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ककक्रांततिककररिययों ककी सच

स च

1. नकनक सकहब पपेशवक


30. नरिपतति ससक्रांह
2. तिकत्यक टटोपपे
31. वचरि नकरिकयण ससक्रांह 32. नकहरि ससक्रांह
3. बकबब कक्रांब वरि ससक्रांह
33. सआदति खकख
4. बहकदरिब शकह जफ़रि
34. सबरिपेन्द्र सकय
5. मक्रांगल पकण्डपेय
35. जगति सपेठि रिकम जच दकस गबड वकलक
6. ममौंलवच अहमद शकह
36. ठिककबरि रिणमतिससक्रांह
7. अजचमबल्लक खकख
37. रिक्रां गटो बकपस जच
8. फ़ककीरिचक्रांद जजैन
38. भकस्करि रिकव बकबक सकहब नरिगक्रांगबदकरि
9. लकलक हबकबमचक्रांद जजैन
39. वकसबदपेव बलवक्रांति फड़कक
10. अमरिचक्रांद बकक्रांठठियक
40. ममौलवच अहमदल्
ब लक
11. झवपेरि भकई पटपे ल
41. लकल जयदयकल
12. जटोधक मकणपेक
42. ठिककबरि कबशकल ससक्रांह
13. बकपस मकणपेक
43. लकलक मटटोलचन्द
14. भटोजक मकणपेक
44. ररिचडर्ड ववसलयम्स
15. रिपे वक मकणपेक
45. पचरि अलदी
16. रिणमल मकणपेक
46. वलदीदकद खकख
17. ददीपक मकणपेक
47. वकररिस अलदी
18. सजैयद अलदी
48. अमरि ससक्रांह
19. ठिककबरि ससरिजमल
49. बक्रांसबररियक बकबक
20. गरिबड़दकस
50. गमौड़ रिकजक शक्रांकरि शकह
21. मगनदकस वकणणयक
51. जमौधकरिक ससक्रांह
22. जपेठिक मकधव
52. रिकणक बपेनच मकधटोससक्रांह
23. बकपस गकयकवकड़
53. रिकजस्थकन कपे ककक्रांततिककरिदी
24. तनहकलचक्रांद जवपेरिदी
54. वन्व दकवन ततिवकरिदी
25. तिटोरिदकन खकन
55 महकरिकणक बख्तिकवरि ससक्रांह
26. उदमचरिकम
56 ठिककबरि ववश्वनकथ शकहदपे व
27. ठिककबरि ककशटोरि ससक्रांह, रिघबनकथ रिकव
28. ततिलकक मकखझच
29. दपे वच ससक्रांह, सरिजस प्रसकद ससक्रांह
1. नकनक सकहब पपेशवक

ननानना सनाहब कना जन्म 1824 मम महनारनाष्ट्र कके वकेणण गनागांव मम हणआ थना। बचपन मम इनकना ननाम
भभोगभोपगांत थना। इन्हहोंनके 1857 ककी कनागांतत कना कणशलतना पपवक
र्व नकेतत्त व ककयना। ननानना सनाहब सणसगांस्कतत,
सणन्दर व प्रभनावशनालली व्यककतत्व कके धननी थके। ननानना सनाहब मरनाठहों मम अत्यगांत लभोकपप्रय थके। इनकके
पपतना कना ननाम मनाधव रनाव व मनातना कना ननाम गगांगनाबनाई थना।

जब 1827 मम बनाजनीरनाव बब्रितनातनयहों सके सगांधध करकके कनानपरण चलके गए तभो ननानना सनाहब (भभोगभोपगांत)
कके मनातना पपतना व उनकना पररवनार भनी बनाजनीरनाव पकेशवना ककी शरण मम चलना गयना। जब बनाजनीरनाव नके
बनालक भभोगभोपगांत कभो दके खना तभो वके उससके बहणत प्रभनापवत हभो गयके थके, और उन्हहोंनके ननानना सनाहब कभो
गभोद लके ललयना। लकेककन बनाजनीरनाव ककी मत्त यण कके बनाद बब्रितनाननी सरकनार नके ननानना सनाहब कभो मरनाठहों कना
पकेशवना बननाकर गद्दली पर बबैठनानके सके इगांकनार कर ददयना।

ननानना सनाहब नके उनसके बदलना लकेनके व भनारत कभो आज़ ज़ज़नानाद करवनानकेककी ठनान लली। उनकके सनाथ तनागांत्यना
टभोपके कगांण वर लसगांह, अजनीमणल्लना खनागां जबैसके कनागांततकनारली भनी आज़ ज़ज़नानादली ककी लड़नाई मम आगके आए। ननानना
सनाहब कणशल व दरप दशर्शी रनाजननीततज्ञ थके। इन सब कनागांततकनाररयहों कना कमद्र बबठणर बन गयना। सबनके
आज़ ज़ज़नानादली कके ललयके गगांज़नाव-गनागांव तक कनागांतत ककी लहर फ़बैलनाई। धनीरके -धनीरके यके लहर कनानपणर झनागांसनी
ददल्लली आदद जगह पहणगांच गई। कई ददनहों तक यद्ध
ण चलना। कनागांतत कना प्रमणख नकेतना ननानना सनाहब कभो
बननायना ग़यना।

कणछ समय पश्चनात कनानपणर मम आगजननी ककी घटननाएगां हणई। मरनाठहों नके बब्रितनातनयहों कके सनाथ यणद्ध
ककयना। बनाद मम ननानना सनाहब कभो मरनाठहों कना रनाजना बनना ददयना गयना। परगां तण अभनी बब्रितनाननी शनागांत नहलीगां
हणए। उन्हहोंनके कफ़र सके अत्यनाचनार कना लसललसलना जनारली रखना। कजससके मरनाठहों मम पणन: कनागांतत कके ललयके
जभोश आयना। कनागांतत ककी लहर फ़तकेहपणर, कनानपणर तक फ़केल गई कजससके घमनासनान यणद्ध हणआ।

इस बनार ननानना सनाहब बब्रितनातनयहों ककी पवशनाल सकेनना कके सनामनके नहलीगां दटक पनाए। 17 जणलनाई कभो ननानना
सनाहब बबठणर चलके गयके, लकेककन कफ़र भनी यणद्ध कके बनादल कफ़र सके मगांडरनानके लगके परगां तण ननानना सनाहब नके
हनार नहलीगां मनाननी। उन्हहोंनके नकेपनाल कके रनाजना शमशकेर जगांग बहनादरण सके सहनायतना ककी यनाचनना ककी लकेककन
नकेपनाल नरके श नके उनकना सनाथ नहलीगां ददयना बकल्क कनागांततकनाररयहों कभो धगरफ़्तनार करवनानके मम बब्रितनातनयहों
कना सनाथ ददयना।
अगांत मम , ननानना सनाहब अपनके सनाधथयहों कके सनाथ नकेपनाल ककी तरनाइयहों मम चलके गए। ननानना सनाहब ककी
मत्त यण कब कहनागां व कबैसके हणई ककसनी कभो भनी नहलीगां पतना। परगां तण दके श ककी आज़ ज़ज़नानादली मम उनकके त्यनाग व
सगांघरर्व कभो हम सदबै व यनाद रखम गके।

2. तिकत्यक टटोपपे

1857 ककी कनागांतत कके इस महनाननायक कना जन्म 1814 मम हणआ थना। बचपन सके हली यके अत्यगांत सणगांदर
थके। तनागांत्यना टभोपके नके दके श ककी आजनादली कके ललयके हगां सतके -हगां सतके प्रनाणभो कना त्यनाग कर ददयना। इनकना
जन्म स्थल ननासनीक थना। इनकके बचपन कना ननाम रघणननाथ पगांत थना। यके जन्म सके हली बपण द्धमनान थके।
इनकके पपतना कना ननाम पनागांडणरगां ग पगांत थना। जब रघणननाथ छभोटके थके उस समय मरनाठहों पर पकेशवना
बनाजनीरनाव द्पवतनीय कना शनासन थना। रघण कके पपतना बनाजनी रनाव कके दरबनार मम कनायर्वरत थके। कई बनार
बनालक रघण अपनके पपतना कके सनाथ दरबनार मम जनातके थके। एक बनार बनाजनी रनाव बनालक ककी बपण द्धमनाननी
दके खकर बहणत प्रभनापवत हणए। उन्हहोंनके बनालक कभो एक टभोपनी उपहनार मम दली और उन्हहोंनके उनकभो
तनागांत्यना टभोपके ननाम ददयना। उसनी ददन सके लभोग इन्हम इसनी ननाम सके पणकनारनके लगके।

उस समय बब्रितनाननी भनारत मम व्यनापनार करनके कके ललयके आए थके। लकेककन भनारत कके रनाजना आपसनी फ़पट
कके कनारण आपस मम हली झगड़ना ककयना करतके थके इसललयके कफ़रगां गनी आसनाननी सके यहनागां अपनके पबैर जमना
पनाए और तनाननाशनाहली कर पनाए। बब्रितनातनयहों नके बनाजनी रनाव पकेशवना ककी सम्पकत्त हड़प लली व उनककी
रनाजधनाननी कभो अपनके अधधकनार मम लके ललयना व उसकके बदलके मम उन्हम 8 लनाख रुपयके दके ददयके। बनाजनी
रनाव नके उनककी तनाननाशनाहली मनान लली और वहनागां सके कनानपणर चलके गयके।

कई मरनाठना भनी उनकके सनाथ चलके गयके। उनकके सनाथ पनागांडणरनाव व उनकना पररवनार भनी चलना गयना
लकेककन सभनी मम कनागांतत ककी लहर ददौड़ गयनी। कणछ समय बनाद बनाजनीरनाव पकेशवना ककी मत्त यण हभो गई।
उनककी जगह ननानना सनाहब कभो पकेशवना बननायना गयना, यके बहणत बहनादरण थके। ननानना सनाहब तनागांत्यना टभोपके
कके लमत्र व सलनाहकनार थके।

कनानपणर मम झनागांसनी ककी रनाननी लक्ष्मनी बनाई, तनागांत्यना टभोपके, ननानना सनाहब नके कनागांतत ककी लहर फ़बैलनाई। इन
सबनके यणद्ध ककयना। तनागांत्यना टभोपके कभो भनी यणद्ध पवद्यना कना प्रलशक्षण ददयना गयना। इस समय लनाडर्व
डलहदौजनी गवनर्वर जनरल थना। उसनके मरनाठहों सके उनककी जमनीन छछीन लली व उन पर अपनना धमर्व
अपननानके कके ललयके दबनाव ड़नालना, लकेककन ननानना सनाहब कगांण वर लसगांह, लक्ष्मनीबनाई, तनागांत्यना टभोपके जबैसके
धमर्वतनष्ठ व स्वतगांत्रतना पप्रय लभोगहों नके उनकना पवरभोध ककयना व उनसके यणद्ध करनके कभो आमनादना हभो
गए। लकेककन बब्रिदटश सरकनार ककी सकेनना सशकत्त थनी व उनकके पनास घनातक हधथयनार व गभोलना बनारुद
थना जभो भनारतनीयहों कके पनास नहलीगां थना, लकेककन मरनाठहों नके हनार नहलीगां मनाननी व सनाहस सके उनकना सनामनना
ककयना। फ़लस्वरू प प्रबल सबैन्य शककत कके कनारण मरनाठना उनकना सनामनना अधधक समय तक नहलीगां
कर पनायके लकेककन उन्हहोंनके कई बब्रितनातनयहों कभो मदौत कके घनाट उतनार ददयना व कई लभोग आजनादली कके
ललयके वनीर गतत कभो प्रनाप्त हभो गयके।

तनात्यना टभोपके न पकड़के गयके न फनाफाँसनी लगनी

रचननाकनार : टली.आर.शमनार्व
सगांदभर्व - पनाथकेय कण (दहगांदली पबत्रकना)
ददननागांक 16 अप्रबैल (सगांयणकतनागांक) 2007,
अगांक : 1, पकेज न. 82

1857 कके स्वनातगांत्र्य समर कके सपत्रधनारभो मम तनात्यना टभोपके कना महत्वपपणर्व स्थनान हबै । वके कनागांतत कके यभोजक
ननानना सनाहब पकेशवना कके तनकट सहयभोगनी और प्रमणख सलनाहकनार थके। वके एक ऐसके सकेनना-ननायक थके जभो
बब्रिदटश सत्तना ककी लनाख कभोलशशहों कके पश्चनात भनी उनकके कब्जके मम नहलीगां आए। इनकभो पकड़नके कके
ललए अगांगकेज सकेनना कके 14-15 वररष्ठ सकेननाधधकनारली तथना उनककी 8 सकेननाएगां 10 मनाह तक भरसक
प्रयत्न करतनी रहलीगां, परन्तण असफल रहलीगां। इस ददौरनान कई स्थनानहों पर उनककी तनात्यना सके मणठभकेड़म हणई
परन्तण तनात्यना उनसके सगांघरर्व करतके हणए उनककी आफाँखहों मम धपल झहोंककर सणरकक्षत तनकल जनातके।

महत्त्वपण
प र्व दस्तनावकेज

उनकभो हणई कधथत फनाफाँसनी कके सम्बन्ध मम तत्कनाललीन अगांगकेज सरकनार नके दस्तनावकेज तथना समकनाललीन
कणछ अगांगकेज लकेखक तथना बनाद मम वनीर सनावरकर, वररष्ठ इततहनासकनार आर. सनी. मजपमदनार व
सणरकेन्द्र ननाथ सकेन नके अपनके गगांथहों मम तनात्यना टभोपके कभो 7 अप्रबैल, 1859 मम पनाड़दौन (नवरवर) रनाज्य
कके जगांगल सके, उस रनाज्य कके रनाजना मनानलसगांह द्वनारना पवश्वनासघनात कर पकड़वनानना बतनायना हबै । 18
अप्रबैल, 1859 कभो लशवपणरली मम उनकभो फनाफाँसनी दके नके ककी बनात भनी ललखनी गई हबै । कणछ समय पपवर्व तक
यहली इततहनास कना सत्य मनानना जनातना रहना हबै । परन्तण गत 40-50 वरर्षो मम कणछ लकेखकहों व
इततहनासकनारहों नके पररश्रम पपवक
र्व अन्वकेरण कर अपनके पररपणष्ट तथ्यहों व सनाक्ष्यहों कके आधनार पर इस
पपवर्व ऐततहनालसक अवधनारणना कभो बदल ददयना हबै ।

"तनात्यना टभोपके कके कधथत फनाफाँसनी - दस्तनावकेज कयना कहतके हह" ननाम छभोटली परन्तण महत्वपपणर्व पणस्तक कके
रधचयतना गजकेन्द्र लसगांह सभोलगांककी तथना च ज़ तनात्यना टभोपके छ ननामक गगांथ कके लकेखक श्रनी तनवनास बनालना जनी
हडर्शीकर ऐसके लकेखकभो मम अगणनी हह। दभोनहों हली लकेखक इस पर सहमत हह कक 18 अप्रबैल कभो लशवपणरली
मम कजस व्यककत कभो फनागांसनी लगनी थनी वह तनात्यना नहलीगां थके बकल्क वह तनात्यना कके सनाथनी ननारनायण रनाव
भनागवत थके। इनकना कहनना हबै कक रनाजना मनानलसगांह तनात्यना कके लमत्र थके। उन्हहोंनके यभोजननापपवक
र्व
ननारनायण रनाव भनागवत कभो अगांगकेजहों कके हवनालके ककयना और तनात्यना कभो वहनाफाँ सके तनकनालनके मम मदद
ककी। कजन दभो पगांडडतहों कना उल्लकेख अगांगकेज लकेखकहों तथना भनारतनीय इततहनासकनारहों नके घभोड़भो पर बबैठकर
भनाग जनानके कना ककयना हबै , वके और कभोई नहलीगां, तनात्यना टभोपके और पगां. गभोपवन्द रनाव थके जभो अगांगकेजहों ककी
आफाँखहों मम धपल झहोंककर तनकल गए।

वके मकेरके बनाबना थके

रनाजना मनानलसहगां स्वयगां अगांगकेजहों कके शत्रण थके और उनसके बचनके कके ललए, तछपकर पनाडदौन कके जगांगलहों मम
रह-रहके थके। अगांगकेजहों नके चनालनाककी सके उनकके घर ककी मदहलनाओ कभो बगांदली बनना ददयना और उनकभो छभोड़नके
ककी शतर्व जभो अगांगकेजहों नके रखनी थनी वह थनी मनानलसगांह द्वनारना समपर्वण करनना तथना तनात्यना कभो पकड़नके
मम मदद करनना। यह बनात तनात्यना कभो पकड़नके वनालके प्रभनारली अगांगकेज मकेजर मनीड नके स्वयगां अपनके पत्र
मम ललखनी हबै । इस शतर्व कके बनाद तनात्यना टभोपके तथना रनाजना मनानलसगांह नके गम्भनीर पवचनार पवमशर्व कर
यभोजनना बननाई, कजसकके तहत मनानलसगांह कना समपर्वण उनकके पररवनार ककी मदहलनाओगां कना छणटकनारना
तथना कधथत तनात्यना ककी धगरफ्तनारली ककी घटननाएगां अकस्तत्व मम आई।

इसमम ध्यनान दके नके ककी बनात यह हबै कक कजसकभो स्वयगां मकेजर मनीड नके भनी ललखना हबै कक तनात्यना कभो
पकड़नके कके ललए रनाजना मनानलसगांहनके अपनके ऊपर कजम्मकेदनारली लली थनी। यह तनात्यना कभो पकड़नके ककी एक
शतर्व थनी, कजसके अगांगकेज सरकनार नके (मकेजर मनीड कके द्वनारना) स्वनीकनार ककयना थना। वनास्तव मम यह रनाजना
मनानलसगांह व तनात्यना ककी एक चनाल थनी।

ननारनायणरनाव भनागवत कभो लगनी फनाफाँसनी कके सम्बन्ध मम जभो एक महत्वपण


प र्व तथ्य दभोनहों लकेखकहों कके
सनामनके आयना, उसकना उल्लकेख उन दभोनहों नके इस प्रकनार ककयना हबै - 'बचपन मम ननारनायण रनाव (तनात्यना
कके भतनीजके) ग्वनाललयर मम जनकगांगज कके स्कपल मम पढ़तके थके, उस समय स्कपल कके प्रनाधनाननाचनायर्व
रघणननाथरनाव भनागवत ननाम कके एक सज्जन थके। एक ददन रघणननाथ रनाव नके बनालक ननारनायणरनाव कभो
भनावनना पपणर्व स्वर मम बतनायना कक "तणम्हनारके चनाचना फनाफाँसनी पर नहलीगां चढ़नाए गए थके। उनककी जगह फनाफाँसनी
पर लटकनायके जनानके वनालके व्यककत मकेरके बनाबना थके।" दभोनहों लकेखकहों कके अनणसनार उन्हहोंनके स्वयगां भनी
रघणननाथरनाव भनागवत कके बनाबना कभो हणई फनाफाँसनी ककी बनात कना अनणमभोदन उनकके पदौत्र रघणननाथरनाव कके
प्रनाप्त ककयना।'

धचदट्ठियहों कके सनाख्य

"तनात्यना टभोपके ककी कधथत फनाफाँसनी दस्तनावकेज कयना कहतके हह?" पणस्तक कके लकेखक गजकेन्द्र लसगांह सभोलगांककी
स्वयगां रनाजना मनानलसगांह कके प्रपदौत्र रनाजना गगांगनालसगांह सके उनकके तनवनास पर लमलके थके। जब रनाजना मनानलसगांह
कके कधथत पवश्वनासघनात ककी बनात हणई तभो उन्हहोंनके इस बनात कभो झपठना बतनायना। आगह करनके पर
उन्हहोंनके लकेखक कभो उनकके पनास पड़ना पणरनानना बस्तना खभोलकर उसमम पड़के कई पत्र और दस्तनावकेज
खभोलकर ददखनाए। कजसमम दभो और पत्र थके जभो तनात्यना जनी ककी कधथत फनाफाँसनी कके बनाद तनात्यना कभो
ललखके गए थके।

सगांवत ज़ 1917 (सन ज़ 1960) मम ललखनी धचट्ठिनी कना नमपनना लकेखक नके अपननी पस्
ण तक कके पष्त ठ 54 पर
इस प्रकनार ददयना हबै -

"लसद्धके श्रनी रनाजके मनान्य रनाजके श्रनी महनारनाज तनागांततयना सनादहब पनागांडणरगां ग जनी एतबैलसद्ध श्रनी महनारनाजधधरनाज
श्रनी रनाजना नपपलसगांह जप दके व बहनादरण ककी रनाम-रनाम बनागांचनके। आगके आपककी कतपना सके भलके हह। आगके हम
मणआनके आइकके रनाठ मम पभो हभोचके आपण कके पनास पदौचत हबै इस वनास्तके इतल करदौ हबै आप कके मभोरचना
लगबै हबै कजसमके हमकभो कभोई रनास्तना मह रभोकके नहलीगां जनादना, शणभ लमतनी फनागणन सणदली 6 सगां. 1917"

इस पत्र ककी मपल प्रतत अलभलकेखनागनार भभोपनाल मम तनात्यना टभोपके ककी पत्रनावलली मम सणरकक्षत हबै । यह
धचट्ठिनी रनाजना नप
त लसगांह द्वनारना तनात्यना कभो ललखनी गई हबै । तनात्यना कभो कधथत फनाफाँसनी सगांवत ज़ 1919 (सन ज़
1859) मम लगनी थनी।

इस प्रकनार सगांवत ज़ 1918 मम ललखनी दस


प रली धचट्ठिनी महनारनाननी लडई रनाननी जप कके ननाम हबै , जभो रनाव
मनाहभोरकर नके ललखनी हबै कजसमम तनात्यना कके कजगांदना रहनके कना सबत
प हबै । इस पत्र ककी फभोटभो प्रतत लकेखक
नके अपननी पस्
ण तक मम दली हबै ।

इसकके अततररकत 2 अन्य पत्रहों कके अगांश भनी उस्क पस्


ण तक मम ददयके गयके हह, कजसमम तनात्यना कभो
सरदनार ननाम सके सम्बभोधधत ककयना गयना हबै । कजसमम पहलना पत्र रनाजनारनाम प्रतनाप लसगांह जप दके व कना
ललखना हणआ हबै , जभो तनाततयना कभो कधथत फनागांसनी कके एक वरर्व दभो मनाह बनाद कना ललखना हणआ हबै । यह
पत्र रनाजना मनानलसगांह कभो सम्बभोधधत ककयना गयना हबै ।

दस
प रना पत्र भनी रनाजना मनानलसगांह कभो सम्बभोधधत हबै और वह पगां. गभोपवन्दरनाव द्वनारना कधथत फनाफाँसनी कके
चनार वरर्व बनाद कना ललखना हणआ हबै ।

प्रथम पत्र कके अगांश- "आगके आपकके उहनागां लसरदनार हमरनाह पगां. गभोपवन्दरनाव जनी सकणशल पवरनाजतके हह
और उनकके आगके तनीरथ जनाइवके कके पवचनार हबै आप कभोई बनात ककी धचन्तना मन मम नल्यनावम ...."

दस
प रके पत्र कना अगांश- "अपरगां च आपकभो खबर हभोवके कके अब धचगांतना कभो कनारण नहलीगां रदहयभो खत लनानके
वनारना आपलना पवश्वनासप आदमनी हबै कणल खणलनासके समनाचनार दके हलीगना सरदनार ककी पशणपतत यनात्रना कभो खरच
हली हलीमदनाद (इमदनाद) खत लनाइवके वनारके कके हनाथ लभजवनादवके ककी कतपना करनाएवगां मम आवके मदौकना लमलके
मम खणसनी कके समनाचनार दके हभोगके।"

पनाठकहों कभो ज्ञनात हभो कक कनालपनी कना यद्ध


ण सरदनार (तनात्यना) कके नकेतत्त व मम लड़ना गयना थना। उसके
सरदनार घभोपरत ककयना गयना थना। जभो बस्तना टलीकमगढ़ सके प्रनाप्त हणआ हबै उसमम भनी तनात्यना कभो
सरदनार सम्बभोधधत ककयना गयना हबै । इन दभोनहों धचदट्टियहों कभो रनाजना मनानलसगांह कके प्रपदौत्र रनाजना गगांगनालसगांह
नके पहलली बनार सन ज़ 1969 मम घ ज़ धमर्व यणग ' मम प्रकनालशत करनायना थना। प्रलसद्ध इततहनासवकेत्तना डड.
मथणरनालनाल शमनार्व नके इन पत्रहों ककी अनणकतततयहों कभो दके खकर प्रसन्नतना प्रकट ककी तथना इसके सहली
घभोपरत करतके हणए शभोध कके ललए उपयभोगनी बतनायना थना।

तनात्यना कके पररवनार कके सदस्य तनात्यना कभो फनाफाँसनी हणई नहलीगां मनानतके-

तनात्यना टभोपके कके पररवनार कके सदस्यहों कना भनी यहली कहनना हबै कक उनकभो अगांगकेजहों द्वनारना फनाफाँसनी नहलीगां दली
गई तथना उनककी मत्त यण बनाद मम हणई। इस सम्बन्ध मम उपरभोकत दभोनहों लकेखकहों नके तनात्यना कके पररवनार
कके सदस्यहों सके हणई वनातनार्व कना उपननी पणस्तकहों मम इस प्रकनार उल्लकेख ककयना हबै -

1.बम्बई मम 1857 कके शतनाब्दली समनारभोह मम तनात्यना टभोपके कके भतनीजके प्रभो. टभोप तथना तनात्यना ककी
भतनीजनी कना सम्मनान ककयना गयना। अपनके सम्मनान कना उत्तर दके तके हणए दभोनहों नके बतनायना कक तनात्यना
कभो फनाफाँसनी नहलीगां हणई। उनकना कहनना थना कक उनककी मत्त यण सन ज़ 1909 ई. मम हणई। तभनी उनकके
पवधधवत ज़ सगांस्कनार आदद ककयके गए थके।

2.तनात्यना कके वगांशज आज भनी ब्रिह्मनावतर्व (बबठपर) तथना ग्वनाललयर मम रहतके हबै । इन पररवनारहों कना
पवश्वनास हबै कक तनात्यना ककी मत्त यण फनाफाँसनी कके तख्तके पर नहलीगां हणई। ब्रिह्मनावतर्व मम रहनके वनालके तनात्यना कके
भतनीजके श्रनी ननारनायण लक्ष्मण टभोपके तथना तनात्यना ककी भतनीजनी गगांगपबनाई (सन ज़ 1966 मम इनककी मत्त यण
हभो चणककी हबै ) कना कथन हबै कक वके बनालपन सके अपनके कणटणकम्बयहों सके सणनतके आयके हह कक तनात्यना ककी
कधथत फनाफाँसनी कके बनाद भनी तनात्यना अकसर पवलभन्न वकेशहों मम , अपनके कणटणकम्बयहों सके आकर लमलतके
रहतके थके। तनात्यना कके पपतना पनागांडणरगां ग तनात्यना 27 अगस्त 1859 कभो ग्वनाललयर कके ककलके सके, जहनाफाँ वह
अपनके पररवनार कके सनाथ नजरबगांद थके, मणकत ककयके गए। मणकत हभोनके पर टभोपके कणटणम्ब पणननः ब्रिह्मनावतर्व
वनापपस आयना। उस समय पनागांडणरगां ग (तनात्यना कके पपतना) कके पनास न पबैसना थना और न कभोई लमत्र थना।
इस सगांकट कनाल मम तनात्यना वकेश बदलकर अपनके पपतना सके आकर लमलके थके तथना घन दके कर सहनायतना
ककी थनी।

3.सन ज़ 1861 इगां. मम तनात्यना ककी सदौतकेलली बहन (दस


प रली मनाफाँ सके) दग
ण नार्व कना पववनाह कनाशनी कके खद
ण र कर
पररवनार मम हणआ थना। श्रनीननारनायण रनाव टभोपके कना कथन हबै कक इस अवसर पर भनी तनात्यना गप्ण तवकेश
मम उपकस्थत हणए थके तथना उन्हहोंनके पववनाह कके ललए आधथर्वक सहनायतना ककी थनी।

4.तनात्यना कके पपतना तथना उसककी सदौतकेलली मनातना कना कणछ हली महलीनके कके अन्तर पर सन ज़ 1862 मम
कनाशनी मम दके हनावसनान हणआ। टभोपके पररवनार कके लभोगहों कना कहनना हबै कक इस समय भनी तनात्यना सन्यनासनी
कके वकेश मम अपनके मनातना-पपतना ककी मत्त यण-शय्यना कके पनास उपकस्थत थके।

5.ग्वनाललयर मम रहनके वनालके श्रनी शगांकर लक्ष्मण टभोपके कना कथन हबै कक जब वके 13 वरर्व कके थके तभो एक
बनार उनकके पपतना (तनात्यना कके सदौतकेलके भनाई) बनीमनार हणए। उन्हम दके खनके कके ललए एक सगांन्यनासनी आयके।
मकेरके पपतना नके मणझके बल
ण वनायना और कहना कक यके तनात्यना हह इन्हम प्रमनाण करभो। इस समय शगांकर ककी
आयण कभोई 75 वरर्व ककी हबै । इनकके अनणसनार यह घटनना सन ज़ 1895 ई. कके आस-पनास ककी हबै अथनार्वत ज़
तनात्यना ककी कधथत फनाफाँसनी कके 36 वरर्व बनाद ककी।

ऐततहनालसक सनाक्ष्य

नजरबगांदली सके मणकत हभोनके कके बनाद तनात्यना कके भनाइयहों कभो आधथर्वक सगांकट कके कनारण जनीपवकना ककी खभोज
मम इधर-उधर भटकनना पड़ना। उनकके एक भनाई रनामकतष्ण 1862 ई. मम बडदौदना कके महनारनाजना
गनायकवनाड़ कके पनास पहणफाँचना। उनकभो उसनके पररचय ददयना मह तनात्यना कना भनाई हपफाँ तथना नदौकरली ककी
खभोज मम यहनाफाँ आयना हपफाँ। महनारनाजना नके उसके धगरफ्तनार कर उसके वहनाफाँ कके अगांगकेज रके जनीडहट कभो ससौंप
ददयना। उसनके रनाम कतष्ण सके अनकेक प्रश्न ककयके। उनमम एक प्रश्न यह भनी थना कक, "आजकल तनात्यना
टभोपके कहनागां पर हह?" तनात्यना ककी कधथत फनाफाँसनी कके 3 वरर्व बनाद एक कजम्मकेदनार अगांगकेज अफसर द्वनारना
ऐसना प्रश्न करनना आश्चयर्वजनक और सगांदकेहनास्पद थना। रनामकतष्ण नके इसकके उत्तर मम तनात्यना कके बनारके
मम मनालपम न हभोनके ककी बनात कहली।

इस ऐततहनालसक घटनना कना उल्लकेख " सभोसर्वमकेटकेररयल फडर द दहस्ट्रली ऑफ फकीडम मपवनमकेन्ट इन
इगांडडयना। (बभोम्बके गवनर्वमकेन्ट ररकडरर्वस) वनाल्यणम 1 पनी. पनी. 231-237 पर अगांककत हबै ।"

यह प्रश्न रनाव सनाहब पकेशवना पर चलके मणकदमके (1862 मम ) कके ददौरनान भनी उनसके पपछना गयना थना, जभो
रनाव सनाहब ककी ककेस ककी मल
प पत्रनावलली (फनाईल) मम अगांककत हबै । तनात्यना कके सम्बन्ध मम उकत प्रश्न
उनककी फनाफाँसनी पर अगांगकेजहों मम व्यनाप्त सगांदकेह कभो प्रकट करतके हह।

इततहनास ककी इस नई जनानकनारली कके पक्ष मम और भनी कई तथ्य उकत पणस्तकहों मम ददयके गए हह,
कजनमम कणछ इस प्रकनार हह- पद्म स्व. डड. वनाकणकर कना कहनना थना कक अम्बनाजनी कना प्रलसद्ध मगांददर
तनात्यना टभोपके द्वनारना बनवनायना गयना। उस मगांददर कके एक कभोनके मम जभो सनाधण वकेश मम धचत्र लगना हबै , वह
तनात्यना टभोपके कना हली हबै । गणजरनात मम नवसनारली क्षकेत्र मम सनाधणवकेश मम उनककी प्रततष्ठना चधचर्वत हबै ।

बनीकनानकेर कके परण नालकेखनागनार मम 1857 कके फरनारशणदना लभोगहों ककी सच


प नी मम तनात्यना कना भनी ननाम हबै । झनागांसनी
सके प्रसनाररत एक भम ट वनातनार्व मम तनात्यना कके बच तनकलनके व उनककी मत्त यण कके अनकेक प्रसगांग छपके हह।

तनात्यना कके मणकदमके मम जभो अत्यधधक शनीघ्रतना ककी गई उससके यह सगांदकेह हभोनके लगतना हबै कक इस
जल्दली ककी आड़ मम सरकनार कभोई न कनाई बनात तछपनानके ककी कभोलशश कर रहली थनी।

तनात्यना कके हस्तनाक्षर नहलीगां

ऐसना प्रतनीत हभोतना हबै कक सरकनार तनात्यना टभोपके कके स्थनान पर पकड़ गए व्यककत कभो जल्दली सके जल्दली
फनाफाँसनी पर लटकनाकर छणट्टिनी पनानना चनाहतनी थनी। पनाठकहों कभो मनालपम हभो कक कधथत तनात्यना कभो 7
अप्रबैल, 1859 कभो पड़दौन कके जगांगलहों सके पकड़ना गयना। 15 अप्रबैल 1859 कभो सबैतनक अदनालत मम
मणकदमना चलनायना गयना। उसनी ददन फबैसलना सन
ण नाकर 18 अप्रबैल 1859 कभो सनायगांकनाल फनाफाँसनी दके दली
गई। लशवपरण ली जहनाफाँ उन्हम फनाफाँसनी दली गई वहनाफाँ कके पवननायक नके अपननी गवनाहली मम कहनागां कक मम तनात्यना
कभो नहलीगां पहचनानतना।

जभो भनी गवनाह पकेश ककयके गए वके सरलतना पपवक


र्व अगांगकेज अफसरहों द्वनारना प्रभनापवत ककयके जना सकतके
थके। इनमके एक भनी स्वतगांत्र गवनाह नहलीगां थना। ब्रिह्मवतर्व (बबठपर) यना कनानपणर कना एक भनी गवनाह नहलीगां
थना, जभो तनात्यना कभो अच्छछी तरह पहचनानतना हभो।

फनाफाँसनी पर चढ़के तनात्यना टभोपके नके अपनके मणकदमके कके बयनान पर जभो हस्तनाक्षर ककयके वके मरनाठछी भनारना ककी
मभोड़नी ललपप मम इस प्रकनार थके-"तनात्यना टभोपके कनामदनार ननानना सनाहब बहनादरण " यके हस्तनाक्षर फनागांसनी पर
चढ़के व्यककत नके अगांगकेजहों कभो पवश्वनास ददलनानके कके ललए ककयके थके, कयहोंकक अगांगकेज तनात्यना कभो इस ननाम
सके पहचनानतके थके। महनारनाष्ट्र मम हस्तनाक्षर करनके ककी जभो पद्धतत हबै उसमम सबसके पहलके स्वयगां कना ननाम,
बनाद मम पपतना कना ननाम तत्पश्चनात ज़ कणटणम्ब कना ननाम हभोतना हबै । उसकके अनणसनार तनात्यना कके हस्तनाक्षर
इस प्रकनार हभोतके- रनामचन्द्र (तनात्यना कना असललीननाम) पनागांडणरगां ग टभोपके यना रनामचन्द्र रनाव यना पगांत टभोपके।
रनाव सनाहब पकेशवना नके अपनके मणकदमके कके कनागजहों पर पनागांडणरगां ग रनाव हली हस्तनाक्षर ककयके थके। उपरभोकत
हस्तनाक्षरहों सके स्पष्ट हभोतना हबै कक वके तनात्यना कके नहलीगां थके।

3. बकबब कक्रांब वरि ससक्रांह

सत्तनावन कके भनीष्म वनीर कफाँण वर लसगांह


रचननाकनार- मनमभोहन पवश्वकमनार्व
सगांदभर्व - पनाथकेय कण (दहगांदली पबत्रकना)
ददननागांक 16 अप्रबैल (सगांयणकतनागांक) 2007
अगांक : 1, पकेज न. 47

बबहनार मम स्वतगांत्रतना सगांगनाम ककी तबैयनाररयनाफाँ वरर्व 1855 सके हली प्रनारम्भ हभो गई थनी। उस समय वहनाबनी
मणसलमनानहों ककी गततपवधधयहों कना ककेन्द्र बबहनार हली थना। ननानना सनाहब पकेशवना कना सगांदकेश लमलतके हली प परके
बबहनार मम गणप्त बबैठकहों कना ददौर शणरू हभो गयना। पटनना मम ककतनाबम बकेचनके वनालके पनीर अलली कनागांततकनारली
सगांगठन कके मणखखयना थके। सन ज़ 57 ककी 10 मई कभो मकेरठ कके भनारतनीय सबैतनकहों ककी स्वतगांत्रतना कना
उद्घभोर बबहनार मम भनी सणननाई ददयना। पटनना कना कलमश्नर टके लर बड़ना धपतर्व थना। मकेरठ ककी कनागांतत कना
समनाचनार लमलतके हली उसनके पटनना मम जनासपसहों कना जनाल बबछना ददयना। दबै वयभोग सके एक कनागांततकनारली
वनाररस अलली अगांगकेजहों ककी धगरफ्त मके आ गयके। उनकके घर सके कणछ और लभोगहों कके ननाम-पतके लमल
गयके। पररणनाम स्वरूप अधधकनागांश स्वतगांत्रतना सबैननाननी पकड़ ललयके गयके और सगांगठन कमजभोर पड़
गयना। कफर भनी पनीर अलली नके सबककी सलनाह सके 3 जणलनाई कभो कनागांतत कना बबगणल बजनानके कना तनणर्वय
लके ललयना।

3 जणलनाई कभो दभो सदौ कनाकन्तकनारली शस्त्र सकज्जत हभो गणलनामनी कना जणआ उतनारनके कके ललयके पटनना मम
तनकल पड़के, लकेककन अगांगकेजहों नके लसख सबैतनकभो ककी सहनायतना सके उन्हम परनास्त कर ददयना। पनीर अलली
सदहत कई कनागांततकनारली पकड़ गयके, और तणरत-फणरत सभनी कभो फनाफाँसनी पर लटकना ददयना गयना। पनीर
अलली कभो मत्त यदण्ड ददए जनानके कना समनाचनार दनाननापणर ककी सबैतनक छनावननी मम पहणफाँचना। छनावननी कके
भनारतनीय सबैतनक तभो तबैयनार हली बबैठके थके। 25 जणलनाई कभो तनीन पलटनहों नके स्वरनाज्य ककी घभोरणना करतके
हणए अगांगकेजहों कके खखलनाफ शस्त्र उठना ललयके। छनावननी कके अगांगकेजहों कभो यमलभोक पहणफाँचना कर कनाततकनारली
भनारतनीय सबैतनक जगदलीशपणर ककी ओर चल पड़के। सबैतनक जनानतके थके कक अगांगकेजहों सके लड़नके कके ललयके
कभोई यभोग्य नकेतना हभोनना जरूरली हबै और जगदलीशपणर कके 80 सनाल कके नवयणवक यदौद्धना कफाँण वर लसगांह हली
सक्षम नकेतत्त व दके सकतके हह। दनाननापणर कके सबैतनकहों कके पहणफाँचतके हली इस आधणतनक भनीष्प नके अपननी
मपगांछहों पर हनाथ फकेरना और अगांगकेजहों कभो सबक लसखनानके कके ललए रणभपलम मम खड़के हभो गयके।

वक
त -यद्ध
ण कलना

कफाँण वर लसगांह कके नकेतत्त व मम अब कनागांततकनाररयहों नके आरना पर आकमण कर वहनागां कके खजनानके पर
अधधकनार कर ललयना। अगांगकेजहों नके पनीठ ददखनानके मम हली अपननी कणशल समझनी। अब स्वनातगांत्र्य सबैतनक
पनास ककी गढ़ली ककी ओर बढ़के तथना उसकभो घकेर ललयना। अगांगकेजहों नके कप्तनान डनबनार ककी अगणवनाई मम
एक सकेनना गढ़ली ककी घकेरनाबन्दली तभोड़नके कभो भकेजनी। यह सकेनना सभोन नदली पनार कर आरना कके नजदलीक आ
गई। रनाबत्र कना समय थना ककन्तण चनाफाँद ककी रभोशननी हभो रहली थनी। डनबनार अपनके जवनानहों कके सनाथ आरना
कके वन-प्रदके श मम घणस गयना। वनीर कफाँण वर लसगांह नके अब अपननी वक
त -यणद्ध कलना कना पररचय ददयना। वक
त -
यणद्ध कलना छनापनामनार यणद्ध कना हली दस
प रना ननाम हबै । इसकना अथर्व हबै - शत्रण कभो दके खतके हली पनीछके हट कर
लणप्त हभो जनाओ और अवसर लमलतके हली असनावधनान शत्रण पर हमलना कर दभो। कफाँण वर लसगांह और
तनात्यना टभोपके दभोनहों हली इस रणननीतत कके तनष्णनात थके।

कफाँण वर लसहगां नके जनासपस डनबनार ककी परप ली-पपरली खबर उन तक पहणफाँचना रहके थके। जबैसके हली डनबनार नजदलीक
आयना, कफाँण वर लसगांह नके गढ़ली कना घकेरना उठना कर सबैतनकहों कभो जगांगल मम तछपना ददयना। जबैसके हली डनबनार
जगांगल मम घणसना, पकेड़हों मम तछपके भनारतनीय सबैतनकहों नके गभोलली-वरनार्व शणरू कर दली। कप्तनान डनबनार पहलके
हली ददौर मम धरनाशनायनी हभो गयना। अगांगकेज और उनकना सनाथ दके रहके लसकख सबैतनक भनागके तभो
कनागांततकनाररयहों नके उनकना पनीछके ककयना। अगांगकेजहों ककी ऐसनी दग
ण तर्व त हणई कक पपरली सकेनना मम सके ककेवल 50
सबैतनक जनीपवत बचके। इस करनारली हनार सके अगांगकेज ततललमलना गयके। अब मकेजर आयर एक बड़नी भनारली
सकेनना लकेकर आरना ककी ओर बढ़ना। उसकके पनास बदढ़यना तभोपहों भनी थनीगां। बनीबनीगगांज कके पनास हण ए भनीरण
यणद्ध मम तभोपहों नके पनासना पलट ददयना। कफाँण वर लसगांह आरना सके पनीछके हट कर जगदलीशपणर पहणफाँचके। मकेजर
आयर भनी उनकके पनीछके -पनीछके चलके आ रहके थके। अगांगकेज सकेनना ककी एक और पलटन मकेजर आयर ककी
सहनायतना कके ललयके आ गई।

