॊश
*फुध* 7 अॊश
*गरु
ु * 9 अॊश
*शुक्र* 7 अॊश
*शतन* 9 अॊश
ववशेष* याहु केतु स्जस याशी भें । स्स्थत होंगे उसके अचधऩतत के
दीप्ताॊश को ग्रहण कय रेंगे औय अऩना प्रबाव ् हदखाएॊगे । मे भैं अऩने
अनुबव से लरख यहा हूॉ ।

यालशमों का गण
ु स्वबाव -

भेष - मह याशी र्क्र की ऩहरी याशी है । मह अस्ग्नतत्व , तभोगुणी


औय र्य स्वबाव याशी है । इसकी हदशा ऩूवच है । इस याशी का स्वाभी

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

भॊगर है । मह भॊगर की भर
ू त्रत्रकोण यालश है । इस यालश का प्रतीक
चर्न्ह भेढ़ा सॊघषच का ऩरयर्ामक है ।

वष
ृ ब - इस याशी का स्वाभी शुक्र है । मह याशी र्क्र की दस
ू यी याशी
है । मह ऩथ्
ृ वीतत्व , यजोगुणी औय स्स्थय स्वबाव याशी है . इसकी हदशा
दक्षऺण है । इस याशी का प्रतीक चर्न्ह साॊड आसस्क्त औय दृढ़ता का

लभथुन- मह याशी र्क्र की तीसयी याशी है । मह वामुतत्व , सत्वगुण


औय द्ववस्वबाव याशी है । इसकी हदशा ऩस्श्र्भ है । इस यालश का
स्वाभी फध
ु है ।इस याशी का प्रतीक मग
ु र है जो की फवु द्धभता औय
ऩयस्ऩय व्मवहाय का ऩरयर्ामक है ।

ककच - मह यालश र्क्र की र्ौथी यालश है . मह जरतत्व , तभोगुणी औय


र्य स्वबाव यालश है . इसकी हदशा उत्तय है . इस यालश का स्वाभी
र्ॊद्रभा है . इस यालश का प्रतीक चर्न्ह केकड़ा भानलसक ववस्तत
ृ ा का
प्रतीक है .

लसॊह - मह याशी र्क्र की ऩाॊर्वीॊ याशी है । मह अस्ग्नतत्व , यजोगण


ु ी
औय स्स्थय स्वबाव की याशी है । इसकी हदशा ऩूवच है । सूमच इस याशी
का स्वाभी है ।इस याशी का प्रतीक चर्न्ह लसॊह है जो शस्क्त साहस
औय धूतत
च ा का ऩरयर्ामक है ।

कन्मा - मह याशी र्क्र की छठी याशी है । मह ऩथ्ृ वीतत्व , सत्वगण



औय द्ववस्वबाव याशी है । इसकी हदशा दक्षऺण है । फध
ु इस यालश का

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

स्वाभी है । फध
ु की मह भर
ू त्रत्रकोण याशी है । इस यालश का प्रतीक
चर्न्ह कन्मा है जो मथाथच औय शॊकारु प्रवस्ृ त्त का ऩरयर्ामक है ।

तुरा - मह याशी र्क्र की सातवीॊ याशी है । मह वामुतत्व , तभोगुणी


औय र्य स्वबाव याशी है । इसकी हदशा ऩस्श्र्भ है । शुक्र इस याशी का
स्वाभी है । तर
ु ा शक्र
ु की भर
ू त्रत्रकोण याशी है । इस याशी का प्रतीक
चर्न्ह तयाजू है जो की सत्म व्मवहाय औय सॊतुरन का ऩरयर्ामक है ।

वस्ृ श्र्क - मह याशी र्क्र की आठवीॊ याशी है ।मह जरतत्व , यजोगण


ु ी
औय स्स्थय स्वबाव याशी है ।इसकी हदशा उत्तय है । भॊगर इस याशी का
स्वाभी है । इस यालश का प्रतीक चर्न्ह त्रफच्छू स्वाथच औय यहस्म का
ऩरयर्ामक है ।

धनु - मह याशी र्क्र की नौवीॊ याशी है मह अस्ग्नतत्व , सत्वगण


ु औय
द्ववस्वबाव याशी है ।इसकी हदशा ऩव
ू च है । फह
ृ स्ऩतत इस याशी का स्वाभी
है । धनु फह
ृ स्ऩतत की भूरत्रत्रकोण याशी है । इस यालश का प्रतीक चर्न्ह
धनुधयच लशकायी जो की आधा भानव आधा ऩशु है । रक्ष्म सॊधान औय
सॊचध सीभा का प्रतीक है ।