दश्ण मन ककी बढ़ली हणई शककत दके खकर कफाँण वर लसगांह एक रनात जगदलीशपणर सके सत्रह सदौ सबैतनकहों सदहत
तनकल गयके। 14 अगस्त कभो आयर नके ककलके पर कब्जना कर ललयना। कफाँण वर लसगांह अब छनापनामनार
हमलके कर अगांगकेजहों कभो परके शनान करनके लगके। सभोन नदली कके ककननारके पकश्चम बबहनार कके वन प्रदके श मम
कफाँण वर लसगांह नके अपनना स्थनायनी डकेरना जमना ललयना। यहलीगां सके टभोह लगना कर वके बनाहर तनकलतके तथना
गरूड़ झपट्टि सके अगांगकेजहों पर हमलना करतके। अगांगकेज कणछ समझतके उसकके पहलके वके कफर वन-प्रदके श मम
लणप्त हभो जनातके। उनकके अनणज अमर लसगांह भनी उनकके सनाथ थके। छह महलीनहों तक इसनी प्रकनार वके
कफरगां धगयहों कभो परके शनान करतके रहके । इसनी कके सनाथ वके अपनना सबैन्य सगांगठन भनी मजब पत कर रहके थके।
उनकके गणप्तचर पपरके क्षकेत्र मम फबैलके हणए थके और स्वनातगांत्र्य समर कके सभनी समनाचनार उन्हम दके रहके थके।

गणप्तचरहों सके उन्हम सच


प नना लमलली कक पव
प र्शी अवध मम अगांगकेजनी सकेनना ककी पकड़ कमजभोर हबै । अब कगांण वर
लसगांह नके आजमगढ़, बननारस और इलनाहनाबनाद पर हमलना कर जगदलीशपरण कना बदलना लकेनके ककी
यभोनजना बननाई। 18 मनाचर्व 1858 कभो बकेतवना कके कनाततकनारली भनी उनसके लमल गयके। सगांयक
ण त सकेनना नके
अतरदौललयना पर आकमण कर ददयना। कप्तनान लमलमन ककी सकेनना कभो धल प चटनातके हणए कफाँण वर लसगांह नके
उसके कभोलसल्लना तक खदके ड़ ददयना। अब उन्हहोंनके आजमगढ़ कना रूख ककयना। रनास्तके मम कनर्वल डकेम्स
कभो करनारली लशकस्त दके स्वनातगांत्र्य सबैतनकहों नके आजमगढ़ कभो घकेर ललयना।

दरप गनामनी रणननीतत

अनणज अमर लसगांह कभो आजमगढ़ ककी घकेरकेबन्दली कके ललए छभोड़कर अब कफाँण वर लसगांह बबजलली ककी गतत
सके कनाशनी ककी ओर बढ़के । रनातहों-रनात 81 मनील ककी दरप ली तय कर कनागांततकनाररयहों नके वनारनाणसनी पर
आकमण कर ददयना। लखनऊ कके कनागांततकनारली भनी इस समय कफाँण वर लसगांह कके सनाथ हभो गए। लकेककन
अफाँगकेज़ भनी चदौकन्नके थके। बननारस कके बनाहर लनाडर्व मनाकर्वकर मभोचरबन्दली ककए हणए थना, उसकके पनास तभोपम
भनी थनीगां। भनीरण यणद्ध हभोनके लगना। यहनाफाँ कफाँण वर लसगांह नके कफर वक
त -यणद्ध कलना ककी चतणरनाई ददखनाई।
दके खतके-दके खतके कनागांततकनारली सबैन्य यणद्ध भपलम सके लणप्त हभो गयना। वनास्तव मम कफाँण वर लसगांह नके बड़नी दरप गनामनी
रणननीतत बननाई थनी। वके शत्रण-सकेनना कभो अलग-अलग स्थनानहों पर उलझना कर जगदलीशपणर ककी ओर
बढ़नना चनाहतके थके। मनाकर्वकर भनी इस भणलनावके मम आ गयना और आजमगढ़ ककी ओर चल पड़ना। उधर
जनरल लणगनाडर्व भनी आजमगढ़ कभो मणकत करनानके कके ललए तनानप नदली ककी ओर बढ़ रहना थना। अफाँगकेज़
इस भ्रम मम थके कक कफाँण वर लसगांह आजमगढ़ कभो जनीतनके कके ललए पपरली तनाक़त लगनायमगके। इस भ्रम कभो
पककना करनके कके ललए कफाँण वर लसगांह नके तनानप नदली कके पल
ण पर अपननी एक टणकड़नी कभो भनी तबैननात कर
ददयना।

इस टणक़ड़नी नके अदत ण परनाकम ददखनातके हणए कई घगांटहों तक जनरल लणगनाडर्व कभो रभोकके रखना। इस बनीच
कफाँण वर लसगांह गनाजनीपणर ककी ओर बढ़ गए। कनाफ़की सगांघरर्व कके बनाद लणगनाडर्व नके पल
ण पनार ककयना तभो उसके
एक भनी स्वनातगांत्र्य सबैतनक ददखनाई नहलीगां ददयना। सबैतनक टणकड़नी अपनना कतर्वव्य पपरना कर आगके कके मभोचर
पर जना डटली। हतप्रभ सके लणगनाडर्व कभो कणछ समझ मम नहलीगां आयना। तभनी उसके गणप्तचरहों सके सपचनना
लमलली कक कफाँण वर लसगांह तभो गनाजनीपणर ककी ओर जना रहना थना। लणगनाडर्व भनी द्वणत-गतत सके पनीछना करनके
लगना। कफाँण वर लसगांह तभो तबैयनार बबैठके थके, मदौकना दके ख कर उन्हहोंनके अचनानक अफाँगकेज़हों पर आकमण कर
ददयना। लणगनाडर्व ककी करनारली लशकस्त हणई और वह पनीठ ददखनाकर भनागनके लगना। अब अफाँगकेज़
सकेननापततयहों ककी समझ मम आयना कक कफाँण वर लसगांह कना लक्ष्य जगदलीशपणर हबै तथना इसकके ललए वह
गगांगना कभो पनार करनके ककी जगणत कर रहके हह। कफाँण वर लसगांह सके यणद्ध मम पपटके मनाकर्वकर और लणगनाडर्व कके
स्थनान पर अब डगलस नके कफाँण वर लसगांह कभो घकेरनके कना मगांसपबना बनाफाँधना।

मनात पर मनात

80 वरर्व कके यदौद्धना कफाँण वर लसगांह लगनातनार नदौ महलीनहों सके यणद्ध कके मबैदनान मम थके। अब वके गगांगना पनार कर
अपननी जन्म-भपलम जगदलीशपणर जनानके ककी तबैयनार कर रहके थके। डगलस भनी घभोड़के ददौड़नातना हणआ उनकना
पनीछना कर रहना थना। यहनाफाँ कफाँण वर लसगांह नके यणककत सके कनाम ललयना। उन्हहोंनके अफ़वनाह फबैलना दली कक वके
बललयनाफाँ कके तनकट हनाधथयहों सके अपननी सकेनना कभो गगांगना पनार करनायमगके। कफाँण वर लसगांह ककी पबैतरके -बनाकज़यहों सके
परके शनान हभो चणकके अफाँगकेज़हों नके कफर करनारना धभोखना खनायना। अफाँगकेज़ सकेननापतत डगलस वहनाफाँ पहणफाँच कर
प्रतनीक्षना करनके लगना और इधर बललयनाफाँ सके सनात मनील दरप लशवरनाजपपर मम ननावहों पर चढ़कर कफाँण वर
लसगांह ककी सकेनना पनार हभो रहली थनी। डगलस हबै रनान थना कक आखख़िर कफाँण वर लसगांह गगांगना पनार करनके आ
कयहों नहलीगां रहके । तभनी उसके समनाचनार लमलना कक कफाँण वर लसगांह तभो सनात मनील आगके ननावहों सके पण्
ण य-
सलललना गगांगना कभो पनार कर रहके हह। वह तणरगांत उधर हली ददौड़ना पर जब तक डगलस लशवरनाजपणर
पहणफाँचतना परप ली सकेनना पनार हभो चक
प की थनी। अगांततम नदौकना पनार हभो रहली थनी कजसमम स्वयगां कफाँण वर लसगांह सवनार
थके। अफाँगकेज़नी सकेनना नके उन पर गभोलली बरसनानना प्रनारगां भ कर ददयना। एक गभोलली कफाँण वर लसगांह कके बनाएफाँ हनाथ
मम लगनी। ज़हर फबैलनके ककी आशगांकना कभो दके ख कफाँण वर लसगांह नके स्वयगां अपननी तलवनार सके कभोहननी कके पनास
सके हनाथ कनाटकर गगांगना कभो अपपर्वत कर ददयना। 23 अप्रबैल कभो पवजय श्रनी कके सनाथ कफाँण वर लसगांह नके
जगदलीशपरप कके रनाजप्रनासनाद मम प्रवकेश ककयना। लकेककन गभोलली कना पवर परप के शरलीर मम फबैल हली गयना और
3 ददन बनाद हली 26 अप्रबैल कभो उन्हहोंनके प्रनाणभोत्सगर्व कर ददयना। गदौरवशनालली मत्त यण कना वरण कर
स्वतगांत्रतना सगांघरर्व मम कफाँण वर लसगांह अजर-अमरहभोगए।

4. बहकदरिब शकह जफ़रि

बहनादरण शनाह जफ़र कना जन्म 24 अकटपबर, 1775 कभोददल्लली मम हणआ थना। इनककी मनातना कना ननाम
लनाल बनाई व पपतना कना ननाम अकबर शनाह ( द्पवतनीय ) थना। 1837 कभो यके लसगांहनासन पर बबैठके। यके
मणगलहों कके अगांततम समनाट थके। जब यके गद्दली पर बबैठके उस समय भनारत मम ईस्ट इगांडडयना कगांपननी कना
रनाज थना। इनकभो शनायरली बकेहद पसगांद थनी। यके उदर्व प कके जनानके मनानके शनायर थके व इनकके दरबनार मम भनी

कई बडके शनायरहों कभो आश्रय ददयना जनातना थना।

बहनादरण शनाह कके समय भनारत पर ईस्ट इगांडडयना कगांपननी कना शनासन थना। कगांपननी अपनके तनजनी दहतहों
कभो ध्यनान मम रख कर नयके-नयके कनानन
ण बननातनी थनी। जब इस कगांपननी नके मग
ण ल समनाट ककी उपनाधध
कभो खत्म करनके कना तनश्चय ककयना तभो सबमम असगांतभोर ककी लहर ददौड गई। सरकनार नके बहनादरण शनाह

कके बडके पत्र
ण लमजनार्व खनागां बख्त कभो यव
ण रनाज बननानके सके इगांकनार कर ददयना कजससके वह इस सरकनार कके
पवरुद्ध हभो गयके। वहलीगां दस
प रली और उन्हहोंनके उसकके छभोटके पत्र
ण कभोयनाश कभो यव
ण रनाज बनना ददयना।

कभोयनाश नके उनककी अपमनान जनक शतर स्वनीकनार कर लली। यके शतर तनम्न थनी। (1) आपकभो बनादशनाह
ककी बजनाय रनाजकणमनार कहना जनाएगना। (2) आपकभो ददल्लली कना लनाल ककलना खनालली करनना हभोगना। (3)
आपकभो मनालसक खचर्व 1 लनाख ककी बजनाय 15 हजनार लमलम गके। बहनादरण शनाह कभो भनी लनाल ककलना
खनालली करनके कना आदके श ददयना गयना। इस बनात सके बहनादरण शनाह ननारनाज हभो गयके और उन्हहोंनके कनागांतत मम
दहस्सना ललयना।

उन्हहोंनके एक सकेनना सगांगदठत ककी व इस सकेनना कना खणद नके नकेतत्त व ककयना। बहनादरण शनाह नके आदके श
ददयना कक दहन्दस्
ण तनान कके दहन्दओ
ण गां व मणसलमनानहों उठभो खणदना नके कजतननी बरकतके इगांसनान कभो दली हबै
उनमम सबसके ककीमतनी बरकत (वरदनान) आजनादली हबै । हम दश्ण मन कना ननाश कर डनालमगके और अपनके
धमर्व तथना दके श कभो खतरके सके बचना लमगके। बहनादरण शनाह ककी घभोरणना सके स्पष्ट हभोतना हबै कक यह कनागांतत
दहन्द प व मणसलमनानहों कभो एकतना कके सपत्र मम बनागांधनना चनाहतनी थनी व दके श कभो स्वतगांत्रतना ददलनानना चनाहतनी
थनी।

बनाद मम बब्रितनाननी सकेनना कना पवरभोध करनके ककेकनारण उनकभो बगांदली बननाकर बमनार्व भकेज ददयना गयना। उनकके
सनाथ उनकके दभोनहों बकेटहों कभो भनी कनारनावनास मम डनाल ददयना गयना। वहनागां इनकके दभोनहों बकेटभो कभो मनार ददयना
गयना व रगां गपन मम 7 नवम्बर 1862 कभो इनककी मत्त यण हभो गई।

दभो गज जमनीगां न लमलली

सगांदभर्व : रनाजस्थनान पबत्रकना (रपववनारलीय)


रचननाकनार : पप्रयगांकना अगवनाल
ददननागांक : 14 लसतम्बर 2008
पकेज : 3 (पवपवधना पवश्व)

1857 ककी कनागांतत कके थमनके कके बनाद बब्रिदटश सरकनार नके भनारत कके अगांततम मणग़ल समनाट अबप जनाफर
लसरनाजणदनीन मणहम्मद बहनादरण शनाह द्पवतनीय यनाननी बहनादरण शनाह जफर पर मणकदमना चलनायना। झपठके
सनाक्ष्यहों और गवनाहहों कके आधनार पर उन्हम दके श सके तनवनार्वसन ककी सजना सणननाई। उनककी कज़गांदगनी कके
आखरली कष्टप्रद लम्हके रगां गपन मम हली गणजरके ।

जनवरली 1858 मम बहनादरण शनाह जफर पर चलना मणकदमना अनठ


प ना थना। मक
ण दमना चलनानके वनालके बब्रिदटश
अफ़सर यह जनानतके थके कक वके ककतनके भनी झपठके सनाक्ष्य और गवनाह पकेश करके , वके यह लसद्ध नहलीगां कर
पनाएगांगके कक एक 82 सनाल कके बज़ण णगर्व 1857 मम बब्रितनातनयभो कके खख़िलनाफ़ हणए ग़दर कके ललए दभोरनी थके।
बरहनाल वके शणरू सके हली यह जनानतके थके ककी जज कभो अपनना फ़बैसलना बहनादरण शनाह कके खख़िलनाफ़ हली दके नना
थना। 1857 कके ग़दर कभो कणचलनके कके बनाद बब्रितनातनयहों नके 20 लसतम्बर, 1857 कभो ददल्लली कके
रनाजमहल पर कफर सके अधधकनार कर ललयना। बब्रितनातनयहों नके उनकके 24 शहज़नादहों ककी हत्यना कर दली
और जफर, उनककी बकेग़म ज़नीनत महल और शहज़नादके जवनाफाँ बख़्त कभो नज़रबगांद कर ददयना। 27
जनवरली 1858 कभो उन्हम ददल्लली कके लनाल कक़लके कके दलीवनानके ख़िनास मम कभोटर्व मनाशर्वल कके ललए पकेश
ककयना गयना। कभोटर्व मनाशर्वल थभोडनी दके र सके शणरू हभो पनायना, कयहोंकक कभोटर्व कके पणरनानके अध्यक्ष बब्रिगकेडडयर
शडवसर्व कके स्थनान पर लके. कनर्वल दनावकेस कभो तनयणकत ककयना गयना थना। कभोटर्व कके अन्य जजहों मम तनीन
मकेजर और एक कबैप्टन थके। बहनादरण शनाह हनाथ मम छड़नी ललए दलीवनानके ख़िनास मम आए। शहज़नादना जवनाफाँ
बख़्त और जफर कके वककील ग़ल
ण नाम अब्बनास उन्हम सहनारना दके रहके थके। बब्रितनातनयहों कके वककील मकेजर
एफ.जके. हबै ररयट नके पहलके हली यह स्पष्ट कर ददयना थना कक इस कभोटर्व मनाशर्वल कके ददौरनान उन तनयम
पवधनानहों ककी ओर ज़्यनादना ध्यनान नहलीगां ददयना जनाएगना, कजनकना पनालन अन्य मणकदमहों मम ककयना जनातना
थना। सणननी सणननाई गवनादहयहों कभो भनी मनान्य ककयना जनाएगना, बस वके पवश्वसननीय हभोननी चनादहए।
मणक़दमके ककी सच्चनाई तभो दरअसल हबै ररयट कके इस वकतव्य सके हली ज़नादहर हभो गई थनी। मणकदमना शणरू
हभोतके हली जजहों नके जवनाफाँ बख़्त कभो बनाहर लभजवना ददयना, कयहोंकक उनकके मणतनाबबक़ वह लगनातनार बनातम
कर जजहों कना ध्यनान भगांग कर रहके थके। अब बहनादरण शनाह अककेलके रह गए। अदनालत मम कयना चल रहना
हबै यह समझ पनानना इन 82 सनाल कके बज़
ण णगर्व कके ललए शनायद सगांभव नहलीगां थना। वके बस तभनी ज़बनान
खभोलतके थके, जब उनसके पपछना जनातना, 'तणम कसपरवनार हभो यना बकेकसपर।' वके कहतके 'बकेकसपर', यह जनानतके
हणए भनी कक बब्रितनातनयहों कके ललए उनकके ललए जभो सजना तय कररखनी हबै , वह उन्हम लमलकेगनी हली। जफर
कके खखलनाफ चनार अलभयभोग लगनाए गए थके-

बब्रिदटश सरकनार सकेके पम शन पनानके वनालके उन्हहोंनके ईस्ट इगांडडयना कगांपननी कके भनारतनीय अधधकनाररयहों और
लसपनादहयहों कभो सरकनार कके खख़िलनाफ़ लड़नके कके ललए प्रकेररत ककयना।
उन्हहोंनके अपनके बकेटके लमजनार्व मणग़ल कभो रनाजद्रभोह कके ललए प्रकेररत ककयना।
भनारत मम बब्रिदटश सरकनार ककी प्रजना हभोतके हणए भनी उन्हहोंनके दके श ककी सरकनार कके सनाथ गदनारली कर खणद
कभो मणल्क कना बनादशनाह घभोपरत ककयना।
उन्हहोंनके 16 मई 1857 कभो महल मम 49 यणरभोपनीय लभोगहों ककी हत्यना करवनाई।

सबत प कके तदौर पर शनाहली दरबनार सके उन शनाहली हणकमहों ककी प्रततललपपयनाफाँ प्रस्तणत ककी गई, जभो 11 मई
सके लकेकर 20 लसतम्बर 1857 तक जनारली ककए गए थके। सरकनारली गवनाह हककीम अहसनानल् ण लनाह नके
बहनादरण शनाह कके दस्तख़ितहों ककी पहचनान ककी। अगलके ददन, जफर नके अज़र्शी दली कक वके सरकनारली गवनाह
बननके कभो तबैयनार हभो गए। इस तरह ज़भोर डनाल कर उनसके ऐसके बयनान ददलवनाए गए जभो जफर कके
खख़िलनाफ़ जनातके थके। इतनना हली नहलीगां बब्रितनातनयहों नके बहनादरण शनाह कके पव
प र्व सधचव मक
ण ण न्दलनाल कके मफाँह
ण सके
भनी यह झपठछी गवनाहली ददलवनाई कक महल मम रहनके वनालके बब्रितनातनयहों ककी हत्यना बहनादरण शनाह कके हणकम
सके हणई थनी। मणकणन्दलनाल नके बब्रितनातनयहों कके प्रतत अपननी वफ़नादनारली प्रदलशर्वत करनके कके ललए अपननी
गवनाहली मम बहनादरण शनाह कके सनाथ ज़नीनत महल, आगना बकेग़म (उनककी पणत्रनी) और दभो अन्य बकेगमहों
ननाननी बकेग़म और अशरफणकत्तमना कभो भनी लपकेट ललयना और कहना कक बब्रितनातनयहों कक हत्यना कना हणकम
इन सब नके लमलकर ददयना थना। 4 मनाचर्व 1858 कभो बहनादरण शनाह नके अपनके बकेकसपर हभोनके कना बयनान
उदर्व प मम ददयना। इसकके बनाद, सरकनारली वककील हबै ररयट नके अपनना बयनान ददयना जभो 9 मनाचर्व 1958 तक
चलना।

जबैसके हली हबै ररयट कना बयनान ख़ित्म हणआ, कभोटर्व नके अपनना फ़बैसलना सणनना ददयना। उसककी पकेश ककी गई
गवनादहयहों कके आधनार पर बहनादरण शनाह जफर कभो उन चनारहों अलभयभोगहों कना सवर्वसम्मतत सके और स्पष्ट
रूप सके दभोरनी पनाए गए। अदनालत नके उन्हम दके श सके तनवनार्वसन ककी सजना सणननाई। 7 अकटपबर 1858
कभो जफर कभो ज़नीनत महल और जवनाफाँ बख़्त कके सनाथ रगां गपन कके ललए रवनानना कर ददयना गयना। 8
ददसगांबर 1858 कभो वके रगां गपन पहणफाँचके और वहलीगां 7 नवगांबर, 1862 कभो उनककी मत्त यण हणई। जफर कके
आखख़िरली ददन ककतननी ककतननी तनरनाशना और तकललीफ़ मम गज़ ण रके , इसककी यनाद उनकना यह शकेर आज
भनी ददलनातना हबै -

'इतनना हबै बदनसनीब जफर दफ़न कके ललए


दभो गज़ ज़मनीन भनी न लमलली कप-ए-यनार मम ।'

5. मक्रांगल पकण्डपेय

मगांगल पनागांडके 1857 ककी कनागांतत कके महनाननायक थके। यके वनीर पणरुर आज़ ज़ज़नानादली कके ललयके हगां सतके-हगां सतके
फ़गांज़नासनी पर लटक गयके। इनकके जन्म स्थनान कभो लकेकर शणरू सके हली वबैचनाररक मतभकेद हह। कणछ
इततहनासकनारहों कना मनाननना हबै कक इनकना जन्म जणलनाई 1827 मम उत्तर प्रदके श (बनाललयना) कजलके कके
सरयपपनारली (कनान्यकणब्ज) ब्रिनाह्मण पररवनार मम हणआ। कणछ इततहनासकनार अकबरपणर कभो इनकना जन्म
स्थल मनानतके हह। इनकके पपतना कना ननाम ददवनाकर पनागांडके थना जभो कक भपलमहनार ब्रिनाह्मण थके।

बड़के हभोकर वके कलकत्तना कके बबैऱकपरण ककी नकेदटव इनफ़केन्ट्रली मम लसपनाहली कके पद पर तनयक
ण त हणए। वहनागां
सके 1849 मम बब्रिदटश ईस्ट इगांडडयना कगांपननी ककी सकेनना मम भतर्शी हणए। उस समय इनककी आयण 22 सनाल
ककी थनी। मगांगल पनागांडके शणरू सके हली स्वतगांत्रतना पप्रय व धमर्वपरनायण व्यककत थके। वके इनककी रक्षना कके ललयके
अपननी जनान भनी दके नके कके ललयके तबैयनार रहतके थके।

जब वके सकेनना मम थके तभो एक ददन दमदम कके तनकट कणएगां सके पनाननी भर रहके थके तब एक तनम्न
जनातत कके व्यककत (अछपत) नके उनसके लभोटना मनागांगना तभो उन्हहोंनके दके नके सके इगांकनार कर ददयना तब उस
तनम्न जनातत कके व्यककत नके कहना ककी आप मणझके (अछपत हभोनके कके कनारण) लभोटना मत दभो लकेककन जब
फ़दौज मम गनाय व सपअर ककी चबर्शी वनालके कनारतपसहों कना उपयभोग करनना पड़केगना तभो आप अपनके धमर्व कभो
कबैसके बचनाओगके। यके बनात सणनकर मगांगल पनागांडके कना ददमनाग ठनकना। उन्हहोंनके सभोचना अब यना तभो धमर्व

छभोड़नना पडकेगना यना पवद्रभोह करनना पड़केगना। कफ़र तय ककयना ककी प्रनाण भलके हली जनायके पर धमर्व नहलीगां
छभोडपगांगना। फ़लस्वरू प नकेतनाओगां द्वनारना तनकश्चत ततधथ सके पहलके हली उन्हहोंनके पवद्रभोह कना बबगणल बजना
ददयना। अगांत मम 31 मई कभो सनारके दके श मम कनागांतत ककी शणरू आत हभो गई। इस कनागांतत ककी शणरू आत
परके ड़ मबैदनान मम हणई थनी।

29 मनाचर्व ककी एक शनाम कभो बबैरकपणर मम मगांगल पनागांडके नके अपननी रके कजमम ट कके लकेकफ़्टनकेन्ट पर हमलना

कर ददयना। सकेनना कके जनरल नके सब लसपनादहयहों कभो मगांगल पनागांडके कभो धगरफ़्तनार करनके कना आदके श

ददयना, परन्तण ककसनी नके आदके श नहलीगां मनानना। इस पर मगांगल पनागांडके नके अपनके सनाधथयहों कभो पवद्रभोह करनके
कके ललयके कहना, लकेककन ककसनी नके भनी उनकना सनाथ नहलीगां ददयना।

इस कनागांतत मम मगांगल पनागांडके नके कई बब्रितनाननी लसपनादहयहों व अधधकनाररयहों कभो मदौत कके घनाट उतनारना व
दहम्मत नहलीगां हनारली। जब अगांत मम अककेलके हभो गयके तभो उन्हहोंनके बब्रितनातनयहों कके हनाथ सके मरनके कके बजनाय
खणद मरनना स्वनीकनार ककयना। उन्हहोंनके खणद कभो गभोलली मनार दली और बणरली तरह सके घनायल हभो गयके।
कणछ समय तक अस्पतनाल मम उनकना इलनाज चलना।

बब्रिदटश सरकनार नके 8 अप्रबैल 1857 कभो मगांगल पनागांडके कना कभोटर्व मनाशर्वल ककयना व उनकभो फ़नागांसनी पर
चढ़ना ददयना। रके कजमकेन्ट कके कजन लसपनादहयहों नके मगांगल पनागांडके कना पवद्रभोह मम सनाथ ददयना बब्रिदटश सरकनार
नके उनकभो सकेनना सके तनकनाल ददयना और पपरली रके कजमकेन्ट कभो खत्म कर ददयना। अन्य लसपनादहयहों नके इस
तनणर्वय कना पवरभोध ककयना। वके इस अपमनान कना बदलना लकेनना चनाहतके थके। इसनी पवरभोध नके 1857 ककी
कनागांतत कभो हवना दली धनीरके -धनीरके यके लहर हर जगह फ़बैलतनी गई। इलनाहनाबनाद, आगरना आदद स्थनानहों पर
तभोड़फ़भोड़ व आगजननी ककी घटननाएफाँ हणई। नकेतनाओगां द्वनारना तय ककी गई ततधथ सके पहलके कनागांतत ककी शणरू
आनात करनके कके कनारण शनायद यह कनागांतत पवफ़ल हभो गई। कफ़र भनी हम शहलीद मगांगल पनागांडके कके
बललदनान कभो कभनी भनी भणलना नहलीगां पनायमगके ।

6. ममौंलवच अहमद शकह

रनाष्ट्रलीय सगांत-मदौलवनी अहमदशनाह


रचननाकनार - जके.कके.लनाल
सगांदभर्व - पनाथकेय कण (दहगांदली पबत्रकना)
ददननागांक 16 अप्रबैल (सगांयणकतनागांक) 2007
अगांक : 1, पकेज न.41

प्रथम स्वतगांत्रतना सगांगनाम कके ज्वनाज्वल्यमनान नक्षत्रहों मम सके एक मदौलवनी अहमदशनाह भनी थके।
बहणआयनामनी व्यककतत्व कके धननी यह रनाष्ट्र-पणरूर कणशल सगांगठक, ओजस्वनी वकतना, कनागांततकनारली लकेखक
और छनापनामनार यणद्ध-कलना कके कणशल यभोद्धना थके। अगांगकेज उनसके ऐसना थतनार्वतके थके, कक उनककी सपचनना दके नके
वनालके व्यककत कभो पचनास हजनार रूपयहों (आज कके दहसनाब सके दभो करभोड़ रू.) कना पणरस्कनार दके नके ककी
घभोरणना ककी गई थनी।

ऐसके तकेजस्वनी और दके श-प्रकेम सके ओतप्रभोत मदौलवनी अहमदशनाह मयनार्वदना परू
ण रभोत्तम श्रनीरनाम ककी
जन्मभपलम अयभोध्यना कके तनाल्लणककेदनार थके। ननानना सनाहब कना गणप्त सगांदकेश लमलतके हली उन्हहोंनके परप के अवध
मम जन-जनागरण शरू
ण कर ददयना। लखनऊ मम दस-दस हजनार लभोगहों ककी सभना मम उन्हहोंनके लसगांह
गजर्वनना कर दली कक, " यदद तणम स्वदके श और स्वधमर्व कना मगांगल चनाहतके हभो तभो उसकके ललयके
कफरगां धगयहों कभो तलवनार ककी धनार उतनारना दके नना हली एक-मनात्र धमर्व हबै । " आगरना मम उन्हहोंनके एक मजपबत
सगांगठन बनना ददयना थना। पपरके भनारत मम स्वनातगांत्र्य-दके वनी ककी उपनासनना कना मगांत्र फपफाँक रहके थके। जहनाफाँ भनी
यह रनाष्ट्रलीय सगांत पहणफाँचके, वहलीगां लभोगहों नके कनागांतत-यज्ञ मम सकम्मललत हभोनके कना तनणर्वय लके ललयना।
फलस्वरूप अगांगकेजहों नके उनककी तनाल्लणककेदनारली छछील लली औबैर बन्दली बननाकर उन्हम प्रनाण दण्ड कना आदके श
भनी कर ददयना। ककन्तण ऐसके तपभोतनधध कभो फनाफाँसनी पर लटकना दके नना कयना अगांगकेजहों कके ललयके आसनान
थना?
मदौलवनी ककी मणककत - मकेरठ मम 10 मई कभो कनागांतत कना पवस्फभोट हभो जनानके कके बनाद भनी लखनऊ पव
प र्व
तनधनार्वररत यभोजनना कके अनणसनार 31 मई तक शनागांत रहना। 31 मई कभो लखनऊ मम सबैतनक छनावननी कके
भनारतनीय सबैतनकहों नके स्वतगांत्रतना ककी पतनाकना फहरना दली। उसकके बनाद सनीतनापणर फरूर्वखनाबनाद, बहरनाइच,
गभोण्डना, बलरनामपणर आदद स्थनानहों सके भनी अगांगकेजनी शनासन समनाप्त कर ददयना गयना। फबैजनाबनाद मम
मदौलवनी अहमदशनाह अगांगकेजहों कके बन्दली थके अतनः वहनाफाँ तभो पहलके हली सके जनतना मम जबदर्व स्त आकभोश
थना। 5 जपन कभो फबैजनाबनाद मम तबैननात 15 वनीगां पलटन कके जवनानहों और ननागररकहों नके हर-हर महनादके व
कना ननारना लगतके हणए सपबकेदनार ददललीप लसगांह कके नकेतत्त व मम अगांगकेजहों कभो यमलभोक भकेज कर मदौलवनी
अहमदशनाह कभो कनारनागनार सके छणड़ना ललयना। इसनी कके सनाथ 10 जपन तक लगभग पपरना अवध स्वतगांत्रतना
ककी खणलली हवना कना आनन्द लकेनके लगना। अवध कके ककेन्द्र लखनऊ मम भनी अगांगकेज सत्तना तभो समनाप्त
हभो चणककी थनी, ककन्तण वहनाफाँ कके कलमश्नर हके नरली लनारम स नके एक हजनार गभोरके , 800 भनारतनीय लसपनादहयहों
और कणछ तभोपहों कके सनाथ लखनऊ ककी रके जनीडमसनी मम मभोचनार्व जमना ललयना थना। इस तरह पपरके अवध मम
अगांगकेज सत्तना उस रके जनीडमसनी तक लसमट कर रह गई थनी। नवनाब वनाकजदअलली शनाह ककी बकेगम
हजरत महल नके शनासन अपनके हनाथ मम लके ललयना।

मदौलवनी अहमदशनाह अब लखनऊ आ गयके और बकेगम हजरमहल ककी सहनायतना करनके लगके। इसनी कके
सनाथ वके अपनके आग उगलतके लकेखहों औबैर भनारणहों सके अगांगकेजनी सत्तना कभो तनमल
पर्व कर दके नके कना आह्वनान
भनी कर रहके थके। उसनी कना पररणनाम थना कक अवध कना बच्चना-बच्चना शस्त्र उठनाकर कनागांतत कके महनायज्ञ
मम कपद पड़ना। अककेलके लखनऊ मम बनीस हजनार सके अधधक लभोगहों नके स्वनातगांत्र्य समर मम अपनना शनीश
चढ़नायना थना। रके डनीडमसनी मम मभोचनार्व जमनायके अगांगकेजहों कके सनाथ स्वनातगांत्र्य सबैतनकहों कना घमनासनान अब
परनाकनाष्ठना पर थना। हके नरली लनारम स ककी मदौत हभो चणककी थनी। जनरल हबै वलनाक नके कनानपणर सके लखनऊ
आनके कके ललयके गगांगना पनार करनके ककी धष्त टतना ककी हली थनी, कक ननानना सनाहब नके कनानपणर पर धनावना बभोल
ददयना। पररणनामस्वरूप हबै वलनाक कभो लदौटनना पड़ना। 20 लसतम्बर कभो हबै वलडक कफर सके लखनऊ ककी
ओर बढ़ना। इस समय ननील, आउट्रम और आयर जबैसके कणशल सकेननापतत भनी उसकके सनाथ थके। 25
लसतम्बर कभो 1 हजनार कफरगां गनी सबैतनक और जनरल ननील ककी बलल चढ़नके कके बनाद हबै वलडक रके डनीडमसनी
तक पहणफाँचनके मम सफल हभो गयना। लकेककन स्वनातगांत्र्य सबैतनकहों नके अब हबै वलभोक कभो चनारहों ओर सके घकेर
ललयना।

लखनऊ ककी परनाजय- 23 नवम्बर कभो कभोललन ककेम्पवकेल, आउट्रम और हडसन ककी सगांयणकत
सकेननाओगां नके भनीरण सगांघरर्व कके बनाद रके जनीडमसनी मम तघरके अगांगकेजहों कभो छणड़ना ललयना, कफर भनी हबै वलनाक ककी
तभो स्वनातगांत्र्य सबैतनक कके हनाथहों मणककत हभो हली गई। लखनऊ कके आलम बनाग मम जमनी कफरगां गनी सकेनना
अब कनाततकनाररयहों पर जबदर्व स्त हमलके ककी तबैयनार करनके लगनी। पररकस्थतत तनरनाशनाजनक थनी, ककन्तण
मदौलवनी अहमदशनाह तनरगां तर लभोगहों मम आशना कना सगांचनार कर रहके थके। अब यणद्ध कना मभोचनार्व खणद
उन्हहोंनके सम्भनालना। 22 ददसम्बर कभो उन्हहोंनके आलम-बनाग मम जमनी अगांगकेज सकेनना पर हमलना ककयना।
यणद्ध मम वके घनायल हणए तथना उन्हम पनीछके हटनना पडना। अब बकेगम हजरतमहल नके रणक्षकेत्र मम तलवनार
उठनाई, ककन्तण अगांगकेजहों ककी सहनायतना कके ललयके नई सकेनना आ गई इसललए उनकभो भनी पनीछके हटनना
पड़ना। आखखर 14 मनाचर्व 58 कभो जनरल कडललन नके तनीस हजनार सबैतनकहों कके सनाथ गभोमतनी कभो पनार
कर उत्तर ककी ओर सके लखनऊ पर आकमण ककयना और इसके जनीतनके मम सफलतना पनाई। बकेगम
हजरत महल तथना मदौलवनी अहमदशनाह अगांगकेजहों कना घकेरना तभोड़ कर बच तनकलके।

मदौलवनी सनाहब नके अब अगांगकेजहों कके खखलनाफ छनापनामनार यद्ध


ण करनके कना तनयर्वण ललयना। उन्हहोंनके लखनऊ
सके 45 कक.मनी. दरप बनारली मम पड़नाव डनाल ददयना। बकेगम छह बजनार सबैतनकहों कके सनाथ बभोतदौलली मम आ
गई। अगांगकेज सकेननापतत हभोप गनागांट उनकके पनीछके लगना हणआ थना। इस समय अगांगकेजहों ककी सकेनना लगभग
1 लनाख सबैतनकहों ककी हभो गई थनी। रूईयनागढ मम हभोप गनागांट कभो भनी नरपततलसगांह नके सद्गतत दके दली।
अगांगकेजहों कना घकेरना कसतके दके ख अब मदौलवनी बरके लली ककी ओर चल पड़के।

अहमदशनाह कना रणरगां ग - बरके लली रूहके लखण्ड ककी रनाजधनाननी थनी। अगांगकेजहों नके ररयगांत्रपपवक
र्व सन ज़-1801
मम अवध कके नवनाब सके इसके छछीन ललयना थना। पपरके रूहके लखण्ड मम स्वनातगांत्र्य समर कके ललयके गणप्त
सगांगठन खनान बहनादरण खनान नके खड़ना ककयना थना। 1857 कके इततहनास मम इस वनीर पणरूर कना ननाम भनी
स्वणनार्वक्षरहों मम ललखना जनानना चनादहयके। 31 मई 57 कभो बरके लली और परप ना रूहके लण्ड स्वतगांत्र हभो गयना।
सकेननाननायक बख्त खनाफाँ कभो एक बड़नी सकेनना कके सनाथ ददल्लली भकेज कर खनान बदनादरण नके रूहके लखण्ड मम
बनादशनाह कके ननाम पर प्रशनासन चलनानना शरू
ण कर ददयना।

4 मई, 1858 कभो मदौलवनी सनाहब तथना बकेगम हजरत महल कके सनाथ-सनाथ श्रनीमगांत ननानना सहनाब
पकेशवना और ददल्लली कके शहजनादके कफरभोजशनाह भनी बरके लली पहणफाँच गयके। खनान बहनादरण कके सनाथ सभनी नके
यहनाफाँ आगके कके सगांघरर्व ककी रणननीतत तय ककी। पनीछके -पनीछके अगांगकेज सकेननापतत ककेम्पबकेल भनी ददौड़ना चलना आ
रहना थना। यहनाफाँ मदौलवनी अहमदशनाहनके वक
त -यणद्ध कलना ककी बनानगनी ददखनाई। 5 मई कभो ककेम्पबकेल कना
घकेरना पड़तके हली वके ननानना सनाहब कके सनाथ बरके लली सके तनकल गयके और शनाहजहनाफाँप णर पर धनावना बभोल
ददयना। कबैम्पबकेल पन
ण नः लदौटना तभो मदौलवनी सनाहब बबजलली ककी तकेजनी सके अवध ककी ओर बढ़के तथना
छनापनामनार यणद्ध सके अगांगकेजहों ककी ननाक मम दम करनके लगके। पपरके क्षकेत्र मम वके हवना ककी तरह घपमतके और
मदौकना लगतके हली अगांगकेजहों पर अचनानक हमलना कर दके तके। हतनाश हभोकर अगांगकेजहों नके उनककी स पचनना दके नके
वनालके कभो पचनास हजनार रूपयहों कके पणरस्कनार ककी घभोरणना कर दली। पभोवकेन कना दके श द्रभोहली रनाजना
जगन्ननाथ इस लनालच मम आ गयना। सहनायतना दके नके कके बहनानके उसनके इस रनाष्ट्रलीय सगांत कभो पभोवकेन
बणलनायना और धभोखके सके उन्हम पकड़ ललयना। इसकके बनाद उस पवश्वनासघनातनी नके उनकना शनीस उतनार कर
अगांगकेजहों कके पनास लभजवना ददयना।

मदौलवनी अहमदनाशनाह नके हली पवश्वस्त अमनीर अलली नके बनाब रनामचरण दनास कभो श्रनीरनाम जन्म-भलप म
ससौंप दली थनी। बनाद मम अगांगकेजहों नके 18 मनाचर्व, 58 कभो इन दभोनहों हली दके शभकतहों कभो मत्त यद
ण ण्ड दके ददयना
थना।

7. अजचमबल्लक खकख

अजनीमणल्लना खनाफाँ 1857 ककी कनागांतत कके आधनार स्तगांभभो मम सके थके। उन्हहोंनके ननानना सनाहब द्यद्
ण यप
प गांत कके
सनाथ लमलकर कनागांतत ककी यभोजनना तबैयनार ककी थनी ननानना सनाहब नके इनकके सनाथ भनारत कके कई तनीथर्व

स्थलहों ककी यनात्रना भनी ककी व कनागांतत कना सगांदकेश भनी फबै लनायना।

अजनीमणल्लना खनागां कना जन्म सनाधनारण पररवनार मम हणआ थना। इनकके मनातना पपतना बहणत गरलीब थके। बहणत
हली मणशककल सके कनानपणर कके एक स्कपल मम इनकभो दनाखखलना लमलना लकेककन यके पढ़नके मम मकेघनावनी थके,
इसललयके इनककी फ़कीस मनाफ़ ककी गई व छनात्रवतत त भनी दली ग़ई। बनाद मम बड़के हभोनके पर वके इसनी स्कपल
मम लशक्षक बन गयके।

अजनीमणल्लना खनागां ककी यभोग्यतना व ईमनानदनारली ककी कहनाननी ननानना सनाहब कके कनानहों तक पहणफाँ चनी तभो
उन्हहोंनके अजनीमणल्लना खनागां कभो अपनना मगांत्रनी बनना ललयना। ननानना सनाहब कके यहनाफाँ आनके सके पहलके
अजनीमणल्लना खनागां एक बब्रितनाननी पदनाधधकनारली कके यहनागां बनावचर्शी कना कनाम करतके थके। इसकके सम्पकर्व मम
आकर अजनीमणल्लना खनाफाँ नके अगांगकेजनी व फ़नागांसनीसनी दभोनहों भनारनाओ व बब्रितनातनयहों कके रलीतत-ररवनाजहों कभो
सनीखना। 26 जनवरली 1851 मम जब बनाजनीरनाव द्पवतनीय ककी मत्त यण हभो गई तभो उनकके दत्तक पणत्र
घ्ननानना सनाहबङ कभो पकेशवना ककी उपनाधध व व्यककतगत सणपवधनाओगां सके वगांधचत रखना गयना।

1854 मम ननानना सनाहब नके अजनीमणल्लना खनागां कभो अपनना रनाजनबैततक दत


प बननाकर इगांग्लहड भकेजना।
अजनीमणल्लना खनागां नके ईस्ट इगांडडयना कगांपननी कके अधधकनाररयहों सके लमलकर ननानना सनाहब कके ललयके वकनालत
ककी। लकेककन उन्हके तनरनाशना हली हनाथ लगनी। गवनर्वर जनरल नके तनणर्वय सणननायना ककी बनाजनीरनाव कके
दत्तक पत्र
ण ( ननानना सनाहब ) कभो अपनके पपतना ककी पम शन नहलीगां दली जनाएगनी।

अजनीमणल्लना खनागां तनरनाश नहलीगांगां हणए। उन्हहोंनके कणछ समय लगांदन मम हली रहनना उधचत समझना। वहनाफाँ
इनककी मणलनाकनात रगां गभो बनापप जनी सके हणई जभो सतनारना कके उत्तरनाधधकनारली कभो उनकके अधधकनार ददलनानके कके
ललयके उनकके प्रतततनधध बन कर आयके थके। लकेककन उनकभो भनी सफ़लतना नहलीगां लमलली। धनीरके -धनीरके
अजनीमणल्लना खनागां व रगां गहों बनापप दभोनभो कना ह्रदय प्रततशभोध कके ललयके तड़प उठना। दभोनभो नके लमलकर
कगांपननी सरकनार कना पवरभोध करनके ककी यभोजनना बननाई। यके दभोनभो कनागांतत ककी यभोजनना बननानके लगके। रगां गहों
बनापप तभो भनारत लदौट आयके परन्तण अजनीमणल्लना खनाफाँ नके अन्य दके शहों ककी यनात्रनाएफाँ ककी कजसकना उद्धकेश्य
भनारत ककी रनाजनबैततक कस्थतत सके पवदके लशयहों कभो पररधचत करनानना थना। भनारत लदौटनके पर कनागांतत ककी
यभोजननाएफाँ बननाई जनानके लगनी। अजनीमणल्लना खनागां 1857 ककी कनागांतत कके प्रमणख पवचनारक थके, कजन्हहोंनके
भलके हली मबैदनान मम यणद्ध न ककयना हभो पर यणद्ध करनके वनालभो कके ललयके कई ननीततयनागां बननाई।

अजनीमणल्लना खनागां ककी डनायरली सके पतना चलतना हबै कक उन्हहोंनके इलनाहनाबनाद, गयना जनकपरण , पनारसननाथ,
जगन्ननाथपरण ली, पगांचवटली, रनामकेश्वरम, द्वनाररकना, ननालसक, आब,प आदद स्थनानहों ककी यनात्रना ककी। 4 जपन
कभो कनानपणर मम कनागांतत हभो गई कजसकना नकेतत्त व ननानना सनाहब नके ककयना। इस यणद्ध मम अजनीमणल्लना खनागां
कना महत्वपपणर्व यभोगदनान रहना। 17 जणलनाई कभो कनागांतत पणन: कनानपणर मम फ़बैल गई। अगांत मम कनागांततकनारली
परनाकजत हभो ग़यके कयहोंकक उन लभोगहों कके पनास सनाधनहों कना अभनाव थना। कनागांतत कके पवफ़ल हभोनके पर
अजनीमणल्लना खनागां नकेपनाल ककी तरनाई ककी ओर चलके गयके। नकेपनाल कना रनाजना रनाणना जगांग बहनाद रण बब्रितनातनयहों
कके दहतबैरनी थके। यके कनागांततकनाररयहों कभो क्षतत पहफाँ ज़णचनानना चनाहतके थके।

यहनागां अजनीमणल्लना खनागां कभो कई कष्ट उठनानके पड़के, लकेककन उन्हहोंनके बब्रितनातनयहों कके सनामनके घणटनके नहलीगां
टके कके। अजनीमणल्लना खनागां कना दके हनागांत अकटपबर कके महलीनके मम घ्भणखलङ मम हणआ थना। हम उनकके बललदनान
कभो हमकेशना यनाद रखम ग़के।

8. फ़ककीरिचक्रांद जजैन

भनारत कके स्वनातन्त्र्य समर मम हजनारहों तनरपरनाध मनारके गयके, और यदद सच कहना जनायके तभो सनारके
तनरपरनाध हली मनारके गयके, आखखर अपननी आजनादली ककी मनागांग करनना कभोई अपरनाध तभो नहलीगां हबै । ऐसके हली
तनरपरनाधधयहों मम थके, 13 वरर्शीय अमर शहलीद फ़ककीरचगांद जबैन। फ़ककीरचगांद जनी लनालना हणकणमचगांद जनी
जबैन कके भतनीजके थके। हणकणमचगांद जबैन नके 1857 कके प्रथम स्वनाधनीनतना आगांदभोलन मम महत्त्वपपणर्व
भपलमकना तनभनाई थनी।

हणकणमचगांद जबैन हनागांसनी कके कनानपनगभो थके, बहनादरण शनाह जफ़र सके उनकके बहणत अच्छके सम्बन्ध थके, उनकके
दरबनार मम श्रनी जबैन सनात सनाल रहके कफ़र हनागांसनी (हररयनाणना) कके कनानपनगभो हभोकर यके गह
त नगर हनागांसनी
लदौट आयके। इन्हहोंनके लमजनार्व मणननीर बकेग कके सनाथ एक पत्र बहनादरण शनाह जफ़र कभो ललखना, कजसमम
बब्रितनातनयहों कके प्रतत घण
त ना और उनकके प्रतत सगांघरर्व मम पपणर्व सहनायतना कना पवश्वनास बहनादरण शनाह जफ़र
कभो ददलनायना थना। जब ददल्लली पर बब्रितनातनयहों नके अधधकनार कर ललयना तब बहनाद रण शनाह जफ़र ककी
फ़नाइलहों मम यह पत्र बब्रितनातनयहों कके हनाथ लग गयना। तत्कनाल हणकणमचगांद जनी कभो धगरफ़्तनार कर ललयना
गयना, सनाथ मम उनकके भतनीजके फ़ककीरचगांद कभो भनी धगरफ़्तनार कर ललयना गयना थना। 18 जनवरली 1858
कभो दहसनार कके मकजस्ट्रके ट नके लनालना हणकणमचगांद और लमजनार्व मणननीर बकेग कभो फ़नागांसनी ककी सजना सणनना दली।
फ़ककीरचगांद जनी कभो मणकत कर ददयना गयना।

19 जनवरली 1858 कभो हणकणमचगांद और लमजनार्व मणननीर बकेग कभो हनागांसनी मम लनालना हणकणमचगांद कके मकनान
ड ड
कके सनामनके फ़नागांसनी दके दली गई। 13 वरर्शीय फ़ककीरचगांद इस दृश्य कभो भनारली जनतना कके सनाथ हली खडके-खडके
दके ख रहके थके, पर अचनानक गभोरनाशनाहली नके बबनना ककसनी अपरनाध कके, बबनना ककसनी वनारगां ट कके उन्हके पकड़ना
और वहलीगां फ़नागांसनी पर लटकना ददयना। इस तरह आजनादली कके दलीवनानके फ़ककीरचगांद जनी शहलीद हभो गयके।

9. लकलक हबकबमचक्रांद जजैन

हणकणमचगांद जबैन कना जन्म 1816 मम हनागांसनी (दहसनार) हररयनाणना कके प्रलसद्ध कनानन
प गभो पररवनार मम श्रनी.
दनण नीचगांद जबैन कके घर हणआ थना। इनककी आरकम्भक लशक्षना हनागांसनी मम हणई थनी। जन्म जनात प्रततभना कके
धननी हणकणमचगांद जनी ककी फ़नारसनी और गखणत मम रुधच थनी। अपननी लशक्षना व प्रततभना कके बल पर इन्हहोंनके
मणगल बनादशनाह बहनादरण शनाह जफ़र कके दरबनार मम उच्च पद प्रनाप्त कर ललयना और बनादशनाह कके सनाथ
इनकके बहणत अच्छके सम्बन्ध हभो गयके।

1841 मम मणगल बनादशनाह नके इनकहों हनागांसनी और करननाल कजलके कके इलनाकहों कना कनानपनगभो व प्रबन्धकत्तनार्व
तनयणकत ककयना। यके सनात सनाल तक मणगल बनादशनाह कके दरबनार मम रहके , कफ़र इलनाकके कके प्रबन्ध कके ललए
हनागांसनी लदौट आयके। इस बनीच बब्रितनातनयहों नके हररयनाणना प्रनागांत कभो अपनके अधनीन कर ललयना। हणकणमचगांद जनी
बब्रिदटश शनासन मम कनानपनगभो बनके रहके , पर इनककी भनावननायम सदबै व बब्रितनातनयहों कके पवरुद्ध रहलीगां।

1857 मम जब प्रथम स्वतगांत्रतना सगांगनाम कना बबगणल बजना तब लनालना हणकणमचगांद ककी दके शप्रकेम ककी भनावनना
अगांगडनाई लकेनके लगनी। ददल्लली मम आयभोकजत दके शभकत्त नकेतनाओगां नके इस सम्मम लन मम , कजसमम तनागांत्यना टभोपके
भनी उपकस्थत थके, हणकणमचगांद जनी उपकस्थत थके। बहनादरण शनाह सके उनकके गहरके सम्बन्ध पहलके सके हली थके
अत: इन्हहोंनके बब्रितनातनयहों कके पवरुद्ध यणद्ध करनके ककी पकेशकश ककी। इन्हहोंनके सबकभो पवश्वनास ददलनायना ककी वके
इस सगांगनाम मम अपनना तन मन और धन स्वर्वस्व बललदनान करनके कभो तबैयनार हबै । इनककी इस घभोरणना
सके बहनादरण शनाह नके भनी हणकणमचगांद जनी कभो पवश्वनास ददलनायना कक वके अपननी सकेनना, गभोलना-बनारुद तथना हर
तरह ककी यद्ध
ण सनामगनी सहनायतना स्वरुप पहणफाँचनायकेगज़ज़गां भो। हणकणमचगांद जनी इस आश्वनासन कभो लकेकर हनागांसनी
आ गयके।

हनागांसनी पहफाँ ज़णचतके हली इन्हभोनके दके शभकत्त वनीरहों कभो एकबत्रत ककयना और जब बब्रितनातनयहों ककी सकेनना हनागांसनी
हभोकर ददल्लली पर धनावना बभोलनके जना रहली थनी, तब उस पर हमलना ककयना और उसके भनारली हनातन पहणफाँचनाई।
हणकणमचगांद व इनकके सनाधथयभो कके पनास जभो यणद्ध सनामगनी थनी वह अत्यगांत थभोडनी थनी, हधथयनार भनी सनाधनारण
ककस्म कके थके, दभ
ण नार्वग्य सके कजस बनादशनाहली सहनायतना कना भरभोसना इन्हहोंनके ककयना थना वह भनी नहली पहणफाँचनी,
कफ़र भनी इनकके नकेतत्त व मम जभो वनीरतनापपणर्व सगांघरर्व हणआ वह एक लमशनाल हबै । इस घटनना सके यके
हतभोत्सनादहत नहलीगां हणए, अपपतण बब्रितनातनयहों कभो परनास्त करनके कके उपनाय खभोजनके लगके।

लनालना हणकणमचगांद जनी व उनकके सनाथनी लमजनार्व मणननीर बकेग नके गणप्त रुप सके एक पत्र फ़नारसनी भनारना मम
मणगल समनाट कभो ललखना, (कहना जनातना हबै कक यह पत्र खपन सके ललखना गयना थना) कजसमम उन्हम बब्रितनातनयहों
कके पवरुद्ध सगांघरर्व मम पपणर्व सहनायतना कना पवश्वनास ददलनायना, सनाथ हली बब्रितनातनयहों कके पवरुद्ध अपनके घण
त ना कके
भनाव व्यकत्त ककयके थके और अपनके ललयके यणद्ध सनामगनी ककी मनागांग ककी थनी। हणकणमचगांद जनी मणगल समनाट
कके उत्तर ककी प्रतनीक्षना करतके हणए हनागांसनी कना प्रबन्ध स्वयगां सम्हनालनके लगके। ककन्तण ददल्लली सके पत्र कना
उत्तर हली नहलीगां आयना। इसनी बनीच ददल्लली पर बब्रितनातनयहों नके अधधकनार कर ललयना और मणगल समनाट्
धगरफ़्तनार कर ललयके गयके।

15 नवम्बर 1857 कभो व्यककतगत फ़नाइलहों ककी जनागांच कके ददौरनान लनालना हणकणमचगांद और लमजनार्व मन ण नीर बकेग
कके हस्तनाक्षरहों वनालना वह पत्र बब्रितनातनयहों कके हनाथ लग गयना। यह पत्र ददल्लली कके कमनीश्नर श्रनी सनी.एस.
सडडसर्व नके दहसनार कके कलमश्नर श्रनी नव कनाटर्व लबैन्ड कभो भकेज ददयना और ललखना ककी - घ ज़इनकके पवरुद्ध
कठभोर कनायर्ववनाहली ककी जनायकेङ।

पत्र प्रनाप्त हभोतके हली कलकेकटर एक सबैतनक दस्तके कभो लकेकर हनागांसनी पहफाँ ज़णचके और हणकणमचगांद और लमजनार्व
मणननीर बकेग कके मकनानहों पर छनापके मनारके गयके। दभोनहों कभो धगरफ़्तनार कर ललयना गयना, सनाथ मम हणकणमचगांद
जनी कके 13 वरर्शीय भतनीजके फ़ककीर चगांद कभो भनी धगरफ़्तनार कर ललयना गयना। दहसनार लनाकर इन पर
मणकदमना चलना, एक सरसरली व ददखनावटली कनायर्ववनाहली कके बनाद 18 जनवरली 1858 कभो दहसनार कके मकजस्ट्रके ट
जडन एककगां सन नके लनालना हणकणमचगांद और लमजनार्व मणननीर बकेग कभो फ़नागांसनी ककी सजना सणनना दली। फ़ककीर चगांद
कभो मणकत कर ददयना गयना।

19 जनवरली 1858 कभो लनालना हणकणमचगांद और लमजनार्व मणननीर बकेग़ कभो लनालना हणकणमचगांद कके मकनान कके
सनामनके फ़नागांसनी दके दली गई। कपरतना और परनाकनाष्ठना तभो तब हणई जब लनालना जनी कके भतनीजके फ़ककीर चगांद
कभो, कजसके अदनालत नके बरली कर ददयना थना, जबरदस्तनी पकड़ कर फ़नागांसनी कके तख्तके पर लटकना ददयना
गयना। बब्रितनातनयहों ककी कभोधनाकग्न इतनके सके भनी शनान्त नहलीगां हणई। धनालमर्वक भनावननाओगां कभो ठके स पहफाँ ज़चण नानके
कके ललयके बब्रितनातनयहों नके इनकके ररश्तकेदनारहों कभो इनकके शव अकन्तम सगांस्कनार हके तण नहलीगां ददयके गयके, बकल्क
इनकके शवभो कभो इनकके धमर्व कके पवरुद्ध दफ़ननायना गयना। बब्रितनातनयहों नके लनालना जनी ककी सम्पकत्त कभो
कदौडड़यहों कके भनाव ननीलनाम कर ददयना थना।

10. अमरिचक्रांद बकक्रांठठियक

ग्वनाललयर रनाज्य कके कभोरनाध्यक्ष अमर शहलीद अमरचगांद बनागांदठयना ऐसके दके शभकत महनापणरुरहों मम सके थके,
कजन्हहोंनके 1857 कके महनासमर मम जपझ कर कनागांततवनीरहों कभो सगांकट कके समय आधथर्वक सहनायतना दके कर
मणककत-सगांघरर्व कके इततहनास मम अपनना ननाम अमर कर ललयना।

अमरचगांद बनागांदठयना मम धमर्वतनष्ठना, दनानशनीलतना, सकेवनाभनावनना, ईंमनानदनारली, कतर्वव्यपरनायण्तना आदद गण



जन्मजनात हली थके, यहली कनारण थना कक लसकन्धयना रनाज्य कके पभोद्धनार श्रनी वपत द्धचगांद सगांचकेतनी, जभो जबैन समनाज
कके अध्यक्ष भनी थके, नके अमरचगांद कभो ग्वनाललयर रनाज्य कके प्रधनान रनाजकभोर गगांगनाजलली कके कभोरनालय पर
सदर मणननीम ( प्रधनान कभोरनाध्यक्ष ) बनवना ददयना।

अमरचगांद बनागांदठयना इस खजनानके कके रक्षक हली नहलीगां ज्ञनातना भनी थके। सकेनना कके अनकेक अधधकनाररयहों कना
आवनागमन कभोरनालय मम प्रनायनः हभोतना रहतना थना। बगांज़नादठयना जनी कके सरल स्वभनाव और सनादगनी नके
सबकभो अपननी ओर आकपरर्वत कर ललयना थना। चचनार्व-प्रचचनार्व मम बब्रितनातनयहों द्वनारना भनारतवनालसयहों पर
ककयके जना रहके अत्यनाचनारहों ककी भनी चचनार्व हभोतनी थनी। एक ददन एक सकेननाधधकनारली नके कहना कक आपकभो भनी
भनारत मनाफाँ कभो दनासतना सके मक
ण त करनानके कके ललयके हधथयनार उठना लकेनना चनादहयके। बगांज़नादठयना जनी नके कहना-
भनाई अपननी शनारररलीक पवरमतनाओगां कके कनारण मम हधथयनार तभो नहलीगां उठना सकतना पर समय आनके पर
ऐसना कनाम करुगां गना, कजससके कनागांतत कके पज
ण नाररयहों कभो शककत लमलकेगनी और उनकके हदौसलके बल
ण न्द हभो
जनावम गके।

तभनी 1857 ककी कनागांतत कके समय महनारनाननी लक्ष्मनीबनाई उनकके सकेनना ननायक रनाव सनाहब और तनागांत्यना टभोपके
आदद कनागांततवनीर ग्वनाललयर कके रणक्षकेत्र मम बब्रितनातनयहों कके पवरुद्ध डटके हणए थके, परन्तण लक्ष्मनीबनाई कके
सबैतनकहों और ग्वनाललयर कके पवद्रभोहली सबैतनकहों कभो कई मनाह सके वकेतन नहलीगां लमलना थना, न दह रनाशन पनाननी
कना समणधचत प्रबन्ध हभो सकना थना। तब बगांज़नादठयना जनी नके अपननी जनान ककी परवनाह न करतके हण ए
कनागांततकनाररयहों ककी मदद ककी और ग्वनाललयर कना रनाजकभोर लक्ष्मनीबनाई कके सगांककेत पर पवद्रभोदहयहों कके हवनालके
कर ददयना।
ग्वनाललयर रनाज्य मम सम्बकन्धत 1857 कके महत्त्वपण
प र्व दस्तनावकेज रनाष्ट्रलीय अलभलकेखनागनार, नई ददल्लली,
रनाजककीय अलभलकेखनागनार, भभोपनाल आदद मम उपलब्ध हबै । डना. जगदलीश प्रसनाद शमनार्व, भनारतनीय इततहनास
अनस
ण गांधनान परररद्, नई ददल्लली कके इन दस्तनावकेजहों और अनकेक सरकनारली ररकभोडर्डों कके आधनार पर
पवस्तत
त पववरण घ ज़अमर शहलीदङ अमरचगांद बनागांदठयना पस्
ण तक मम प्रकनालशत ककयना हबै , कजसकके अनस
ण नार-
1857 मम कनागांततकनारली सकेनना जभो बब्रितनाननी सत्तना कभो दके श सके उखनाड़ फ़मकनके हके तण कदटबद्ध हभोकर ग्वनाललयर
पहगां ज़णचनी थनी, रनाशन पनाननी कके अभनाव मम उसककी कस्थतत बडनी हली दयननीय हभो रहली थनी। सकेननाओगां कभो
महलीनहों सके वकेतन प्रनाप्त नहलीगां हणआ थना। 2 जपन 1858 कभो रनाव सनाहब नके अमरचगांद बनागांदठयना कभो कहना कक
उन्हम सबैतनकहों कना वकेतन आदद भणगतनान करनना हबै , कयना वके इसमम सहयभोग करके गके अथवना नहलीगां?
तत्कनाललन पररकस्थततयहों मम रनाजककीय कभोरनाग़नार कके अध्यक्ष अमरचगांद बनागांदठयना कना तनणर्वय एक
महत्त्वपपणर्व तनणर्वय थना, उन्हहोंनके वनीरनागांगनना लक्ष्मनीबनाई ककी कनागांततकनारली सकेननाओ कके सहनायतनाथर्व एक ऐसना
सनाहलसक तनणर्वय ललयना कजसकना सनीधना सना अथर्व उनकके अपनके जनीवन ककी आहणतत सके थना। अमरचगांद
बनागांदठयना नके रनाव सनाहब कके सनाथ स्वकेच्छनापपवक
र्व सहयभोग ककयना तथना रनाव सनाहब प्रशनासतनक
आवश्यकतनाओगां ककी पपततर्व हके तण ग्वनाललयर कके रनाजककीय कभोरनागनार सके समपचनी धन रनालश प्रनाप्त करनके मम
सफ़ल हभो सकके। समट्रल इगांडडयना ऐजमसनी आकफ़स मम ग्वनाललयर रके जनीडकेसज़ज़गां नानी ककी एक फ़नाइल मम उपलब्ध
पववरण कके अनणसनार- 5 जपन 1858 कके ददन रनाव सनाहब रनाजमहल गयके तथना अमरचगांद बनागांदठयना सके
गगांगनाजलली कभोर ककी चनाबबयना लकेकर उसकना दृश्यनावलभोकन ककयना। तत्पश्चनात दस प रके ददन जब रनाव सनाहब

बडके सवकेरके हली रनाजमहल पहणगांचके तभो अमरचगांद उनककी अगवनाननी कके ललयके मदौजपद थके। गगांगनाजलली कभोर सके
धनरनालश लकेकर कनागांततकनारली सबैतनकहों कभो 5-5 मनाह कना वकेतन पवतररत ककयना गयना।

महनारनाननी बबैजनाबनाई ककी सकेननाओ कके सन्दभर्व मम भनी ऐसना हली एक पववरण लमलतना हबै । जब नरबर ककी
बबैजनाबनाई ककी फ़दौज सगांकट ककी कस्थतत मम थनी, तब उनकके फ़दौजनी भनी ग्वनाललयर आकर अपनके अपनके घभोडके
तथना 5 महलीनके ककी पगनार लकेकर लदौट गयके। इस प्रकनार बनागांदठयना जनी कके सहयभोग सके सगांकट-गस्त फ़दौजभो
नके रनाहत ककी सनागांस लली। अमरचगांद बनागांदठयना सके प्रनाप्त धनरनालश सके बनाककी सबैतनकहों कभो भनी उनकना वकेतन
दके ददयना गयना। दहस्ट्रली आफ़ दली इगांडडयन म्यपदटननी, भनाग दभो कके अनणसनार भनी अमरचगांद बनागांदठयना कके
कनारण हली कनागांततकनारली नकेतना अपननी सकेननाओ कभो पगनार तथना गकेच्यणटली कके भणगतनान कके रुप मम पणरस्कतत
कर सकके थके।

उपयक
णर्व त पववकेचन सके यह स्पष्ट हबै कक 1857 ककी कनागांतत कके समय यदद अमरचगांद बगांज़नादठयना नके
कनागांततवनीरभो ककी इस प्रकनार आधथर्वक सहनायतना न ककी हभोतनी तभो उन वनीरहों कके सनामनके कबैसनी कस्थतत हभोतनी,
इसककी कल्पनना नहली ककी जना सकतनी। कनागांततकनारली सकेननाओगां कभो कनाफ़की समय सके वकेतन नहली लमलना थना,
उनकके रनाशन पनाननी ककी भनी व्यवस्थना नहली हभो रहली थनी। इस कनारण तनश्चय हली कनागांततकनाररयहों कके सगांघरर्व
मम क्षमतना,सनाहस और उत्सनाह ककी कमनी आतनी और लक्ष्मनी बनाई, रनाव सनाहब व तनागांत्यना टभोपके कभो सगांघरर्व
जनारली रखनना कदठन पड जनातना। यधपप बनागांदठयना जनी कके सनाहलसक तनणर्वय कके पनीछके उनककी अदम्य दके श
भककत कक भनावनना तछपनी हणई थनी, परन्तण अगांगकेजनी शब्दकभोर मम तभो इसकना अथर्व थना दके शद्रभोह यना रनाजद्रभोह
और उसकना प्रततफ़ल थना सजना ए मदौत।

अमरचगांद बनागांदठयना सके प्रनाप्त इस सहनायतना सके कनागांततकनाररयहों कके हदौसलके बल


ण गांद हभो गयके और उन्हहोंनके
बब्रितनातनयहों ककी सकेननाओ कके दनागांत खट्टिके कर ददयके और ग्वनाललयर पर कब्जना कर ललयना। बदौखलनायके हणए
ह्यपरभोज नके चनारभो ओर सके ग्वनाललयर पर आकमण ककी यभोजनना बननाई।

यभोजननानस
ण नार ह्यरप भोज नके 16 जपन कभो मभोरनार छनावननी पर परण ली शककत सके आकमण ककयना। 17 जपन कभो
बब्रिगकेडडयर कस्मथ सके रनाव सनाहब व तनागांत्यना टभोपके कना कड़ना मणकनाबलना हणआ। लक्ष्मनीबनाई इस समय
आगरना ककी तरफ़ सके आयके सबैतनकहों सके मभोचनार्व लके रहली थनी। दस प रके ददन कस्मथ नके पपरली तबैयनारली सके कफ़र
आकमण ककयना। रनाननी लक्ष्मनीबनाई नके अपननी दभो सहनायक सहके ललयहों कके सनाथ पणरुरहों ककी वकेश-भपरना ककी
कमनान सगांभनालली। यणद्ध तनणनार्वयक हणआ, कजसमम रनाननी कभो सगांगनीन गभोलली एवगां तलवनार सके घनाव लगके तथना
उनककी सहके लली ककी भनी गभोलली सके मत्त यण हभो गयनी। यधपप आकमणकत्तनार्वओगां कभो भनी रनाननी कके द्वनारना मदौत
कके घनाट उतनार ददयना गयना। ककन्तण घनावहों सके वके मणतछर्व त हभो गई। सनाधथयहों द्वनार उन्हम पनास हली बनाबना
गगांगनादनास कके बगनीचके मम लके जनायना गयना, जहनागां वके वनीरगतत कभो प्रनाप्त हणई। शनीघ्र हली उनकना तथना सहके लली
कना दनाह सगांस्कनार कर ददयना गयना।

लक्ष्मनीबनाई कके इस गदौरवमय ऐततहनालसक बललदनान कके चनार ददन बनाद हली 22 जपन 1858 कभो ग्वनाललयर
मम हली रनाजद्रभोह कके अपरनाध मम न्यनाय कना ढभोगज़ज़गां ना रचकर लश्कर कके भनीड़ भरके सरनार्वफ़ना बनाजनार मम
बब्रिगकेडड़यर नबैपपयर द्वनारना ननीम कके पकेड सके लटकनाकर अमरचगांद बनागांदठयना कभो फ़नागांसनी दके दली गई।

बनागांदठयना जनी ककी फ़गांज़नासनी कना पववरण ग्वनाललयर रनाज्य कके दहस्टभोररकल ररकनाडर्व मम उपलब्ध दस्तनावकेज
कके आधनार पर इस प्रकनार हबै - कजन लभोगहों कभो कठभोर दगां ड ददयना गयना उनमम सके एक थना लसकन्धयना कना
खजनागांचनी अमरचगांद बनागांदठयना, कजसनके पवद्रभोदहयभो कभो खजनानना सनागांज़बैप ददयना थना। बनागांदठयना जनी कभो सरनार्वफ़ना
बनाजनार मम ननीम कके पकेड़ सके टनागांगकर फ़नागांसनी दली गई और एक कठभोर चकेतनावननी कके रुप मम उसकना शरलीर
बहणत ददनहों (3 ददन) तक वहलीगां लटकनायके रखना गयना।

इस प्रकनार इस जबैन शहलीद नके आजनादली ककी मशनाल जलनायके रखनके कके ललए कणबनार्वननी दली, कजसकना
प्रततफ़ल हम आजनादली कके रुप मम भभोग रहके हह। ग्वनाललयर कके सरनार्वफ़ना बनाजनार मम वह ननीम आज भनी हबै ।
इसनी ननीम कके ननीचके अमरचगांद बनागांदठयना कना एक स्टके च्यप हनाल हली मम स्थनापपत ककयना गयना हबै ।

11. झवपेरि भकई पटपे ल


ग़ज
ण रनात मम सरदनार वल्लभभनाई कके पपतना झवकेर भनाई उत्तर भनारतजनाकर स्वनातगांत्र्य सगांगनाम मके भनाग लके
चणकके थके। ग़ज
ण रनात कके करलीब-करलीब सभनी भनागहों मम बब्रितनातनयहोंज़म और उनककी शभोरणकनारली, अत्यनाचनारली
ननीततयहों कके पवरभोध मम प्रजना कना गस्
ण सना अन्दर पनप रहना थना। बब्रितनाननी अधधकनारली जभो ग़ज
ण रनात पर
तनगनाह रखके थके वके अपनके पववरणहों मम कह चक
ण के थके कक ग़ज
ण रनात मम आम जनतना कके पवलभन्न तबकनागांज़के
मम रभोर बढ़तना जना रहना थना। सबमगांज़म यह भनावनना बनार-बनार उठ रहली थनी कक बब्रितनातनयहोंज़म कके, अत्यनाचनारहों
सके मणकत हभोनना जरुरली हबै , और अब सहनना कदठन हबै । सरप त कके लभोगहों नके 1844 और 1848 मम नमक
ककी चगांणगनी पर भनारली आगांदभोलन ककयना थना। तनीन ददनहों तक यह आगांदभोलन चलना थना। ग़ज
ण रनात कके छभोटके -
मभोटके रनाजना बब्रितनातनयहोंज़म कके सनाथ थके। बब्रितनातनयहोंज़म ककी उनकके सनाथ सगांधधयनाफाँ थनी। प्रजना इन रनाजनाओगां सके
भनी उकतना गई थनी। उत्तर भनारत कके लभोग़हों नके, सकेनना कके भनारतनीय लसपनाहयहों नके बब्रितनातनयहोंज़म कके सनामनके
हधथयनार उठना ललए थके। इन समनाचनारहों सके गणजरनात ककी आम जनतना भनी पव द्रभोह कके ललए तबैयनार कभो
गई थनी।

12. जटोधक मकणपेक


13. बकपस मकणपेक
14. भटोजक मकणपेक
15. रिपे वक मकणपेक
16. रिणमल मकणपेक
17. ददीपक मकणपेक

सदौरनाष्ट्र मम ओखना मगांडल कके रुप मम एक अच्छना खनासना रनाज्य थना। उसकके बकेट स्थनान पर बब्रितनातनयहोंज़म
कके सनाथ 1803 कके झगड़के मम वहनाफाँकके रनाजना ननारनाणजनी मनारके गए। 1804 मम यहनाफाँ कके वनाघकेरहों नके ओखना कके
एक जहनाज कभो लट प लयना थना। बब्रितनातनयहोंज़म कभो बहणत कभोध आयना और उन्हभोनगांज़के एक यद्ध ण जहनाज कभो
लड़नाई कके ललए भकेजना, पर कभोई नतनीजना नहलीगां तनकलना। बब्रितनाननी इन वनाघकेरहों सके लड़नाई करतके रहके और
अगांत मम इन प्रदके श कभो रनाजना गनायकवनाड़ कभो सदौप ददयना।

वनाघकेरहों मम पणरनानना अगांसतभोर तभो थना हली उत्तर भनारत मम बब्रितनातनयहोंज़म कभो भगनानके ककी बनात यहनाफाँ भनी
पहफाँ ज़णचनी और वनाघकेरहों कके रनाजना जभोधना मनाणकेक नके बब्रितनातनयहोंज़म कके पवरुद्ध लड़नाई छके ड़ दली। ओखना मगांडल
कके अनकेक स्थनानहों पर लड़नाई शणरु हभो गई। बब्रितनाननी फ़दौज उन्हम दबनानके और मनारनके कके ललए वनाघकेर लभोग
आस-पनास कके पहनाड़हों और जगांगलभो मम तछप गए। कफ़र 1848 मम अलग- अलग गनाफाँवहों कके वनाघकेर इकठना
हणए। इन मम जभोधना मनाणकेक, बनापप मनाणकेक, भभोजना मनाणकेक, रके वना मनाणकेक, रणमल मनाणकेक, दलीपना मनाणकेक
आदद वनीर उपकस्थत थके। सबनके तनणर्वय ललयना कक लड़कर अपनना प्रदके श जनीत लकेगम। बब्रितनातनयहोंज़म ककी
सकेनना नके अनकेक बनार आकमण ककएपर वनाघकेरहों पर पवजय नहलीगां पना सकम। रनाजना गनायकवनाड़ नके उनसके
सणलकेह-सगांधध करननी चनाहली पर सल
ण केह नहलीगां हभो सककी। मल
ण प मनाणकेक नके द्वनारकना पर चढ़नाई ककी और जनीत
हनालसल ककी। बकेट द्वनारकना भनी अगलके सनात ददनहों मम जनीत ललयना। इस तरह सनारके ओखना मगांडल पर
वनाघकेरहों कना आधधपत्य स्थनापपत हभो गयना। बब्रितनाननी सकेननाऔर गनायकवनाड़ हनार गए थके।

18. सजैयद अलदी

ननागांदभोद मम 1857 मम सबैयद अलली नके बब्रितनातनयहोंज़म कके सनामनके बगनावत कर दली। उसनके 300-400 लभोगहों कभो
एकत्र कर लड़नाई शणरु कर दली। बब्रितनाननी सकेनना उन्हम दबनानके कके ललए भकेजनी गई पर सबैयद अलली अपनके
सनाधथयहों कके सनाथ रनाजपनीपलना कके जगांगलहों मम चलके गए।

19. ठिककबरि सरिस जमल

डनाकभोर कके ठनाकणर सपरजमल नके लणणनावनाड़ना पर अपनना आधधपत्य स्थनापपत करनके कके ललए 1857 मम
लणणनावनाड़ना कके रनाजना पर आकमण कर ददयना। रनाजना नके बब्रितनातनयहोंज़म कना सहनारना लयना। सपरजमल गभोधरना
कके पनास पनाल गनागांव कके ठनाकणर कनानदनास कके पनास गयना उसनके उसके आश्रय ददयना। बब्रितनाननी सकेनना नके सनारके
गनागांव पर आकमण कर उसके फ़पफाँक डनालना। इसनी तरह खनानपणर, कनानभोररयना, दब
ण नारना गनागांवहों कके लभोगहों कभो
आग लगना कर जलना ददयना। पगांचमहल कके सगांखकेड़ना कके ननायकदनास नके भनी पवद्रभोह कना झगांडना उठनायना और
रुपनाननायक तथना ककेवल बकेट्स ककी सकेनना पर आकमण कर ददयना। इसमम मणसलमनानहों नके सनाथ ददयना।
उन्हभोनके चनागांपनानकेर और नरुकभोट कके बनीच कके प्रदके श कभो मणकत कर ददयना। बब्रितनातनयहोंज़म नके दभो वरभोरज़ कके
सगांघरर्व कके पश्चनात इनभनीलहों पर कनाबप पनायना। भनीलहों, कभोललयहों और अन्य पपछड़नी जनाततयहों ककी स्वतगांत्रतना
ककी भनावनना ककी मशनाल अगांयत्र लमलनना दल
ण भ
र्व हबै ।

20. गरिबड़दकस
21. मगनदकस वकणणयक
22. जपेठिक मकधव
23. बकपस गकयकवकड़
24. तनहकलचक्रांद जवपेरिदी
25. तिटोरिदकन खकन
उत्तर भनारत मम कनाकन्त कक ज्वनालना जल रहली थनी उसके व्यककतगत रुप सके आणगांद कके गरबड़दनास आर
जनीवनाभनाई ठनाकभोर नके, पनाट्ण कके मगनदनास वनाखणयना नके, पवजनापणर कके जकेठना मनाधव नके, बड़दौदना कके बनापप
गनायकवनाड़ और तनहनालचगांद जवकेरली नके, दनाहभोद कके तभोरदनान खनान, चणन्ननीलनाल, द्वनाररकनादनास नके गणजरनात मम
प्रजना कके पनास जनाकर कनाकन्त प्रज्जवललत करनके कना प्रयनास ककयना थना। इन लभोगहों नके अगांगकेजहों कके
पवरभोध मम गनाफाँव- गनाफाँव मम इकटठना हभोकर कनाकन्त ककी मशनाल कभो प्रज्जवललत रखना, इससके कणपपत हभोकर
अगांगकेजहों नके गणजरनात कके तकरलीबन एक सदौ गनाफाँवहों मम आग लगनाकर उन्हम नष्ट कर ददयना थना। 10 हजनार
सके अधधक लभोग इन सगांगनामभो मम मनारके गए थके। गज
ण रनात कके सनामनान्य ककसनानहों नके, कनारलीगरहों नके इन
छभोटली-छभोटली पर महत्त्वपण
प र्व लड़नाइयहों मम गां अगांगकेजहों कके रनाज कके प्रतत अपननी घण
त ना, ततरस्कततत और
व्यनापक रभोर कभो मणखररत ककयना। इस कनाकन्त ककी पहलली ज्वनालना मम आददवनासनी, ककसनान, सनामनाकजक
दृकष्ट सके पपछड़नी हणई जनाततयहों सके लकेकर समनाज कके उच्चतम वगर्डों कना सहयभोग लमलना थना और कनाकन्त
ककी पहलली ज्वनालना 1847 सके 1865 तक चलली थनी। गज ण रनात मम भनी कनाकन्त ककी मशनाल प्रज्जवललत हभो
उठछी थनी। पवशकेरतयना आददवनासनी गनाफाँवहों कके उन ककसनानहों, मजदरप हों और कनारलीगरहों कभो मनारनके मम अगांगकेजहों
नके कभोई कसर नहलीगां रखनी, कजन्हभोनम अगांगकेजहों कके शनासन कके पवरुद्ध आवनाज उठनाई थनी।इन वनवनासनी
आददवनासनी पवस्तनारहों मम पनालधचतररयना और मनानगढ़ ककी तनदर्षोर मदहलनाओगां कभो उनकके बनालकहों कके सनाथ
अगांधनाधणगांध गभोललयनाफाँ चलनाकर जनान सके मनार डनालना। इन तनह्त्थहों पर यह असह्य अत्यनाचनार थना। भनारत
कके इततहनास मम इनकके बललदनाननागांज़केककी यनाद मम स्मनारकहों ककी रचनना हभोननी चनादहए। तनाजनापणर मम भनी ऐसना
हली बललदनान, समपर्वण ककी गनाथना कना स्मनारक बननायना गयना हबै ।

26. उदमचरिकम

ददल्लली सके सभोननीपत जनानके वनालली सड़क कके मभोड़ पर कणछ नदौजवनान इस प्रतनीक्षना मम खड़के थके कक यदद
यहनाफाँ सके बब्रितनाननी लभोग तनकलम तभो उनकना लशकनार ककयना जनाए। वके 1857 ककी कनागांतत कके ददन थके और
बब्रितनाननी लभोग पररवनार कके सनाथ जहनाफाँ सणरकक्षत स्थनान लमलतना, वहनाफाँ शरण लकेतके थके। सभोननीपत मम उन
लभोगहों कना कह प लगना हणआ थना और बहणधना हली इककके-दक
ण कके बब्रितनाननी पररवनार ऊफाँट-गनाडड़यहों मम सवनार
हभोकर ददल्लली सके सभोननीपत ज़नायना करतके थके।

इसनी सड़क सके थभोड़ना हटकर ललबनासपरण ननाम कना एक छभोटना-सना गनाफाँव थना। इस गनाफाँव मम जनाट लभोग
रहतके थके। उदमनीरनाम इसनी गनाफाँव कके नदौजवनान थके। वह दके खनके मम सगांद
ण र और शरलीर सके पष्ण ट थके उन्हहोंनके
अपनके हली जबैसके कसरतनी नदौजवनानहों कना एक दल बनना रखना थना और बब्रितनातनयहोंज़म सके बदलना लकेनके कके
ललए जभो खकेल रचना थना, वह यहली थना कक इककके-दक
ण कके बब्रितनातनयहोंज़म कभो पकड़-पकड़कर वके एकनागांत मम
जनाकर उन्हम समनाप्त कर ददयना करतके थके।

एक ददन जब उदमनीरनाम और उनकके सनाथनी लशकनार ककी प्रतनीक्षना मम थके तभो एक ऊफाँट गनाड़नी उन्हम आतनी
ददखनाई दली। उन्हहोंनके गनाड़नी कभो रभोकना। उसमम एक बब्रितनाननी दगां पतनी थना। उन लभोगहों नके बब्रितनाननी कभो तभो
एकनागांत मके जनाकर समनाप्त कर ददयना, पर भनारतनीय आदके श कके अनणसनार उस बब्रितनाननी मदहलना कभो उन्हहोंनके
ललबनासपणर गनाफाँव मम लके जनाकर एक घर कके अगांदर बगांद कर ददयना और उनककी दके खरके ख कके ललए एक
ब्रिनाह्मण जनातत ककी मदहलना कभो तनयक
ण त कर ददयना। बब्रितनाननी मदहलना कभो गनाफाँव मके रखनके कना समनाचनार
इधर-इधर फबैलनके लगना। पनास कके गनाफाँव रनाठधनना कके एक तनवनासनी सनीतनारनाम कभो जब इस घटनना कना
पतना चलना तभो वह यकण कत लगनाकर ललबनासपरण कके उस घर तक पहणफाँच गए, कजसमम वह बब्रितनाननी मदहलना
रखनी गई थनी। बब्रितनाननी मदहलना नके उस ब्रिनाह्मण जनातत ककी मदहलना और सनीतनारनाम सके कहना कक यदद वके
उन्हम सभोननीपत कके कह प तक पहणफाँचना दम तभो वह उन लभोगहों कभो बहणत सके परण स्कनार ददलनाएगनी। रनात हभोनके
पर उन लभोगहों नके एक बबैलगनाड़नी कना प्रबगांध करकके उस बब्रितनाननी मदहलना कभो सभोननीपत कह प पहणफाँचना ददयना।

वके ददन तभो बब्रितनातनयहों ककी परनाजय कके ददन थके। जब उनकना पलड़ना भनारली हणआ और ददल्लली तथना
आस-पनास कके क्षकेत्र पर उनकना पणन: अधधकनार हभो गयना तभो उस बब्रितनाननी मदहलना ककी सच
प नना पर बब्रितनाननी
सकेनना कके एक दल नके ललबनासपणर गनाम कभो घकेर ललयना। उदमनीरनाम और उनकके सनाधथयहों नके सभोचना कक
समपर्वण करकके बब्रितनातनयहों कके हनाथहों फनाफाँसनी चढ़नके कके स्थनान पर यह अच्छना हभोगना कक हम लभोग यणद्ध
करतके हणए वनीरगतत प्रनाप्त करम । बनात पकककी हभो गई। उन लभोगहों कके पनास बगांदक प म आदद तभो थनीगां हली नहलीगां,
सभनी लभोग गनामनीण हधथयनार, जबैसके बल्लम, भनालके, फरसके, कणल्हनाडड़यनाफाँ और गफाँड़ना सके लकेकर बब्रितनाननी सकेनना
पर टपट पड़के। जनी-जनान सके यणद ककयना। कणछ सबैतनकहों कभो मनार धगरनानके मम उन्हहोंनके सफलतना भनी प्रनाप्त
ककी, पर गनामनीण हधथयनारहों सके वके सणसकज्जत बब्रितनाननी सकेनना कके सनामनके कब तक दटकतके। उसमम भनी कणछ
लभोग मनारके गए और शकेर धगरफ़्तनार कर ललए गए।