भकय - मह याशी र्क्र की दसवीॊ याशी है । मह ऩथ्ृ वीतत्व , तभोगुणी


औय र्य स्वबाव याशी है । इसकी हदशा दक्षऺण है । शतन इस याशी का
स्वाभी है । इस याशी का प्रतीक चर्न्ह भकय है । भकय श्रभ औय
ऩरयवतचन का ऩरयर्ामक है ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

कुम्ब - कुम्ब याशी र्क्र की ग्मायहवीॊ याशी है । मह वामुतत्व ,


यजोगुणी औय स्स्थय स्वबाव याशी है . इसकी हदशा ऩस्श्र्भ है । शतन
कुम्ब याशी का स्वाभी है ।कुम्ब शतन की भूरत्रत्रकोण याशी है । इस
याशी का प्रतीक चर्न्ह जरकुम्ब है जो ऻान औय भौलरकता का
ऩरयर्ामक है ।

भीन - मह याशी र्क्र की फायहवीॊ याशी है । मह जरतत्व , सत्वगुणी


औय द्ववस्वबाव याशी है । की हदशा उत्तय है । फह
ृ स्ऩतत भीन याशी के
स्वाभी हैं। इस याशी का प्रतीक चर्न्ह मग
ु र भीन है । जो कृऩा
करुणा औय बगवत्ता की ऩरयर्ामक है ।

बाव कायकत्व*
प्रथभ- जन्भ सभम की फाते,शयीय , वणच , शयीय का यॊ ग औय सम्ऩण
ू च
स्वरुऩ ,कद, व्मस्क्तत्व , साभान्म सभवृ द्ध , फाल्मवस्था , प्रायॊ लबक
जीवन , स्वास्थ्म , र्रयत्र , आमु , जन्भस्थान , भान म्भान ,
स्वबाव , सुख द्ु ख , ऻान , ऺभता , स्वप्न , फर , रारसा औय
वैयाग्म , तनज (सेल्प)औय तनजता , आत्भफोध. कारऩरु
ु ष की प्रथभ
यालश भेष है , कॊु डरी के प्रथभ बाव भें ववयाजती है . स्जसका स्वाभी
भॊगर जातक के वतचभान व्मस्क्तत्व का प्रतततनचधत्व कयता है . प्रथभ
बाव का नैसचगचक कायक सूमच है ।

द्ववतीम बाव कायकत्व

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 भख
ु ,कुटुॊफ , दाईं आॊख , बोजन , धन सॊऩस्त्त , सॊचर्त धन , वाणी
,ववद्मा, आस्स्तकता , नाखन
ू , स्जह्वा , यत्न , धऩ
ू दीऩ , नालसका ,
भानलसक स्स्थयता , ऩयभाथच , आम की ववचध,भाता का फड़ा
बाई,कुभाय अवस्था। कारऩुरुष की दस
ू यी यालश वष
ृ ब है । इस बाव भे
त्रफयाजभान है ।

तत
ृ ीम बाव कायकत्व
छोटे बाई फहन , ऩयाक्रभ , साहस , शौमच , सगे सॊफॊधी , गरा ,
वाकशस्क्त , कान , कॉधे,फाजू साॉसनरी,लभत्र,वामुमान मात्रा,कभ दयू ी
की मात्रा,मौवन अवस्था,वीयता,नवभ से सप्तभ होने के कायण वऩता
की भत्ृ मु , भ्रभ , लभत्र , छोटी मात्रामें , शौक , दस
ू यों को कष्ट
ऩहुॊर्ाना. कारऩुरुष की तत
ृ ीम यालश लभथुन है । इस बाव भें स्थान
ऩाती है ।

र्तुथच बाव कायकत्व


भाता , भन,बवन , भकान , बू सॊऩस्त्त , ऩैतक
ृ सॊऩस्त्त , ववद्मा ,
वाहन , खुशहारी , भानलसक शाॊतत , सुख , छाती , श्वसन अॊग -
पेपड़े, यक्क्त,सख
ु सवु वधामें ,सख
ु दख
ु ,उन्नतत, गप्ु त धन ,याजनीततक
सपरता , जनता,जातत , कऩड़ा , छोटा कुआॊ , जर , दध
ू , सुगॊध ,
ववश्वास , झूठा आयोऩ , जम , खेत , फाग़ , जनता के हहत के कामच
र्ोयी गई वस्तु की हदशा , भहॊ गे वाहन , जर भें उत्ऩन्न ऩदाथच।
कारऩरु
ु ष की र्तथ
ु च यालश ककच है । इस बाव भें स्थान ऩाती है ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