बब्रितनाननी सबैतनकहों नके पपरके गनाफाँव कभो लपटना और मदहलनाओगां कके गहनके उतनारके । कई गनाडड़यहों मम भरकर वके
लपट कना मनाल लके गए। बब्रितनातनयहों कके भकत, दके शद्रभोहली सनीतनारनाम नके अपरनाधधयहों कभो पहचनाननके ककी
भपलमकना तनभनाई कजन व्यककतयहों कभो धगरफ़्तनार ककयना गयना थना, उन्हम रनाई स्थनान पर बब्रितनातनयहों कके
कह प मम लनायना गयना और कणछ लभोगहों कभो पत्थर कके ननीचके तथना भनारली-कभोल्हणओगां कके ननीचके दबना-दबनाकर
मनार डनालना गयना। उदमनीरनाम कभो एक पनीपल कके वक्ष
त सके बनाफाँध ददयना गयना। जब तक वह जनीपवत रहके ,
उन्हम खनानके-पनीनके कभो कणछ भनी नहलीगां ददयना गयना। पहतनीस ददन तड़प-तड़पकर वनीर उदमनीरनाम कके प्रनाण
तनकलके। बब्रितनातनयहों ककी नश
त गांसतना और एक वनीर कके बललदनान कना यह उदनाहरण बकेजभोड़ हबै ।

27. ठिककबरि ककशटोरि ससक्रांह, रिघबनकथ रिकव

दहगांडभोररयना कके ठनाकणर ककशभोर लसगांह और उनककी पत्ननी कके बनीच वनातनार्वलनाप चल रहना थना। चचनार्व कना पवरय
यह थना कक कयना ठनाकणर ककशभोर लसगांह कभो बब्रितनातनयहों कके पवरुद्ध हधथयनार उठनानके चनादहए यना नहलीगां। चचनार्व
कना आरगां भ करतके हणए ठकणरनाइन नके कहना- हमनारके क्षकेत्र कके सभनी जनागनीरदनारहों नके बब्रितनातनयहों कके पवरुद्ध
हधथयनार उठनाकर न ककेवल अपनके शदौयर्व कना प्रदशर्वन ककयना हबै , अपपतण मनातभ त पलम कके प्रतत अपनके कतर्वव्यहों
कना पनालन भनी ककयना हबै । ककेवल आप हली हह जभो अभनी तटस्थ हह।

अपननी पत्ननी कके मगांतव्य कभो समझतके हणए ठनाकणर ककशभोर लसगांह नके कहनागां- मकेरके तटस्थ रहनके कना सबसके
बड़ना कनारण यह रहना हबै कक अभनी तक सहयभोग कके ललए मणझके ककसनी नके आमगांबत्रत हली नहलीगां ककयना।
इस पर उनककी पत्ननी नके कहना- पववनाहभोत्सवहों यना इसनी प्रकनार कके व्यककतगत आयभोजनहों मम तभो तनमगांत्रण
भकेजनके ककी प्रथना हभोतनी हबै , लकेककन सनावर्वजतनक दहत कके कनायर्डों मम तभो व्यककत कभो अपननी ओर सके हली
सहयभोग दके नना चनादहए। आप अपननी तटस्थतना अभनी भनी भगांग कर सकतके हह। आपकभो अककेलके हली
बब्रितनाननी सकेनना सके जपझ पड़नना चनादहए।

ठनाकणर ककशभोर लसगांह नके यहलीगां ककयना। उन्हहोंनके अपननी सकेनना कभो सगांगदठत करकके अपनके कज़लके दमभोह कके
मणख्यनालय पर कस्थत बब्रितनाननी सकेनना पर आकमण कर ददयना। दमभोह वतर्वमनान मम मघ्य प्रदके श कना एक
कजलना हबै । उस समय वह कगांपननी सरकनार कके अगांतगर्वत थना। ठनाकणर ककशभोर लसगांह ककी सकेनना नके 10 जणलनाई,
1857 कभो बब्रितनाननी सकेनना कभो परनास्त करकके दमभोह पर अतघकनार कर ललयना। दमभोह कके डडप्टली कलमश्नर
कभो भनागकर नरलसगांह पणर मम शरण लकेननी पड़नी।

एक छभोटके सके जनागनीरदनार कके हनाथहों परनाकजत हभोनना बब्रितनाननी सकेनना कके ललए बड़नी शमर्वननाक धटनना थनी। इस
परनाजय कना बदलना लकेनके कके ललए बहणत बड़नी सकेनना खड़नी ककी गई और 25 जणलनाई, 1857 कभो आकमण
करनके बब्रितनाननी सकेनना नके दमभोह कभो वनापस अपनके अधधकनार मम लकेनके मम सफलतना प्रनाप्त ककी। बब्रितनाननी
सकेनना नके अब ठनाकणर ककशभोर लसगांह ककी जनागनीर दहगांडभोररयना पर आकमण ककयना। ठनाकणर ककशभोर लसगांह
बब्रितनातनयहों कके हनाथ नहलीगां लग सकके। वके जगांगल मम तनकल गए। वह नरलसगांह जनीवन-भर जगांगल मम हली
रहके । बब्रितनातनयहों सके सगांधध करनके ककी बनात कभनी उनकके मन मम नहलीगां आई। ठनाकणरककशभोर लसगांह कके
सहयभोगनी और ककशनगगांज कके सरदनार रघणननाथ रनाव नके बब्रितनाननी सकेनना कके सनाथ यणद्ध जनारली रखना।
अगांततभोगत्वना वके धगरफ़्तनार कर ललए गए और बब्रितनातनयहों नके उन्हम फनाफाँसनी कके फगांदके पर झणलना ददयना।

28. ततिलकक मकखझच

बबहनार कके पवर्वतनीय प्रदके श मम सगांथनाल जनातत और बब्रितनाननी सकेनना कके बनीच भयगांकर लड़नाई चल रहली थनी।
सगांथनाल लभोग अपननी भपलम कभो बब्रितनातनयहों सके मणकत करनानके कके ललए लड़ रहके थके और बब्रितनाननी लभोग
सगांथनालली पवद्रभोदहयहों कभो कणचलकर पवर्वतनीय प्रदके श कभो अपनके अधधकनार मम लकेनके कके ललए लड़ रहके थके
सगांथनालली पवद्रभोदहयहों कके नकेतना थके ततलकना मनाफाँझनी और बब्रितनाननी सकेनना कना सगांचनालन कर रहना थना बब्रितनाननी
मकजस्टके रज़ ट कललीललहड।

बब्रितनाननी सकेनना ककतननी दरप हबै , यह दके खनके कके ललए वह बहणत ऊफाँचके तनाड़ कके वक्ष
त पर चढ गयना। उस
समय बब्रितनाननी सकेनना पनास हली झनाडड़यहों मम तछपनी हणई थनी। कललीवलहड नके ततलकना मनाफाँझनी कभो तनाड़ कके वक्ष

पर चढ़ना हणआ दके ख ललयना। कस्थतत कना लनाभ उठनानके कके ललए वके घभोड़के पर चढकर तनाड़ कके वक्ष
त ककी
ओर लपक पड़के। उनकना इरनादना थना कक पवद्रभोहली ततलकना कभो यना तभो जनीपवत धगरफ़्तनार कर ललयना जनाए
यना उन्हम मनार ददयना जनाए। उन्हहोंनके अपननी टणकड़नी कभो भनी पनीछके आनके कके ललए कहना। तनाड़ वक्ष
त कके ननीचके
पहणफाँचकर कललीवलहड नके ललकनारकर कहना- ततलकना तम
ण अपनना धनर
ण -बनाण दभो और वक्ष
त सके ननीचके
उतरकर हमनारके सनामनके समपर्वण कर दभो।

वनीर ततलकना नके अपननी जनाफाँघहों मम तनाड़ वक्ष


त कभो दबनाकर अपनके दभोनहों हनाथ मणकत कर ललए और कगांधके
पर टफाँ गना घनणर उतनारकर एक तनीर कललीवलहड कभो तनशनानना बननाकर छभोड़ ददयना। ततलकना कना तनीर
कललीवलहड ककी छनातनी मम गहरना घणस गयना। वह घभोड़के सके धगरकर छटपटनानके लगके। इस बनीच ततलकना
फणतर्शी कके सनाथ उतरके और बब्रितनाननी सकेनना कके आनके कके पहलके जगांगल मम पवललीन हभो गए।

बब्रितनाननी सकेनना जब घटननास्थल पर पहणफाँचनी तभो उसके अपनके अफ़सर कना शव हली हनाथ लगना। ततलकना
मनाफाँझनी छनापनामनार यणद्ध कना सहनारना लकेकर बब्रितनाननी सकेनना कके सनाथ यणद्ध करतके हणए मणगांगकेर, भनागलपणर और
परगनना ककी चप्पना-चप्पना भपलम कभो रसौंद रहके थके।

बब्रितनाननी सकेनना नके सर आथर्वर कपट कके नकेतत्त व मम ततलकना कभो फफाँसनानके कके ललए अपननी चनालनाककी कना जनाल
बबछनायना। सकेनना नके कणछ ददन कके ललए बबद्रभोदहयहों कना पनीछना करनना बगांद कर ददयना। ततलकना और उनकके
सनाधथयहों नके सभोचना कक बब्रितनाननी सकेनना तनरनाश हभोकर पलनायन कर गई हबै । पवद्रभोहली सगांथनाल पवजयभोत्सव
मननानके मम ललीन हभो गए। रनाबत्र कभो खनीब नत्त य गनान हणआ। कजस समय सगांथनाल पवजयभोत्सव मननानके मम
ललीन हभो गए। रनाबत्र कभो तछपनी हणई बब्रितनाननी फ़दौज नके उन लभोगहों पर ज़भोरदनार आकमण कर ददयना। बहणत
सके सगांथनालली वनीर यना तभो मनारके गए यना बगांदली बनना ललए गए। बड़नी मकण श्कल सके उनकके नकेतना ततलकना
मनाफाँझनी और उनकके कणछ सनाथनी तनकलनके मम सफल हभो गए। वह पवर्वत श्रगांख
त लना मम तछप-तछप कर यद्ध

करनके लगके।

तनरगां तर पनीछना हभोनके कके कनारण ततलकना कके सनाधथयहों ककी सगांख्यना कम हभोतनी जना रहली थनी। उन्हम खनाद्य
सनामगनी भनी नहलीगां लमल रहली थनी। ततलकना और उनकके बचके हणए सनाथनी इस तनष्करर्व पर पहणफाँचके कक भपख
सके मरनके कके स्थनान पर तभो आमनके-सनामनके यणद्ध मम मरनना अच्छना रहके गना।

दृढ़ सगांकल्पनी ततलकना और उनकके सनाथनी एक ददन बब्रितनाननी सकेनना पर टपट पड़के। भयगांकर यद्ध ण हणआ।
सगांथनाल पवद्रभोदहयहों नके बहणत सके बब्रितनाननी सबैतनकहों कभो मनार धगरनायना। जनहनातन उठनाकर भनी बब्रितनाननी लभोग
ततलकना कभो धगरफ़्तनार करनके मम सफल हभो गए। अपननी हनातन और परनाजयहों कना बदलना लकेनके कके ललए
बब्रितनाननी सकेनना नके वनीर ततलकना कभो एक वट वक्ष
त सके लटकनाकर फनाफाँसनी दके दली। अपनके प्रदके श ककी आज़नादली
ककी लड़नाई लड़तके हणए वनीर ततलकना मनाफाँझनी स्वनाधनीनतना सगांगनाम कना पहलना शहलीद मनानके जनाएफाँगके। उसकके
कनायर्वकनाल कके नब्बके वरर्व पश्चनात ज़ सन ज़ 1857 कना स्वनाघनीनतना सगांगनाम तछड़ना।
ततलकना मनाफाँझनी कना जन्म बबहनार कके आददवनासनी पररवनार मम ततलकपरण मम हणआ थना। बचपन सके हली तनीर
चलनानके, जगांगलली कना लशकनार करनके, नददयहों कभो पनार करनके और ऊफाँचके-ऊफाँचके वक्ष
त हों पर चढ़नके मम कणशल हभो
गए थके। वह बब्रितनातनयहों चरना अपननी जनातत कना शभोरण सहन नहलीगां कर पनातके थके। उन्हहोंनके सगांकल्प कर
ललयना थना कक वह बब्रितनातनयहों कके सनाथ यद्ध
ण करम गके। वनीर ततलकना नके अपनके सगांकल्प कभो परप ना करनके कके
ललए आज़नादली ककी बललवकेदली पर अपनके प्रनाणहों ककी भम ट चढ़ना दली।

29. दपे वच ससक्रांह, सरिजस प्रसकद ससक्रांह


जबलपरण कके उत्तर मम उस समय एक जनागनीर थनी, कजसकना ननाम पवजयरनाघवगठ थना। पहलके
पवजयरनाघवगठ और मबैहर एक हली शनासक कके अधनीन थके। जब जनागनीर कना बफाँटवनारना दभो भनाइयहों मम
हणआ तभो एक कभो मबैहर और दस प रके कभो पवजयरनाघवगठ लमलना। पवजयरनाघवगठ कके जनागनीरदनार ककी
मत्त यण हभो जनानके पर कगांपननी सरकनार नके ररयनासत कभो प्रततपनाल्य अधधतनयम (कभोटर्व ऑफ वनाडर्वस) कके
अगांतगर्वत लकेकर वहनाफाँ कगांपननी सरकनार कना एक तहसनीलदनार तनयणकत कर ददयना। यह व्यवस्थना इसललए
ककी गई, कयहोंकक ररयनासत कके उत्तरनाधधकनारली सर जप प्रसनाद लसगांह ककी अवस्थना उस समय ककेवल पनाफाँच
वरर्व ककी थनी।

सन ज़ 1857 कके प्रथम स्वनाधनीनतना सगांगनाम कके समय बनालक सरजप प्रसनाद लसगांह सत्रह वरर्व कके तरुण हभो
चणकके थके। वह कनागांततकनारली स्वभनाव कके ककशभोर थके और बब्रितनातनयहों सके उन्हम घण
त ना थनी। अपनके अघ्ययन
कनाल मम उन्हहोंनके तलवनार व बगांदक
प चलनानना अच्छछी तरह सनीख ललयना थना और उन्हम घड़
ण सवनारली मम
महनारत हनालसल हभो गई थनी। उनमम नकेतत्त व कके गणण भनी स्पष्ट रूप सके ददखनाई दके तके थके।

तरुण सरजप प्रसनाद लसगांह नके आस-पनास कके जनागनीरदनारहों कभो लमलनाकर तनीन हज़नार प्रलशकक्षत सबैतनकहों ककी
एक सकेनना खड़नी कर लली। पवद्रभोह कके पथ पर जभो पहलना कनाम उन्हहोंनके ककयना, वह यह थना कक कगांपननी
सरकनार द्वनारना तनयणकत तहसनीलदनार कभो मनारकर उन्हहोंनके ररयनासत कना प्रशनासन प्रबल रूप सके अपनके
हनाथ मम लके ललयना। दस
प रना कनाम जभो उन्हहोंनके ककयना, वह यह थना कक कगांपननी सरकनार ककी घणड़सवनार सकेनना
पर अतघकनार करनके सवनारहों कभो मनारकर भगना ददयना और उनकके स्थनान पर अपनके घणड़सवनार तनयणकत
कर ददए ।

सरजपप्रसनाद लसगांह ककी सगांगदठत सकेनना कभो खतरना यह थना कक लमजनार्वपणर मनागर्व सके आकर बब्रितनाननी सकेनना
उन पर आकमण कर सकतनी थनी। उन्हहोंनके लमजनार्वपणर सड़क पर अपनना अतघकनार करकके इस खतरके कभो
भनी दरप कर ददयना ।

बब्रितनाननी सकेनना कके कबैप्टन ऊलके कके नकेतत्त व मम 30 अकटणबर 1857 कभो एक सकेनना ठनाकणर सरतबप्रसनाद लसगांह
सके मणकनाबलना करनके कके ललए भकेजनी गई। उस सकेनना ककी सहनायतना कके ललए 4 नवगांबर कभो मकेजर सणललीव्हनान
कके नकेतत्त व मम भनी एक सकेनना भकेजनी गई। सरजप्र
प सनाद लसगांह ककी सकेनना नके उन दभोनहों बब्रितनाननी सकेननाओगां कभो
तछन्न-लभन्न करकके उनकके हधथयनार लपट ललयके। इस सगांयक
ण त सकेनना कभो तहस-नहस करनके कके पश्यनात ज़
सरजपप्रसनाद लसगांह ककी सकेनना नके 6 नवगांबर कभो मरण वनाड़ना कके समनीप एक बब्रितनाननी सकेनना पर आकमण कर
ददयना। घनायल हभोकर सकेननापतत टभोटलहम भनाग तनकलना ।

अपननी इन तनरगां तर परनाजयहों सके खखन्न हभोकर बब्रितनातनयहों नके एक पवशनाल सकेनना 14 नवगांबर कभो
जबलपणर सके भकेजनी। इस सकेनना कके मकेजर जनानककगां ग कके मनारके जनानके कके कनारण सकेनना स्वयगां हली भनाग ख़िडनी
हणई। इसकके पश्चनात ज़ एक और पवशनाल सकेनना जबलपणर सके हली कबैप्टके न ऊलके कके नकेतत्त व मम पवद्रभोदहयहों कना
दमन करनके कके ललए भकेजनी गई। इस सकेनना कना सनामनना सरजपप्रसनाद लसगांह कके सहयभोगनी ठनाकणर दके वनी
लसगांह नके ककयना। वके परनाकजत हभोकर धगरफ्तनार हभो गए। बब्रितनातनयहों नके अपननी सहनायतना कके ललए रलीव
नरके श ककी सकेनना बल
ण वनाई। बड़नी मणकश्कल सके रलीवना और कगांपननी सरकनार ककी सगांयणकत सकेनना पवद्रभोह कना
दमन कर सककी। सरजपप्रसनाद लसगांह कभो कई वरर्व बनाद बब्रितनाननी सकेनना धगरफ्तनार कर सककी।

ठनाकणर दके वनी लसगांह कभो फनाफाँसनी कना दगां ड ददयना गयना और सरजपप्रसनाद लसगांह कभो आजनीवन कनारनावनास। उन
पवद्रभोहली तरूण सरजपप्रसनाद लसगांह नके जनीवन-भर जकेल ककी कभोठररयहों मम सड़नके कके स्थनान पर जनीवन-
मणककत कना उपनाय अपननायना। एक ददन उन्हहोंनके पकेट मम कटनार मनारकर आत्मबललदनान कना पथ अपनना
ललयना।

30. नरिपतति ससक्रांह

रूइयना ननाम कके एक छभोटके सके ककलके कके रक्षक-एक छभोटके सके जमनीगांदनार नरपततलसगांह नके जब सणनना कक
वनालपभोल जबैसके इततहनास प्रलसद्ध सकेननापतत कके नकेतत्त व मम पवशनाल और सणसकज्जत बब्रितनाननी सकेनना उनकके
ककलके कभो तहस-नहस करनके पहणफाँच रहली हबै , तभो वह भनी रनाजपपतनी शनान सके प्रततज्ञना कर बबैठना- अपननी
मणठछी-भर सकेनना कके बल पर यदद एक बनार बब्रितनातनयहों ककी पवशनाल सकेनना और उसकके सकेननापतत वनालपभोल
कके दनाफाँत खट्टिके करकके खदके ड़ न ददयना तभो मह क्षबत्रय हली कयना।

प्रतनीज्ञना सचमणच हली बहणत कड़नी और असम्भव थनी। उधर जब वनालपभोल नके नरपततलसगांह ककी प्रतनीज्ञना
सणननी तभो वह भनी कह बबैठना- उस तछछभोरके जमनीगांदनार ककी इतननी दहम्मत जभो मझ
ण के ननीचना ददखनानके कके ललए
प्रतनीज्ञना करके । मह उसके पनीसकर हली दम लफाँ पगना ।

तनीखनी-नभोक दभोनहों ओर सके बढ गई। नरपततलसगांह नके अपननी बनात वनालपभोल तक पहफाँ चनानके कके ललए एक
यणककत सके कनाम ललयना। कणछ गभोरके सबैतनक उनकके ककलके मम कबैद थके उनमम सके उन्हहोंनके एक गभोरके कबैदली कभो
कबैद सके मणकत कर ददयना और उसके समझना ददयना कक वह जनरल वनालपभोल सके कह दके कक नरपततलसगांह
नके कयना प्रतनीज्ञना ककी हबै । उस गभोरके सबैतनक नके जनरल कभो सबकणछ बतना ददयना। कनागांततकनारली सकेनना कके
सगांबगांध मम जनानकनारली दके तके हणए उन्हहोंनके बतनायना कक नरपततलसगांह कके पनास कणल लमलनाकर ढनाई सदौ सबैतनकहों
सके अधधक नहलीगां हबै । जनरल वनालपभोल कके नकेतत्त व मम तभो कई हजनार सबैतनक थके और उसकके पनास पवशनाल
तभोपखनानना भनी थना। उन्हहोंनके सभोचना कक उस छभोटके सके जमनीगांदनार और उसकके ढनाई सदौ सबैतनकहों कभो पनीसकर
रख दफाँ ग
प ना।

कभोध और आवकेश मम आकर जनरल वनालपभोल नके अपननी सकेनना सके कहना नरपततलसगांह कके पनास दभो हजनार
सबैतनक हह। कयना तणम उनसके तनबटनके ककी क्षमतना रखतके हभो? सकेनना ककी गवहोंककत थनी -दभो हजनार हहों तभो
भनी हम उनकभो पनीसकर रख दम गके। वनालपभोल नके सभोचना -जब यके लभोग चनार हजनार सबैतनकहों कभो पनीसकर
रख दके नके कना दम भरतके हह तभो ककेवल ढनाई सदौ सबैतनकहों कभो तभो यके पलक झपकतके हली समनाप्त कर दम गके।
उन्हहोंनके यहनाफाँ तक सभोचना कक जब तक मकेरली सकेनना रुइयना ककलके तक पगांहणचकेगनी, तब तक तभो नरपततलसगांह
पनीठ ददखनाकर भनाग चणककेगना।

वनालपभोल ककी सकेनना रुइयना ककलके तक पहणफाँच गई। उन्हहोंनके ककलके कभो चनारहों ओर सके घकेर ललयना। ककलके ककी
दलीवनार कके ठछीक ननीचके तक बब्रितनाननी सकेनना पहणफाँच गई। ककलके ककी खनाई कके पनास बब्रितनाननी सकेनना कना जमनाव
अतघक थना। गभोललयहों कना आदनान-प्रदनान प्रनारगां भ हभो गयना। नरपततलसगांह कके सबैतनकहों नके शत्रण सकेनना कके
जमनाव कके स्थनान पर हली भयगांकर गभोललीवरनार्व ककी। दके खतके-हली-दके खतके तछयनाललीस गभोरके सबैतनक मनारके गए।
गभोललयहों ककी इस तनीखनी मनार सके घबरनाकर बब्रितनाननी तभोपहों नके गभोलके दनागनके कना कनाम प्रनागांरभ कर ददयना। वके
गभोलके ककलके ककी दलीवनारहों सके टकरनाकर बब्रितनाननी सबैतनकहों पर हली धगरनके लगके , जभो दलीवनार कके ननीचके तक
पहणफाँच गए थके। अब जनरल हभोपगगांट भनी जनरल वनालपभोल ककी सहनायतना कके ललए अपननी सकेनना सदहत
पहणफाँच गयना। नरपततलसगांह और अतघक भयनानक यणद्ध करनके लगके। उनककी कभोघ्र ककी अकग्न मम जनरल
हभोरगगांट भस्म हभो गयना। बब्रितनाननी सबैतनक हभोलहों ककी तरफ भपजके जना रहके थके। उन्हम पटनापट-पटनापट धगरतके
दके खकर बब्रितनाननी सकेनना कके सनामनके पनीछके हटनके कके अततररकत और कभोई पवकल्प नहलीगां थना। परनाकजत
हभोकर बब्रितनाननी सकेनना पनीठ ददखना गई।

नरपततलसगांह नके अपननी प्रततज्ञना पपरली कर ददखनाई। बब्रितनाननी सकेनना कके पलनायन कके पश्चनात ज़ अपनके वनीर
सबैतनकहों कभो सनाथ लकेकर वह स्वयगां ककलना छभोड़कर चलके गयके। 1857 ककी रककतम कनागांतत मम उन्हहोंनके
अपननी वनीरतना और आन-बनान कना एक अध्यनाय जभोड़ ददयना।

31. वचरि नकरिकयण ससक्रांह

पणस्तक : 1857 कके कनागांततकनारली


भनाग : 2 पकेज न. 78
लकेखक : डड. एस.एल.ननागभोरली, डड. प्रणव दके व
प्रकनाशक : आर बनी एस ए पकब्लशसर्व
एस. एम. एस. हनाइवके
जयपरण - 302002
फ़भोन: 0141-2563826

वतर्वमनान मध्य प्रदके श कके रनायपणर नगर कके चदौरनाहके पर जय-स्तम्भ बनना हणआ हबै , जभो आज भनी प्रथम
स्वतन्त्रतना सगांगनाम मम शहलीद हणए असगांख्य शहलीदहों ककी ककीततर्व ककी कहनाननी ककी स्मतत त कभो तनाजना कर दके तना
हबै । इसनी स्थनान पर 10 लसतम्बर, 1857 ई. कभो अमर शहलीद वनीर ननारनायण लसगांह कभो खणलके आम फनाफाँसनी
ककी सजना दली गई थनी। अतनः यह स्तम्भ आददवनासनी महनावनीर ननारनायण लसगांह कके अद त
प शदौयर्व कना
उद्घभोरक भनी हबै ।

वनीर ननारनायण लसगांह आददवनासनी क्षकेत्र सभोननाखनान कके जमनीगांदनार थके। उनकके पपतना कना ननाम श्रनी रनामसहनाय
थना, कजनमम वनीरतना, दके शभककत, कतर्वव्यतनष्ठना एवगां जनमगांगल आदद गणण कपट-कपटकर भरके हणए थके। वनीर
ननारनायण लसगांह कभो उनकके पपतना कके गणण पवरनासत मम प्रनाप्त हणए थके।

वनीर ननारनायण लसगांह नके 1830 ईं. मम जमनीगांदनारली ककी बनागडभोर अपनके हनाथ मम लली। इस पद पर कनायर्व करतके
हणए उन्हहोंनके तनभर्शीकतना एवगां जनदहत हभोनके कना पररचय ददयना।

1856 ई. कना कनायर्व सभोननाखनान ककी जमनीगांदनारली कके ललए अलभशनाप कना वरर्व लसद्ध हणआ। इस वरर्व इस क्षकेत्र
मम वरनार्व नहलीगां हभोनके सके अकनाल पड़ गयना। लभोग पनीनके कके पनाननी कके ललए तरस गए। धनान कना भण्डनार
कहना जनानके वनालना क्षकेत्र भयगांकर सपखना कना लशकनार हभो गयना।

सभोननाखनान कके लभोगहों नके करहोंद गनाफाँव कके एक व्यनापनारली सके खकेतहों मम बभोनके और खनानके कके ललए अननाज
उधनार दके नके कके ललए प्रनाथर्वनना ककी, परन्तण उसनके इन्कनार कर ददयना। तत्पश्चनात ज़ वहनाफाँ कके लभोगहों नके इस
सम्बन्ध मम अपनके लभोकपप्रय जमनीगांदनार वनीर ननारनायण लसगांह सके प्रनाथर्वनना ककी। वनीर ननारनायण लसगांह नके
अकनाल पनीडड़तहों ककी सहनायतना करनके हके तण उस व्यनापनारली सके कहना, परन्तण उसनके झपठ बभोलकर बहनानना
बननातके हणए सहनायतना दके नके सके इन्कनार कर ददयना।

इस पर वनीर ननारनायण लसगांह नके अपनके कमर्वचनाररयहों कभो आदके श दके कर व्यनापनारली कना अन्न भण्डनार
खणलवनाकर लभोगहों कभो अन्न बफाँटवना ददयना और रनायपणर कके अगांगकेज डडप्टली कलमश्नर कभो अपनके इस कनायर्व
कके सम्बन्ध मम सपधचत कर ददयना। उधर उस व्यनापनारली नके रनायपणर कके डडप्टली कलमश्नर कके पनास यह
लशकनायत ककी कक जमनीगांदनार वनीर ननारनायण लसगांह नके उसकके घर पर डनाकना डनालकर उसकना सब कणछ लपट
ललयना हबै ।

रनायपणर कना डडप्टली कलमश्नर वनीर ननारनायण लसगांह ककी जमनीगांदनार हड़पनके और उन्हम दकण्डत करनके कना
अवसर ढपफाँढ रहना थना। अतनः उसनके वनीर ननारनायण लसगांह कभो धगरफ्तनार करनके कना आदके श दके ददयना। जब
वके तनीथर्वयनात्रना सके लदौट रहके थके, तब उन्हम 24 अकटपबर, 1956 ई. कभो बन्दली बनना ललयना गयना और उन्हम
रनायपणर ककी जकेल मम डनाल ददयना गयना। इस घटनना सके सभोननाखनान ककी जनतना मम बगनावत ककी भनावनना
प्रबल हभो उठछी।

उधर प्रथम स्वतन्त्रतना सगांगनाम प्रनारम्भ हभो जनानके कके कनारण जगह-जगह पर लड़नाईयनाफाँ हभोनके लगनीगां।
ननारनायण लसगांह रनायपणर ककी जकेल मम बन्दली हभोनके कके कनारण बबैचकेन थके, परन्तण वके इस मदौकके पर कणछ कर
ददखनानके कके ललए बबैचकेन थके। उन्हहोंनके उपनके ऊपर तबैननात तनीसरली रके जनीमकेण्ट कके पहरके दनारहों कभो अपननी ओर
लमलना ललयना और जकेल सके भनाग गए। शकेर पपगांजड़के सके भनाग चणकना थना और अगांगकेज सरकनार हनाथ मलतनी
रह गई।

जकेल सके भनागकर वनीर ननारनायण लसगांह अपनके गनाफाँव सभोननाखनान पहणफाँचके और बब्रितनाननीयहों कके पवरूद्ध यणद्ध ककी
तबैयनाररयनाफाँ प्रनारम्भ कर दलीगां। सवर्वप्रथम उन्हहोंनके अपनके गनाफाँव मम आनके-जनानके वनालके रनास्तहों पर अवरभोध खड़के
कर ददए और वहनाफाँ सशस्त्रहों सके सणसकज्जत एक पवशनाल सकेनना तबैयनार कर बब्रितनाननीयहों कके पवरूद्ध सगांघरर्व
करनके हके तण तबैयनार हभो गए। इसकके अततररकत उन्हहोंनके आसपनास कके जमनीगांदनारहों कभो भनी सनाथ दके नके कके ललए
तनमन्त्रण भकेज ददए। रनायपणर कके कलमश्नर लम. इललयट नके लकेकफ्टनकेन्ट कस्मथ कभो आदके श ददयना कक
वह ननारनायण लसगांह पर आकमण करकके उन्हम बन्दली बनना लके। कस्मथ नके एक पवशनाल सकेनना कके सनाथ
सभोननाखनान ककी ओर प्रस्थनान ककयना। कणछ गदनार जमनीगांदनार भनी अपननी सकेननाएफाँ लकेकर कस्मथ कके सनाथ हभो
ललए।

लकेकफ्टनकेन्ट कस्मथ नके अपननी सकेनना कके सनाथ नवगांबर, 1857 ई. कभो रनायपणर कके ललए प्रस्थनान ककयना।
ननारनायण लसगांह कके एक गणप्तचर नके कस्मथ ककी सकेनना कभो भटकना ददयना, कजससके वह ग़लत स्थनान पर
पहणफाँचना। अगलके ददन कस्मथ कभो मनालपम हणआ कक ननारनायण लसगांह नके अपनके गनाफाँव कके रनास्तके मम एक ऊफाँचनी
दलीवनार बननाकर मनागर्व कभो अवरुद्ध ककयना हबै और वह अफाँगकेज़हों सके सगांघरर्व हके तण पपणर्व रूप सके तबैयनार हबै ।

कस्थम नके करहोंदली गनाफाँव मम अपनना पड़नाव डनालकर अपननी शककत मम वपत द्ध करकके अचनानक आकमण
करनके कना तनश्चय ककयना। उसनके कटगां गनी, बड़गनाफाँव एवगां बबलनाईगढ़ कके ज़मनीदनारहों कभो सकेनना सदहत अपननी
सहनायतना कके ललए बणलनायना। उसनके ननारनायण लसगांह कके गनाफाँव सभोननाखनान ककी ओर जनानके वनालके सनारके रनास्तके
बगांद कर ददए, तनाकक वहनाफाँ कके लभोगहों कभो रसद एवगां अन्य सनामगनी प्रनाप्त न हभो सकके। कस्मथ कके
बबलनासपरण सके भनी सहनायतना सकेनना ककी प्रनाथर्वनना ककी, परगां तण उसके वहनाफाँ सके कभोई सहनायतना प्रनाप्त नहलीगां हभो
सककी। इस पर रनायपरण कके डडप्टली कलमश्नर नके उसकके पनास अततरककत सकेनना भकेज दली। इसनी समय
कटगां गनी, बड़गनाफाँव तथना बबलनाईगढ़ कके जमनीगांदनार भनी अपननी सकेननाओगां कभो लकेकर कस्मथ ककी सहनायतना कके
ललए पहणफाँच गए।

लकेकफटनकेन्ट कस्मथ नके सकेनना कके सनाथ ननीमतल्लना सके दके वरली कके ललए प्रस्थनान ककयना और अपनके
सहनायकहों कभो ननाकनाबगांदली करनके कना आदके श ददयना। ननारनायण लसगांह कके एक दस
प रके गणप्तचर नके कस्मथ कभो
मनागर्व सके भटकना कर ग़लत स्थनान पर पहणफाँचना ददयना। बड़नी मणकश्कल सके वह 30 नवगांबर कभो दके वरली पहणफाँचना।
सभोननाखनान सके दके वरली ककी दरप ली 10 मनील थनी। दके वरली कके ज़मनीदनार ररश्तके मम ननारनायण लसगांह कके कनाकना थके,
परगां तण पनाररवनाररक वबैमनस्यतना कके कनारण वह कस्मथ ककी मदद करनके कके ललए तबैयनार हभो गयना।

कस्मथ नके दके वरली कके जमनीगांदनार कके तनदर श मम अपननी सकेनना कभो आगके बढ़नायना और वह सभोननाखनान सके तनीन
मनील दरप ली तक पहणफाँच गई। कजधर अवरभोध अधपरना रह गयना थना, उस रनास्तके वह गदनार जमनीगांदनार सकेनना
कभो लकेकर गयना।

इधर वनीर ननारनायण लसगांह और कस्मथ सकेननाओगां कके बनीच यणद्ध प्रनारगां भ हभो गयना और वनीर ननारनायण लसगांह
नके अपनके गनाफाँव सभोननाखनान कभो खनालली कर ददयना और कणछ चन ण के हणए यदौद्धनाओगां कभो लकेकर पहनाड़ पर जना
पहणफाँचना और वहनाफाँ तगड़नी मभोचनार्वबगांदली कर लली। उन्हहोंनके अपनके पत्र
ण तथना पररवनार कके अन्य लभोगहों कभो
सभोननाखनान सके बनाहर सणरकक्षत स्थनान पर भकेज ददयना।

अगलके ददन कस्मथ सभोननाखनान गनाफाँव पहणफाँचना, जभो खनालली हभो चणकना थना। उसनके पपरके गनाफाँव मम आग लगवना
दली। रनात कभो पहनाड़ सके कस्मथ ककी सकेनना पर गभोललयहों ककी बदौछनार शणरू हभो गई। पववश हभोकर जनान
बचनानके कके ललए कस्मथ कभो पनीछके हटनना पड़ना।

प्रथम यणद्ध मम ननारनायण लसगांह नके कस्मथ कभो सकेनना सदहत पनीछके हटनके कके ललए पववश कर ददयना। अब
कस्मथ नके और सकेनना एकबत्रत करकके परप के पहनाड़ कभो चनारहों ओर सके घकेर ललयना। पहनाड़ पर रसद सनामगनी
नहलीगां पहणफाँच सकतनी थनी। दके वरली कना जमनीगांदनार (ननारनायण लसगांह कना कनाकना) कस्मथ कभो सनारली गणप्त सपचननाएफाँ
दके रहना थना। ननारनायण लसगांह नके तनरपरनाध लभोगहों ककी बलल दके नके स्थनान पर स्वयगां कके प्रनाण दके कर अपनके
सनाधथयहों ककी प्रनाण रक्षना करनके कना तनश्चय ककयना। 5 ददसगांबर, 1857 ई. कभो ननारनायण लसगांह नके रनायपणर
पहणफाँच कर वहनाफाँ कके डडप्टली कलमश्नर लम. इललयट कके समक्ष आत्म समपर्वण कर ददयना। उस दके शभकत
कके ललए अफाँगकेज़हों कके पनास एक हली पणरस्कनार थना और वह थना-फनाफाँसनी कना फफाँदना।
वनीर ननारनायण लसगांह 10 ददसगांबर, 1857 ईं. कभो चदौरनाहके पर खल
ण केआम लभोगहों कके सनामनके फनाफाँसनी पर लटकना
ददयना गयना। रनायपरण कके उस चदौरनाहके पर खड़ना हणआ जय स्तगांभ आज भनी इस बललदनाननी ककी वनीरतना एवगां
दके शभककत ककी गनाथना कभो तनाजना कर दके तना हबै ।

32. नकहरि ससक्रांह


सन ज़ 1857 ककी रककतम कनागांतत कके समय ददल्लली कके बनीस मनील पपवर्व मम जनाटहों ककी एक ररयनासत थनी।
इस ररयनासत कके नवयणवक रनाजना ननाहरलसगांह बहणत वनीर, परनाकमनी और चतणर थके। ददल्लली कके मणगल
दरबनार मम उनकना बहणत सम्मनान थना और उनकके ललए समनाट कके लसगांहनासन कके ननीचके हली सभोनके ककी कणसर्शी
रखनी जनातनी थनी। मकेरठ कके कनागांततकनाररयहों नके जब ददल्लली पहणफाँचकर उन्हम बब्रितनातनयहों कके चगांगणल सके मणकत
कर ददयना और मणगल समनाट बहनादरण शनाह जफर कभो कफर लसगांहनासन पर बबैठना ददयना तभो प्रश्न उपकस्थत
हणआ कक ददल्लली ककी सणरक्षना कना दनातयत्व ककसके ददयना जनाए? इस समय तक शनाहली सहनायतना कके ललए
मभोहम्मद बख्त खनाफाँ पगांद्रह हजनार ककी फदौज लकेकर ददल्लली चणकके थके। उन्हहोंनके भनी यहली उधचत समझना कक
ददल्लली कके पपवर्शी मभोचर ककी कमनान रनाजना ननाहरलसगांह कके पनास हली रहनके दली जनाए। बहनादरण शनाह जफर तभो
ननाहरलसगांह कभो बहणत मनानतके हली थके।

बब्रितनाननी दनासतना सके मणकत हभोनके कके पश्चनात ज़ ददल्लली नके 140 ददन स्वतगांत्र जनीवन व्यततत ककयना। इस
कनाल मम रनाजना ननाहरलसगांह नके ददल्लली कके पपवर्व मम अच्छछी मभोरचनाबगांदली कर लली। उन्हहोंनके जगह-जगह
चदौककयनाफाँ बननाकर रक्षक और गणप्तचर तनयणकत कर ददए। बब्रितनातनयहों नके ददल्लली पर पपवर्व ककी ओर सके
आकमण करनके कना कभनी सनाहस नहलीगां ददखनायना। 13 लसतगांबर 1857 कभो बब्रितनाननी फदौज नके कश्मनीरली
दरवनाजके ककी ओर सके ददल्लली पर आकमण ककयना। बब्रितनातनयहों नके जब ददल्लली नगर मम प्रवकेश ककयना तभो
भगदड़ मच गई। बहनादरण शनाह जफर कभो भनी भनागकर हणमनायपफाँ कके मकबरके मम शरण लकेननी पड़नी।
ननाहरलसगांह नके समनाट बहनादरण शनाह सके वल्लभगढ चलनके कके ललए कहना, पर समनाट कके बब्रितनाननी भकत
सलनाहकनार इलनादहबख्श नके एक न चलनके दली और उन्हली कके आगह सके बहनादरण शनाह हणमनायपफाँ कके मकबरके
मम रुक गए। इलनादहबख्श कके मन मम बकेईमनाननी थनी। पररणनाम वहली हणआ जभो हभोनना थना। मकेजर हडसन
नके बहनादरण शनाह कभो हणमनायपफाँ कके मकबरके सके धगरफ्तनार कर ललयना और उनकके शनाहजनादहों कना कत्ल कर
ददयना। ननाहरलसगांह नके बल्लभगठ पहणफाँचकर बब्रितनाननी फदौज सके मभोरचना लकेनके कना तनश्चय ककयना। उन्हहोंनके
नए लसरके सके मभोरचनाबगांदली ककी और आगरना ककी ओर सके ददल्लली ककी तरफ बढनकेवनालली गभोरली पलटनहों ककी
धकज्जयनाफाँ उड़ना दली। बल्लभगढ़ कके मभोचर मम बहणत बड़नी सगांख्यना मम बब्रितनातनयहों कना कत्ल हणआ और
हजनारहों गभोरहों कभो बगांदली बनना ललयना गयना। इतनके अतघक बब्रितनाननी सबैतनक मनारके गए कक ननाललयहों मम सके
खपन बहकर नगर कके तनालनाब मम पहणफाँच गयना और तनालनाब कना पनाननी भनी लनाल हभो गयना।

जब बब्रितनातनयहों नके दके खना कक ननाहरलसगांह सके पनार पनानना मणकश्कल हबै तभो उन्हहोंनके धपतत
र्व ना सके कनाम ललयना।
उन्हहोंनके सगांधध कना सपचक सफकेद झगांड़ना लहरना ददयना। यणद्ध बगांद हभो गयना। बब्रितनाननी फदौज कके दभो प्रतततनधध
ककलके कके अगांदर जनाकर रनाजना ननाहरलसगांह सके लमलके और उन्हम बतनायना कक ददल्लली सके समनाचनार आयना हबै
कक समनाट बहनादरण शनाह सके बब्रितनातनयहों ककी सगांधध हभो रहली हबै और समनाट कके शभ
ण धचगांतक एवगां पवश्वनासपनात्र
कके ननातके परनामर्वश कके ललए समनाट नके आपकभो यनाद ककयना हबै । उन्हहोंनके बतनायना कक इसनी कनारण हमनके
सगांधध कना सफकेद झड़ना फहरनायना हबै ।

भभोलके-भनालके जनाट रनाजना धपतर्व बब्रितनातनयहों ककी चनाल मम आ गयके। अपनके पनाफाँच सदौ पवश्वस्त सबैतनकहों कके
सनाथ वह ददल्लली ककी तरफ चल ददए। ददल्लली मम रनाजना कभो समनाप्त करनके यना उन्हम धगरफ्तनार करनके
कके ललए बहणत बड़नी सगांख्यना मम पहलके हली बब्रितनाननी फदौज तछपना दली गई थनी। रनाजना कना सगांबगांघ उनककी सकेनना
सके पवच्छके द कर ददयना और रनाजना ननाहरलसगांह कभो धगरफ्तनार कर ललयना। शकेर बब्रितनातनयहों कके पपगांजरके मम
बगांद हभो गयना। अगलके हली ददन बब्रितनाननी फदौज नके पपरली शककत कके सनाथ वल्लभगढ पर आकमण कर
ददयना। तनीन ददन कके घमनासनान यणद्ध कके पश्चनात हली वके रनाजनापवहलीन रनाज्य कभो अपनके आधधपत्य मम लके
सकके।

कजस हडसन नके समनाट बहनादरण शनाह जफर कभो धगरफ्तनार ककयना थना उनकके शहजनादहों कना कत्ल करकके
उनकना चणल्लप भरकर खपन पपयना थना, वहली हडसन बगांदली ननाहरलसगांह कके सनामनके पहणफाँचना और बब्रितनातनयहों ककी
ओर सके उनकके सनामनके लमत्रतना कना प्रस्तनाव रखना। वह ननाहरलसगांह कके महत्व कभो समझ सकतना थना।
लमत्रतना कना प्रस्तनाव रखतके हणए वह बभोलना- ननाहरलसगांह महज़ह आपकभो फनाफाँसनी सके बचनानके कके ललए हली कह
रहना हपफाँ कक आप थभोड़ना झणक जनाओ। ननाहरलसगांह नके हडसन कना अपमनान करनके ककी दृकष्ट सके उनककी ओर
पनीठ कर लली और उत्तर ददयना- ननाहरलसगांह वह रनाजना नहलीगां हबै जभो अपनके दके श कके शत्रणओगां कके आगके झणक
जनाए। बब्रितनाननी लभोग मकेरके दके श कके शत्रण हह। मह उनसके क्षमना नहलीगां मनाफाँग सकतना। एक ननाहरलसगांह न रहना
तभो कयना, कल लनाख ननाहरलसगांह पबैदना हभो जनाएफाँगके। मकेजर हडसन इस उत्तर कभो सणनकर बदौखलना गयना।
बदलके ककी भनावनना सके बब्रितनातनयहों नके रनाजना ननाहरलसगांह कभो खणलकेआम फनाफाँसनी पर लटकनानके ककी यभोजनना
बननाई। जहनाफाँ आजकल चनाफाँदननी चदौक फव्वनारना हबै , उसनी स्थनान पर वधस्थल बननायना गयना, कजससके बनाजनार
मम चलनके-कफरनके वनालके लभोग भनी रनाजना कभो फनाफाँसनी पर लटकतना हणआ दके ख सकम। उसनी स्थनान कके पनास हली
रनाजना ननाहरलसगांह कना ददल्लली कस्थत आवनास थना। बब्रितनातनयहों नके जनानबणझकर रनाजना ननाहरलसगांह कभो फनाफाँसनी
दके नके क ललए वह ददन चणनना, कजस ददन उन्हहोंनके अपनके जनीवन कके पहतनीस वरर्व पपरके करकके छतनीसवम वरर्व
मम प्रवकेश ककयना थना। रनाजना नके फनाफाँसनी कना फगांदना गलके मम डनालकर अपनना जन्मददन मननायना। उनकके सनाथ
उनकके तनीन और नदौजवनान सनाधथयहों कभो भनी फगांदहों पर झणलनायना गयना। वके थके खणशनाललसगांह, गणलनाबलसगांह और
भपरकेलसगांह। ददल्लली ककी जनतना नके गदर्व न झणकनाए हणए अश्रणपरप रत नयनहों सके उन लभोकपप्रय एवगां वनीर रनाजना
कभो फगांदके पर लटकतना हणआ दके खना।

फनाफाँसनी पर झणलनानके कके पपवर्व हडसन नके रनाजना सके पपछना थना - आपककी आखखरली इच्छना कयना हबै ? रनाजना कना
उत्तर थना - मह तणमसके और बब्रितनाननी रनाज्य सके कणछ मनाफाँगकर अपनना स्वनालभमनान नहलीगां खभोनना चनाहतना हपफाँ।
मह तभो अपनके सनामनके ख़िडके हणए अपनके दके शवनालसयहों सके कह रहना हपफाँ कनागांतत ककी इस धचनगनारली कभो बझ
ण नके
न दके नना।

33. सआदति खकख

सआदत खनाफाँ शरलीर और मन दभोनहों सके हली बललष्ठ थके। वह दके खनके मम भनी तनहनायत ख़िब
प सपरत थके। उनकके
पव
प ज
र्व जभोधपरप और ददल्लली कके बनीच कके क्षकेत्र मकेवनात कके तनवनासनी थके। आजनीपवकना ककी खभोज मम सआदत
खनाफाँ इगांददौर रनाज्य मम जना पहणफाँचके। उस समय इगांददौर मम तक
ण भोजनीरनाव हभोलकर शनासक थके। सआदत खनाफाँ ककी
यभोग्यतना सके प्रभनापवत हभोकर उन्हहोंनके उन्हम अपनके तभोपख़िनानके कना प्रमणख तभोपचनी तनयक
ण त कर ददयना।

सन ज़ 1857 कना प्रथम स्वनाधनीनतना सगांगनाम तछड़नके पर सआदत खनाफाँ ककी दके शभककत नके ज़भोर मनारना वह
अपनके मनादरम -वतन कभो कफ़रगां धगयहों सके आज़नाद करनके कके ललए उतनावलना हभो उठके । सआदत खनाफाँ ककी पहलली
वफ़नादनारली अपनके हभोलकर रनाज्य कके प्रतत थनी। अपनके एक फ़दौजनी अधधकनारली वगांश गभोपनाल कके सनाथ
सआदत खनाफाँ नके महनारनाज ककी बनातचनीत और उनकके व्यवहनार सके उन लभोगहों कभो यह समझतके दके र नहलीगां
लगनी कक महनारनाज ककी सहनानणभपतत उन लभोगहों कके सनाथ हबै ।

महनारनाज तणकभोजनीरनाव हभोलकर सके भम ट करनके कके पश्चनात ज़ सआदत खनाफाँ नके सबैतनकहों कभो एकबत्रत ककयना
और उनसके कहना - तबैयनार जभो हभो जनाओ। आगके बढभो। बब्रितनातनयहों कभो मनार डनालभो। यह महनारनाजना सनाहब
कना हणकम हबै ।

अपनके सनाथनी ककी ओजस्वनी वनाणनी सणनकर सकेनना कके वनीर हणगांकनार उठके और वके बब्रिदटश रके कज़डमट कनर्वल
रयरप म ड पर हमलना करनके कके ललए तबैयनार हभो गए। अपनके दल-बल कके सनाथ सआदत खनाफाँ रके जनीडमसनी पर
पहणफाँच गए और उसके घकेर ललयना। उस समय कनर्वल ट्रके वसर्व भनी अपनके मदहदपरण कगांदटजमट कके सनाथ इगांददौकेर
रके जनीडमसनी पर मदौजपद थना।

कनर्वल रयपरमड कभो यह समझतके दके र नहलीगां लगनी कक सकेनना नके पवद्रभोह कर ददयना हबै । वह अपननी कपटननीतत
और वनाकज़ चनाकरली कके ललए मशहपर थना। रके जनीडमसनी कके फ़नाटक पर पहणफाँचकर उसनके अपनके शब्दजनाल मम
कनागांततकनाररयहों कभो फफाँसनानना चनाहना। सआदत खनाफाँ इन चनाल कभो भलली भनाफाँतत जनानतके थके। उन्हहोंनके कनर्वल
रयपरमड पर गभोलली चलना दली। सआदत खनाफाँ ककी गभोलली कनर्वल रयपरमड कके एक कनान कभो उड़नातनी हणई और
उनकके गनाल कभो तछलतनी हणई तनकल गई। कनर्वल रयपरमड भनाग खड़ना हणआ। वह रके जनीडमसनी कके पपछलके
दरवनाज़के सके सपररवनार बनाहर तनकल गयना और तछपतना हणआ सनीहभोर जना पहणफाँचना। वहनाफाँ बब्रितनाननी फ़दौज
रहतनी थनी। कनर्वल ट्रके वसर्व भनी दम
ण दबनाकर भनाग खड़ना हणआ। रके जनीडमसनी मम कजतनके बब्रितनाननी थके, वके सभनी
भनाग खड़के हणए। कभोठछी पर कनागांततकनाररयहों कना अधधकनार हभो गयना। कभोठछी तथना अन्य बग़लम लट
प कर
उजनाड़ ददए गए।

4 जणलनाई 1857 ककी रनात कभो कनागांततकनाररयहों नके लपट कना मनाल अपनके सनाथ लकेकर दके वनास ककी ओर बढनना
प्रनारगां भ कर ददयना। कनागांततकनाररयहों कके पनास रके जनीडमसनी ख़िज़नानके सके लपटके गए नदौ लनाख रुपयके, सभनी तभोपम ,
गभोलना बनारूद, हनाथनी, घभोड़के और बबैलगनाडड़यनाफाँ आदद सनामनान थना। हभोलकर नरके श ककी भनी नदौ तभोपम वके अपनके
सनाथ लके गए।

उखडतके-उखडतके भनी बब्रितनातनयहों कके पबैर जम गए और उन्हहोंनके पवद्रभोह कना दमन कर ददयना। इगांददौर कके
कनागांततकनाररयहों मम सके वके सआदत खनाफाँ कभो तभो नहलीगां पकड़ सकके, पर कई अन्य कनागांततकनाररयहों कभो
धगरफ़्तनार करकके उन्हम तनमर्वम दगां ड ददए गए। बब्रितनाननी अत्यनाचनाररयहों नके ग्यनारह कनागांततकनाररयहों कभो
गभोललयहों सके भपन डनालना। इकककीस सबैतनकहों तथना कणछ ननागररकहों कभो तभोपहों कके मणफाँह सके बनाफाँघकर उड़नायना
गयना और दभो सदौ सत्तर सदौतनकहों कभो आजनीवन कनारनावनास कना दगां ड ददयना गयना।

सआदत खनाफाँ कभो बब्रितनाननी लभोग बनीस वरर्व पश्चनात ज़ अथनार्वत ज़ सन ज़ 1877 मम झनालनावनाड़ सके धगरफ़्तनार कर
सकके। वह च्द्म ननाम सके वहनाफाँ नदौकरली करनके लगके थके। वह इतनके ईमनानदनार और नकेक व्यककत थके कक
उन्हहोंनके लपट कके मनाल मम सके अपनके पनास कणछ भनी नहलीगां रखना थना। कजस समय वह धगरफ़्तनार ककए
गए, उस समय उनकके पनास दभो समय ककी भभोजन सनामगनी कके अततररकत और कणछ नहलीगां थना।

सआदत खनाफाँ पर मणकदमना लगनायना गयना। उन्हहोंनके ककसनी भनी प्रकनार ककी कमज़भोरली प्रकट नहलीगां ककी और
न अपनके ककसनी सनाथनी कभो फफाँसनायना। दके शभककत कना सवभोच्चर्व पणरस्कनार- "फनाफाँसनी" कना उपहनार पनाकर वह
बहणत ख़िश
ण थके।

34. सबरिपेन्द्र सकय

यह उनकना दभ
ण नार्वग्य थना कक उनककी आफाँखहों कके सनामनके हली उनकके पत्र
ण और उनकके ररश्तकेदनारहों कभो कत्ल
कर ददयना गयना। बब्रिदटश शनासकहों नके ऐसना इसललए ककयना थना, कयहोंकक वके महनान कनागांततकनारली सरण म द्र सनाफाँय
सके बदलना लकेनना चनाहतके थके। जब उनकके सनामनके हली उनकके ररश्तकेदनारहों कभो कत्ल ककयना जनानके लगना तभो
उन्हहोंनके दभोनहों हनाथहों सके अपननी आफाँखम ढक लली और कहना - "मह अपननी आफाँखहों सके अपनके ररश्तकेदनारहों कभो
कत्ल हभोतके नहलीगां दके ख सकतना"।
सणरमद्र सनाफाँय कके इस कथन कभो सणनकर बब्रितनाननी अधधकनारली नके कहना, "ठछीक हबै हम ऐसना कणछ ककए दके तके
हह कजससके कक आपकभो अपननी आफाँखहों पर अपनके हनाथ नहलीगां रखनके पडमज़डगके और आप अपनके ररश्तकेदनारहों
कना कत्ल दके खनके सके बच जनाओगके"। हनाफाँ, आप उनककी करुण चनीत्कनारम अवश्य सन
ण सकभोगके।

ऐसना करनके कके ललए लभोहके ककी गरम सलनाख़िहों सके उस महनान कनागांतत वनीर ककी दभोनहों आफाँखम फभोड़ दली गई।
सणरमद्र सनाफाँय सचमणच हली तब अपननी अगांधनी आफाँखहों सके अपनके ररश्तकेदनारहों और सहयभोधगयहों कना वध तभो
नहलीगां दके ख सकके, पर उनककी चनीत्कनारके उनकके कनानहों कभो भकेदनके लगनीगां। जब उन्हहोंनके अपनके कनानहों पर अपनके
हनाथ रखके तभो उन्हम इस पनीड़ना सके मणकत करनके कके ललए बब्रितनातनयहों नके उन्हलीगां सलनाख़िहों सके उनकके कनान भनी
फभोड़ ददए। आखख़िर वह ददन भनी आ गयना, जब बब्रितनातनयहों नके अगांधके और बहरके हभोनके ककी पनीड़ना सके मणकत
करनके कके ललए उस वनीर कभो 24 फ़रवरली 1884 कभो वतर्वमनान मध्य प्रदके श कके असनीरगढ कके कक़लके मम
फनाफाँसनी कके फगांदके पर झणलना ददयना। असनीरगढ कना कक़लना मध्य प्रदके श कके खगांडवना और बह
ण रनानपणर नगरहों कभो
दके खनके कभो लमलतना हबै , पर बहणत कम लभोगहों कभो यह ज्ञनात हबै कक उड़नीसना कके महनान ज़ कनागांततकनारली, सणरकेन्द्र
सनाफाँय कभो बब्रितनातनयहों नके इस दग
ण म
र्व कक़लके मम क़बैद करकके रखना थना और यहलीगां उन्हम फनाफाँसनी कना दगां ड ददयना
गयना थना।

उड़नीसना कके अगांतगर्वत सगांबल पणर कज़लके कके बनाबपखकेड़ना मम कनागांततकनारली सणरमद्र सनाफाँय कना जन्म 23 जनवरली,
1809 कभो हणआ थना। सणरमद्र सनाफाँय कना सगांबगांध रनाजघरनानके सके थना और उनककी दनादली "रनाननी रनाजकणमनारली"
पकश्चम उड़नीसना ककी रनाजगदनी पर आसनीन थनी। उन ददनहों बब्रितनाननी शनासन अपनके रनाज्य पवस्तनार मम
ललीन थना और उड़नीसना कके छब्बनीस रनाज्यहों मम सके अठनारह रनाज्य बब्रितनातनयहों कके सनामनके धणटनके टके क चणकके
थके। शकेर आठ रनाज्य बब्रितनातनयहों कके सनाथ सगांघरर्व कर रहके थके।

सन ज़ 1833 मम बब्रितनाननी शनासन नके रनाननी रनाजकणमनारली कभो पकेन्शन दके कर रनाजगदनी पर ननारनायण लसगांह कभो
बबैठना ददयना। रनाननी रनाजकणमनारली कके उत्तरनाधधकनारली सणरमद्र सनाफाँय नके जब गदनी पर अपनना दनावना प्रस्तणत
ककयना तभो उसके ठणकरना ददयना गयना। सणरमद्र सनाफाँय नके पववश हभोकर यद्ध
ण कना सहनारना ललयना और उन्हहोंनके
कई स्थनानहों पर बब्रितनाननी सकेनना कभो हरनायना। चनालनाक बब्रितनातनयहों नके छल कना सहनारना लकेकर सणरमद्र सनाय कभो
सगांधध कके ललए आमगांबत्रत कर उन्हम धगरफ़्तनार कर ललयना और बबहनार ककी हजनारलीबनाग जकेल मम बगांद कर
ददयना। सणरमद्र सनाय ककी अनणपकस्थतत मम उनककी पत्ननी नके बब्रितनातनयहों कके सनाथ यणद्ध जनारली रखना।

उन ददनहों सन ज़ 1857 कना प्रथम स्वनाधनीनतना सगांगनाम तछड़ चणकना थना। इस लहर कना लनाभ उठनाकर
पवद्रभोहली सबैतनकहों ककी सहनायतना सके सणरमद्र सनाय हजनारलीबनाग जकेल सके भनाग तनकलके और अपननी पत्ननी कके
सनाथ लमलकर बब्रितनातनयहों कके पवरुद्ध यणद्ध तकेज कर ददयना। इस बनार उन्हहोंनके बब्रितनातनयहों कके अधधकतत
दग
ण र्व पर आकमण करकके उसके हधथयनानना चनाहना। मनाहदौल सणरमद्र सनायगां कके पक्ष मम थना और उनककी पवजय
सणतनकश्चत थनी। इस बनार भनी बब्रितनातनयहों नके चनालनाककी सके कनाम ललयना। उन्हहोंनके दग
ण र्व पर सगांधध कना सफ़केद
झगांडना फहरना ददयना। सगांधध वनातनार्व कके ललए जब सरण म द्र सनाय दग
ण र्व कके अगांदर पहणफाँचके तभो उन्हम धगरफ़्तनार कर
ललयना गयना और सगांबलपरण जकेल मम डनाल ददयना गयना। सरण म द्र सनाय सझ
प बझ
प कके धननी थके। तनीन ददन कके
अगांदर हली वह जकेल सके भनाग तनकलके। इस बनार उन्हहोंनके 1858 सके 1863 तक बब्रितनातनयहों कके सनाथ यद्ध

करकके कई मभोरचहों पर उनकभो हरनायना। उन्हहोंनके बब्रितनाननी सकेनना कना बहणत पवननाश कर ददयना। इस बनार
उनकना कनायर्वक्षकेत्र बबहनार और मध्य प्रदके श भनी थना।

भनारतवरर्व मम जहनाफाँ उदट वनीर पबैदना हभोतके हबै , वहली तनकतष्ट पवश्वनास धनातनी और दके शद्रभोहली भनी पबैदना हभोतके हबै ।
सणरमद्र सनाय कभो भनी उन्हलीगां कके एक अलभन्न लमत्र दयनातनधध मकेहना नके पवश्वनास धनात करकके बब्रितनातनयहों कके
हनाथहों धगरफ़्तनार करवना ददयना।

दभो बनार जकेल तभोड़कर भनाग तनकलनके वनालके कनागांततकनारली सणरमद्र सनाय कभो इस बनार बब्रितनातनयहों नके धभोर
जगांगल मम बनके हणए असनीरगठ कके कक़लके मम बगांद करकके उन पर सधन पहरना बबैठना ददयना। उसनी कक़लके मम
उन्हम 28 फ़रवरली, 1884 कभो फनाफाँसनी दके दली गई।

35. जगति सपेठि रिकम जच दकस गबड वकलक


वह आधणतनक भनामनाशनाह थके, कजनकके ददल मम दके श ककी आज़नादली कके ललए तड़प थनी और जभो न ककेवल
अरबहों रुपयहों ककी सगांपकत्त दके श ककी आज़नादली कके ललए व्यय करनके कभो तबैयनार थके , अपपतण उनकके
मकस्तष्क मम गणप्तचर पवभनाग और सबैन्य सगांगठन ककी यभोजननाएफाँ भनी थनीगां। उनकना ननाम थना जगत ज़ सकेठ
रनाम जनी दनास गणड़वनालना।

सकेठ रनामजनीदनास गणड़वनालना कना सम्मनान भनारत कके अगांततम मणग़ल समनाट बहनादरण शनाह जफर कके दरबनार
मम बहणत अधधक थना। उन्हम शनासन ककी ओर सके कई उपनाधधयनाफाँ दली गई थनीगां और दरबनार मम उनकके बबैठनके
कके ललए पवशकेर आसन ककी व्यवस्थना ककी जनातनी थनी। उनकके रहनके कके मकनान मम भनी फ़दौज ककी पवशकेर
व्यवस्थना हभोतनी थनी। दलीपनावलली कके समय सकेठजनी अपनके धर पर जश्न मननातके थके, कजसमम मणग़ल समनाट
बहनादरण शनाह स्वयगां उपकस्थत रहतके थके और सकेठ सनाहब समनाट कभो दभो लनाख अशकफ़र्व यहों कना नज़रनानना
भम ट करतके थके।

उस समय समनाट बहनादरण शनाह जफर कके दरबनार मम अधधकनागांश दरबनारली स्वनाथर्शी व अय्यनाश थके तथना वके
स्वयगां चनाहतके थके कक सल्लनत हभो और उन्हम कणछ बननके कना मदौक़ना लमलके। सकेठ रनामजनीदनास गणड़वनालना नके
कई बनार करभोड़हों रुपयके बहनादरण शनाह जफर कभो इसललए ददए कक वके एक सणसगांगदठत फ़दौज कना तनमनार्वण
करकके बब्रितनातनयहों सके लभोहना लम और मनातभ
त पलम कभो उनककी दनासतना सके मणकत करम । गणप्तचर पवभनाग कना
तनमनार्वण सकेठ सनाहब नके स्वयगां ककयना l जभो बब्रितनातनयहों ककी गततपवधधयहों ककी ख़िबरम लनाकर दके तना थना ।
सन ज़ 1857 ककी कनागांतत ककी सफलतना कके ललए सकेठ रनामजनीदनास गड़
ण वनालना नके दभो बनार करभोड़हों रुपयके
सहयभोग कके रूप मम और अरबहों रुपयके कज़र्व रके रूप मम बहनादरण शनाह जफर कभो ददए। इसकके अततररकत
फ़दौज कभो रसद दके नके कके ललए तभो उनकना भगांडनार खल
ण ना हली रहतना थना। बब्रितनाननी अधधकनारली भनी सकेठ
रनामजनीदनास गणड़वनालना कके पररधचत थके और वके स्वयगां सहनायतना कके ललए सकेठ सनाहब कके पनास पहणफाँचके थके, पर
सकेठ सनाहब नके उन्हम ककसनी भनी प्रकनार भनी प्रकनार ककी सहनायतना दके नके सके इन्कनार कर ददयना थना।

अपननी सफलतना कके ददौर मम बब्रितनातनयहों नके जभो पहलके कनाम ककयना, वह यह कक उन्हहोंनके ददल्लली कके
चनाफाँदननी चदौक मम सरके आम लशकनारली कणत्तके छभोड़कर सकेठ रनामजनीदनास गणड़वनालना कभो उन्हहोंनके नभोचवनायना और
घनायल अवस्थना मम हली चदौक मम उन्हम फनाफाँसनी पर लटकना ददयना। हमनारके आधणतनक भनामनाशनाह दके श ककी
आज़नादली कके ललए कणबनार्वन हभो गए।

36. ठिककबरि रिणमतिससक्रांह


उनककी रगहों मम शणद्ध क्षबत्रय रकत उबनाल खना रहना थना। मनातभ
त पलम कके शत्रओ
ण गां सके दभो-दभो हनाथ करनके कके
ललए उनककी भणजनाएफाँ फड़क रहली थनी। सन ज़ 1857 कना प्रथम स्वनाधनीनतना सगांगनाम प्रनारगां भ हभोकर अपनके अगांत
ककी ओर बढ़ रहना थना। बब्रितनातनयहों नके अपननी कस्थतत सफाँभनाल लली थनी और उनकना पवजय अलभयनान
तकेज़नी कके सनाथ चल रहना थना। ठनाकणर रणमतलसगांह नके बब्रितनातनयहों सके टककर लकेनके कना सगांकल्प कर डनालना।

रणमतलसगांह रलीवना नरके श महनारनाज रधणरनाजलसगांह ककी सकेनना मम सरदनार कके उच्च पद पर आसनीन थके। उन
ददनहों दके शनी ररयनासत मम रणमतलसगांह नके पडललदटकल एजमट ओसवनान कके पवरुद्ध बग़नावत कर दली। इनकके
सनाधथयहों नके ओसवनान कके बग़लम पर आकमण कर ददयना। ओसवनान अपनके प्रनाण बचनानके मम सफल हभो
गयना।

ठनाकणर रणमतलसगांह कना लशकनार उनकके हनाथहों सके तनकल गयना। एक बब्रितनाननी न सहली तभो दस
प रना सहली।
उन्हहोंनके ननागभोद रनाज्य कके रके कज़डमट पर हमलना बभोल ददयना। वह रके जनीडमट भनी भनागकर अजयगढ़ रनाज्य
ककी शरण मम पहणफाँच गयना। अजयगढ़ नरके श नके अपननी शरण मम आए हणए बब्रितनाननी ककी रक्षना करनके कके
ललए ककेशरलीलसगांह बणदकेलना कके नकेतत्त व मम एक सकेनना भकेज दली भनाजसनाफाँय स्थनान पर भगांयकर यणद्ध हणआ।
ठनाकणर रणमतलसगांह शत्रण सकेनना कभो कनाटतके हणए ककेशरलीलसगांह कके सनामनके जना पहणफाँचके। दभो ददग्गजहों ककी
तलवनारबनाज़नी दके खनके हली बनतनी थनी। आखख़िर ठनाकणर रणमतलसगांह नके अपननी तलवनार कके एक वनार सके
ककेशरलीलसगांह कके दभो टणकड़के कर डनालके ।

इस पवजय सके प्रभोत्सनादहत हभोकर ठनाकणर रणमतलसगांह नके नदौगनाफाँव ककी बब्रितनाननी छनावननी पर हमलना बभोल
ददयना। वके पनीरवर तनात्यना टभोपके सके अपनके सगांबगांध स्थनापपत करनना चनाहतके थके। अपनके इस मनसपबके कभो वके
परप ना कर सकके। उन्हहोंनके बरसौंधना ननामक स्थनान पर बब्रितनाननी सकेनना कना मणक़नाबलना करकके इसकभो तहस-
नहस कर ददयना।

कई बनार जनाल डनालनके पर भनी बब्रितनाननी ठनाकणर रणमतलसगांह कभो धगरफ़्तनार करनके मम सफल नहलीगां हभो रहके
थके। आखख़िर उन्हहोंनके वहली ननीच चनाल चलली, जभो वके हमकेशना चलनातके आए थके। ठनाकणर रणमतलसगांह एक ददन
जब अपनके एक लमत्र पवजय शगांकर ननाग कके धर जलपना दके वनी कके मगांददर कके तहखनानके मम पवश्रनाम कर
रहके थके, तभो धभोखके सके उन्हम धगरफ़्तनार कर ललयना गयना और सन ज़ 1859 मम अनगांत चतणदर्वशनी कके ददन
आगरना जकेल मम उन्हम फनाफाँसनी पर झणलना ददयना गयना। उनकना जन्म सन 1825 मम हणआ थना ।

37. रिक्रां गटो बकपस जच


इगांग्लहड ककी रनाजधनाननी लगांदन मम एक भनारतनीय व्यककत जहनाफाँ भनी जनातना लभोगहों कके आकरर्वण और
मनभोरगां जन कना कमद्र बन जनातना थना। महनारनाकष्ट्रयन ढगां ग ककी पगांडडकनाऊ धभोतनी, घणटनहों तक लटकनके वनालना
बगांद गलके कना कभोट, कगांधके पर झपलतना हणआ दप
ण ट्टिना, लसर पर भनारली पगड़नी, घननी और कनालली मपफाँछम तथना
मनाथके पर आड़ना ततलक - यह थनी उनककी वकेशभपरना एवगां बनाह्य कततत। लभोगहों कना अनणमनान थना, कक वह
व्यककत बब्रितनाननी नहलीगां जनानतना हभोगना। पर जब वके उन्हम धनारनाप्रवनाह बब्रितनाननी बभोलतके हणए दके खतके तभो दगां ग
रह जनातके थके। उस व्यककत कना ननाम थना रगां गभो बनापपजनी गणप्तके। वह भनारत मम महनारनाष्ट्र कके सतनारना रनाज्य
कके रनाजना प्रतनापलसगांह ककी ओर सके उनकके कनायर्व कके ललए लगांदन गए थके। लगांदन मम उनककी भम ट अजनीमणल्लना
खनाफाँ सके हणई, जभो ननानना सनाहब पकेशवना कके कनायर्व सके वहनाफाँ गए हणए थके।

पररकस्थततयनाफाँ हली व्यककत कभो बनागनी बननातनी हह। रगां गभो बनापज
प नी गप्ण तके अपनके रनाजना ककी वकनालत कके ललए
लगांदन गए थके, पर वहनाफाँ पहणफाँचकर वके पण
प रू
र्व प सके बनागनी बन गए। उनकके मन मम बब्रितनातनयहों कके प्रतत
धण त ना ओर पवद्धकेर कके भनाव जनागत हभो गए। सगांपण प र्व इगांग्लहड मम उन्हम व्यककतगत स्वतगांत्रतना कके दशर्वन हभोतके
थके, पर भनारत मम इसकके पवपरलीत दशना थनी, जहनाफाँ भनारतनीयहों कभो ककसनी भनी प्रकनार ककी स्वतगांत्रतना नहलीगां थनी
बब्रितनातनयहों कके आचरण कके इस पवरभोघनाभनास नके उन्हम बब्रितनातनयहों कना कट्टिर शत्रण बनना ददयना। इगांग्लहड मम
यधपप उन्हम अपनके कनायर्व मम सफलतना तभो नहली लमलली, पर अपनके हदय मम वबैचनाररक कनागांतत कना लहरनातना
हणआ सनागर लकेकर वके सनागर-सतरण करकके भनारत लदौट आए ।

फनागांस ककी रनाज्य कनागांतत मम जभो महत्व वनाल्टके यर कना हबै , वहली स्थनान 1857 ककी भनारतनीय सशस्त्र कनागांतत
मम अजनीमणल्लना खनाफाँ और रगां गभो बनापणजनी गणप्तके कना हबै । अजनीमणल्लना खनाफाँ नके उतर भनारत मम और रगां गभो
बनापणजनी गणप्तके महनारनाष्ट्र मम कनागांतत ककी सगांरचनना करकके बब्रितनाननी सनामनाज्य कके ललए मणसनीबत पबैदना कर दली।
इन महनानणभनावहों नके लभोगहों कभो ककेवल उकसनायना हली नहलीगां, वके स्वयगां भनी कनागांतत यज्ञ मम कपद पड़के।
सन ज़ 1853 मम लगांदन सके लदौटनके कके पश्चनात रगां गभो बनापज
प नी गप्ण तके नके कभोल्हनापरण , बकेलगनाफाँव, धनारवनाड़ और
सतनारना कके सगांपण
प र्व क्षकेत्र मम बगांड़के गभोपननीय ढगां ग सके उग कनागांतत कना प्रसनार ककयना। सन ज़ 1858 मम उनकके एक
तनकट कके लमत्र नके पवश्वनासधनात करकके उन्हम बब्रितनातनयहों कके हनाथहों धगरफ्तनार करनानके कना प्रयत्न ककयना,
पर इस पवश्वनाधनात ककी गगांध पनाकर कके फरनार हभो गए । पतना नहलीगां कब और इन महनान कनागांततकनारली
कना दके हनावसनान हभो गयना ।

38. भकस्करि रिकव बकबक सकहब नरिगक्रांगबदकरि


उस ददन कननार्वटक कके अगांचल मम कस्थत नरगणगांद रनाज्य मम पवरनाद छना गयना। नरगणगांद कके लभोकपप्रय
महनारनाज भनास्कर रनाव बनाबनासनाहब नरगणगांदकर कभो तनरनाशना हली नहलीगां हणई, उन्हम अपमनान कना कड़वना घपफाँट
भनी पनीनना पड़ना। बनाबनासनाहब कके कभोई पणत्र नहलीगां थना। रनाज्य कना उतरनाअधधकनारली तनकश्चत करनके कके ललए
उन्हहोंनके धनारवनाड़ कके कलकेकटर तथना बकेवगनाफाँव कके कलमश्नर कके ननाम पत्र ललखकर प्रनाथर्वनना ककी कक उन्हम
दत्तक पत्र
ण ककी अनणमतत दली जनाए। उनककी प्रनाथर्वनना स्वनीकनार नहलीगां ककी गई। बनाबसनाहब नके बगांबई ककी
सरकनार कभो भनी इस आशय सके पत्र ललखना, पर वहनाफाँ सके भनी इनकनार कना हली उपहनार लमलना। इतनना हली
नहलीगां पभोललदटकल एजमट जकेम्स मम शन नके बनाबनासनाहब कना अपमनान करनके कके ललए उद्गांडतनापपणर्व भनारना मम
उन्हम एक पत्र ललखना। यह पत्र पनाकर बनाबसनाहब ततललमलना गए और वके अपमनान कना बदलना लकेनके कना
उपनाय सभोचनके लगके ।

बनाबनाससनाहब नरगणगांदकर अपनके रनाज्य मम बहणत लभोकपप्रय थके। वके पवद्वनान, सनाहसनी, वनीर और यभोद्धना थके।
वके पवद्धनानहों कना आदर करतके थके। उन्हहोंनके अपनके महल मम सगांस्कतत कके लगभग चनार हजनार चणनके हणए
गथहों सगांगह कर रखना थना। उनकके स्वभनाव ककी एक पवशकेरतना यह थनी कक वके ककसनी ककी चणनदौतनी कभो
अस्वनीकनार करनना नहलीगां जनानतके थके। यहली कनारण थना कक पभोललदटकल एजमट जकेम्स मम शन कके प्रतत उनकके
मन मम पवद्धकेरकग्न भड़क उठछी। उन ददनभो उतर भनारत मम 1857 कना स्वनाधनीनतना समर चल रहना थना।
बनाबनासनाहब नके सभोचना कक यह समय अच्छना हबै । कयहों दकक्षण भनारत मम भनी यह अकग्न सणगलना दली जनाए

एक ददन बनाबनासनाहब कभो मनालपम हणआ कक जकेम्स मम शन पनास कके हली एक गनाफाँव मम ठहरना हणआ हबै ।
उन्हहोंनके सभोचना कक मम शन सके अपमनान कना बदलना लकेनके कके ललए यह समय अच्छना हबै । उन्हहोंनके अपनके
5-6 पवश्वस्त वनीरहों कके सनाथ जकेम्स मम शन पर धनावना बभोल ददयना। जकेम्स मम शन भनागना और एक मनारुतत
मगांददर मम तछप गयना। बनाबनासनाहब नके उसके खभोज तनकनालना और यह कहकर कक मनारुतत भगवनान ज़ नके
लशकनार कके ललए मणझके एक दनानव ददयना हबै , अपननी तलवनार कके वनार सके मम शन कना मस्तक उसकके धड़
सके अलग कर ददयना ।
बनाबनासनाहब नके अपमनान कना बदलना तभो लके ललयना थना, पर अभनी बब्रितनातनयहों कभो सबक लसखनानना बनाककी
थना। उन्हहोंनके जकेम्स मम शन कके कटके हणए लसर कभो अपनके भनालके ककी नभोक मम खहोंसकर उसके नरगगांणद नगर
मम धमण नायना और उसनी भनालके कभो चदौरनाहके पर गनाड़ ददयना। कजससके आस-पनास कके गनाफाँव कके लभोग भनी आकर
उन्हम दके ख सकम। पनाचफाँ ददन तक वह लसर प्रदशर्वन कके ललए टफाँ गना रहना ।

बब्रितनाननी लभोग अपननी जनातत कके इस अपमनान कभो कबैसके सह सकतके थके। बब्रितनाननी सकेननापतत मनालकर नके
सकेनना एकबत्रत करकके नरगणगांद पर हमलना बभोल ददयना। पहलली लड़नाई मम बनाबनासनाहब नके बब्रितनाननी सकेनना कभो
पनीछके धककेल ददयना। बब्रितनातनयहों नके अपननी सकेनना ककी सगांख्यना बढना दली ।

अगलके ददन बनाबनासनाहब अपनके कणछ सनाधथयहों कके सनाथ ककसनी सणरकक्षत स्थनान पर पहफाँ ज़णचनके कके ललए
ककलके कके बनाहर तनकल गए। बब्रितनातनयहों कभो इस बनात कना पतना चल गयना और उनकना पनीछना ककयना
गयना। बनाबनासनाहब नरगणगांदकर कभो धगरफ्तनार कर ललयना गयना ।

बनाबनासनाहब कके ऊपर पभोललदटकल एजमट जकेम्स मम शन कना मणकदमना चलनायना गयना। न्यनायनालय नके उन्हम
फनाफाँसनी कना दगां ड सणननायना ।

12 जपन 1858, कभो बनाबनासनाहब नरगणगांदकर फनाफाँसनी पर झणलकर भनारत मनातना ककी गभोद मम सदबै व कके ललए
सभो गए ।

39. वकसबदपेव बलवक्रांति फड़कक


उस समय पन
प ना मम बब्रितनाननी फदौज कना दबदबना थना। फदौज कके पवत्त पवभनागनीय कनायनार्वलय मम एक
तकेजवगांत नवयव
ण क उस ददन तनबटनाई जनानकेवनालली फनाइलहों कभो उपनके बब्रितनाननी सनाहब कके सनामनके प्रस्तणत
करनके कके ललए तबैयनार कर रहना थना। यह कनाम उन्हम तनत्य हली करनना पड़तना थना और तनत्य हली घर
पहणफाँचनके मम उन्हम कनाफकी दके र हभो जनातनी थनी। आज वह दफ़्तर कना समय समनाप्त हभोतके हली जल्दली छपट
जनानना चनाहतके थके, कयभोकक नगर कके सनावर्वजतनक सभनास्थल पर आज परम दके शभकत न्यनायमपततरज़ रनानडके
कना भनारण आयभोकजत थना। वह इस भनारण सके वगांधचत नहलीगां हभोनना चनाहतके थके l कयहोंकक वह रनानडके
महभोदय कके पवशकेर भकत थके और उनकके उत्तकेजक भनारणहों सके उनकके मन कभो प्रकेरणना लमलतनी थनी। इन
तकेजवगांत नवयणवक कना ननाम वनासणदकेव बलवगांत फड़कके थना ।

फड़कके फनाइलहों कना बगांडल सनाहब कके पनास लके जनानके वनालके हली थके कक उसनी समय उनकके एक लमत्र नके
आकर समनाचनार ददयना, आपकके जन्म स्थनान लशरठदौन मम आप्ककी मनाफाँ गगांभनीर रूप सके बनीमनार हभो गई हह
और वह आप्कके ननाम ककी रट लगनाए हणए हह।
समनाचनार सम
ण कर फड़कके धचगांततत हभो उठके । फनाइलहों कना बगांडल लके जनाकर उन्हहोंनके सनाहब कके टके बल पर
रखना और पवननीत भनाव सके बभोल उठके - सर गनाफाँव मम मकेरली मनातनाजनी गगांभनीर रूप सके बनीमनार हभो गई हह। मझ
ण के
शनीघ्र हली बल
ण नायना हह। मझ
ण के एक हप्तके ककी छणट्टिनी दके दलीकजए। आपककी बड़नी कतपना हभोगनी। नहलीगां एक ददन ककी
भनी छणट्टिनी नहलीगां लमलकेगनी। सनाहब नके रूखना उत्तर दके ददयना।

सर मकेरली मनाफाँ कभो कणछ हभो गयना तभो कफर मह कयना करूफाँगना फड़कके नके रुआफाँसके स्वर मम कहना ।ज्यनादना-सके-
ज्यनादना तणम्हनारली मनाफाँ मर जनाएगनी। यदद मनाफाँ कना हली मभोह थना तभो नदौकरली करनके कयहों आए। सनाहब नके
और बकेरूखनी कके सनाथ कहना ।

सर, तभो मह अपननी मनाफाँ कके ललए नदौकरली कना मभोह छभोड़ रहना हपफाँ। मह अपनना त्यनाग-पत्र ललखकर आपकभो
ददए जनातना हणफाँ। मकेरली मनाफाँ मणझके पणकनार रहली हबै । यह कहकर फड़कके अपननी टके बल पर गए और त्यनाग
-पत्र ललखकर सनाहब ककी टके बल पर पटक ददयना। बब्रितनाननी सनाहब कणछ कहके , उसकके पहलके हली वह दफ्तर
सके बनाहर हभो गए । सनावर्वजतनक सभनास्थल उनकके घर कके रनास्तम मके हली पड़तना थना। कजस समय वह
उधर सके तनकलके, कभोई रनाजनकेतना भनारण दके रहके थके।

उनकना अगांततम वनाकय थना- नदौजवनानभो कभो बब्रितनातनयहों द्धनारना दली गई चणनदौतनी कभो स्वनीकनार करनना चनादहए।
वह तनारूण्य हली कबैसना जभो कणछ करकके ददखना न सकके। अपनके दके श ककी स्वनाधनीनतना कके ललए आज कके
नदौजवनानहों कभो कफर सके महनारनाणना प्रतनाप और छत्रपतत लशवनाजनी बनकर ददखनानके ककी जरूरत हबै । वनासणदकेव
बलवगांत फड़कके चलके गए । उनकके मन मम वहली वनाकय गफाँज
प तना रहना- अपनके दके श ककी स्वनाधनीनतना कके ललए
आज कके नदौजवनानहों कभो कफर सके महनारनाणना प्रतनाप और छत्रपतत लशवनाजनी बनकर ददखनानके ककी जरूरत
हबै ।

फड़कके अपनके गनाफाँव लशरठदौन जना पहणफाँचके। उनककी मनाफाँ बच तभो नहलीगां सककी पर उन्हम सगांतभोर थना कक वह
उनकके अगांततम दशर्वन और उनककी थभोडनी बहणत सकेवना शपश्रपरना कर सकके। अपननी मनाफाँ ककी मत्त यण कके पश्चनात ज़
एक पवचनार उनकके मन मम बनार-बनार कसौंधनके लगना-

कयना हणआ जभो मकेरली मनाफाँ मर गई। दके र-सबकेर सभनी मनातनाएफाँ मरतनी हह। कदौन बचना सकना हबै अपननी मनाफाँ
कभो। पर एक मनाफाँ हबै , कजसकभो हम सबकभो लमलकर बचनानना चनादहए। वह मनाफाँ हम सबककी मनाफाँ हबै । हमनारली
भनारत मनातना कभो परदके शनी कफरधगगांयभो नके दनासतना कके बगांधनहों मम जकड़ रखना हबै । हम सबकभो लमलकर
अपननी भनारत-मनातना कभो पवदके शनी दनासतना कके चगांगणल सके मणकत करनानना चनादहए।

बनार-बनार कसौंधकर इस पवचनार नके फड़कके कके मन मम सगांकलप कना रूप धनारण कर ललयना। वह हमकेशना कके
ललए अपनना गनाफाँव छभोड़कर चलना गयना। जनातके समय वह लदौट-लदौट कर उस गनाफाँव तभो दकेके खतना रहना थना,
कजसककी पनावन और प्रनाकतततक गभोद मम 4 नवम्बर 1845 कभो उनकना जन्म हणआ थना। धनीरके -धनीरके गनाफाँव
उनककी दृकष्ट सके ओझल हभो गयना, पर अब उस गनाफाँव कके स्थनान पर समपचना दके श उनककी दृकष्ट मम थना।
अब उनककी दृकष्ट मम अपनना दके श थना -भनारत दके श।