ऩॊर्भ बाव कायकत्व


ववद्मा , सीखना , फौवद्धक ऺभता ,फुवद्ध, ऻान , भौलरकता , ऩूवऩ
च ुण्म
ज्मोततष प्रेभ , भॊत्र , सॊतान ,गबच, दादा , फड़ी फहन का ऩतत,उच्र्
स्तय से ऩतन , शासक , रेखन , उऩासना , आयाधना , साहहत्म
तनऩण
ु ता , प्रेभ सम्फन्ध , रॉटयी , अर्ानक धन प्रास्प्त , वववेक ,
ऩूवाचबास , उच्र् ऩदस्थ स्स्त्रमों से सम्फन्ध , दृढ़ता , यहस्म ,नोयॊ जन
औय याग यॊ ग , ऩेट , रॊगय मा बॊडाया कयाना , ऩाऩ ऩुण्म की सभझ ,
भन्त्र जाऩ औय भन्त्र लसवद्ध , ढोर , सॊगीत वाद्म , सॊतोष औय तस्ृ प्त
का बाव , ऩाॊड्डत्म , ऩयम्ऩया से प्राप्त उच्र् ऩद. जीवन की सच्र्ी
ख़ुशी इसी बाव से दे खी जाती है । कारऩुरुष की ऩाॊर्वी यालश लसॊह है ।
इस बाव भें स्थान ऩाती है ।

षष्टभ बाव कायकत्व


योग , शत्रु , ऋण , नोकयी,दासत्व,सेवा,र्ोट औय घाव
व्मसन,अॊतड्ड़माॉ, ऩयामाऩन,हहॊसा, भुकद्दभेफाजी द्ु ख औय चर्ॊतामें ,
अवयोध औय अड़र्ने , शत्रु द्वाया सतामा जाना , भाभा औय भभेये
बाई फहन , सेना , खेरकूद , स्ऩधाच , सॊघषच , दघ
ु ट
च ना , नौकय औय
सेवक , दग
ु तच त , दब
ु ाचग्म , र्रयत्रहनन , अऩभान , पोड़ा पुॊसी औय
सूजन , उग्र कभच , श्रभ , भानलसक व्मथा , बीख भाॊगना , करा का
दर
ु ऩमोग , बाई फॊधओ
ु ॊ से झॊझट , ववष , ऩेट का ददच , कायावास ,

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

भत्र
ू योग , सावचजतनक तनॊदा औय अऩभान , र्ोयी , ववऩस्त्त। कारऩरु
ु ष
की छठी यालश कन्मा है । इस बाव भें स्थान ऩाती है ।

सप्तभ बाव कायकत्व


वववाह , ऩत्नी , वैवाहहक ख़ुशी , व्माऩारयक साझेदायी , ववदे श क्मोंकक
मह रग्न से अतत दयू बाव है ऩेट का तनर्रा बाग , गप्ु ताॊग , ऩथ
याजनैततक ऩहुॊर् , ववकास , प्रततबा , भत्ृ मु , व्मलबर्ाय , सेक्स ऩॉवय
वीमच , सेक्स सॊफॊधी कक्रमाकराऩ , नऩुसॊकता,जीवनसाथी , ताकत की
र्ीजें खाना , घय से दयू के स्थान। कारऩुरुष की सातवीॊ यालश तुरा
है । इस बाव भें स्थान ऩाती है ।

अष्टभ बाव कायकत्व*


आमु , दब
ु ाचग्म , सदा ऋण भें पॊसे यहना , ऩाऩ कभच , षड्मॊत्र ,
अलबमोग , सावचजतनक तनॊदा , अर्ानक अथवा अकार भत्ृ मु , वऩछरे
जन्भ भें ककमे ऩाऩकभों से दब
ु ाचग्म , गुप्त शत्रु , सॊकट , ऩत्नी का
धन , ससुयार,ऩैतक
ृ सॊऩस्त्त का लभरना , अरौककक ववषमों भें रचर् ,
मौनानन्द , सभाधी फीभे का धन , याज्म द्वाया प्रदत्त दॊ ड ,
वस्तओ
ु ॊ का नाश , भहान दख
ु ों औय कष्टों की प्रास्प्त , अॊगहीन होना
, ऩातार औय बूलभ के नीर्े के अखाद्म तयर. भत्ृ मु से जुड़े
व्मवसाम,खतये वारे कामच,सभुद्र,नाश,आमु,अॊडकोष। कारऩुरुष की
आठवीॊ यालश वस्ृ श्र्क है ।इस बाव भें स्थान ऩाती है ।