पररकस्थततयहों कना अध्ययन कर वनासणदकेव बलवगांत फड़कके नके तनश्चय ककयना कक बब्रिदटश शनासन कना
पगांजना भनारत ककी भपलम पर दृढतना सके जम चणकना हबै और अब आमनके-सनामनके कके यणद्धभो मम उससके पनार
पनानना मणकश्कल हबै , अत: ककेवल छनापनाननार यणद्ध-प्रणनालली सके हली अगम जनी शनासन कके पगांजके कणछ दढलना ककयना
जना सकतना हबै । यहली तभो रनानडके महभोदय नके कहना थना कक आज कके नदौजवनानभो कभो महनारनाणना प्रतनाप और
छत्रपतत लशवनाजनी बनकर ददखनानके ककी जरूरत हबै । उन्हहोंनके तनश्चय कर डनालना कक वन्य -जनाततयहों कभो
सकेनना कके रूप मम सगांगदठत करकके बब्रितनातनयहों ककी ननीगांद हरनाम करननी हबै । उन्हहोंनके खनामभोशनी , ननाईक और
भनील जनाततयभो ककी सकेननाएफाँ सगांगदठत करकके उन्हम गणलचकेकड़नी तथना फग्यबसन ककी पहनाडड़यहों मम सबैन्य
प्रलशक्षण दके नना प्रनारगां भ कर ददयना। अपनके इस अलभयनान मम उन्हम पवश्वसननीय सहयभोगनी भनी लमल गए।
ददौलतरनाव रनामभोशनी कना अपननी जनातत कके लभोगभो पर अच्छना प्रभनाव थना। वह भनी दल-बल सदहत फड़कके
ककी सकेनना मम सकम्मललत हभो गए। गभोपवगांदरनाव दनावरके भनी अत्यगांत प्रभनावशनालली व्यककत थके। वह फड़कके कना
दनादहनना हनाथ बन गए। लभोग दनावरके कभो जनरल दनावरके और फड़कके कभो लशवनाजनी द्पवतनीय कके ननाम सके
पक
ण नारनके लगके।

फड़कके ककी सकेनना कना आकनार ओर आगांतक बढनके लगना। आवश्यकतना पड़नके पर वह हबै दरनाबनाद कके
तनजनाम कके रनाज्य मम सके पठनानहों और रुहके लभो कभो भनी अपननी सकेनना मम भतर्शी कर ललयना करतके थके।
बब्रितनातनयहों और शस्त्रनागनारहों कभो छनापके मनारकर लपटना जनानके लगना। शस्त्रनाजर्वन कके ललए पबैसके ककी समस्यना
हल करनके कके ललए वह कभनी-कभनी बडके-बडके रईसहों और सकेठ सनाहणकनारहों कके यहनाफाँ डनाकके डनालनके सके नहलीगां
चपकतके थके। अमनीरहों कना धन लपटकर वह गरलीबहों नम बनाफाँटतके थके।समनाजवनाद कना व्यनावहनाररक रूप वह
जनीवन मम अपनना रहके थके। जभो कणछ वह लपटतके उसकना पगांचवनीमना करतके थके। उनकना कहनना थना कक दके श कके
स्वनाधधन हभोनके पर लपटना हणआ धन वह ब्यनाज सदहत वनापस कर दम गके। पनालस्पके कके डनाकके मम फड़कके कभो
सनाठ हजनार रुपए हनाथ लगके ।

अपननी सकेनना कना सगांगठन फड़कके नके लभोकतनागांबत्रक ढगां ग सके ककयना थना। यद्यपप वह अपननी सकेनना कके
मणखखयना थके, पर कफर भनी वह सकेनना कके अन्य सहयभोगनी नकेतनाओगां और सबैतनकहों कके सलनाह कके सनणसनार
कनायर्व करतके थके। एक ददन उन्हहोंनके डनायरली मम ललखना-

मह इसनी बनात (बब्रितनातनयहों कभो तनकनालनके ) पर ददन-रनात पवचनार ककयना करतना हपफाँ। सबैकड़भो कष्ट दके खकर
मकेरके ह्रदय नके तनश्चय कर ललयना हबै कक इस बब्रिदटश सतना कना खनात्मना करूफाँगना। और कभोई पवचनार मकेरके
मन मम नहलीगां आतके और न रनातभो कभो ननीगांद हली आतनी हबै ।
सन 1976-77 मम महनारनाष्ट्र मम भयगांकर अकनाल पड़ना। भपख ककी पनीड़ना सके हजनारहों व्यककत्त कनाल कके गनाल
मम समना गए। इधर गदौरनागांगदके व थके कके अन्न पर पलकर, उन्हलीगां कभो दम तभोड़तके हणए दके खकर प्रसन्न
हभोतके थके। वनासणदकेव बलवगांत फड़कके सके यह नहलीगां दके खना गयना। उनककी आत्मना पवद्रभोह कर बबैठछी। उन्हहोंनके
ललखना मकेरके यके दके शवनासनी उसनी मनातना कके पत्र
ण हह, कजनकना मम हपफाँ। वके भपखम मरम और मह जनानवरहों कना जनीवन
व्यतनीत करू, यह पवचनार भनी असगांभव हबै । उनककी सहनायतना करनके और उन्हम स्वतगांत्र करनानके मम प्रनाण
न्यभोछनावर कर दके नना कहलीगां अच्छना हबै ।

अपनके सगांकल्पहों कभो पपरना करनके कके ललए फड़कके जणट गए। बब्रितनातनयहों कके खजनानके लपट-लपटकर वह गरलीबहों
कके पकेट भरनके लगके। सरकनारली अफसर थर-थर कनाफाँपनके लगके। अगम ज भकत अखबनार बदौखलना गए। गनाफाँवभो
और छभोटके -छभोटके नगरहों मम रहनकेवनालके बब्रितनाननी भनाग-भनागकर पपनना पहणफाँचनके लगके। फड़कके नके पपनना तक
उनकना पनीछना नहलीगां छभोड़ना। उन्हहोंनके उतनार ददयना। सतनारना कजलके कभो उन्हहोंनके रसौंद डनालना। ऐसना लगतना थना
जबैसके महनारनाष्ट्र कके सनात कजलहों मम बब्रितनातनयहों ककी हणकपमत उलटकर फड़कके ककी हणकपमत कनायम हभो गई
हभो। उन्हहोंनके बब्रिदटश जकेलहों पर धनावके बभोलकर कबैददयहों कभो मणकत कर ददयना। स्वभनावत: वके कबैदली उनककी
सकेनना कके सबैतनक बन गए।

फड़कके कके आतगांक सके बब्रितनाननी हणकपमत ककी ननीगांद हरनाम हभो गई। सन ज़ 1857 मम असगांख्य वनीरहों ककी
छनाततयनाफाँ गभोललयहों सके छलननी करकके, फनाफाँसनी कके फगांदभो पर लचकनाकर जनीपवत जलनाकर, धभोड़हों ककी टनापहों सके
कणचलवनाकर और सगांगनीनभो सके छके दकर बब्रितनातनयहों नके सभोचना थना दमन चक मम भनारतनीय कफर लसर
उठनानके कना सनाहस नहलीगां करम गके और न दके श ककी आजनादली ककी बनात सभोचम गके ककगां तण उन्हम कयना पतना थना कक
भनारतनीय कनागांततकनारली रकतबनीज हभोतके हह। एक शहलीद कके खपन सके सबैकड़हों कनागांततकनारली पबैदना हभोकर शहलीदभो
ककी पगांककतयहों मम पहणफाँचनके कके ललए बकेचबैन हभो उठतके हह। एसना हली एक प्रचड़ कनागांततकनारली थके- बलवगांत
फड़कके।

फड़कके कके उरद्रवहों सके, बब्रिदटश सतना लड़ख़िडनानके लगनी। उन्हम पकड़नके कके ललए जनाल डनालके जनानके लगके।
बगांबई कके गवनर्वर ररचडड नके धभोपरत ककयना कक फड़कके कभो पकड़नके यना मनारनके वनालके व्यककत कभो पनाफाँच
हजनार रुपए पणरस्कनार स्वरुप ददए जनाएफाँगके। वनीर फड़कके कब चणप रहनके वनालके थके। उन्हहोंनके भनी घभोरणना
कर दली - जभो कभोई बगांबई कके गवनर्वर सर ररचडड टह पल कना लसर लनाकर मणझके दके गना, मह उसके दस हजनार
रुपए इननाम मम दफाँ ग
प ना । बकेचनारके गवनर्वर महभोदय ककी ननीगांद हरनाम हभो गई। उन्हभोनके बनाहर घपमनना-कफरनना
बगांद कर ददयना। सभोतके-सभोतके भनी वके फड़कके। फड़कके। कहकर धचल्लना उठतके थके ।

शनासन नके अपनके प्रयत्न और तकेज कर ददए। फड़कके कभो पकड़नके कके ललए तनजनाम तथना बब्रितनातनयहों ककी
फदौजम पनीछना कर रहली थनीगां। मकेजर डकेतनयस और सकेटलीफमसन कके नकेतत्त व मम बब्रितनाननी सकेननाओगां नके उनकना
पनीछना ककयना।
फड़कके तनजनाम कके रनाज्य मम जना तनकलके। एक ददन तनरगां तर भनागतके रहनके कके कनारण वह बहणत थक
गए। बख
ण नार नके भनी उन पर आकमण कर ददयना। आश्रय पनानके कक ललए वह हबै दरनाबनाद रनाज्य कके
कलनादगनी कजलके कके एक गनाफाँव मम पहणफाँचके और दके वनी कके मगांददर मम पवश्रनाम करनके लगके। बख ण नार और थकनान
कके कनारण वह मतप छर्व त जबैसबै हभो गए। जभनी पनीछना करतनी हणई बब्रिदटश सकेनना वहनाफाँ पहणफाँच गई। मकेजर
डकेतनयल उनककी छनातनी पर ख़िडना हभो गयना, और बट
प पहनके हणए उसनके अपनना एक पनार फड़कके कके गलके
पर रख ददयना और बभोलना - कहभो फडकके अब कयना चनाहतके हभो ? तणमसके तलवनार कके दभो-दभो हनाथ करनना
चनाहतना हपफाँ। फड़कके कना उत्तर थना। डकेतनयल नके चन
ण दौतनी स्वनीकनार नहलीगां ककी। हथकडड़यनाफाँ डनालकर वह उन्हम
पपनना लके गयना।

पपनना मम फड़कके पर रनाजद्रभोह कना मणकदमना चलनायना गयना। न्यनायनालय नके उन्हम आजन्म कनारनावनास कना
दगां ड सणननायना। फड़कके जबैसके महनाभयगांकर कबैदली कभो भनारतभपलम ककी ककसनी जकेल यना अगांडमनान मम रखनना
उधचत नहलीगां समझना गयना। उन्हम पवदके श लके जनाकर जकेल मम रखना गयना ।

वनीर फड़कके नके वहनाफाँ भनी अपनना परनाकम ददखनायना। वह जकेल तभोड़कर भनाग तनकलके। यदद वह भनारत ककी
ककसनी जकेल सके भनागके हभोतके तभो बब्रिदटश सरकनार उनककी छनायना भनी नहलीगां छप सकतनी थनी। वह अगांडमनान मम
थके। जकेल सके तनकलकर वह जगांगलहों मम भपखके-प्यनासके भटकतके रहके । भनारना ककी कदठननाई कके कनारण वह
अगांडमनान कके लभोगहों कभो अपनना मगांतव्य नहलीगां समझना सकके।दलीबनापना पकड़कर वह कफर मम ठपफाँस ददयना
गयना। अगांडमनान ककी जकेल मम हली वनीर वनासणदकेव बलवगांत फड़कके नके 17 फरवरली 1883 कभो जनीवन ककी अगांततम
सनाफाँस लली। भनारत ककी भपलम सके तभो वह वनीर पवदना हभो हली चणकके थके l वह दतण नयना सके भनी बबदना हभो गए।
हम उनकभो अलपवदना भनी न कह पनाए ।

40. ममौलवच अहमदल्


ब लक
वहनाबनी आगांदभोलन वबैसके तभो धनालमर्वक आगांदभोनल थना, लकेककन इस आगांदभोलन नके रनाजननीततक स्वरुप गहण
कर ललयना थना और वह भनारत सके बब्रितनाननी शनासन कभो उखनाडनके
ड ककी ददशना मम अगसर हभो चलना थना।
वहनाबनी आगांदभोलन कना प्रनादभ
ण नार्वव अरब मम अकणल वहनाब ननामक नके ककयना थना। भनारत मम वहनाबनी आगांदभोलन
कके नकेतनाओगां मम रनायबरके लली कके सबैयद अहमदशनाह और कके शनाह वललीउल्लना थके। सबैयद अहमदशनाह कके
पश्चनात ज़ बबहनार कके मदौलनावनी अहमदल्
ण लना इस सगांप्रदनाय कके नकेतना बनके। वके पटनना कजलके कके सनाददकपणर कके
रहनकेवनालके थके।

मदौलवनी अहमदल्
ण लना कके नकेतणत्व मम वहनाबनी आगांदभोलन नके स्पष्ट रूप सके बब्रितनाननी पवरभोघनी रुख घनारण कर
ललयना। भनारत मम बब्रितनातनयहों कके पवरुद्ध कभोई सकेनना ख़िडनी नहलीगां ककी जना सकतनी थनी, इस कनारण मदौलवनी
अहमदल्
ण लना नके मज
ण नादहदलीनहों ककी एक फदौज सनीमना पनार इलनाकके कके लसतनानना स्थनान पर ख़िडनी ककी। उस
सकेनना कके ललए वके धन, जन तथना हधथयनार भनारत सके हली भकेजतके थके।
यधपप बब्रितनाननी शनासक मदौलवनी अहमदल्
ण लना ककी गततपवतघयहों ककी ओर सके शगांककत थके, पर उनकके प्रभनाव
कभो दके खतके हणए वके उनकके पवरूद्ध कभोई कदम नहलीगां उठना सकतके थके। जब सन 1859 मम बब्रितनातनयहों कके
पवरुद्ध पटनना मम भनी पवद्रभोह भड़क उठना तभो वहनाफाँ कके कलमश्नर टके लर नके मदौलवनी सनाहब कभो शनागांतत
स्थनापनना कके उपनायहों पर चचनार्व कके ललए आमगांबत्रत ककयना और वहलीगां उन्हम धगरफ्तनार कर ललयना गयना।
पटनना कके कलमश्नर टके लर कके स्थनाननागांतरण कके पश्चनात ज़ हलीगां मदौलवनी सनाहब कभो मक
ण त ककयना गयना। मणकत
हभोनके कके पश्चनात मदौलवनी अहमदल्
ण लना नके बब्रितनातनयहों कके पवरूद्ध बनाकनायदना यद्ध
ण कना सगांचनालन प्रनारगां भ कर
ददयना। बब्रितनातनयहोंज़के कके पवरुद्ध मणजनादहदलीनहों नके तनीन स्थनानहों पर लड़नाइयनाफाँ लड़नीगां। पहलली लड़नाई सन ज़
1858 मम शनाहलीनपनसबनी स्थनान पर हणई। जब बब्रितनाननी लड़नाइयहों मम नहलीगां जनीत सकके तभो उन्हहोंनके ररश्वत
कना सहनारना लकेकर अपनना कनाम बननायना।

सन ज़ 1865 मम मदौलवनी अहमदल्


ण लना कभो बड़नी चनालनाककी कके सनाथ धगरफ्तनार कर ललयना गयना और मणकदमना
चलनायना गयना। बहणत लभोभ-लनालच दके कर हली शनासन उनकके पवरुद्ध गवनाहली दके नके वनालहों कभो तबैयनार कर
सकना। इस मणकदमके मम सकेशन अदनालत नके तभो मदौलवनी सनाहब कभो प्रनाणदगां ड ककी सजना सणननाई, लकेककन
हनाईकभोटर्व मके अपनील करनके पर वह आजनीवन कनालकेपनाननी ककी सजना मम पररवतततर्व हभो गई। मदौलवनी सनाहब
कभो कनालकेपनाननी ककी कनाल कभोठररयहों मम डनाल ददयना गयना।

यद्यपप मदौलवनी अहमदल्


ण लना कनालकेपनाननी ककी कनाल कभोठरली मम बगांद थके, लकेककन वके वहनाफाँ सके भनी भनारत मम
चलनके वनालके वहनाबनी आगांदभोलन कभो तनदर लशत करतके रहके । वके सनीमना पनार कके गनाफाँव लसतनानना मम मणजनादहदलीनहों
ककी फदौज कभो भनी तनदर श पर बगांगनाल कके चनीफ जकस्टस पकेस्टन ननामडन ककी हत्यना अबदल्
ण लना ननाम कके
एक वहनाबनी नके उस समय कर दली, जब वके सनीदढयहों सके ननीचके उतर रहके थके। इतनना हली नहलीगां, भनारत कके
वनाइसरनाय लडडर्व मकेयभो जब सरकनारली ददौरके पर अगांडमनान गए तभो मदौलवनी अहमदल्
ण लना ककी यभोजनना कके
अनणसनार हली 8 फरवरली, 1872 कभो एक वहनाबनी पठनान शकेर अलली नके लडडर्व मकेयभो ककी उस समय हत्यना कर
दली, जब वके मभोटर बभोट पर चढ़ रहके थके।

मदौलवनी अहमदल्
ण लना नके पपरके पच्चनीस वरर्व तक बब्रितनातनयहोंज़म कके पवरुद्ध सगांधरर्व कना सगांचनालन ककयना।
स्वनाधनीन भनारत उस महनान दके शभकत कना ऋ णनी हबै ।

41. लकल जयदयकल


रचननाकनार : कन्हबै यना लनाल जनी

बब्रितनातनयहों कभो भनारत सके बनाहर तनकनालनके कके ललए यणगनाब्द 4659 (सन ज़ 1857) मम हणआ स्वतगांत्रतना कना
यणद्ध भनारत कना प्रथम स्वतगांत्रतना सगांगनाम कहना जनातना हबै । दके खना जनाए तभो स्वतगांत्रतना कके सगांघरर्व ककी
शणरुआत महनारनाणना हम्मनीर लसगांह नके ककी थनी। वनीरहों मम वनीरभोत्तम महनारनाणना हम्मनीर नके मणकस्लम
आकमणकनाररयहों कना बढ़नाव कनाफ़की समय तक रभोकके रखना। वस्तणतनः लससभोददयना वगांश कना परप ना इततहनास
हली भनारत ककी स्वतगांत्रतना कके ललए ककए गए सगांघरर्व कना इततहनास हबै । लकेककन बब्रितनातनयहों कके खख़िलनाफ़ परप के
भनारत मम एक सनाथ और यभोजननाबद्ध यणद्ध सन ज़ 1857 मम लड़ना गयना, इसनीललए इततहनासकनारहों नके इसके
प्रथम स्वतगांत्रतना सगांगनाम बतनायना।

कनागांतत कके इस महनायज्ञ कभो धधकनानके ककी यभोजनना अजनीमणल्लना खनाफाँ तथना रगां गभोबनापपजनी नके लगांदन मम बननाई
थनी। यभोजनना बननाकर यके दभोनहों उत्कट रनाष्ट्र-भकत पकेशवना कके पनास आए और उन्हम इस अदत
ण समर
कना नकेतत्त व करनके कभो कहना। सबैतनक अलभयनान कके ननायक कके रूप मम तनात्यना टभोपके कभो तय ककयना गयना।
सगांघरर्व कके ललए सगांगठन खड़ना करनके तथना जन-जनागरण कना कनाम पपरके दभो सनाल तक ककयना गयना।

मदौलवनी, पगांडडत और सगांन्यनासनी पपरके दके श मम कनागांतत कना सगांदकेश दके तके हणए घपमनके लगके। ननानना सनाहब तनीथर्व-
यनात्रना कके बहनानके दके शनी रजवनाड़हों मम घपमकर उनकना मन टटभोलनके लगके। आल्हना कके बभोल, ननाटक मगांडललयनाफाँ
और कठपणतललयहों कके खकेल कके द्वनारना स्वधमर्व और स्वरनाज्य कना सगांदकेश जन-जन मम पहणफाँचनायना जनानके
लगना। कनागांतत कना प्रतनीक लनाल रगां ग कना कमल सबैतनक छनावतनयहों मम एक सके दस
प रके गनाफाँव मम घपमतके पपरके
दके श ककी यनात्रना करनके लगना। इतननी ज़बरदस्त तबैयनारली कके बनाद सगांघरर्व ककी रूप-रके खना बननी। यह सब कनाम
इतननी सनावधनाननी सके हणआ कक धपतर्व बब्रितनातनयहों कभो भनी इसकना पतना तभोप कना पहलना गभोलना चलनके कके
बनाद हली लगना।

रनाजस्थनान मम पहलली धचगांगनारली


इस अपव
प र्व कनागांतत-यज्ञ मम रनाजसत्तना कके सपत
प हों नके भनी अपननी सलमधना अपपर्वत ककी। दके श कके अन्य कमद्रहों
ककी तरह रनाजस्थनान मम भनी सबैतनक छनावतनयहों सके हली स्वतगांत्रतना-सगांगनाम ककी शरु ण आत हणई। उस समय
बब्रितनातनयहों नके रनाजपत
प नानके मम 6 सबैतनक छनावतनयनाफाँ बनना रखनी थनी। सबसके प्रमणख छनावननी थनी नसनीरनाबनाद
ककी। अन्य छनावतनयनाफाँ थनी- ननीमच, ब्यनावर, दके वलली (टहोंक), एररनपरण ना (जभोधपरण ) तथना खबैरवनाड़ना (उदयपरण सके
100 कक.मनी. दरप )। इन्हलीगां छनावतनयहों ककी सहनायतना सके बब्रितनातनयहों नके रनाजपत
प नानना कके लगभग सभनी
रनाजनाओगां कभो अपनके वश मम कर रखना थना। दभो-चनार रनाजघरनानहों कके अततररकत सभनी रनाजवगांश बब्रितनातनयहों
सके सगांधध कर चणकके थके और उनककी जनी हजपरलीमम हली अपननी शनान समझतके थके। इन छनावतनयहों मम
भनारतनीय सबैतनक पयनार्वप्त सगांख्यना मम थके तथना रकत कमल और रभोटली कना सगांदकेश उनकके पनास आ चणकना
थना।

रनाजपपतनानके (रनाजस्थनान) मम कनागांतत कना पवस्फभोट 28 मई 1857 कभो हणआ। रनाजस्थनान कके इततहनास मम यह
ततधथ स्वणनार्वक्षरहों मम ललखनी जनाननी चनादहए तथना हर सनाल इस ददन उत्सव मननायना जनानना चनादहए। इसनी
ददन दभोपहर दभो बजके नसनीरनाबनाद मम तभोप कना एक गभोलना दनाग़ कर कनागांततकनाररयहों नके यद्ध
ण कना डगांकना बजना
ददयना। सगांपण
प र्व दके श मम कनागांतत ककी अकग्न प्रज्जवललत करनके कके ललए 31 मई, रपववनार कना ददन तय
ककयना गयना थना, ककगां तण मकेरठ मम 10 मई कभो हली स्वनातगांत्र्य समर कना शगांख बज गयना। ददल्लली मम
कनागांततकनाररयहों नके बब्रितनातनयहों कके खख़िलनाफ़ शस्त्र उठना ललए। यके समनाचनार नसनीरनाबनाद ककी छनावननी मम भनी
पहणफाँचके तभो यहनाफाँ कके कनागांतत वनीर भनी ग़ल
ण नामनी कना कलगांक धभोनके कके ललए उठ खड़के हणए। नसनीरनाबनाद मम
मदौजपद '15 वनीगां नकेदटव इन्फकेन्ट्रली' कके जवनानहों नके अन्य भनारतनीय लसपनादहयहों कभो सनाथ लकेकर तभोपख़िनानके पर
कब्जना कर ललयना। इनकना नकेतत्त व बख्तनावर लसगांह ननाम कके जवनान कर रहके थके। वहनाफाँ मदौजद
प अफाँगकेज़
सबैन्य अधधकनाररयहों नके अश्वनारभोहली सकेनना तथना लनाइट इन्फकेन्ट्रली कभो स्वतगांत्रतना सबैतनकहों पर हमलना करनके
कना आदके श ददयना। आदके श मनानके कके स्थनान पर दभोनहों टणकडड़यहों कके जवनानहों नके अफाँगकेज़ अधधकनाररयहों पर
हली बगांदक
प तनान दली। कनर्वल न्यपबरली तथना मकेजर स्पनाटवणड कभो वहलीगां ढके र कर ददयना गयना। लकेकफ्टनकेण्ट
लडक तथना कप्तनान हनाडर्शी बणरली तरह घनायल हणए।

छनावननी कना कमनागांडर बब्रिगकेडडयर फकेनपवक वहनाफाँ सके भनाग छपटना और उसनके ब्यनावर मम जनाकर शरण लली.
नसनीरनाबनाद छनावननी मम अब भनारतनीय सबैतनक हली बचके। वके सबकके सब स्वनातगांत्र्य सबैतनकहों कके सनाथ हभो
गए। छनावननी कभो तहस-नहस कर स्वनातगांत्र्य सबैतनकहों नके ददल्लली ककी ओर कपच ककयना।

कमनागांडर गणरकेस रनाम


नसनीरनाबनाद कके स्वतगांत्रतना सगांगनाम कना समनाचनार तणरगांत-फणरत ननीमच पहणफाँच गयना। 3 जपन ककी रनात
नसनीरनाबनाद सके तनीन सदौ कक. मनी. ककी दरप ली पर कस्थत ननीमच सबैतनक छनावननी मम भनी भनारतनीय सबैतनकभो नके
शस्त्र उठना ललए। रनात 11 बजके 7 वनीगां नकेदटव इन्फकेण्ट्रली कके जवनानहों नके तभोप सके दभो गभोलके दनागके। यह
स्वनातगांत्र्य सबैतनकहों कके ललए सगांघरर्व शणरू करनके कना सगांककेत थना। गभोलहों ककी आवनाज़ आतके हली छनावननी कभो
घकेर ललयना गयना तथना आग लगना दली गई। ननीमच कक़लके ककी रक्षना कके ललए तबैननात सबैतनक टणकड़नी भनी
स्वनातगांत्र्य-सबैतनकहों कके सनाथ हभो गई। अफाँगकेज़ सबैतनक अधधकनाररयहों नके भनागनके मम हली अपननी कणशल
समझनी। सरकनारली ख़िज़नानके पर कनागांततकनाररयहों कना अधधकनार हभो गयना।

आकमणकनारली कफ़रगां धगयहों कके पवरुद्ध सनामनान्य जनतना तथना भनारतनीय सबैतनकहों मम कनाफ़की ग़स्
ण सना थना।
इसकके बनावजपद कनागांततकनाररयहों नके दहगांद-प सगांस्कततत ककी परगां परना तनभनातके हणए न तभो व्यथर्व हत्यनाकनागांड ककए,
नहलीगां अफाँगकेज़ मदहलनाओगां व बच्चहों कभो परके शनान ककयना। नसनीरनाबनाद सके भनागके अफाँगकेज़ सबैतनक अधधकनाररयहों
कके पररवनारहों कभो सणरकक्षत रूप सके ब्यनावर पहणफाँचनानके मम भनारतनीय सबैतनकहों व जनतना नके पपरली सहनायतना ककी।
इस तरह ननीमच सके तनकलके अगांगकेज मदहलनाओगां व बच्चहों कभो डपग
गां लना गनाफाँव कके एक ककसनान रूगांगनारनाम नके
शरण प्रदनान ककी और उनकके भभोजन आदद ककी व्यवस्थना ककी। ऐसके हली भनागके दभो अफाँगकेज़ डनाकटरहों कभो
ककेसपन्दना गनाफाँव कके लभोगहों नके शरण दली। इसकके उलट जब स्वनातगांत्र्य सबैतनकहों ककी हनार हभोलनके लगनी तभो
बब्रितनातनयहों नके उन पर तथना सनामनान्य जनतना पर भनीरण और बबर्वर अत्यनाचनार ककए।
ननीमच कके कनागांततकनाररयहों नके सपबकेदनार गणरकेसरनाम कभो अपनना कमनागांडर तय ककयना। सणदकेरली लसगांह कभो
बब्रिगकेडडयर तथना दभोस्त मभोहम्मद कभो बब्रिगकेड कना मकेजर तय ककयना। इनकके नकेतत्त व मम स्वनातगांत्र्य सबैतनकहों
नके दके वलली कभो ओर कपच ककयना। रनास्तम मम धचत्तदौड़, हम्मनीरगढ़ तथना बनकेड़ना पड़तके थके। स्वनातगांत्र्य सकेनना नके
तनीनहों स्थनानहों पर मदौजपद अफाँगकेज़ सकेनना कभो मनार भगनायना तथना शनाहपरण ना पहणफाँचके। शनाहपरण ना कके महनारनाज नके
कनागांततकनाररयहों कना खलण के ददल सके स्वनागत ककयना। दभो ददन तक उनककी आवभगत करनके कके बनाद अस्त्र-
शस्त्र व धन दके कर शनाहपरण ना नरके श नके कनागांततकनाररयहों कभो पवदना ककयना। इसकके बनाद सबैतनक तनम्बनाहके डना
पहणफाँचके, जहनाफाँ ककी जनतना तथना जनागनीरदनारहों नके भनी उनककी ददल खभोलकर आवभगत ककी।

दके वलली ककी सकेनना जगांग मम शनालमल


दके वलली बब्रितनातनयहों ककी तनीसरली महत्वपपणर्व छनावननी थनी। नसनीरनाबनाद तथना ननीमच मम भनारतनीय सबैतनकहों
द्वनारना शस्त्र उठना लकेनके कके समनाचनार दके वलली पहणफाँच गए थके, अतनः अफाँगकेज़ पहलके हली वहनाफाँ सके भनाग छपटके ।
वहनाफाँ मदौजपद महलीदपपर बब्रिगकेड आज़नादली कके सकेननातनयहों ककी प्रतनीक्षना कर रहली थनी। तनम्बनाहके ड़ना सके जबैसके हली
भनारतनीय सकेनना दके वलली पहणफाँचनी, यह बब्रिगकेड भनी उनकके सनाथ हभो गई। उनकना लक्ष्य अब टहोंक थना, जहनाफाँ कना
नवनाब बब्रितनातनयहों कना पपट्ठिण बनके हणए थके। मणककतवनादहननी टहोंक पहणफाँचनी तभो वहनाफाँ ककी जनतना उसकके स्वनागत
कके ललए उमड़ पडनी। टहोंक नवनाब ककी सकेनना भनी कनागांततकनाररयहों कके सनाथ हभो गई। जनतना नके नवनाब कभो
उसकके महल मम बगांद कर वहनाफाँ पहरना लगना ददयना। भनारतयनीय सबैतनकहों ककी शककत अब कनाफ़की बढ़ गई
थनी। उत्सनादहत हभोकर वह पवशनाल सकेनना आगरना ककी ओर बढ़ गई। रनास्त मम पड़नके वनालली अफाँगकेज़ फ़दौजहों
कभो लशकस्त दके तके हणए सकेनना ददल्लली पहणफाँच गई और कफ़रगां धगयहों पर हमलना कर ददयना।

कभोटना कके दभो सपपत


1857 कके स्वतगांत्रतना सगांगनाम कना एक दनःण खद पक्ष यह थना कक जहनाफाँ रनाजस्थनान ककी जनतना और
अपकेक्षनाकतत छभोटके दठकनानकेदनारहों नके इस सगांघरर्व मम खणलकर कफ़रगां धगयहों कना पवरभोध ककयना, वहलीगां अधधकनागांश
रनाजघरनानहों नके बब्रितनातनयहों कना सनाथ दके कर इस वनीर भपलम ककी परगां परना कभो ठके स पहणफाँचनाई।

कभोटना कके उस समय कके महनारनाव ककी भनी बब्रितनातनयहों सके सगांधध थनी पर रनाज्य ककी जनतना कफ़रगां धगयहों कभो
उखनाड़ फहकनके पर उतनारू थनी। कभोटना ककी सकेनना भनी महनारनाव ककी सगांधध कके कनारण मन हली मन
बब्रितनातनयहों कके खख़िलनाफ़ हभो गई थनी। भनारतनीय सबैतनकहों मम आज़नादली ककी भनावनना इतननी प्रबल थनी कक घ ज़
कभोटना कण्टलीजमट ' ननाम ककी वह टणकड़नी भनी गभोरहों कके खख़िलनाफ़ हभो गई, कजसके बब्रितनातनयहों नके ख़िनास तदौर
पर अपननी सणरक्षना कके ललए तबैयनार ककयना थना। कभोटना मम मदौजपद भनारतनीय सबैतनकहों तथना जनतना मम
आज़नादली ककी प्रबल अकग्न प्रज्जवललत करनके वनालके दके श भकतहों कके मणख्य थके लनालना जयदलनाय तथना
मकेहरनाब खनान। भनारत मनातना कके इन दभोनहों सपपतहों कके पनास कनागांतत कना प्रतनीक घ ज़ रकत-कमल ' कनाफ़की
पहलके हली पहणफाँच चणकना थना तथना छनावतनयहों मम घ ज़ रभोटली ' कके जररयके कफ़रगां धगयहों कके खख़िलनाफ़ उठ खड़के हभोनके
कना सगांदकेश भनी भकेजना जना चणकना थना।
गभोकणल (मथणरना) कके रहनके वनालके लनालना जयदयनाल कभो महनारनाव नके हनाड़दौतनी एजमसनी कके ललए अपनना वककील
तनयक
ण त कर रखना थना। बब्रितनातनयहों कभो 35 वरर्शीय लनालना जनी ककी गततपवधधयहों पर कणछ सगांदकेह हभो गयना,
अतनः उन्हहोंनके उनकभो पद सके हटवना ददयना। जयदयनाल अब सनावधनाननी सके जन-जनागरण कना कनाम करनके
लगके। इस बनीच ननीमच, नसनीरनाबनाद और दके वलली कके सगांघरर्व ककी सच
प नना कभोटना पहणफाँच चणककी थनी। मकेहरनाब
खनान रनाज्य ककी सकेनना ककी एक टणकड़नी घ ज़ पनायगना पलटन ' मम ररसनालदनार थके। सकेनना कभो कनागांतत कके ललए
तबैयनार करनके मम मणख्य भलप मकना मकेहरनाब खनान ककी हली थनी।

कभोटना मम स्वरनाज्य स्थनापपत हणआ


15 अकटपबर 1857 कभो कभोटना रनाज्य ककी घ ज़ ननारनायण पलटन ' तथना घ ज़ भवनाननी पलटन ' कके सभनी
सबैतनकहों नके तभोपम व अन्य हधथयनार लकेकर कभोटना मम मदौजपद अफाँगकेज़ सबैतनक अधधकनारली मकेजर बटर्व न कभो
घकेर ललयना। सगांख्यना मम लगभग तनीन हज़नार स्वरनाज्य सबैतनकहों कना नकेतत्त व लनालना जयदयनाल और
मकेहरनाब खनान कर रहके थके। स्वनातगांत्र्य सकेनना नके रके जनीडमसनी (मकेजर बटर्व न कना तनवनास) पर गभोलनाबनारली शणरू
कर दली। सगांघरर्व मम मकेजर बटर्व न व उसकके दभोनहों पणत्रहों सदहत कई अफाँगकेज़ मनारके गए। रके जनीडकेन्सनी पर
अधधकनार कर कनागांततकनाररयभो नके रनाज्य कके भगांडनार, शस्त्रनागनारहों तथना कभोरनागनारहों पर कब्जना करतके हणए पपरके
रनाज्य कभो बब्रितनातनयहों सके मणकत करना ललयना। परप के रनाज्य ककी सकेनना, अधधकनारली तथना अन्य प्रमणख व्यककत
भनी घ्स्वरनाज्य व स्वधमर्व ' कके सकेननातनयहों कके सनाथ हभो गए।

रनाज्य कके हली एक अन्य नगर पनाटन कके कणछ प्रमणख लभोग बब्रितनातनयहों सके सहनानणभपतत रखतके थके।
स्वनातगांत्र्य सबैतनकहों नके पनाटन पर तभोपहों कके गभोलके बरसनाकर वहनाफाँ मदौजपद बब्रितनातनयहों कभो हधथयनार डनालनके
कभो बनाध्य कर ददयना। अब पपरके रनाजतगांत्र पर लनालना जयदयनाल और मकेहरनाब खनान कना तनयगांत्रण थना।
छह महलीनहों तक कभोटना रनाज्य मम स्वतगांत्रतना सबैननातनयहों कना हली अधधकनार रहना।

इस बनीच कभोटना कके महनारनाव नके करदौलली कके शनासन मदन लसगांह सके सहनायतना मनाफाँगनी तथना स्वरनाज्य
सबैतनकहों कना दमन करनके कभो कहना। हमनारके दके श कना दभ
ण नार्वग्य रहना कक स्वतगांत्रतना सगांगनाम कके यभोद्धनाओगां कभो
अपनके हली दके शवनालसयहों सके यणद्ध करनना पड़ना। करदौलली सके पन्द्रह सदौ सबैतनकहों नके कभोटना पर आकमण कर
ददयना। उधर मकेजर जनरल रनाबट्र्वस भनी पनाफाँच हज़नार सके अधधक सकेनना कके सनाथ कभोटना पर चढ़ आयना।
रनाजस्थनान और पगांजनाब कके कणछ रनाज घरनानहों ककी सहनायतना सके अफाँगकेज़ अब भनारतनीय यभोद्धनाओगां पर हनावनी
हभोनके लगके थके।

पवकट पररकस्थतत दके ख कर मकेहरनाब खनान तथना उनकके सहयभोगनी दलीनदयनाल लसगांह नके ग्वनाललयर रनाज कके
एक दठकनानके सबलगढ कके रनाजना गभोपवन्दरनाव पवट्ठिल सके सहनायतना मनाफाँगनी। पर लनालना जयदयनाल कभो कभोई
सहनायतना लमलनके सके पहलके हली मकेजर जनरल रनाबट्र्वस तथना करदौलली और गभोटके परण ककी फ़दौजहों नके 25 मनाचर्व
1858 कभो कभोटना कभो घकेर ललयना। पनाफाँच ददनहों तक भनारतनीय सबैतनकहों तथना कफ़रगां धगयहों मम घमनासनान यद्ध

हणआ। 30 मनाचर्व कभो बब्रितनातनयहों कभो कभोटना मम घस
ण नके मम सफलतना लमल गई। लनालना जयदयनाल कके भनाई
हरदयनाल यणद्ध मम मनारके गए तथना मकेहरनाब खनान कके भनाई करलीम खनाफाँ कभो पकड़कर बब्रितनातनयहों नके सरके
आम फनाफाँसनी पर लटकना ददयना।

लनालना जयदयनाल और मकेहरनाब खनान अपनके सनाधथयहों कके सनाथ कभोटना सके तनकलकर गनागरभोन पहणफाँचके।
अफाँगकेज़ भनी पनीछना करतके हणए वहनाफाँ पहणफाँच गए तथना गनागरभोन कके मकेवनाततयहों कना बबर्वरतना सके कल्तके आम
ककयना। बब्रितनातनयहों ककी बबर्वरतना यहलीगां नहलीगां रुककी, भफाँवर गढ़, बड़नी कचकेड़नी, ददवनाडना आदद स्थनानहों पर भनी
नरसगांहनार तथना मदहलनाओगां पर अत्यनाचनार ककए गए। उकत सभनी स्थनानहों कके लभोगहों नके पनीछके हटतके
स्वनातगांत्र्य-सबैतनकहों ककी सहनायतना ककी थनी। बब्रितनातनयहों नके इन दठकनानहों कके हर घर कभो लपटना और फ़सलहों
मम आग लगना दली।

दके शभकतहों कना बललदनान


अब सभनी स्थनानहों पर स्वतगांत्रतना सकेननातनयहों ककी हनार हभो रहली थनी। लनालना जयदयनाल तथना मकेहरनाब खनान
भनी अपनके सनाधथयहों कके सनाथ अलग-अलग ददशनाओगां मम तनकल गए। अफाँगकेज़ लगनातनार उनकना पनीछना कर
रहके थके। डकेढ़ सनाल तक अगांगजहों कभो चकमना दके नके कके बनाद ददसगांबर, 56 मम गणड़ गनाफाँव मम मकेहरनाब खनान
बब्रितनातनयहों ककी पकड़ मम आ गए। उन पर दके वलली मम मणकदमना चलनायना गयना तथना मत्त यणदगांड सणननायना
गयना।

इस बनीच लनालना जयदयनाल ककी धगरफ़्तनारली कके ललए बब्रितनातनयहों नके 12 हज़नार रू. कके इननाम ककी घभोरणना
कर दली थनी। जयदयनाल उस समय फ़क़कीर कके वकेश मम अलवर रनाज्य मम तछपके हणए थके। रुपयहों कके
लनालच मम एक दके शद्रभोहली नके लनालना जनी कभो धभोखना दके कर धगरफ़्तनार करवना ददयना। उन पर भनी दके वलली मम
हली मणकदमना चलनायना गयना। 17 लसतम्बर 1860 कभो लनालना जयदयनाल और मकेहरनाब खनान कभो कभोटना
एजमसनी कके बग़लम कके पनास उसनी स्थनान पर फनाफाँसनी दली गई जहनाफाँ उन्हहोंनके मकेजर बटर्व न कना वध ककयना
थना। इस तरह दभो उत्कट दके शभकत स्वतगांत्रतना कके यद्ध
ण मम अपननी आहणतत दके अमर हभो गए। उनकना यह
बललदनान स्थनान आज भनी कभोटना मम मदौजपद हबै पर अभनी तक उपकेकक्षत पड़ना हणआ हबै ।

42. ठिककबरि कबशकल ससक्रांह

रचननाकनार : पपनना रनाम जनी चदौधरली

कजस तरह सके वनीर कफाँण वर लसगांह नके भनारत ककी आज़नादली कके ललए अपनना रण-रगां ग ददखनायना उसनी तरह
रनाजस्थनान मम आउवना ठनाकणर कणशनाल लसगांह नके भनी अपननी अनणपम वनीरतना सके बब्रितनातनयहों कना मनान मदर्व न
करतके हणए कनागांतत कके इस महनायज्ञ मम अपननी आहणतत दली। पनालली कज़लके कना एक छभोटना सना दठनाकनानना थना
घ ज़ आउवना ' , लकेककन ठनाकणर कणशनाल लसगांह ककी प्रमणख रनाष्ट्रभककत नके सन ज़ सत्तनावन मम आउवना कभो
स्वनातगांत्र्य-सगांघरर्व कना एक महत्वपण
प र्व कमद्र बनना ददयना। ठनाकणर कणशनाल लसगांह तथना मनारवनाड़ कना सगांघरर्व
प्रथम स्वतगांत्रतना कना एक स्वखणर्वम पष्त ठ हबै ।

जभोधपणर कके दके शभकत महनारनाजना मनान लसगांह कके सगांन्यनासनी हभो जनानके कके बनाद बब्रितनातनयहों नके अपनके पपट्ठिण
तख़्त लसगांह कभो जभोधपणर कना रनाजना बनना ददयना। तख़्त लसगांह नके बब्रितनातनयहों ककी हर तरह सके सहनायतना
ककी। जभोधपणर रनाज्य उस समय बब्रितनातनयहों कभो हर सनाल सवना लनाख रुपयना दके तना थना। इस धन सके
बब्रितनातनयहों नके अपननी सणरक्षना कके ललए एक सकेनना बननाई, कजसकना ननाम घ ज़ जभोधपणर ललीजन ' रखना गयना।
इस सकेनना ककी छनावननी जभोधपणर सके कणछ दरप एररनपणरना मम थनी। अफाँगकेज़ सकेनना ककी रनाजस्थनान ककी छह
प्रमणख छनावतनयहों मम यह भनी एक थनी। रनाजस्थनान मम स्वनाधनीनतना सगांगनाम ककी शणरुआत 28 मई, 1857 कभो
नसनीरनाबनाद सके हणई थनी। इसकके बनाद ननीमच और दके वलली कके भनारतनीय सबैतनक भनी सगांघरर्व मम कपद चपकके थके।
अब बनारली थनी एररनपणरना कके घ ज़ जभोधपरण ललीजन ' ककी, कजसके कफ़रगां धगयहों नके ख़िनासकर अपननी सणरक्षना कके
ललए बननायना थना।

सपबकेदनार गभोजन लसगांह कना आबप पर हमलना


जभोधपणर कके महनारनाज तख़्त लसगांह बब्रितनातनयहों ककी कतपना सके हली सणख भभोग रहके थके, अतनः स्वतगांत्रतना यज्ञ
ककी जवनालना भड़कतके हली उन्हहोंनके तणरगांत बब्रितनातनयहों ककी सहनायतना करनके ककी तबैयनार कर लली। जभोधपणर ककी
जनतना अपनके रनाजना कके इस आचरण सके कनाफ़की ग़स्
ण सके मम थनी। रनाज्य ककी सकेनना भनी मन सके स्वनाधनीनतना
सबैननातनयहों कके सनाथ थनी तथना घ ज़ जभोधपणर ललीजन ' भनी सशस्त्र कनागांतत कके महनायज्ञ मम कपद पड़नना चनाहतनी
थनी। नसनीरनाबनाद छनावननी मम कनागांतत ककी शणरुआत हभोतके हली जभोधपणर-नरके श नके रनाजककीय सकेनना ककी एक
टणकड़नी गभोरहों ककी मदद कके ललए अजमकेर भकेद दली। इस सकेनना नके बब्रितनातनयहों कना सनाथ दके नके सके इगांकनार कर
ददयना। कणशलरनाज लसगांघवनी नके सकेननापततत्व मम जभोधपणर ककी एक और सकेनना नसनीरनाबनाद कके भनारतनीय
सबैतनकहों कभो दबनानके कके ललए भकेजनी गई। इस सकेनना नके भनी बब्रितनातनयहों कना सनाथ नहलीगां ददयना। दहण्डदौन मम
जयपणर रनाज्य ककी सकेनना भनी जयपणर नरके श ककी अवज्ञना करतके हणए कनागांततकनारली भनारतनीय सकेनना सके लमल
गई। इस सब घटननाओगां कना अगांगकेजहों ककी पवशकेर सकेनना घ ज़ जभोधपणर ललीजन ' पर भनी असर पड़ना। इसकके
सबैतनकहों नके स्वतगांत्रतना सगांगनाम मम कपद पड़नके कना तनश्चय कर ललयना।

अगस्त 1857 मम इस घ ज़ ललीजन ' ककी एक टणकड़नी कभो रभोवना ठनाकणर कके खख़िलनाफ़ अननादरना भकेजना गयना।
इस टणकड़नी कके ननायक हवलदनार गभोजन लसगांह थके। रभोवना ठनाकणर पर आकमण कके स्थनान पर 21 अगस्त
ककी सणबह तनीन बजके यह टणकड़नी आबप पहनाड़ पर चढ़ गई। उस समय आबप पवर्वत पर कनाफकी सगांख्यना मम
गभोरके सबैतनक मदौजपद थके। गभोजन लसगांह कके नकेतत्त व मम जभोधपणर ललीजन कके स्वतगांत्रतना सबैतनकहों नके दभो तरफ़
सके कफ़रगां धगयहों पर हमलना कर ददयना। सणबह कके धणगांधलकके मम हणए इस हमलके सके अफाँगकेज़ सबैतनकहों मम
भगदड़ मच गई। आबप सके बब्रितनातनयहों कभो भगना कर गभोजन लसगांह एररनपणरना ककी और चल पड़के। गभोजन
लसगांह कके पहणफाँचतके हली ललीजन ककी घड़
ण सवनार टणकड़नी तथना पबैदल सकेनना भनी स्वरनाज्य-सबैतनकहों कके सनाथ हभो
गई। तभोपखनानके पर भनी मणककत-वनादहननी कना अधधकनार हभो गयना। एररनपरण ना छनावननी कके सबैतनकहों नके
मकेहरनाब लसगांह कभो अपनना मणखखयना चणनना। मकेहरनाब लसगांह कभो घ ज़ ललीजन ' कना जनरल मनान कर यह सकेनना
पनालली ककी ओर चल पड़नी।

आउवना मम स्वनागत
आउवना मम चम्पनावत ठनाकणर कणशनाल लसगांह कनाफ़की पहलके सके हली पवदके शनी (अफाँगकेज़नी) शनासकहों कके खख़िलनाफ़
सगांघरर्व करनके कना तनश्चय कर चणकके थम । अफाँगकेज़ उन्हम फपटली आफाँखहों भनी नहलीगां सणहनातके थके। ननानना सनाहब
पकेशवना तथना तनात्यना टभोपके सके उनकना सगांपकर्व हभो चपकना थना। पपरके रनाजस्थनान मम बब्रितनातनयहों कभो धपल चटनानके
ककी एक व्यनापक रणननीतत ठनाकणर कणशनाल लसगांह नके बननाई थनी।

सलपम्बर कके रनावत ककेसरली लसगांह कके सनाथ लमलकर जभो व्यपह-रचनना उन्हहोंनके ककी उसमम यदद अफाँगकेज़ फफाँस
जनातके तभो रनाजस्थनान सके उनकना सफनायना हभोनना तनकश्चत थना। बड़के रनाजघरनानहों कभो छभोड़कर सभनी छभोटके
दठकनानहों कके सरदनारहों सके कनागांतत कके दभोनहों धणरधरहों ककी गणप्त मगांत्रणना हणई। इन सभनी दठकनानहों कके सनाथ घ ज़
जभोधपणर ललीजन ' कभो जभोड़कर कणशनाल लसगांह और ककेसरली लसगांह बब्रितनातनयहों कके खख़िलनाफ़ एक अजकेय
मभोचरबन्दली करनना चनाहतके थके।

इसनीललए जब जनरल मकेहरबनान लसगांह ककी कमनान मम जभोधपरण ललीजन कके जवनान पनालली कके पनास आउवना
पहणफाँचके तभो ठनाकणर कणशनाल लसगांह नके स्वनातगांत्र्य-सबैतनकहों कना कक़लके मम भव्य स्वनागत ककयना। इसनी कके सनाथ
आसभोप कके ठनाकणर लशवननाथ लसगांह, गपलर कके ठनाकणर बबशन लसगांह तथना आलयतनयनावनास कके ठनाकणर अजनीत
लसगांह भनी अपननी सकेनना सदहत आउवना आ गए। लनाकम्बयना, बन्तनावनास तथना रूदनावनास कके जनागनीरदनार भनी
अपनके सबैतनकहों कके सनाथ आउवना आ पहणफाँचके। सलपम्बर, रूपनगर, लनासनाणनी तथना आसनीन्द कके स्वनातगांत्र्य-
सबैतनक भनी वहनाफाँ आकर बब्रितनातनयहों सके दभो-दभो हनाथ करनके ककी तबैयनारली करनके लगके। स्वनाधनीनतना सबैतनकहों
ककी पवशनाल छनावननी हली बन गयना आउवना। ददल्लली गए सबैतनकहों कके अततररकत हर स्वनातगांत्रतना-प्रकेमनी
यभोद्धना कके पबैर इस शककत कमद्र ककी ओर बढ़नके लगके। अब सभनी सबैतनकहों नके लमलकर ठनाकणर कणशनाल लसगांह
कभो अपनना प्रमणख चणन ललयना।

मडक मकेसन कना सर कनाटना


आउवना मम स्वनाधनीनतना- सबैतनकहों कके जमनाव सके कफ़रगां गनी धचगांततत हभो रहके थके अतनः लभोहके सके लभोहना कनाटनके
ककी कपटननीतत पर अमल करतके हणए उन्हहोंनके जभोधपणर नरके श कभो आउवना पर हमलना करनके कना हणकम
ददयना। अननाड़लसगांह ककी अगणवनाई मम जभोधपणर ककी एक पवशनाल सकेनना नके पनालली सके आउवना ककी ओर कपच
ककयना। आउवना सके पहलके अफाँगकेज़ सकेननाननायक हलीथकभोटना भनी उससके लमलना। 8 लसतम्बर कभो स्वरनाज्य कके
सबैतनकहों नके घ ज़ मनारभो कफ़रगां गनी कभो ' तथना घ ज़ हर-हर महनादके व ' कके घभोरहों कके सनाथ इस सकेनना पर हमलना
कर ददयना। अननाड़लसगांह तथना हलीथकभोट बरण ली तरह हनारके । बबथदौड़ना कके पनास हणए इस यद्ध
ण मम अननाड़ लसगांह
मनारना गयना और हलीथकभोट भनाग खड़ना हणआ। जभोधणपर सकेनना कभो भनारली नक ण सनान उठनानना पड़ना। इस सकेनना
ककी दग
ण तर्व त कना समनाचनार लमलतके हली जनाजर्व लनारम स नके ब्यनावर मम एक सकेनना खड़नी ककी तथना आउवना ककी
ओर चल पड़ना। 18 लसतम्बर कभो कफ़रगां धगयहों ककी इस पवशनाल सकेनना नके आउवना पर हमलना कर ददयना।
बब्रितनातनयहों कके आनके ककी ख़िबर लगतके हली कणशनाल लसगांह कक़लके सके तनकलके और बब्रितनातनयहों पर टपट पड़के।
चकेलनावनास कके पनास घमनासनान यद्ध ण हणआ तथना लनारके न्स ककी करनारली हनार हणई। मडक मकेसन यद्ध
ण मम मनारना
गयना। कनागांततकनाररयहों नके उसकना लसर कनाट कर उसकना शव कक़लके कके दरवनाज़के पर उलटना लटकना ददयना।
इस यणद्ध मम ठनाकणर कणशनाल लसगांह तथना स्वनातगांत्र्य-वनादहननी कके वनीरहों नके अदत
प वनीरतना ददखनाई। आस-पनास
सके क्षकेत्रहों मम आज तक लभोकगनीतहों मम इस यणद्ध कभो यनाद ककयना जनातना हबै । एक लभोकगनीत इस प्रकनार हबै
ढभोल बनाजके चगांग बनाजबै, भलभो बनाजके बनाफाँककयभो।
एजमट कभो मनार कर, दरवनाज़ना पर टनाफाँककयभो।
झपझके आहपवभो यके झपझभो आहपवभो, मणल्कनागां मम ठनाफाँवहों ददयना आहपवभो।

इस बनीच डनीसना ककी भनारतनीय सकेननाएफाँ भनी कनागांततकनाररयहों सके लमल गई। ठनाकणर कणशनाल लसगांह ककी व्यपह-
रचनना सफ़ल हभोनके लगनी और बब्रितनातनयहों कके खख़िलनाफ़ एक मजपबत मभोचनार्व आउवना मम बन गयना। अब
मकण कत-वनादहननी नके जभोधपरण कभो बब्रितनातनयहों कके चगांगणल सके छणड़नानके ककी यभोजनना बननाई। उसनी समय ददल्लली
मम कनागांततकनाररयहों ककी कस्थतत कमज़भोर हभोनके कके समनाचनार आउवना ठनाकणर कभो लमलके कणशल लसगांह नके सभनी
प्रमणख लभोगहों कके सनाथ कफर सके अपननी यद्ध
ण -ननीतत पर पवचनार ककयना। सबककी सहमतत सके तय हणआ कक
सकेनना कना एक बड़ना भनाग ददल्लली कके स्वनाधनीनतना सबैतनकहों ककी सहनायतना कके ललऐ भकेजना जनाए तथना शकेर
सकेनना आउवना मम अपननी मभोचरबन्दली मज़बत
प कर लके। ददल्लली जनानके वनालली फ़दौज ककी समनान आसभोप
ठनाकणर लशवननाथ लसगांह कभो ससौंपनी गई।

लशवननाथ लसगांह आउवना सके त्वररत गतत सके तनकलके तथना रके वनाड़नी पर कब्जना कर ललयना। उधर बब्रितनातनयहों
नके भनी मणककत वनादहननी पर नज़र रखनी हणई थनी। ननारनदौल कके पनास बब्रिगकेडडयर गकेरनाडर्व नके कनागांततकनाररयहों
पर हमलना कर ददयना। अचनानक हणए इस हमलके सके भनारतनीय सकेनना ककी मभोचनार्वबन्दली टपट गई। कफर भनी
घमनासनान यणद्ध हणआ तथना कफ़रगां धगयहों कके कई प्रमणख सकेननाननायक यणद्ध मम मनारके गए।

बड़सप कना भनीरण सगांगनाम


जनवरली मम मणम्बई सके एक अगांगकेज फदौज सहनायतना कके ललए अजमकेर भकेजनी गई। अब कनर्वल हभोम्स नके
आउवना पर हमलना करनके ककी दहम्मत जणटनाई। आस-पनास कके और सकेनना इकट्ठिनी कर कनर्वल हभोम्स
अजमकेर सके रवनानना हणआ। 20 जनवरली, 1858 कभो हभोम्स नके ठनाकणर कणशनाल लसगांह पर धनावना बभोलना ददयना।
दभोनहों ओर सके भनीरण गभोलना-बनारली शणरू हभो गई। आउवना कना ककलना स्वतगांत्रतना सगांगनाम कके एक मजबपत
स्तगांभ कके रूप मम शनान सके खड़ना हणआ थना। चनार ददनहों तक बब्रितनातनयहों और मणककत वनादहननी मम मणठभकेड़म
चलतनी रहलीगां। बब्रितनातनयहों कके सबैतनक बड़नी सगांख्यना मम हतनाहत हभो रहके थके। यद्ध
ण ककी कस्थतत सके धचगांततत
हभोम्स नके अब कपट कना सहनारना ललयना। आउवना कके कनामदनार और कक़लकेदनार कभो भनारली धन दके कर कनर्वल
हभोम्स नके उन्हम अपननी हली सनाधथयहों ककी पनीठ मम छणरना घसौंपनके कके ललए रनाज़नी कर ललयना। एक रनात
कक़लकेदनार नके ककीलम कना दरवनाजना खभोल ददयना। दरवनाज़ना खल
ण तके हली अफाँगकेज़ कक़लके मम घस
ण गए तथना सभोतके
हणए कनागांततकनाररयहों कभो घकेर ललयना। कफर भनी स्वनातगांत्र्य यभोद्धनाओगां नके बहनादरण ली सके यद्ध
ण ककयना, पर अफाँगकेज़
कक़लके पर अधधकनार करनके मम सफल हभो गए। पनासना पटलतके दके ख ठनाकणर कणशनाल लसगांह यणद्ध जनारली रखनके
कके ललए दस
प रना दरवनाज़के सके तनकल गए। उधर बब्रितनातनयहों नके जनीत कके बनाद बबर्वरतना ककी सनारली हदम पनार
कर दली। उन्हहोंनके आउवना कभो पणरली तरह लपटना, ननागररकहों ककी हत्यनाएफाँ ककी तथना मगांददरहों कभो ध्वस्त कर
ददयना। कक़लके कक प्रलसद्ध महनाकनालली ककी मपततर्व कभो अजमकेर लके ज़नायना गयना। यह मपततर्व आज भनी अजमकेर
कके पणरनाननी मगांडनी कस्थत सगांगहनालय मम मदौजपद हबै ।

इसनी कके सनाथ कनर्वल हभोम्स नके सकेनना कके एक दहस्सके कभो ठनाकणर कणशनाल लसगांह कना पनीछना करनके कभो
भकेजना। रनास्तके मम लसररयनालली ठनाकणर नके अगांगकेजहों कभो रभोकना। दभो ददन कके सगांघरर्व कके बनाद अगांगकेज सकेनना आगके
बढ़ली तभो बडसप कके पनास कणशनाल लसगांह और ठनाकणर लशवननाथ लसगांह नके अगांगकेजहों कभो चणनदौतनी दली। उनकके
सनाथ ठनाकणर बबशन लसगांह तथना ठनाकणर अजनीत लसगांह भनी हभो गए। बगड़नी ठनाकणर नके भनी उसनी समय
अगांगकेजहों पर हमलना बभोल ददयना। चनाललीस ददनहों तक चलके इस यद्ध
ण मम कभनी मकण कत वनाहलीननी तभो कभनी
अगांगकेजहों कना पलड़ना भनारली हभोतना रहना। तभनी और सकेनना आ जनानके सके अगांगकेजहों ककी कस्थतत सध
ण र गई तथना
स्वनातगांत्र्य-सबैतनकहों ककी परनाजय हणई। कभोटना तथना आउवना मम हणई हनार सके रनाजस्थनान मम स्वनातगांत्र्य-सबैतनकहों
कना अलभयनान लगभग समनाप्त हभो गयना। आउवना ठनाकणर कणशनाल लसगांह नके अभनी भनी हनार नहलीगां मनाननी
थनी। अब उन्हहोंनके तनात्यना टभोपके सके सम्पकर्व करनके कना प्रयनास ककयना। तनात्यना सके उनकना सम्पकर्व नहलीगां हभो
पनायना तभो वके मकेवनाड़ मम कभोठनाररयना कके रनाव जभोधलसगांह कके पनास चलके गए। कभोठनाररयना सके हली वके अगांगकेजहों सके
छणट-पट
ण लड़नाईयनाफाँ करतके रहके ।

ठनाकणर कणशनाललसगांह कके सगांघरर्व नके मनारवनाड़ कना ननाम भनारतनीय इततहनास मम पणननः उज्ज्वल कर ददयना।
कणशनाल लसगांह पपरके मनारवनाड़ मम लभोकपप्रय हभो गए तथना पपरके क्षकेत्र कके लभोग उन्हम स्वतगांत्रतना सगांगनाम कना
ननायक मनाननके लगके। जनतना कना उन्हम इतनना सहयभोग लमलना थना कक लनारम स तथना हभोम्स ककी सकेननाओगां
पर रनास्तके मम पड़नके वनालके गनाफाँवहों कके गनामनीणहों नके भनी जहनाफाँ मदौक़ना लमलना हमलना ककयना। इस पपरके अलभयनान
मम मणककत-वनादहननी कना ननानना सनाहब पकेशवना और तनात्यना टभोपके सके भनी सगांपकर्व बनना हणआ थना। इसनीललए
ददल्लली मम स्वनातगांत्र्य-सकेनना ककी कस्थतत कमज़भोर हभोनके पर ठनाकणर कणशनाल लसगांह नके सकेनना कके बड़के भनाग कभो
ददल्लली भकेजना थना। जनतना नके इस सगांघरर्व कभो पवदके शनी आकनान्तनाओगां कके पवरुद्ध ककयना जनानके वनालना
स्वनाधनीनतना सगांघरर्व मनानना तथना इस सगांघरर्व कके ननायक रूप मम ठनाकणर कणशनाल लसगांह कभो लभोक-गनीतहों मम
अमर कर ददयना। उस समय कके कई लभोक-गनीत तभो आज भनी लभोकपप्रय हह। हभोलली कके अवसर पर
मनारवनाड़ मम आउवना कके सगांगनाम पर जभो गनीत गनायना जनातना हबै , उसककी बनानगनी दके खखयके

वखणयना वनालली गभोचर मनागांय कनालदौ लभोग पडड़यदौ ओ


रनाजनाजनी रके भकेळभो तभो कफरगां गनी लडड़यभो ओ
कनालली टभोपनी रभो!
हनाफाँ रके कनालली टभोपनी रभो। कफरगां गनी फकेलनाव ककीधदौ ओ
कनालली टभोपनी रभो!
बनारलली तभोपनागां रना गभोळना धपडगढ़ मम लनागके ओ
मनागांयलली तभोपनागां रना गभोळना तम्बप तभोड़के ओ
झल्लबै आउवदौ!
मनागांयलली तभोपनागां तभो झपटके, आडनावलली धपजबै ओ
आउवना वनालदौ ननाथ तभो सणगनालली पपजबै ओ
झगड़दौ आदररयदौ!
हनागां रके झगड़दौ आदररयभो, आउवदौ झगड़ना मम बनागांकदौ ओ
झगडदौ आदररयदौ!
रनाजनाजनी रना घकेड़ललयना कनाळनागां रबै लनारके दभोड़बै ओ
आउवदौ रना घकेड़ना तभो पछनाड़नी तभोड़के ओ
झगड़दौ हभोवण दभो!
हनाफाँ रके झगड़दौ हभोवण दभो, झगड़ना मम थनारली जनीत व्हबै लना ओ
झगड़दौ हभोवण दभो!

-------- पपनम ककरनाणना स्टभोसर्व, गनाम-बपसनी (पनालली)

43. लकलक मटटोलचन्द

रचननाकनार नरके न्द्र गभोयल


सगांदभर्व - पनाथकेय कण (दहगांदली पबत्रकना)
ददननागांक 16 अप्रबैल (सगांयणकतनागांक) 2007
अगांक : 1, पकेज न. 71

प्रथम स्वनातगांत्र्य समर कके समय दके श ककी जनतना नके तन-मन-धन सके सहयभोग ददयना। धननाढ्य वगर्व भनी
इसमम पनीछके नहलीगां रहना। उनमम सके कणछ धननाढ्य ऐसके भनी थके कजन्हहोंनके भनामनाशनाह ककी परम्परना कभो
जनीवन्त करतके हणए अपनना सनारना धन स्वतगांत्रतना कके सगांगनाम कके ललए अपपर्वत कर ददयना। उस कनाल कके
कणछ ऐसके भनामनाशनाहहों कना जनीवन पररचय प्रस्तणत लकेख मम ददयना जना रहना हबै -

10 मई 1857 कके ददन मकेरठ मम दहन्दस्


ण तनाननी सबैतनकहों नके बब्रितनातनयहोंज़म कभो धपल चटनाकर ददल्लली कभो भनी
बब्रितनातनयहोंज़म ककी गणलनामनी सके मणकत करनके मम सफलतना पनाई थनी। बहनादरण शनाह जफर सके उनककी
व्यककतगत पहचनान थनी। लनालना मटभोलचन्द अगवनाल नके एक बनार बहनादरण शनाह जफर कके समक्ष प्रस्तनाव
रखना थना कक वके दहन्दओ
ण गां ककी गभो-भककत ककी भनावनना ककी कद्र करकके गभोहत्यना पर प्रततबगांध लगनानके कना
आदके श दम , कजसके बहनादरण शनाह नके स्वनीकनार कर ललयना थना। बनादशनाह नके अपनना एक दत
प डनासनना भकेजना।
उन्हहोंनके बनादशनाह कना पत्र लनालनाजनी कभो ददयना कजसमम उन्हहोंनके ददल्लली पहणफाँचकर भम ट करनके कभो कहना
गयना थना। लनालना मटभोलचन्द अगवनाल भगवनान लशव कके परम भकत थके। सवकेरके उठतके हली उन्हहोंनके
भगवनान लशव ककी पपजना अचर्वनना ककी तथना प्रनाथर्वनना ककी कक, "मह दके श कके कणछ कनाम आ
सकगांप ,ऐसनीशककतदभो।" लनालनाजनी रथ मम सवनार हभोकर ददल्लली पहणफाँचके। बहनादरण शनाह जफर नके सपचनना लमलतके
हली उन्हम महल मम बणलवना ललयना। बनादशनाह नके कहना- घ ज़ सकेठजनी, हमनारली सल्तनत बब्रितनातनयहों सके लड़तके-
लड़तके खचर बढ़ जनानके कके कनारण आधथर्वक सगांकट मम फफाँस गई हबै । हम सबैतनकहों कना वकेतन तक नहलीगां दके
पनायके हह। ऐसनी हनालत मम यदद आप हमनारली कणछ सहनायतना कर सकम, कणछ रूपयना उधनार दके सकम, तभो
शनायद हम इस सगांकट सके उबर जनायम। यदद ददल्लली ककी सल्तनत पर हमनारना अधधकनार बनना रहना और
बब्रितनातनयहोंज़म ककी सनाकजश सफल नहलीगां हभो पनाई तभो हम आपसके ललयना गयना पबैसना-पबैसना चक
ण ना दके गम। '

लनालना मटभोलचन्द नके बनादशनाह कके शब्द सणनके तभो रनाष्ट्रभककत सके पपणर्व हृदय दखण खत हभो उठना। वके बभोलके,
"मम उस क्षकेत्र कना तनवनासनी हपफाँ जहनाफाँ कके अधधकनागांश गनामनीण महनारनाणना प्रतनाप कके वगांशज हह। हभो सकतना हबै
कक जब वके रनाणनावगांशनी रनाजपपत मकेवनाड़ सके इस क्षकेत्र मम आकर बसके हहों, तभो मकेरके पपवज
र्व भनी उनकके सनाथ
आकर बस गयके हहों। हभो सकतना हबै कक हम लभोग भनामनाशनाह जबैसके दनानवनीर व रनाष्ट्रभकत कके हली वगांशज
हहों। अतनः हमनारना यह परम कत्तर्वव्य हबै कक पवदके शनी बब्रितनातनयहोंज़म सके अपननी मनातभ
त पलम ककी मणककत कके
यज्ञ मम कणछ न कणछ आहणतत अवश्य दम । आप धचन्तना न करम कजतनना सम्भव हभो सककेगना धन आपकके
पनास पहणफाँचना ददयना जनायकेगना।"

सकेठ मटभोलचन्द नके डनासनना पहणफाँचतके हली अपनके खजनानके कके सभोनके कके लसककके छबड़भो मम भरवनायके तथना उन्हम
रथहों व बबैलगनाडड़यहों मम लदवनाकर ददल्लली ककी ओर रवनानना कर ददयना। जब यके सभोनके कके लसककहों सके भरके
छबड़के लनालना जनी कके मणननीम नके बनादशनाह कभो पकेश ककयके तभो बनादशनाह अपनके लमत्र सकेठजनी ककी दररयनाददलली
कभो दके खकर भनाव पवभभोर हभो उठके । उन्हहोंनके अपनके वजनीर सके कहना-"मकेरके रनाज्य मम लनालना मटभोलचन्द
अगवनाल जबैसके महनान रनाष्ट्रभकत दनाननी सकेठ रहतके हह, इसकना मणझके गवर्व हबै ।"
सकेठ मटभोलचन्द नके दके श ककी स्वनाधनीनतना कके सगांघरर्व मम अपनना सनारना खजनानना अपपर्वत कर दनानवनीर
भनामनाशनाह कना आदशर्व प्रस्तत
ण ककयना। उन महनान दनाननी सकेठ ककी हवकेलली आज भनी जनीणर्व-शनीणर्व अवस्थना
मम डनासनना मम खगांडहर बननी हणई उस डकेढ़ सदौ वरर्व परण नाननी गनाथना ककी सनाक्षनी हह।

जगत ज़ सकेठ रनामजनी दनास गणड़वनालना

ददल्लली कके अत्यन्त धननाढ़्य व्यककत थके जगत ज़ सकेठ रनामजनी दनास गड़
ण वनालना। अपनके गणड़ कके व्यवसनाय
मम इन्हभोनके अकपत सम्पकत्त बननाई थनी। यके अकन्तम मणगल समनाट बहनादरण शनाह कके पवलशष्ट दरबनारली थके।
दके श भककत सके ओत-प्रभोत सकेठजनी नके आधथर्वक सगांकट सके जपझ रहके बनादशनाह ककी कई बनार आधथर्वक
सहनायतना ककी। उन्हभोनम 1857 कके स्वनातगांत्र्य समर कके समय दके श कभो बब्रितनातनयहोंज़म कके चगांगणल सके तनकनालनके
कके ललयके अपनके सनारना धन लगना ददयना। सकेठजनी नके एक गणप्तचर पवभनाग कना तनमनार्वण भनी ककयना जभो
बब्रितनातनयहोंज़म तथना उनकके भनारतनीय पपछलग्गणओगां ककी गततपवधधयहों ककी जनानकनारली लनाकर दके तना थना।

जबैसके हली मकेरठ मम कनागांतत ककी धचन्गनारली उठछी और स्वनातन्त्र्य सबैतनक ददल्लली पहणफाँचके बनादशनाह नके सकेठजनी
सके सहनायतना मनाफाँगनी। सकेठजनी नके अपनना खजनानना कनागांततकनारली सबैतनकहों कके ललयके खभोल ददयना। सबैतनकहों ककी
रसद आदद कके ललयके उनकके भण्डनार हमकेशना खणलके रहतके थके।

अस्त व्यस्त नकेतत्त व तथना पवश्वनासघनाततयहों कके कनारण ददल्लली पर पणननः बब्रितनातनयहोंज़म नके कब्जना कर
ललयना। बब्रिदटश सकेठ गणड़वनालना सके धन ऐगांठनना चनाहतके थके, इसकके ललए कणछ बब्रिदटश अधधकनारली उनकके घर
पर पहणफाँचके। बब्रिदटश अधधकनारली नके सकेठजनी सके पवनमतनापपवक
र्व कहना- घ ज़ सकेठ आप तभो महनान ज़ दनाननी हह। यणद्ध
ककी कस्थतत कके कनारण हम आधथर्वक तगांगनी मम हह, आप हमम आधथर्वक सहनायत करम तभो ठछीक रहके , आपकना
ददयना हणआ धन ददल्ललीवनालसयहों कके ऊपर खचर्व ककयना जनायकेगना।'

सकेठ गड
ण वनालना बब्रितनातनयहोंज़म ककी चनाल कभो समझ गए। उन्हहोंनके कहना कक "आप लभोग हली मकेरके दके श मम
अशनागांतत और इस यद्ध
ण कके ललए कजम्मकेदनार हह। मह कपर आकनागांतनाओ कभो धन नहलीगां दके सकतना। आप
लभोगहों नके नगरहों कभो श्मशनान बनना डनालना हबै । इस तरह कके कणकत्सत कनायर्व करनके वनालहों कभो दके नके कके ललयके
मकेरके पनास फपटली कदौड़नी भनी नहलीगां हबै ।"

बब्रिदटश सकेठ रनामजनी दनास कना उत्तर सणनकर अपमनातनत हभो उस समय तभो चलके गयके लकेककन दस
प रके
ददन सणबह-सबकेरके हली उन्हम धगरफ्तनार कर ललयना। बब्रितनातनयहोंज़म नके अपननी कपरतना ददखनातके हणए गड़ढना-
खणदवनाकर सकेठ जनी कभो कमर तक उसमम गनाड़ ददयना कफर उनकके ऊपर लशकनारली कणत्तके छभोड़ ददए।
कणत्तभो नके सकेठजनी कभो बणरली तरह घनायल कर ददयना। अत्यनाचनाररयहों कभो इतनके पर हली सगांतभोर नहलीगां हणआ
तथना घनायल सकेठजनी कभो चनाफाँदननी चदौक मम फनाफाँसनी पर लटकना ददयना। इस प्रकनार दके श कना एक और
भनामनाशनाह स्वतगांत्रतना ककी बललवकेदली पर न्यदौछनावर हभो गयना।

44. ररिचडर्ड ववसलयम्स

रचननाकनार पगां. नत्थनी लनाल चतणवरदली


सगांदभर्व - पनाथकेय कण (दहगांदली पबत्रकना)
ददननागांक 16 अप्रबैल (सगांयणकतनागांक) 2007
अगांक : 1, पकेज न. 81

प्रथम भनारतनीय स्वतगांत्रतना सगांगनाम मम जहनाफाँ भनारत ककी जनतना नके पग-पग पर कनागांततकनाररयहों कना सनाथ
ददयना, वहलीगां कणछ बब्रितनातनयहोंज़म नके भनी इस महनासमर मम भनारत ककी स्वतगांत्रतना कके ललए शस्त्र उठनाकर
स्वतगांत्रतना सबैननातनयहों कके सनाथ कगांधके सके कगांधना लमलनाकर लड़नाई लडनी। इनमम सके एक थके ररचडर्व
पवललयम्स। बब्रिटके न मम पबैदना हणए ररचडर्व पवललयम्स बब्रिदटश लसपनाहली कके रूप मम भनारत आए। सन 1857
कके स्वनातगांत्र्य समर कके समय इनककी तनयकण कत मकेरठ कके ररसनालके (घणड़सवनार टणकड़नी) मम थनी। 10 मई 1857
कभो मकेरठ ककी छनावननी मम कनागांतत ककी ज्वनालना धधक उठछी। ररसनालके कके सबैतनकहों कभो कनागांततकनाररयहों पर
गभोलली चलनानके कना हणकम ददयना गयना, लकेककन ररचडर्व पवललयम्स नके इस आदके श ककी अवहके लतनना करतके
हणए बब्रिदटश अधधकनारली एडजणटमट टकर कभो गभोलली मनार दली और स्वतगांत्रतना सबैननातनयहों सके जना लमलके।
पवललयम्स बब्रितनातनयहोंज़म ककी सनामनाज्यवनादली ननीतत कके घभोर पवरभोधनी थके। कनागांततकनाररयहों कके सनाथ पवललयम्स
ददल्लली जना पहणफाँचके और उन्हहोंनके तभोपखनानके कना सगांचनालन करतके हणए ददल्लली कभो स्वतगांत्र करनानके मम
महत्त्वपपणर्व भपलमकना तनभनाई।

नकेतत्त व ककी कमनी व पवश्वनासघनात कके कनारण जब ददल्लली कना पतन हणआ तभो ररचडर्व नके अपननी सझ प बझप
सके कनागांततकनाररयहों कभो ननावहों कके द्वनारना उफनतनी हणई यमणनना नदली कके पनार उतनारना। ददल्लली पतन कके बनाद
पवललयम्स कनागांततकनाररयहों कना सनाथ दके नके अवध जना पहणफाँचके। रूइयना कके रनाजना नरपतत लसगांह नम उन्हम
रूइयनागढ़ली कके ककलके ककी कजम्मकेदनारली ससौंप दली। बब्रिदटश फदौज नके ककलके कना घकेरना डनाल ददयना। बब्रिगकेडडयर
एडड्रियन हभोप अपननी सकेनना कभो तनदर श दके रहना थना तभनी ककलके कके अन्दर ररचडर्व पवललयम्स एक ऊफाँचके
पकेड़ पर बन्दक
प लकेकर चढ़के और उसके एक हली गभोलली सके मनार धगरनायना। उन्हहोंनके अगांगकेजनी सकेनना कके ककलके
कके फनाटक कभो बनारूद सके उड़ना दके नके कके मगांसपबहों पर पनाननी फकेरतके हणए उनकके तभोपखनानके कभो भनी ठण्डना कर
ददयना। सन ज़ 1858 कके उत्तरनाद्धर्व मम अगांगकेजनी सकेननाएगां कफर सके हनावनी हभोनके लगनीगां। पर ररचडर्व पवललयम्स अन्त
तक बब्रितनातनयहोंज़म कके हनाथ नहलीगां आए। मनानना जनातना हबै कक स्वनातन्त्र्य समर कके यह गभोरके कनागांततकनारली
अज्ञनातवनास मम चलके गए। उनकना कयना हणआ, इस बनारके मम इततहनास मदौन हबै ।
अनरस्ट जहोंस

प्रथम भनारतनीय स्वनातगांत्र्य समर कभो अगांगकेजनी इततहनासकनारहों तथना बब्रितनातनयहोंज़म कके पपट्ठिण भनारतनीय
इततहनासकनारहों नके लसफर्व सबैतनक पवद्रभोह कना ननाम ददयना हबै , जबकक यह महनासमर भनारत कके कभोनके-कभोनके
मम लड़ना गयना थना।

वनीर सनावरकर नके सबसके पहलके इस महनासमर कभो बब्रितनातनयहोंज़म कके खखलनाफ भनारत कना प्रथम स्वतगांत्रतना
सगांगनाम हभोनना लसद्ध ककयना। सनाम्यवनाद कके जनक कनालर्व मनाकसर्व भनी इसके स्वनातगांत्र्य-समर हली मनानतके थके,
हनालनागांकक यह मनाननके कके पनीछके उनकके अपनके कनारण थके। कणछ बब्रिदटश इततहनासकनारहों नके भनी ईमनानदनारली
कना पररचय दके तके हणए 1857 कके सगांघरर्व कभो स्वतगांत्रतना सगांगनाम हली बतनायना हबै । इनमम अनरस्ट जहोंस नके
दृढ़तना कके सनाथ उकत तथ्य कना प्रततपनादन ककयना। वके बब्रितनातनयहोंज़म ककी रलीतत-ननीतत कके कटण आलभोचक
थके। एक बनार उन्हहोंनके कहना थना "यह सहली हबै कक बब्रिदटश शनासन मम सपयर्व कभनी नहलीगां डपबतना हबै , पर यह
भनी सहली हबै कक इस शनासन मम खपन ककी नददयनाफाँ भनी कभनी नहलीगां सपखतनी हह।"

45. पचरि अलदी

पणस्तक : 1857 कके कनागांततकनारली


भनाग : 1 पकेज न. 135
लकेखक : डड. एस.एल.ननागभोरली, डड. प्रणव दके व
प्रकनाशक : आर बनी एस ए पकब्लशसर्व
एस.एम.एस.हनाइवके
जयपरण - 302002
फभोन: 0141-2563826

1857 ककी कनागांतत नके बबहनार कभो भनी प्रभनापवत ककयना। यद्यपप यह सत्य हबै कक यहनाफाँ आगरना, मकेरठ तथना
ददल्लली ककी भनाफाँतत कनागांतत कना जभोर नहलीगां थना, तथनापप बबहनार कके कई क्षकेत्रहों मम कनागांतत नके भनीरण रूप
धनारण कर ललयना थना। सबैकड़भो बब्रितनातनयहों कभो यहनाफाँ मदौत कके घनाट उतनार ददयना गयना।

गयना, छपरना, पटनना, मभोततहनारली तथना मणजफ्फरपणर आदद नगरहों मम कनागांतत नके भनीरण रूप धनारण कर
ललयना। बब्रितनातनयहों नके दनाननापणर मम एक छनावननी ककी स्थनापनना ककी, तनाकक बबहनार पर तनयगांत्रण स्थनापपत
ककयना जना सकके। स्वदके लशयहों ककी सनातवनीगां, आठवनीगां तथना चनाललीसवनीगां पबैदल सकेननाएफाँ भनीगां, कजन पर तनयगांत्रण
स्थनापपत करनके कके ललए एक पवदके शनी कगांपननी और तभोप सकेनना रखनी गई थनी। इसकना प्रधनान सकेननापतत
मकेजर जनरल लनायड थना। टके लर पटनना कना कलमश्नर थना, जभो बहणत दरप दशर्शी थना। उसमम प्रशनासतनक
क्षमतना अत्यधधक थनी। उसकना यह मनाननना थना कक पटनना कके मस
ण लमनान भनी इस कनागांतत मम दहगांदओ
ण गां कके
सनाथ भनाग लम गके। पटनना मम बहनावनी मस
ण लमनानहों ककी सगांख्यना बहणत अधधक थनी। अतनः टके लर नके बहनावनी
मकण स्लम नकेतनाओगां पर कड़नी नज़र रखनना प्रनारगां भ कर ददयना। पटनना कके ननागररकहों नके कणछ वरर्व सके हली
कनागांतत ककी तबैयनार शणरू कर दली थनी, इसकके ललए सगांगठन स्थनापपत ककए जना चक
ण के थके, कजसमम शहर कके
व्यवसनायनी एवगां धननी वगर्व कके लभोग सकम्मललत थके। पटनना कके कणछ मदौलपवयहों कना लखनऊ कके गप्ण त
सगांगठनहों सके पत्र व्यवहनार चल रहना थना। उनकना दनाननापरण कके सबैतनकहों सके भनी सगांपकर्व हभो चणकना थना। ऐसना
प्रतनीत हभोतना हबै कक पलण लस वनालके भनी कनागांततकनाररयहों कना सहयभोग कर रहके थके। दनाननापरण कके सबैतनक भनी
वक्ष
त हों कके ननीचके गणप्त बबैठकम ककयना करतके और कनागांतत ककी यभोजनना बननातके थके।

दनाननापणर कके सबैतनक मकेरठ सबैतनकहों कके असन्तभोर कके बनारके मम जनानतके थके, परन्तण वके अवसर ककी प्रततक्षना
मम थके। टके लर कभो पतना चलना कक दनाननापणर कके सबैतनकहों मम असन्तभोर व्यनाप्त हबै , तभो उसनके पवस्फभोट हभोनके
सके पपवर्व हली उसके कणचलनना उधचत समझना। इसकके ललए उसनके तणरन्त प्रभनावशनालली कदम उठनाए, कजसकके
कनारण वहनाफाँ कनागांतत भनीरण रूप धनारण नहलीगां कर सककी। हनाफाँ, तनीन जणलनाई कभो एक छभोटली सनी कनागांतत
अवश्य हणई, कजसके बब्रितनातनयहों नके लसकख सबैतनकहों ककी सहनायतना सके कणचल ददयना।

ततरहणत कज़लके कके पणललस जमनादनार वनाररस अलली पर बब्रितनातनयहों कभो सगांदकेह हणआ और उन्हम ज़के तणरगांत
धगरफ़्तनार कर ललयना गयना। उसकके घर छनापना डनालना गयना, कजसमम आपकत्तजनक कनाग़ज़नात प्रनाप्त हणए।
इस अलभयभोग मम उन्हम ज़के फनाफाँसनी पर लटकना ददयना गयना। तत्पश्चनात ज़ अनकेक कनागांततकनाररयहों कभो बगांदली
बननाकर जकेल मम डनाल ददयना गयना। ननागररकहों कके हधथयनार लकेकर चलनके पर प्रततबगांध लगना ददयना गयना।
रनात कभो नदौ बजके घर सके तनकलनके पर रभोक लगना दली गई और कफ्यपर्व लगना ददयना गयना। पररणनाम
स्वरूप कनागांततकनारली रनाबत्र कभो मनीदटगांग नहलीगां बणलना सकतके थके। बबहनार कके हली एक प्रमणख मणकस्लम
कनागांततकनारली परली अलली कके बनारके मम बहणत कम लभोग जनानतके हह। वके लसफ़र्व मणसलमनानहों कके हली नकेतना नहलीगां
थके, अपपतण उन्हम समस्त कनागांततकनाररयहों कना पवश्वनास एवगां समथर्वन प्रनाप्त थना।

पनीर अलली लखनऊ कके रहनके वनालके थके। उनकके बनारके मम पवशकेर जनानकनारली तभो प्रनाप्त नहलीगां हभोतनी, पर इतनना
अवश्य पतना चलतना हबै कक वके एक सनाधनारण व्यककत थके, कजनमम दके शप्रकेम ककी भनावनना कपट-कपट कर भरली
हणई थनी। व्यककत ककी महनानतना उसकके वगांश ऐश्वयर्व आदद सके नहलीगां, अपपतण उनककी तनष्ठना सके आफाँककीगां जनातनी
हबै । हमनारली दृकष्ट मम एक सनाधनारण व्यककत, कजसमम दके श भककत भनावनना हभो, दके श कके ललए मर लमटनके
ककी लनालसना हभो, वह व्यककत प्रकनागांड पगांडडतहों एवगां करभोड़पततयहों सके हज़नार गणनना बकेहतर हबै । पनीर अलली
लखनऊ सके पटनना आकर बस गए। आजनीपवकना कके ललए उन्हहोंनके पणस्तक बब्रिककी कना व्यवसनाय प्रनारगां भ
ककयना। वके चनाहतके तभो अन्य कनाम भनी कर सकतके थके। पर उनकना मणख्य उदकेश्य लभोगहों मम कनागांतत
सगांबगांधधत पणस्तकहों कना प्रचनार करनना थना। वके पहलके पणस्तक पढ़तके और इसकके बनाद दस
प रहों कभो पढ़नके कके
ललए दके तके थके। वह परु
ण र धन्य हबै , जभो अपनके ज्ञनान कभो अपनके तक हली सलमतत नहलीगां रखकर समस्त
जनतना कभो लनाभनाकन्वत करतना हबै ।