नवभ बाव कायकत्व

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

 धभच , वऩता , गरु


ु , बाग्म , रॊफी मात्रामें , आस्त्भक सभवृ द्ध ,
सदार्ाय , अध्माऩक , लशऺक , ऩौत्र , अॊतऻाचन , बववष्म को बाॊऩ
रेना , दे वबस्क्त , ऩूजा स्थान , दानशीरता , नेतत्ृ व , अध्मात्भ ,
कानून , दशचनशास्त्र , ववऻान , साहहत्म , कल्ऩनाशीरता , उच्र्
लशऺा , तीथच मात्रा , तऩ , बस्क्त , औषचध , ऩववत्रता , सत्सॊग ,
दै वीम कृऩा , ऩुण्म सॊऩादन की ऺभता , अर्ानक शुबाशुब
घटनाएॊ,भहान ऐश्वमच , याज्म प्रास्प्त , ब्रह्भऻान , दानशीरता , मऻ
आहद कयना , ईश्वयीम चर्ॊतन,याज्मकृऩा, याज्म के फड़े
अचधकायी,तनतॊफ।कारऩरु
ु ष की नॉवी यालश धनु है । इस बाव भे स्थान
ऩाती है ।

दशभ बाव कायकत्व*


आजीववका औय उसके साधन , ऩद , सत्ता , नेतत्ृ व , शासन,भान
सम्भान ,याज्म, याज्मकृऩा , प्रलसवद्ध , स्जम्भेदायी , सयकायी दातमत्व
औय कामच , शुबाशुब कभच,ऊॊर्ाई,आसभान,सभाज भें प्रशॊसनीम कामच ,
उचर्त सॊबाषण , जाॊघ ,घुटने, सयकायी भुहय प्रमोग का अचधकाय ,
प्रबाव , गोद लरमा ऩत्र
ु ,सासु, छोटे बाई फहन की आम,ु व्माऩाय
वाणणज्म , जातक का फर (ककसी बी बाव से दशभ बाव उस बाव
को फर दे ता है )। कारऩुरुष की दसवीॊ यालश भकय है ।इस बाव भें
स्थान ऩाती है ।

एकादश बाव कायकत्व*

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

आम , राब , प्रास्प्त , फड़े बाई फहन , ऩत्र


ु वध,ु लभत्र ,भाता की
आम,ु र्ोट,र्ार्ा, शब
ु सभार्ाय , फामाॊ कान ,फाज,ू फीभायी, आबष
ू ण ,
इच्छाऩूततच , फहुत फड़ा सम्भान , तनऩुणता , ससुय से राब , लसवद्ध ,
त्रफना कष्ट अथवा श्रभ के राब , ऩाककरा , आशा , चर्त्रकरा भें
तनऩण
ु ता , कॊु डरी को भल्
ू म दे ना (एकादश बाव र्ॊकू क प्रास्प्त बाव है
तो इस बाव का अध्ममन जातक के ऩूये जीवन का भूल्माॊकन कयता
है )। कारऩुरुष की ग्माहयवीॊ यालश कुम्ब है । एकादश बाव भें
ववयाजभान होती है ।

द्वादश बाव कायकत्व*


ऩाॉव,ऩथ
ृ कता,बोग ववरास,गूढ़ ववद्मा भें तनऩुणता , हातन औय र्ोयी ,
अत्मचधक व्मम , व्मम , ककस्तें बयना , दस
ू ये का सफ कुछ छीन
रेना , दस
ू यों की धन सम्ऩतत हड़ऩ जाना , शमन सख
ु , अस्ऩतार
जेर , फाईं आॊख , ववदे श तनवास , भोऺ , ऩतन , अतनद्रा , स्स्त्रमों
का र्रयत्र औय काभुक हावबाव , भन की ऩीड़ा , ददच से भुस्क्त ,
ऋण से भुस्क्त , जनता द्वाया शत्रत
ु ा , त्माग , दरयद्रता , शाहखर्ी
अचधकाय तछन जाना , दीनहीन होना। जरीम वस्तए
ु ॊ,यऺा
ववबाग,कायागाय, धभच,भॊहदय,भोऺ। कारऩुरुष की फायहवीॊ यालश भीन है ।
इस बाव भें त्रफयाजभान होती है ।

BY:- Shree Pavan Sharma


NADI JYOTISH

BY:- Shree Pavan Sharma

También podría gustarte