पनीर अलली भनारत मनातना कभो दनासतना ककी बकेडड़यहों सके मणकत करनवनानना चनाहतके थके। उनकना मनाननना थना कक
गणलनामनी सके मदौत ज्यनादना बहके तर हभोतनी हबै । उनकना ददल्लली तथना अन्य स्थनानहों कके कनागांततकनाररयहों कके सनाथ
बहणत अच्छना सम्पकर्व थना। वके उनसके समय-समय पर तनदर श प्रनाप्त करतके थके। जभो भनी व्यककत उनकके
सम्पकर्व मम आतना, वह उनसके प्रभनापवत हणए बबनना नहलीगां रहतना थना। यद्यपप वके सनाधरण पस्
ण तक पवककेतना
थके, तथनापप उन्हम पटनना कके पवलशष्ट ननागररकहों कना समथर्वन प्रनाप्त थना। कनागांततकनारली परररद्, पर उनकना
अत्यधधक प्रभनाव थना। उन्हहोंनके धननी वगर्व कके सहयभोग सके अनकेक व्यककतयहों कभो सगांगदठत ककयना और
उनमम कनागांतत ककी भनावनना कना प्रसनार ककयना। लभोगहों नके उन्हम यह आश्वनासन ददयना कक वके बब्रिदटशनी सत्तना
कभो जड़मपल सके नष्ट कर दम गके। जब तक हममम रकत ककी धनारना प्रवनादहत हभोतनी रहके गनी, हम कफरगां धगयहों
कना पवरभोध करम गके, लभोगहों नके कसमके खनाईं।

टके लर नके पटनना मम दमन चक चलनानना शणरू ककयना, तभो पनीर अलली नके पवद्रभोह कर ददयना। उनकके स्वभनाव
मम अदत
प तनीव्रतना तथना उतनावलनापन थना। वके दके शवनालसयहों कना अपमनान सहन नहलीगां कर सकतके थके। अतनः
उन्हहोंनके जनतना कभो सरकनार कके पवरूद्ध सगांघरर्व करनके ककी प्रकेरणना दली और स्वगांय सगांगनाम मम कपद पड़के।

उन्हहोंनके स्वयगां कहना थना, "मह समय सके पहलके हली पवद्रभोह कर उठना थना। " सरकनार नके पनीर अलली कभो
कधगरफ़्तनारकर ललयना और उन पर मक
ण दमना चलनाकर उन्हम मत्त यण दण्ड ककी सजना दली गई। पनीर अलली नके
तनडर हभोकर हगां सतके-हसगांतके मत्त यण कभो आललगांगन कर ललयना।

श्रनी पवननायक दनामभोदर सनावरकर नके पनीर अलली कके मत्त यण दगां ड कके समय कना बहणत अच्छना वणर्वन ककयना
हबै ।

"हनाथहों मम हथकडड़यनाफाँ, बनाफाँहहों मम रकत ककी धनारना, सनामनके कना फगांदना, पनीर अलली कके मणख पर वनीरभोधचत
मणस्कनान मनानहों वके सनामनके कहलीगां मत्त यण कभो चणनदौतनी दके रहके हहों। महनान शहलीद नके मरतके-मरतके कहना थना,
"तणम मणझके फनाफाँसनी पर लटकना सकतके हहों, ककगां तण तणम हमनारके आदशर्व ककी हत्यना नहलीगां कर सकतके। मह मर
जनाऊफाँगना, ककगां तण मकेरके रकत सके सहस्त्रहों यभोद्धना जन्म लम गके और तणम्हनारके सनामनाज्य कभो नष्ट कर दम गके।"
कलमश्नर टके लर नके ललखना हबै कक पनीर अलली कके मत्त यण दगां ड कके समय बड़नी वनीरतना तथना तनडरतना कना
पररचय ददयना।

पनीर अलली कना बललदनान व्यथर्व नहलीगां गयना। उनककी मत्त यण कके बनाद 25 जणलनाई कभो दनाननापणर ककी दके शनी
पलटनहों नके अपनके आप कभो स्वतगांत्र घभोपरत कर ददयना। दनाननापणर कके सबैतनकहों नके जगदलीशपणर कके बनाबप
कगांण वरलसगांह कभो अपनना नकेतना स्वनीकनार कर ललयना। यद्यपप कगांण वरलसगांह वद्ध त हभो गए थके, तथनापप उनमम बहणत
जभोश थना। उनमम अदत ण सबैतनक शककत थनी। वद्ध त कगांण वरलसगांह नके कनागांततकनाररयहों कना नकेतत्त व स्वनीकनार कर
ललयना और यह प्रमनाखणत कर ददयना कक बबहनार ककी भलप म मम अदत ण शककत हबै । यहनाफाँ कना एक वद्ध
त भनी
बब्रितनातनयहों कभो ललकनार सकतना हबै और उनकके दनाफाँत खट्टिके कर सकतना हबै ।

46. वलदीदकद खकख

पणस्तक : 1857 कके कनागांततकनारली


भनाग : 1 पकेज न. 142
लकेखक : डड. एस.एल.ननागभोरली, डड. प्रणव दके व
प्रकनाशक : आर बनी एस ए पकब्लशसर्व
एस.एम.एस.हनाइवके
जयपणर- 302002
फभोन: 0141-2563826

एक कपव नके ठछीक हली ललखना हबै कक जभो व्यककत अपनके रनाष्ट्र पर अलभमनान नहलीगां करतना, वह मणदर कके
समनान हबै । " कजसकभो न तनज गदौरव तथना तनज दके श कना अलभमनान हबै , वह नर नहलीगां तनरना पशण हबै
और मत
त क समनानहबै । " अच्छके लभोगहों नके तभो यहनाफाँ तक मनानना हबै कक जनननी और जन्मभपलम स्वगर्व सके
बढ़कर हबै । प्रत्यकेक प्रनाणनी ककी मत्त यण तनकश्चत हबै । कणछ लभोग अपनके स्वनाथर्व ककी पतप तर्व हके तण अपननी जनान
ककी बनाजनी लगना दके तके हबै , तभो कणछ लभोग ऐसके भनी हह, जभो अपननी मनात त भपलम कके ललए मर लमटतके हबै ।
इततहनास मम ककेवल उन्हलीगां कभो यनाद ककयना जनातना हबै , कजन्हहोंनके अपनके दके श ककी आजनादली कके ललए हफाँसतके-
हफाँ सतके अपनके प्रनाणहों कना बललदनान कर ददयना हबै । त्यनागनी व्यककत कभो अपनके त्यनाग कना फल एक न एक
ददन अवश्य प्रनाप्त हभोतना हबै ।

हमनारके दके श कना दभ


ण नार्वग्य रहना हबै कक हम अपनके शत्रओ
ण गां कभो पहचनाननके मम असफल रहके , यदद पहचनान भनी
ललयना, तभो सगांगदठत हभोकर उन्हम दके श सके बनाहर तनकनालनके कना प्रयनान नहलीगां ककयना। यदद समस्त भनारतनीय
सगांगदठत हभोकर मभोहम्मद गभोरली, बकख्तयनार खखल्जनी, बनाबर एवगां लनाडर्व कलनाइव कना पवरभोध करतके, तभो आज
भनारत वरर्व कना इततहनास हली कणछ और हभोतना।

1857 कके प्रथम स्वतन्त्रतना सगांगनाम कके समय पहलली बनार दहन्दओ
ण गां नके मणसलनामनानहों कके सहयभोग सके
बब्रितनातनयहों कभो भनारत सके बनाहर तनकनालनके कना प्रयनास ककयना थना। इससके पपवर्व मकेवनाड़ कके महनारनाणना प्रतनाप
और महनारनाष्ट्र कके छत्रपतत लशवनाजनी नके मणगलहों ककी हणकणमत कके पवरूद्ध अपननी आजनादली कके ललए सगांघरर्व
ककयना थना। इसललए आज भनी हम प्रतनाप और लशवनाजनी कना ननाम लकेतके हणए अपनके आपकभो गदौरवनाकन्वत
समझतके हबै ।

1857 कके अमर कनागांततकनाररयहों मम वललीदनाद खनाफाँ कना ननाम पवशकेर रूप सके उल्लकेखननीय हबै । वके बल
ण न्दशहर
कके रहनके वनालके थके और मनालनागढ़ सके कनागांतत कना सगांचनालन करतके थके। कणछ इततहनासकनारहों कके अनणसनार
उनकना सम्बन्ध ददल्लली कके रनाजघरनानके सके थना। जभो व्यककत अपनके दके श कभो प्यनार करतना हबै , वह अपननी
सणख-सणपवधना ककी परवनाह नहलीगां करतना।

वललीदनाद खनाफाँ कणछ कनारणहों सके पहलके सके हली कम्पननी सरकनार सके ननारनाज थके। वके अवसर ककी तलनाश मम
थके। जब 1857 ई. मम कनागांतत प्रनारम्भ हणई, तभो उन्हहोंनके सरकनार कके खखलनाफ पवद्रभोह कर ददयना। अपनके थभोड़के
सके सनाधनहों कके आधनार पर हली बब्रितनातनयहों कके पवरूद्ध लड़नाई प्रनारम्भ कर दली। यद्यपप कणछ लभोगहों नके
उनकके दके श भककत कके कनायर्व ककी सरनाहनना नहलीगां ककी, तथनापप वनीर पणरूर बबनना प्रशगांसना ककी परवनाह ककए
हणए अपनके उधचत कनायर्व करतके रहतके हह।

मनालनागढ़ वललीदनाद खनाफाँ ककी कनागांतत कना प्रमणख ककेन्द्र थना। कणछ आसपनास कके लभोगहों कना उन्हम समथर्वन
प्रनाप्त थना। आदमनी यदद दहम्मत सके कनाम लके, तभो अपनके दश्ण मन कभो भनी लशकस्त दके हली सकतना हबै ।
वललीदनाद खनाफाँ नकेबब्रितनातनयहों कके पवरूद्ध जमकर यद्ध
ण लड़ना और गल
ण नावटली ककी सबैतनक चदौककी पर अधधकनार
कर ललयना। वललीदनाद खनाफाँ नके आगरना और मकेरठ कके बनीच बब्रितनातनयहों ककी सगांचनार व्यवस्थना तहस-नहस
कर दली। 10 लसतम्बर कभो गल
ण नावटली कके समनीप वललीदनाद खनाफाँ नके कम्पननी ककी सकेनना कके सनाथ जमकर
यद्ध
ण लड़ना, कजसमम बब्रितनातनयहों कभो वललीदनाद खनाफाँ कभो परनाकजत करनके मम सफलतना नहलीगां लमलली।

इसनी बनीच मकेरठ कके कलमश्नर नके सरकनार कभो पत्र ललखना कक अगर वललीदनाद खनाफाँ ककी गततपवधधयहों पर
तनयन्त्रण स्थनापपत नहलीगां ककयना गयना, तभो उसकके दरप गनामनी पररणनाम हभो सकतके हह। वललीदनाद खनाफाँ बड़नी
तनीव्र गतत सके अपननी शककत मम वपत द्ध कर रहके थके। उनकके पवरूद्ध कदम उठनानना इसललए आवश्यक थना,
तनाकक वह सरकनार कके ललए सरददर्व न बन सकके।

कनागांततकनारली सरकनार ककी ननीतत कके बनारके मम अच्छछी तरह जनानतके थके। अतनः वललीदनाद खनाफाँ नके अपननी सकेनना
कभो एक नयके लसरके सके सगांगदठत ककयना। उनककी वनीरतना सके मणगल समनाट बहणत प्रसन्न हणआ और उसनके
उन्हम अललीगढ कके सपबकेदनार कके पद पर तनयणकत कर ददयना।

वललीदनाद खनाफाँ कम्पननी ककी सकेनना सके यणद्ध करनके कके ललए तबैयनार थके। 24 लसतम्बर 1857 ई. कभो उनकना
कम्पननी कके सबैतनकहों सके घनघभोर यणद्ध हणआ, कजसमम अनकेक लभोग हतनाहत हभो गए। कनागांततकनारली बब्रितनातनयहों
ककी शस्त्रहों सके सणसकज्जत सकेनना कके समक्ष अधधक समय तक नहलीगां दटक सकके। उन पर बब्रिदटश सबैतनक
तनरन्तर गभोलनाबनारली करतके रहके । कनागांततकनाररयहों कभो बहणत नक
ण सनान उठनानना पडना। कनागांततकनाररयहों नके भनी
अनकेक अधधकनाररयहों कभो मदौत कके घनाट उतनार ददयना, परन्तण अन्त मम उनककी परनाजय हणई। 29 लसतम्बर
कभो बब्रितनातनयहों नके मनालनागढ़ कके दग
ण र्व पर घकेरना डनाल ददयना, कजसकके कनारण वललीदनाद खनागां कभो पववश हभोकर
अपनके सनाधथयहों कके सनाथ भनागनना पड़ना। बब्रितनातनयहों कना ककलके पर अधधकनार हभो गयना, परन्तण सणरगांग फट
जनानके कके कनारण लकेकफ्टनकेन्ट हभोम ककी मत्त यण हभो गई।

यह पतना नहलीगां कक वललीदनाद खनाफाँ ककी मत्त यण कब और कहनाफाँ पर हणई। इतनना सहली हबै कक उन्हहोंनके बब्रिदटश
सरकनार कके समक्ष अपनके घणटनके नहलीगां टकके। अन्य प्रलसद्ध कनागांततकनारली नकेतनाओगां कके सनाथ भनी उनकना
सम्पकर्व थना। खनान बहनादरण खनाफाँ तथना ननानना सनाहब सके भनी उनककी भम ट हणई थनी। वललीदनाद खनाफाँ कके त्यनाग
एवगां बललदनान कभो कभनी भनी भणलनायना नहलीगां जना सकतना।

47. वकररिस अलदी

पणस्तक : 1857 कके कनागांततकनारली


भनाग : 1 पकेज न. 132
लकेखक : डड. एस.एल.ननागभोरली, डड. प्रणव दके व
प्रकनाशक : आर बनी एस ए पकब्लशसर्व
एस. एम. एस. हनाइवके
जयपणर- 302002
फभोन: 0141-2563826

कणछ बब्रिदटश एवगां भनारतनीय इततहनासकनारहों नके 1857 कके प्रथम स्वतगांत्रतना सगांगनाम कभो ककेवल लसपनाहली
पवद्रभोह मनानना हबै । यह सत्य हबै कक इस सगांगनाम मम भनारतनीय लसपनादहयहों ककी भलप मकना महत्वपण
प र्व थनी।
सवर्वप्रथम मगांगल पनाण्डकेय ननामक भनारतनीय लसपनाहली नके हली बबैरकपरण छनावननी मम कनागांतत कना बबगणल बजनायना
थना, इस घटनना नके उत्तर पकश्चमनी कके प्रनागांतहों कभो हली प्रभनापवत ककयना। कनानपरण , ददल्लली, इलनाहनाबनाद,
लखनऊ, मकेरठ, पटनना एवगां दनाननापरण आदद स्थनानहों पर लसपनादहयहों नके पवद्रभोह कना झगांडना खड़ना ककयना।
इसकके बनावजपद हम इसके ककेवल लसपनाहली पवद्रभोह कहकर नहलीगां पणकनार सकतके।

वस्तणतनः 1857 कना प्रथम स्वतगांत्रतना सगांगनाम एक ऐसना जन आगांदभोलन थना, कजसमम रनाजना-महनारनाजना सनामगांत,
सरकनारली पदनाधधकनारली, सनाधण एवगां सगांन्यनासनी आदद सभनी नके सककय रूप सके भनाग ललयना। 1833 ई. कके
चनाटर्व र एकट कके लशकक्षत वगर्व नके पवद्रभोह प्रनारगां भ कर ददयना थना। बगांबई और मद्रनास कके कणछ लभोगहों कके
प्रयनासहों कके कनारण 1853 ई. कके चनाटर्व र एकट मम कणछ बनातम ऐसनी थनीगां, जभो भनारतनीय दहतहों सके सगांबगांधधत थनीगां।
पर 1833 कके एकट ककी भनाफाँतत इसकना भनी उल्लगांघन ककयना जनानके लगना।
डलहदौडनी ककी ननीतत नके भनारतनीय रनाजघरनानके कभो असगांतणष्ट कर ददयना थना। उच्च लशकक्षत वगर्व कभो
सरकनारली नदौकररयहों सके वगांधचत कर ददयना गयना थना, अतनः उनमम सरकनार कके पवरूद्ध भयगांकर असगांतभोर
व्यनाप्त थना। इसललए सरकनार नके लभोटके कके बदलके लमट्टिनी कना बरतन दके नना प्रनारम्भ ककयना। क़बैददयहों द्वनारना
इसकना पवरभोध ककयना गयना। पववश हभोकर सरकनार कभो यह आदके श वनापपस लकेनना पड़ना। इसकके बहणत
दरप गनामनी पररणनाम हणए। इस घटनना कभो कणछ लभोगहों नके 'लभोटना पवद्रभोह' कके ननाम सके सगांबभोधधत ककयना।

1857 ककी कनागांतत कना प्रसनार बबहनार मम भनी हणआ। पटनना तथना दनाननापणर आदद स्थनानहों पर कनागांतत ककी
यभोजननाएफाँ बननके लगनीगां। जगदलीशपणर कके शनासक कफाँण वर लसगांह कना ननानना सनाहब सके सगांपकर्व थना। हरककशन
लसगांह और उनकके समथर्वक दनाननापणर छनावननी मम बबहनार कके लसपनादहयहों मम कनागांतत ककी भनावनना कना प्रसनार
कर रहके थके। पटनना कके पनीर अलली मणसलमनानहों कभो सगांगदठत कर रहके थके।

पटनना कके कलमश्नर एस. टके लर कना यह मनाननना थना कक बबहनार मम कनागांतत कना प्रसनार तनकश्चत रूप सके
हभोगना। अतनः उनकके वहनाफाँ पर सनी.आई.डनी. कना जनाल बबछना ददयना। इसनी समय उसके यह सपचनना प्रनाप्त हणई
कक ततरहणत कज़लके कना पलण लस जमनादनार वनाररस अलली बब्रितनातनयहों कना पवरभोध कर रहके हह। उन्हहोंनके
कनागांततकनाररयहों सके अपनना सगांपकर्व स्थनापपत कर रखना थना। एक सरकनारली पदनाधधकनारली कना पवद्रभोदहयहों कना
सनाथ दके नना सरकनार ककी दृकष्ट मम रनाजद्रभोह थना। सरकनारली आदके श सके उनकके मकनान कभो घकेर ललयना गयना,
उस समय वके गयना कके अलली करलीम ननामक कनागांततकनारली कभो पत्र ललख रहके थके। इस छनापके मम उनकके घर
सके बहणत आपकत्तजनक पत्र प्रनाप्त हणए। इसकभो आधनार बननाकर 23 जपन, 1857 ई. कभो उनकभो धगरफ़्तनार
कर मकेजर हभोम्स कके पनास भकेज ददयना गयना। मकेजर हभोम्स नके उस दनाननापणर कचहरली कके कलमश्नर कके
पनास भकेज ददयना। वहनाफाँ उन पर मणकदमना चलनायना गयना और उन्हम मत्त यण दगां ड ककी सजना दली गई। 6
जणलनाई, 1857 ई. कभो वनाररस अलली कभो फनाफाँसनी पर लटकना ददयना गयना।

वनाररस अलली अपनके वतन कभो बहणत प्यनार करतके थके। अतनः उसकके ललए उन्हहोंनके अपननी कज़गांदगनी तक
कणबनार्वन कर दली। वके सनाधनारण व्यककत थके। उनकना ददल्लली कके शनाहली घरनानके सके सगांबगांध थना। उन्हहोंनके कफाँपननी
मम नदौकरली कब जभोइन ककी, इस बनारके मम हमम कभोई जनानकनारली प्रनाप्त नहलीगां हभोतनी हबै ।

वनाररस अलली ककी कणबनार्वननी कके बनाद सनारके प्रनागांत मम कनागांतत ककी लहर फबैल गई। इधर पटनना मम पनीर अलली
कभो भनी फनाफाँसनी पर लटकना ददयना गयना। कलमश्नर टके लर नके अनकेक कनागांततकनाररयहों कभो बगांदली बनना कर उन
पर मणकदमके चलनाए, उनकके घर उजनाड़ ददए गए। उसकना मनाननना थना कक कनागांतत कभो कणचलनके सके वह
रुक जनाएगनी पर उसकना प्रभनाव उल्टना हणआ। दनाननापणर कके लसपनादहयहों नके भनी कनागांतत कर दली और वके बनाबप
कगांण वरलसगांह ककी सकेनना सके जनाकर लमल गए।
कफाँण वर लसगांह कके सनाथ यणद्ध करतके हणए डनवर मनारना गयना। बब्रिदटश सबैतनक हतनाहत हणए। कनागांतत कना शनीघ्र
हली बबहनार कके अन्य भनागहों मम भनी प्रसनार हभो गयना। गयना, छपरना, आरना, मजण फ्फरपरण , भनागलपरण आदद मम
कनागांतत कना प्रसनार हभो गयना, गभोरखपरण मम भनी पवद्रभोदहयहों कना एक दल आ गयना।

कहनके कना मतलब यह हबै कक वनाररस अलली कना बललदनान व्यथर्व नहलीगां गयना। 1857 ककी कनागांतत सके कफाँपननी
सरकनार ककी जड़के दहल गई और अन्त मम बब्रिदटश सनामनाज्ञनी महनारनाननी पवकटभोररयना नके भनारत मम कगांपननी
कके शनासन कना अगांत कर ददयना और दहगांदस्
ण तनान कके शनासन कना भनार स्वयगां अपननी सरकनार कके अधनीन
ककयना।

भनारत मम शनासन पर तनयगांत्रण स्थनापपत करनके कके ललए एक भनारतनीय सधचव कभो तनयणकत ककयना गयना।
इस समय बब्रिदटश सरकनार नके कनागांतत ककी ज्वनालना कभो शनागांत करनके कके ललए बड़के-बड़के वनायदके ककए, परगां तण
सरकनार नके उनकभो पपरना नहलीगां ककयना। वनाररस अलली 1857 ककी कनागांतत कके एक महनान यभोद्धना थके, कजनककी
कणबनार्वननी कभो कभनी भनी भणलनायना नहलीगां जना सकतना।

48. अमरि ससक्रांह

पणस्तक : 1857 कके कनागांततकनारली


भनाग : 2 पकेज न. 54
लकेखक : डड. एस.एल.ननागभोरली, डड. प्रणव दके व
प्रकनाशक : आर बनी एस ए पकब्लशसर्व
एस. एम. एस. हनाइवके
जयपणर- 302002
फभोन: 0141-2563826

बनाबप कगांण वर लसगांह ककी मत्त यण कके बनाद प्रथम स्वतगांत्रतना सगांगनाम ककी बनागडभोर कना नकेतत्त व अमर लसगांह नके
ककयना थना। अमर लसगांह नके लसगांहनासन पर बबैठनके कके बनाद एक ओर अफाँगकेज़हों कभो परनाकजत करनके कना
तनश्चय ककयना और दस
प रली ओर अपनके रनाज्य मम सणदृढ़ शनासन प्रबगांध स्थनापपत ककयना। वनीर पवननायक
दनामभोदर सनावरकर नके ललखना हबै , "अमर लसगांह कगांण वर लसगांह ककी हली तरह वनीर, उदनार और परनाकमनी थके।"

अमर लसगांह बनाबप कगांण वर लसगांह कके सबसके छभोटके भनाई थके। उनकके पपतना कना ननाम सनादहबजनादना थना। वभो उन्हम
बहणत प्यनार करतके थके। अमर लसगांह नके धनालमर्वक प्रवकत त्त कके हभोनके कके कनारण भनारत कके प्रमणख तनीथर्व स्थलहों
कना भ्रमण ककयना थना। अमर लसगांह ककी पढ़नके-ललखनके मम रुधच थनी। एक इततहनासकनार कके अनणसनार, वके
रनामनायण एवगां महनाभनारत कना जमकर पनाठ करतके थके।
अमर लसगांह पहलके अफाँगकेज़हों सके सगांघरर्व कके पक्ष मम नहलीगां थके। उनकना यह मनाननना थना कक अफाँगकेज़ बहणत
शककतशनालली हबै , परगां तण बनाबप कणवगांरलसगांह नके एक प्रमणख सरदनार हर ककशन कके परनामशर्व पर कनागांतत मम भनाग
लकेनके कना तनश्चय ककयना। बनाबप कफाँण वर लसगांह नके अफाँगकेज़हों कना पवरभोध ककयना, तब अमर लसगांह भनी उनककी
तरफ़ आकपरर्वत हणए। पहलके हर ककशन लसगांह हली बनाबप कफाँण वर लसगांह कके प्रधनान परनामशर्वदनातना थके। जब
अमर लसगांह नके अपनके भनाई कभो अफाँगकेज़हों सके सगांघरर्व करतके हणए दके खना, तभो वके भनी अफाँगकेज़ पवरभोधनी कह प मम
सनालमल हभो गए। हर ककशन लसगांह अमर लसगांह सके ईष्यनार्व करतके थके , अतनः उन्हहोंनके इसके पसगांद नहलीगां
ककयना। बनाद मम बनाबप कफाँण वर लसगांह ककी रनाजननीततज्ञ सपझ-बझ
प कके चलतके दभोनहों नके बनाद मम तनष्ठना कके सनाथ
यणद्ध ककयना।

जगदलीशपणर छभोटली ररयनासत हभोतके हणए भनी उसकना प्रभनाव बबदहयनाफाँ आदद स्थनानहों पर थना। समनाट शनाहजहनाफाँ
नके जगदलीशपणर कके ज़मनीगांदनार कभो 'रनाजना' ककी उपनाधध प्रदनान ककी थनी। जगदलीशपणर कके अगांततम शनासक रनाजना
अमर लसगांह हली थके। कफाँण वर लसगांह कके गदनी छभोड़नके कके बनाद बबहनार मम अमर लसगांह नके आठ महलीनहों तक
कनागांतत कना नकेतत्त व ककयना। उस समय कफाँण वर लसगांह उत्तर-पकश्चमनीक्षकेत्रहोंममलड़नकेममव्यस्तथके।

जब आयर नके जगदलीशपणर पर पवजय प्रनाप्त कर लली, तब अमर लसगांह नके पहनाड़नी क्षकेत्रहों मम अपनना प्रभनाव
बढ़नना प्रनारगां भ ककयना और कगांपननी कके पवरुद्ध छनापनामनार यणद्ध जनारली रखना एवगां सनासनारनाम कके बनीच
आवनागमन कके मनागर्व कभो अमर लसगांह नके अवरूद्ध कर ददयना। लमस्टर कभोस्टलके कके अनणसनार सनासनारनाम कके
आस-पनास कके क्षकेत्रहों पर अमर लसगांह कना दबदबना बहणत बढ़ गयना। आरना कके आस-पनास कके गनाफाँवहों मम भनी
कस्थतत भयनावह हबै । उन्हहोंनके ललखना हबै कक इन क्षकेत्रहों मम पलण लस कना कभोई प्रभनाव नहलीगां हबै ।

पटनना कके कलमश्नर नके बगांगनाल सरकनार कके सधचव कभो 6 लसतम्बर, 1857 ई. कभो पत्र ललखना कक जब
तक अमर लसगांह कभो आस-पनास कके क्षकेत्रहों मम रहके गना, तब तक आरना कज़लके मम शनागांतत कभनी स्थनापपत नहलीगां
सकतनी। यह भनी सगांभव हबै कक आरना पर पन
ण नः पवद्रभोदहयहों कना अधधकनार हभो जनाए। यदद आरना मम पन
ण नः
पवद्रभोहली पनप गए, तभो वह पटनना, गयना तथना सगांपण
प र्व बबहनार कके ललए एक लसरददर्व हभो जनाएगना। सरकनार
नके घभोरणना ककी कक जभो कभोई अमर लसगांह कभो पकड़वनाएगना, उसके दभो हज़नार रुपयके कना पणरस्कनार ददयना
जनाएगना, कजसके बनाद मम बढ़नाकर पनाफाँच हज़नार रुपयके कर ददयना गयना थना। तनशनागांत लसगांह और हरककशन
लसगांह कभो पकड़नके कके ललए सरकनार नके कमशनः एक हज़नार एवगां पनाफाँच सदौ रुपयके दके नके ककी घभोरणना ककी।

गबैण्ड ट्रगां क रभोड कके तनकट कणरलीडनीह मम अमर लसगांह नके टके ललफ़भोन लनाइन कनाट दली और पहनाडड़यहों ककी ओर
चलके गए। दकक्षण शनाहनाबनाद मम कणछ मनाह तक अमर लसगांह नके गणररल्लना यणद्ध मम अफाँगकेज़हों कके दनाफाँत खट्टिके
कर ददए। अमर लसगांह ककी रणननीतत अफाँगकेज़हों कके ललए बहणत धनातक लसद्ध हणई। अधधकनागांश स्थनानहों पर
अमर लसगांह नके अफाँगकेज़हों कभो परनाकजत ककयना। यदद उन्हम पतना चलतना कक अफाँगकेज़हों ककी पवजय तनकश्चत हबै ,
तभो वके अपननी सकेनना कभो छभोटके -छभोटके दलहों मम बनाफाँटकर अनकेक पव
प र्व तनकश्चत ददशनाओगां मम भकेज दके तके। इस
तरह अमर लसगांह ककी सकेनना दके खतके हली दके खतके ग़नायब हभो जनातनी और अफाँगकेज़ सकेनना उसकना पनीछना करकके
कणछ भनी प्रनाप्त नहलीगां कर पनातनी। अफाँगकेज़ हमकेशना यहली सभोचतके थके कक इस अदृश्य सकेनना कना मक़
ण नाबलना
कबैसके ककयना जनाए। प्रत्यकेक लड़नाई मम अफाँगकेज़हों कभो अपननी पवजय तनकश्चत लगतनी थनी, पर वके पवजय
प्रनाप्त नहलीगां कर पनातके थके। इस प्रकनार दस
प रके स्थल पर उन्हम कफर अमर लसगांह ककी शककतशनालली सकेनना सके
यद्ध
ण करनना पड़तना थना।

अमर लसगांह कके यणद्धकदौशल एवगां वनीरतना सके तनरनाश हभोकर बब्रिदटश जनरल ई. लपगनाडर्व नके 17 जपन तभो
त्यनागपत्र ददयना और इगांग्लहड वनापस चलना गयना। उसकके स्थनान पर जनरल डगलस कभो तनयणकत ककयना
गयना। उसककी सकेनना भनी यणद्ध क्षकेत्र छभोड़कर वनापस लशपवर मम चलली गई। 28 फ़रवरली, 1858 ई. कभो
शनाहनाबनाद कके मकजस्ट्रके ट बकेक नके कलमश्नर कभो ललखना थना कक उसनके अमर लसगांह तलनाश कना हर सगांभव
प्रयनास ककयना थना।

अमर लसगांह ककी मणठभकेड़ सर ई. लणगनाडर्व कके सनाथ हणई। लपगनाडर्व नके आरना सके बबदहयना ककी ओर प्रस्थनान
ककयना। जहनाफाँ अमर लसगांह कके कणछ लभोगहों नके उन्हके बनाधना पहणफाँचनानके कना प्रयनास ककयना, पर उसनके उन लभोगहों
कभो जगांगल मम खदके ड़ ददयना।

अमर लसगांह और लपगनाडर्व कके बनीच पन


ण नः जगदलीशपरण मम लड़नाई हणई, परगां तण यहनाफाँ भनी पवद्रभोहली सकेनना कभो
जगांगल ककी ओर भनागनके कके ललए पववश हभोनना पड़ना। जगदलीशपरण पर अपनना प्रभनाव बननाए रखनके कके
ललए लपगनाडर्व नके चनार यरण भोपपयन टणकड़नी और एक लसकखहों ककी कफाँपननी कभो कबैप्टन ननामर्वन कके नकेतत्त व मम
रखना।

10 मई कभो यह सपचनना प्रनाप्त हणई कक कनर्वल कभोरफकील्ड पनीरभो मम आर रहना हबै । दललीपपणर मम कणछ
मणठभकेड़ हणईं. 13 मई कभो जब लणगनाडर्व पनीरहों मम पवश्रनाम कर रहना थना, तब अमर लसगांह ककी सकेनना नके अफाँगकेज़
सकेनना कभो परनास्त करकके उनकके कह प मम तहलकना मचना ददयना।

लपगनाडर्व नके 14 मई कभो जगदलीशपरण सके सकेनना कके प्रधनान कभो ललखना कक अफाँगकेज़ सकेनना गमर्शी सके बहणत
परके शनान हभो चणककी हबै और उसके बहणत क्षतत उठनाननी पड़नी हबै । अब मह पवद्रभोदहयहों पर अधधकनार करनके यना
भगनानके मम असमथर्व हपफाँ। 15 मई कभो अमर लसगांह कके सबैतनकहों नके लपगनाडर्व ककी सकेनना पर आकमण कर
ददयना, परगां तण अफाँगकेज़ सबैतनक जगदलीश पणर कके दकक्षण जगांगल ककी ओर भनाग गए। 16 मई कभो अफाँगकेज़
सबैतनकहों नके हरककशन गनाफाँव मम आग लगनाकर उसके बरबनाद कर ददयना। बब्रिदटश सकेनना नके अमर कके
मकनान कभो भनी नष्ट कर ददयना।
सर लपगनाडर्व नके एक कह प लगनायना, तनाकक आरना, डणमरडव, बकसर, भभोजपरण तथना सनासनारनाम मम पवद्रभोदहयहों कभो
शनागांत कर उन्हम वहनाफाँ सके हटनायना जना सकके। पटनना प्रमगांडल कके आयक
ण त कके सरकनार कभो ललखना थना कक
यथनाशनीघ्र जगदलीशपरण कके जगांगल कभो कटवना ददयना जनाए, तनाकक पवद्रभोहली वहनाफाँ पर नहलीगां तछप सकम।

20 मई कभो लपगनाडर्व तथना अमर लसगांह कके बनीट मकेटनाहली मम मणठभकेड़ हणई। डगलस कके सनाथ भनी अमर लसगांह
कना सगांघरर्व हणआ, कजसमम अफाँगकेज़ सकेनना नके उन्हम पनीछके हटनके ककए पववश ककयना, पर वह उन पर कब्जना
न कर सककी।

पटनना कके कलमश्नर एस. टके लर नके लपगनाडर्व कभो ललखना कक पवद्रभोदहयहों कभो तणरगांत शनाहनाबनाद सके तनकनाल
ददयना जनाए। कई स्थनानहों पर अमर लसगांह ककी सकेनना कना लपगनाडर्व कके सबैतनकहों सके सगांघरर्व हणआ। इस समय
अफाँगकेज़ सबैतनकहों नके कनागांततकनाररयहों कके एक नकेतना तनशनान लसगांह कभो पकड़ ललयना और उन पर सनासनारनाम
कके कमनागांडडगांग ऑकफ़सर कभोल स्टके टन नके सबैतनक अदनालत कके द्वनारना मणकदमना चलनानके कना आदके श ददयना
और तनशनान लसगांह कभो गभोलली मनार दली।

इस घटनना कके अमर लसगांह हतनाश नहलीगां हणए। उन्हहोंनके सनाहस सके कनाम लकेतके हणए सगांघरर्व जनारली रखना। वके 7
जपन कभो कमर्वननाशना नदली पनार कर गहमर हभोतके हणए गनाजनीपणर कजलना कके जमनातनयनाफाँ परगनना मम पहणफाँचके।
जनरल ई. लपगनाडर्व नके कबैप्टन रबै टरके कभो रूपसनागर मम एवगां बब्रिगकेडडयर डगलस कभो बकसर मम और स्वयगां
दललीपपणर मम रहना, तनाकक अमर लसगांह शनाहनाबद मम न आ सकके। परगां तण इसकके बनावजपद अमर लसगांह 1,500
सबैतनकहों सदहत जगांगलहों कभो पनार करकके जगदलीशपरण कके तनकट मदनपरण आ गए। 12 जपन कभो अमर
लसगांह ककी कबैप्टन रबै टरके ककी सकेनना कके सनाथ मठ
ण भकेड़ हणई, कजसककी सपचनना सरकनार कभो नहलीगां दली गई।

14 जपन कभो कलमश्नर नके बगांगनाल कके सधचव कभो ललखना कक छपरना मम पवद्रभोहली बहणत सककय हभो चपकके हह
और उन्हहोंनके आरना कके तनकट उदवन्त नगर कभो भनी घकेर ललयना हबै । जणलनाई कके मध्य कबैप्टन रबै टरके नके
सरननाम लसगांह पकड़नके मम सफलतना प्रनाप्त ककी और उसकके पररवनार कके समस्त परु
ण रहों कभो मदौत ककी ननीगांद
सणलना ददयना।

अमर लसगांह कना अपनके पनाफाँच सदौ सबैतनकहों कके सनाथ समथना गनाफाँव मम लकेकफ्टनकेन्ट वनाल्टर कके सनाथ 7
जणलनाई, 1858 ई. कभो सगांघरर्व हणआ। 30 जणलनाई कभो पटनना कके कलमश्नर नके बगांगनाल कके सधचव कभो ललखना
कक अभनी जगदलीशपणर कके आस-पनास कके क्षकेत्र मम एक हली व्यककत (अमर लसगांह) कना प्रभनाव हह। यहनाफाँ तक
कक उसनी कना शनासन हबै । वहली कर वसपल करतना हबै और सरकनार ककी भनाफाँतत अपनके अधधकनाररयहों ककी
तनयणककत भनी करतना हबै एवगां अपरनाधधयहों कभो दगां ड भनी दके तना हबै ।
अमर लसगांह नके एक लसपनाहली कभो लसफ़र्व इसललए फनाफाँसनी पर लटकना ददयना कयहोंकक उसनके एक बतनयना ककी
हत्यना ककी थनी। उन्हहोंनके हरककशन लसगांह कभो जगदलीशपरण कके शनासन प्रबगांध कना प्रधनान तनयक
ण त ककयना।
उनकना सबैतनक सगांगठन बहणत सशकत थना। तरह-तरह कके अधधकनारली थके। जगदलीशपरण कके दभो हज़नार
लसपनादहयहों मम सके 1500 फनायरमकेन एवगां 500 तलवनार चलनानके मम तनपण
ण थके।

अमर लसगांह 29 जणलनाई कभो कनारलीसनाथ आए। 30 जणलनाई कभो महदौलली मम कनर्वल वनालटर सके उनककी मणठभकेड़
हणई, कजसमम 750 सबैतनक मनारके गए। अफाँगकेज़ सकेननापतत नके 9 अकटपबर कभो दनाननापणर सके कनागांततकनाररयहों कभो
कणचलनके ककी एक यभोजनना बननाईं, कजसकके अनणसनार जगदलीश पणर, चदौगनाई, कनारलीसनाथ मम सबैतनक भकेज ददय
गए।

24 अकटपबर, 1858 ई. तक बब्रिगकेडडयर डगल नके अपननी सगांपपणर्व शककत सके पवद्रभोदहयहों कभो परनाकजत करनके
कना प्रयनास ककयना। दस
प रली और जनरल हबै वलनाक नके उसके सहनायतना दली। कबैमपर ककी चभोटली सबैधथयनादनाहर सके
पवद्रभोदहयहों कभो हटना ददयना गयना। कफर भनी लड़नाई चलतनी रहली।

13 अप्रबैल, 1859 ई. कभो पटनना कके कलमश्नर लमस्टर फरगणसन नके सरकनार कभो ललखना कक बहणत सके
कनागांततकनारली नकेपनाल ककी तरनाइयहों मम तछपके हणए हह। अमर लसगांह सनाहस कके सनाथ घपम रहना हबै । 24 नवगांबर,
1859 ई. कभो पलनामप कजलना कके करसौंधना गनाफाँव मम अमर लसगांह पवशनाल सकेनना कके सनाथ पनाए गए। ननानना
सनाहब कके नकेपनाल चलके जनानके कके बनाद अकटपबर, 1859 मम अमर लसगांह तरनाई चलके गए। वहनाफाँ पहणफाँचनके कके
बनाद उन्हहोंनके ननानना सनाहब ककी सबैतनक टणकड़नी कना नकेतत्त व सफाँभनाल ललयना।

दनामभोदर सनावरकर कके अनणसनार अमर लसगांह कबैमपर ककी पहनाडड़यहों कभो पनार करतके हणए कहलीगां अन्यत्र
तनकल पड़के। वके शत्रओ
ण गां कके हनाथहों नहलीगां पकड़के गए। रनाज्य और वबैभव नके उनकना सनाथ छभोड़ ददयना, ककगां तण
उनककी अजकेय आत्मना उनकके सनाथ रहली। उन्हहोंनके अगांततम क्षणहों तक सनाहस नहलीगां छभोड़। पर उनकके
अकन्तम ददन कहनाफाँ और कबैसके बनीतके, इसकना कभोई उत्तर नहलीगां हबै ।" इसकके पवपरलीत डड. कके. कके. दत्तना
ललखना हबै कक, "अमर लसगांह कभो नकेपनाल ककी तरनाइयहों मम महनारनाज जगांग बहनादरण कके सबैतनकहों नके ददसगांबर
1859 ई. मम पकड़ ललयना।" सगांयणकत प्रनागांत ककी सरकनार नके बगांगनाल ककी सरकनार कभो ललखना कक अमर लसगांह
पर मणकदमना उसकके कजलना शनाहनाबनाद मम हभो यना गभोरखपणर। उन्हम गभोरखपणर जकेल मम रखना गयना। बगांगनाल
सरकनार कना पवचनार थना कक शनाहनाबनाद मम हली मणकदमना हभो तभो ज़्यनादना अच्छना हबै पर बनीच 4 फरवरली,
1860 कभो उन्हम भयनानक पकेधचस कके चलतके गभोरखणपर जकेल कके अस्पतनाल मम भतर्शी ककयना गयना। जहनाफाँ
उनककी मत्त यण 5 फरवरली, 1860 ई. कभो हभो गई।
अमर लसगांह भनारतनीय स्वतगांत्रतना कके एक ऐसके दके दलीप्यमनान नक्षत्र थके, कजनककी वनीरतना आज भनी भनारतनीयहों
कभो रनाष्ट्र कके ललए मर लमटनके कके ललए प्रकेरणना दके तनी हबै । तननःसगांदकेह अमर लसगांह कफाँण वर लसगांह कके ललए
लक्ष्मण जबैसके भनाई थके।

इस पवरय मम मनभोरगां जन प्रमनाद लसगांह नके ठछीक हली ललखना हबै -


"रनाम अनणज जगजनान लखन,
ज्यहों उनकके सदना सहनाई थके।
गभोकणल मम बलदनाउ कके पप्रय,
जबैसके कगांण वर कन्हनाई थके।
वनीर श्रकेष्ठ आल्हना कके प्यनारके ,
ऊदल ज्यहों सणखदनायनी थके।
अमर लसगांह भनी कफाँण वर लसगांह कके
वबैसके हली पप्रय भनाई थके।
कफाँण वर लसगांह कना छभोटना भनाई
वबैसनी हली मस्तनानना थना,
सब कहतके हबै अमर लसगांह भनी
बड़नावनीरमदनार्वननाथना।"

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